Most Expensive Stocks: शेयर बाजार में 5-10 रुपये से लेकर 85 हजार रुपये तक के शेयर मौजूद हैं.

कैसे किसी कंपनी की मार्किट वैल्यू पता करें

यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Marcus Raiyat. मार्कस रैयत एक U.K., फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडर हैं और ये Logikfx के संस्थापक/CEO और इंस्ट्रक्टर भी हैं | लगभग 10 वर्षों के अनुभव के साथ मार्कस सक्रिय रूप से ट्रेडिंग फोरेक्स, स्टॉक्स और क्रिप्टो में भी माहिर हैं और CFD ट्रेडिंग, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और क्वांटिटेटिव एनालिसिस में विशेषज्ञ हैं | मार्कस ने एस्टोन यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स में BS की डिग्री हासिल की है | Logikfx में इनके काम के लिए इन्हें ग्लोबल बैंकिंग और फाइनेंस रिव्यु के द्वारा "बेस्ट फोरेक्स एजुकेशन एंड ट्रेनिंग U.K. 2021 के रूप में नामांकित किया गया था |

यहाँ पर 8 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं।

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अगर आप किसी कंपनी में इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, या फिर अपनी कंपनी बेचना चाह रहे हैं, तो उसकी कीमत का जायजा लगाना कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? अच्छा रहता है क्योंकि इससे आपको पता चलता है की आपको कितनी आमदनी होने की सम्भावना है | कंपनी की मार्किट वैल्यू इन्वेस्टर की उसकी भविष्य में होने वाली आमदनी का आंकलन होता है | [१] X रिसर्च सोर्स बदकिस्मती से, हम एक पूरे बिज़नेस को स्टॉक शेयर जैसे लिक्विड एसेट की तरह वैल्यू नहीं कर सकते हैं; लेकिन, कंपनी की मार्किट वैल्यू को सही से आंकने के लिए कई तरीके मोजूद हैं | इनमें से कुछ आसान तरीकों में आप कंपनी की मार्किट कैपिटलाइजेशन (उसकी स्टॉक वैल्यू और शेयर्स का बकाया) का जायजा ले सकते हैं, उसी प्रकार की कंपनी से तुलना का आंकलन, या पूरी इंडस्ट्री से जुड़े मल्टीप्लायरज़ की मदद से मार्किट वैल्यू पता कर सकते हैं |

इमेज का टाइटल Calculate the Market Value of a Company Step 1

  • ध्यान रहे की ये तरीका सिर्फ पब्लिकली- ट्रेडेड (Publically- traded) कम्पनीज के लिए काम करता है, क्योंकि आप सिर्फ उनकी शेयर वैल्यू को आसानी से पता कर सकते हैं |
  • इस तरीका की एक खामी ये है की वो कंपनी की वैल्यू को बाज़ार के उतार चड़ाव के हिसाब से आंकती है | अगर किसी बाहरी कारण की वजह से स्टॉक मार्किट गिर गया है, कंपनी की मार्किट कैपिटलाइजेशन भी गिर जाएगी हांलाकि उसकी आर्थिक स्थिति अभी भी मज़बूत है |
  • मार्किट कैपिटलाइजेशन, क्योंकि इन्वेस्टर के विश्वास पर निर्भर होती है, कंपनी की सही वैल्यू को पता करने का ये एक अस्थिर और अविश्वसनीय तरीका है | स्टॉक के शेयर की कीमत पता करने के लिए कई फैक्टर काम करते हैं, इसलिए एक कंपनी की मार्किट कैपिटलाइजेशन, की संख्या को भी थोड़ा बदला हुआ माना जाना चाहिए | लेकिन इसके बाद भी, कंपनी का कोई भी संभावित खरीदार को भी बाज़ार से ऐसी ही उम्मीदों होंगी और वो भी उसकी आमदनी पर उसी प्रकार की कीमत लगा सकते हैं |

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कंपनी का मोजूदा शेयर प्राइस देखें: कंपनी का शेयर प्राइस कई वेबसाइट जैसे moneycontrol.com, economictimes.com, Yahoo! Finance, और Google Finance पर आपको मिल सकती है | कंपनी के नाम के बाद "stock" या स्टॉक का सिंबल (अगर आपको पता है) किसी सर्च इंजन में डाल कर स्टॉक कीमत पता करें | आप इस कैलकुलेशन के लिए जिस स्टॉक वैल्यू का प्रयोग करना चाहेंगे वो करंट मार्किट वैल्यू होनी चाहिए, जो की सभी प्रमुख फाइनेंश्यीयल वेबसाइट के स्टॉक रिपोर्ट पेज पर सामने ही दिख जानी चाहिए |

Expensive Stocks: ये हैं सबसे महंगे 5 शेयर, 85000 रु तक है कीमत; क्या आपने किया है निवेश?

Most Expensive Stocks: शेयर बाजार में 5-10 रुपये से लेकर 85 हजार रुपये तक के शेयर मौजूद हैं.

Expensive Stocks: ये हैं सबसे महंगे 5 शेयर, 85000 रु तक है कीमत; क्या आपने किया है निवेश?

Most Expensive Stocks: शेयर बाजार में 5-10 रुपये से लेकर 85 हजार रुपये तक के शेयर मौजूद हैं.

Most Expensive Stocks: शेयर बाजार ऐसी जगह है, जहां हजारों शेयरों में रोजाना ट्रेडिंग होती है. मार्केट में 5-10 रुपये से लेकर 85 हजार रुपये तक के शेयर मौजूद हैं. यानी कुछ ऐसे भी महंगे शेयर हैं, जिनमें निवेश करना सबके लिए आसान नहीं है. यहां ध्यान देने वाली बात है कि स्टॉक प्राइस और स्टॉक का वैल्युएशन दो अलग अलग चीजें हैं. स्टॉक प्राइस का मतलब है कि मौजूदा समय में बाजार में शेयर किस भाव पर ट्रेड हो रहा है. उसे किस भाव पर खरीद सकते हैं. कह सकते हैं कि किस भाव पर उस शेयर की लेन देन हो रही है. शेयर का भाव इंट्राडे में ही कई बार बदल सकता है. इसमें तेजी से घट बढ़ दिख सकती है.

लेकिन शेयर का वैल्युएशन का मतलब शेयर के भाव से अलग है. शेयर का वैल्युएशन उस कंपनी के एक्चुअल वर्थ की सही तस्वीर पेश करता है. ऐसा नहीं है कि शेयर का भाव कम या ज्यादा है तो उसका वेल्युएशन भी पियर्स कंपनियों की तुलना में कम या ज्यादा है. हो सकता है कि 1000 रुपये के भाव वाला शेयर 500 रुपये के भाव वाले पियर्स कंपनी के शेयर की तुलना में अंडर वैल्युड है. फिलहाल हम यहां ऐसे 5 ऐसे शेयरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनके भाव सबसे ज्यादा भाव वाले शेयरों में शामिल हैं. इसमें भाव 23 मार्च को इंट्रोडे में हाई के आधार पर है.

शेयर का भाव: 85000 रुपये

Signature Global IPO: रियल्टी फर्म सिग्नेचर ग्लोबल के आईपीओ को SEBI की हरी झंडी, 1 हजार करोड़ रुपये जुटाना चाहती है कंपनी

मद्रास रबड़ फैक्ट्री (MRF) टायर मेकिंग कंपनी है, जिसका शेयर सबसे महंगा है. MRF के एक शेयर का मौजूदा भाव करीब 85000 रुपये हैं. कंपनी का शेयर अप्रैल 1993 में शेयर बाजार में लिस्ट हुआ था. तब शेयर का भाव 11 रुपये था. यानी लिस्टिंग के बाद से शेयर ने 8000 गुना के करीब रिटर्न दिया है. शेयर ने 5 साल में भी करीब 2.25 गुना पैसा निवेशकों का बढ़ा दिया है. एमआरएफ का मार्केट कैप 35868 करोड़ रुपये है कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? और यह 22.09 P/E रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है. शेयर के 52 हफ्तों का हाई 98,600 रुपये और 52 हफ्तों का लो 49,915 रुपये है.

हनीवेल आटोमेशन

शेयर का भाव: 45245 रुपये

हनीवेल आटोमेशन का शेयर लिस्ट में दूसरे नंबर पर है. शेयर का मौजूदा भाव 45245 रुपये है. हनीवेल ऑटोमेशन इंडिया लिमिटेड इंटीग्रेटेड ऑटोमेशन और सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन मुहैया कराने वाली कंपनी है. इस कंपनी के शेयर ने पिछले कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? 5 सालों में 5 गुना से ज्यादा रिटर्न दिया है. कंपनी का मार्केट कैप 39544 करोड़ रुपये है. जबकि शेयर 83.99 P/E रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है. शेयर के 52 हफ्तों का हाई 49,990 रुपये और 52 हफ्तों का लो 20,149 रुपये है.

पेज इंडस्ट्रीज

शेयर का भाव: 30,900 रुपये

पेज इंडस्ट्रीज का शेयर इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. शेयर का भाव 30900 रुपये है. शेयर के 52 हफ्तों का हाई 32206 रुपये और 52 हफ्तों का लो 16254 रुपये है. कंपनी का मार्केट कैप 34191 करोड़ रुपये है. यह 134 P/E रेश्यो पर ट्रेड कर रह है. पेज इंडस्ट्रीज भारत की इनर वियर, लॉन्जरी और मोजे बनाने और बेचने वाली कंपनी है. इस कंपनी का सबसे पॉपुलर ब्रांड है जॉकी. पिछले 5 सालों में इस शेयर ने करीब 2.5 गुना रिटर्न दिया है.कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं?

श्री सीमेंट

शेयर का भाव: 28500 रुपये

श्री सीमेंट का शेयर लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. शेयर का मौजूदा भाव 28500 रुपये है. श्री सीमेंट राजस्थान बेस्ड सीमेंट बनाने वाली कंपनी है. यह उत्तर भारत की लीडिंग सीमेंट बनाने वाली कंपनी है. कंपनी श्री पावर और श्री मेगा पावर नाम से बिजली बनती और बेचती है. इस कंपनी के शेयर ने पिछले 5 सालों में 2.2 गुना के करीब रिटर्न दिया है. कंपनी का मार्केट कैप करीब 1.02 लाख करोड़ रुपये है. जबकि शेयर 43.42 P/E रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है. शेयर के 52 हफ्तों का हाई 29,090 रुपये और 52 हफ्तों का लो 15410 रुपये है.

3M India Ltd.

शेयर का भाव: 28200 रुपये

3M India Ltd. अमेरिका की 3M कंपनी की सब्सिडियरी है, जो शेयर बाजार में लिस्टेड है. इसका 75 फीसदी स्टेक अमेरिका की इसकी पैरेंट कंपनी के पास है. कंपनी डेंटल सीमेंट, हेल्थ केयर, क्लीनिंग जैसे क्षेत्रों में तमाम तरह के प्रोडक्ट बनाती है. इस कंपनी के एक शेयर की कीमत 23 मार्च को 28200 रुपये थी. पिछले 5 सालों में इस शेयर ने करीब 2.6 गुना का रिटर्न दिया है. कंपनी का मार्केट कैप करीब 31529 करोड़ रुपये है. जबकि शेयर 191.69 P/E रेश्यो पर ट्रेड कर रहा है. शेयर के 52 हफ्तों का हाई 28,640 रुपये और 52 हफ्तों का लो 15,700 रुपये है.

(नोट: हमने यहां जानकारी कंपनी के शेयर के प्रदर्शन के आधार पर दी है. बाजार में जोखिम को देखते हुए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

Anil Agarwal: जानिए कैसे लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी लिस्ट कराने वाले पहले भारतीय बने अनिल अग्रवाल!

Vedanta Group: अनिल अग्रवाल सेमीकंडक्टर चिप की मैन्युफैकचरिंग में कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? कदम रखने जा रहे हैं. जिससे ऑटोमोबाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की चिप की जरुरत को पूरा किया जा सके

By: ABP Live | Updated at : 19 Sep 2022 06:11 PM (IST)

Anil Agarawal: मेटल्स, माइनिंग और पेट्रोलियम सेक्टर से जुड़ी कंपनी वेदांता समूह ( Vedanta Group) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ( Anil Agrawal) फिर से इन दिनों चर्चा में है. वेदांता समूह 1.54 लाख करोड़ रुपये की लागत से ताईवान की फॉक्सकॉन ( Foxconn) के साथ मिलकर गुजरात में सेमीकंडक्टर चिप ( Semiconductor Chip) मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने जा रही है. अनिल अग्रवाल की वेदांता ग्रुप ओडिशा (Odisha) में भी 25,000 करोड़ रुपये निवेश करने जा रही है. ओडिशा में कंपनी अब तक 80,000 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है. इससे एक बात तो साफ है कि अनिल अग्रवाल के पास पैसे की कमी नहीं है और निवेश को लेकर वे आतुर नजर आते हैं. अनिल अग्रवाल के जीवन की कहानी और मेटल मैगनेट बनने तक का उनका सफर बहुत ही रोचक है जो किसी को भी प्रेरित कर सकता है.

मुंबई से की शुरुआत
महज 19 साल की उम्र में अनिल अग्रवाल पटना शहर में अपने घर-द्वार, परिवार को छोड़कर सपनों की नगरी मुंबई आ गए. तब उनके पास एक टिफिन बॉक्स और बेडिंग के अलावा कुछ नहीं था. मुंबई में 21 रुपये के किराये वाले कमरे में रहे जिसे सात अन्य लोगों के साथ शेयर करना पड़ता था. उन्होंने 8*9 फुट के एरिया के बराबर ऑफिस खोला. जहां से वे स्क्रैप मेटल खरीदने बेचने लगे. कुछ ही दशकों में मायानगरी ने उनकी तकदीर ही बदकर रख दी. उन्होंने मुंबई में दिवालिया के कगार पर खड़ी कॉपर कंपनी शमशेर स्टर्लिंग कॉरपोरेशन को सबसे पहले खरीदा. 1970 में इस कंपनी को खरीदने के लिए उन्होंने 16 लाख रुपये जुटाये. जो उस समय बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. अपने दोस्तों, परिवार और खुद के द्वारा की गई सेविंग में जमा पैसे के जरिए उन्होंने इस कंपनी को खरीदा. हालांकि इसके बावजूद उन्होंने स्क्रैप मेटल में ट्रेडिंग के कारोबार को अगले 10 सालों तक जारी रखा जो उनका पारिवारिक व्यवसाय हुआ करता था. बिजनेस स्कूल को छोड़ दिजिए वे कभी कॉलेज भी नहीं गए लेकिन एक बड़े उद्योगपति बनने की राहत पर वे चल पड़े थे.

1988 में लाये स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का आईपीओ
1986 में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (Sterlite Industries) बनाई जो देश देश की सबसे बड़ी कॉपर प्रोड्यूसर कंपनी थी. 1988 में कंपनी अपना आईपीओ भी लेकर आई और स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराया. आईपीओ के जरिए जुटाये गए रकम से कॉपर टेलीफोन केबल्स प्लांट की स्थापना की. 7 वर्षों के बाद अनिल अग्रवाल ने घाटे में चल रही बीमार कंपनी मद्रास एल्युमिनियम में 55 करोड़ रुपये में 83 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली. अनिल अग्रवाल की सबसे बड़ी खासियत थी कि वे वैसी कंपनियों को खरीदते थे जो वित्तीय संकट से जूझ रही होती थी और उसका कायाकल्प कर वे उससे बड़ा रेवेन्यू हासिल करते थे. तस्मानिया (Tasmania) में उन्होंने केवल 2.5 मिलियन डॉलर में माइन्स खरीदी और उससे 100 मिलियन डॉलर सलाना रेवेन्यू हासिल करने लगे. 2002 में अनिल अग्रवाल ने सरकार द्वारा किए गए विनिवेश के बाद हिंदुस्तान जिंक ( Hindustan Zinc) को खरीदा. तब कहा जा रहा था कि कंपनी के पास केवल 5 सालों के लिए रिजर्व है और उसकी जिंक मैन्युफैकचरिंग कैपेसिटी 1.5 लाख टन सलाना थी. लेकिन अब कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 10 लाख टन की हो गई है और अनिल अग्रवाल ने हाल ही में कहा कि कंपनी के पास अगले 40 वर्षों का रिजर्व है.

LSE पर कंपनी लिस्ट कराने वाले पहले भारतीय
अनिल अग्रवाल मुंबई छोड़ अपने परिवार के साथ लंदन शिफ्ट हो गए. 2003 में उन्होंने अपनी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज ( Vedanta Resources) की लंदन स्टॉक एक्सचेंज ( London Stock Exchange) पर लिस्टिंग कराई. और वे पहले भारतीय थे जिसकी कंपनी लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई थी. अगले एक दशक में अग्रवाल ने अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे रीजन में कई माइन्स को खरीदा. माइनिंग और मेटल्स के बाद अनिल अग्रवाल ने पेट्रोलियम सेक्टर में कदम रखा. उन्होंने 9 अरब डॉलर में देश की निजी क्षेत्र की ऑयल कंपनी केयर्न एनर्जी ( Cairn Energy) को खरीदा. 2012 में वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी ने सीसा गोवा, वेदांता एल्युमिनियम और मद्रास एल्युमिनियम का आपस में विलय कर सीसा स्टरलाइट नाम से नई कंपनी बनाई. जिसकी वैल्यू 20 अरब डॉलर थी.

अब बनायेंगे सेमीकंडक्टर चिप
वेदांता की लिस्टिंग के 15 सालों के बाद अनिल अग्रवाल ने वेदांता को लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर से डिलिस्ट करा दिया और उसे प्राइवेट कंपनी बना दिया. अब अनिल अग्रवाल सेमीकंडक्टर चिप की मैन्युफैकचरिंग में कदम रखने जा रहे हैं. जिससे ऑटोमोबाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की चिप की जरुरत को पूरा किया जा सके और चीन पर निर्भरता को कम किया जा सके.

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Published at : 19 Sep 2022 06:11 PM (IST) Tags: Anil Agarwal Vedanta Group Semiconductor Chip Hindustan Zinc London Stock Exchange Sterlite Industries हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? बताते हैं.

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

कैसे काम करता है शेयर बाजार

मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.

शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.

निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?

इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.

इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.

स्टॉक मार्केट पर लिस्टेड कंपनी की लिस्ट

Zerodha

भारत के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है, पहला बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, जिसे शोर्ट में BSE के नाम से जाना जाता है, और दूसरा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, जिसे शोर्ट में NSE के नाम से जाना जाता है.

  • स्टॉक मार्केट NSE पर लिस्टेड कंपनी कितनी है? और दूसरा
  • स्टॉक मार्केट BSE पर लिस्टेड कंपनी कितनी है?

तो आइए NSE/BSE की वेबसाइट पर इसे चेक करते है और जानते है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जो भारत का सबसे प्रमुख स्टॉक मार्केट है,

NSE पर लिस्टेड कंपनी की लिस्ट

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट NSE INDIA पर CORPORATE टैब के अन्दर SECURITIES का आप्शन मिलता है, वहा पर क्लिक करने पर कुछ इस प्रकार का पेज ओपन होता है –

यहाँ पर आपको डाउनलोड का विकल्प मिलता है, जिसमे अगर आप डाउनलोड के लिए उपलब्ध फाइल में पहली फाइल जिसका नाम है – Securities available for Equity segment (.csv) उसे डाउनलोड करके आप EXCEL में ओपन करके देख सकते है, कि फ़िलहाल कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानि NSE पर कुल कितनी कंपनी लिस्टेड है,

अगर आज 30 नवम्बर 2018 को NSE इंडिया की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ो के अनुसार बात की जाये कि कुल कितने कंपनी के शेयर ट्रेड के लिस्टेड है, तो कुल 1614 कंपनी के शेयर लिस्टेड है, आप इनकी सूची इस लिंक से डाउनलोड एक्सेल फाइल में चेक कर सकते है.

BSE पर लिस्टेड कंपनी की लिस्ट

BSE पर लिस्टेड कंपनी चेक करने के लिए आपको थोडा अलग प्रोसेस फॉलो करना होगा,

BSE पर लिस्टेड कुल कंपनी को चेक करने की लिस्ट –

BSE की वेबसाइट पर जाए –

Home के अन्दर Corporates उसके अन्दर Listed Companies और फिर विकल्प मिलता है – List Of Securities का,

यहाँ पर आपको निम्न प्रोसेस फोलो करना है – पहला आप्शन है – SEGMENT,

इसमें आपको EQUITY , MF यानी म्यूच्यूअल फण्ड, परेफरेंस शेयर, डिबेंचर एंड बांड्स, और EQUITY INSTITUTIONAL SERIES के आप्शन में कोई एक आप्शन सेलेक्ट करना होगा,

अब क्योकि आप सभी लिस्टेड कंपनी के शेयर की लिस्ट देखना चाहते है तो आपको इसमें EQUITY के विकल्प का चुनाव करना होगा,

दूसरा आप्शन है – STATUS,

इसमें आपको तीन विक्ल्प मिलते है

दूसरा – SUSPENDED, और

तीसरा – DESISTED (डीलिस्टेड)

तो क्योकि आप एक्टिव कंपनी की लिस्ट देखना चाहते है तो आपको एक्टिव के विकल्प का चुनाव करना है,

इसके आलावा तीन विकल्प और है –

  1. SECURITIES NAME – अगर आप किसी स्पेशल कंपनी को सर्च करना चाहते है, तो कंपनी का नाम लिखिए, वर्ना अगर आप सिर्फ सभी कंपनी का लिस्ट देखना चाहते है तो आप इसे BLANK छोड़ सकते है,
  2. GROUP – अगर आप किसी खास ग्रुप की कंपनी चाहते है तो ग्रुप का आप्शन सेलेक्ट करे वर्ना आप सिर्फ सभी कंपनी का लिस्ट देखना चाहते है तो आप इसे BLANK छोड़ सकते है,
  3. INDUSTRY – अगर आप किसी स्पेशलइंडस्ट्री की कंपनी की लिस्ट चाहते है तो इंडस्ट्री का नाम सेलेक्ट कर सकते है, वर्ना अगर आप सिर्फ सभी कंपनी का लिस्ट देखना चाहते है तो आप इसे BLANK छोड़ सकते है,

और इसके बाद से सर्च पर क्लिक करके – आप NSE और BSE पर लिस्टेड , सिर्फ BSE के सभी कंपनी की सूची को देख सकते है,

आज के इस पोस्ट में हमने जाना – स्टॉक मार्केट पर लिस्टेड कंपनी कितनी है, आप इस पोस्ट के बारे में अपने सुझाव या विचार नीचे कमेंट करके बता सकते है.

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