बीते कुछ वर्षों में जब शीर्ष कॉर्पोरेट और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अचानक डिफॉल्ट के दुष्चक्र में उलझने लगीं, उस दौर का अनुभव भी दर्शाता है कि रेटिंग एजेंसियों का आकलन गलत हो सकता है। देश में नकदीकृत द्वितीयक कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार, डेट फंडों की कॉर्पोरेट डेट धारिता को नकदीकृत करने की राह मुश्किल बनाता है। फंड प्रबंधकों के लिए बेहतर जोखिम मॉडल विकसित करना जरूरी है। उन्हें उचित सतर्कता का पालन करने में रेटिंग एजेंसियों से परे जाकर काम करना होगा। एक बेहतर, मजबूत तनाव परीक्षण मॉडल मददगार साबित हो सकता है। परंतु यह बात ध्यान देने लायक है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कई वर्षों से बैंकों के पोर्टफोलियो में तनाव की जांच कर रहा जोखिम प्रबंधन है और उसके मॉडलों ने भी बुनियादी जोखिम को लगातार कम आंका है। ऐसे में संभव है कि सेबी का परीक्षण मॉडल उचित नतीजे देने में कुछ वक्त ले। इन सारी बातों का यही अर्थ है कि डेट फंड निवेशकों और डेट फंड के प्रबंधकों के लिए जोखिम जितना नजर आ रहा है उससे कहीं अधिक है। डेट बाजार का हर कारोबारी इस समय नाखुश करने वाले वाली घटनाओं के लिए तैयार है। बेहतर फंड हाउस उचित सतर्कता और जोखिम के आकलन के लिए अपना आंतरिक मॉडल विकसित करेंगे और इन मॉडलों को आधिकारिक रेटिंग तथा नियामकीय जांच से अलग होना होगा। नीति निर्माताओं के लिए यही अच्छा होगा कि वे बॉन्ड बाजार के नकदीकृत न होने की बुनियादी वजह तलाश करें और रेटिंग एजेंसियों का प्रदर्शन सुधारने के तरीके तलाश करें।

जोखिम प्रबंधन

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ओपन एंडेड डेट म्युचुअल फंड (ऐसे फंड जिनकी कितनी भी यूनिट, कभी भी खरीदी या बेची जा सकती है) के लिए दिशानिर्देश बदलने पर विचार कर रहा है। ऐसे में निवेशक इस श्रेणी का नए सिरे से आकलन कर सकते हैं। नियामक इस बात पर विचार कर रहा है कि सभी फंडों से कहा जाए कि वे अपने पोर्टफोलियो का एक खास प्रतिशत नकदीकृत परिसंपत्ति में रखें। वह नियामकीय जांच और योजनाओं की नकदी प्रोफाइल के आकलन के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन भी कर सकता है। इसके अलावा गैरनकदीकृत पोर्टफोलियो पर लेनदेन की अतिरिक्त लागत वसूल की जा सकती है। नकदी की स्थिति बेहतर होने से उन फंड को मदद मिलेगी जिनमें से अचानक पैसा निकाला जाता है। इससे निवेशकों को आश्वस्ति मिल सकती है जिन्हें डेट पोर्टफोलियो की गुणवत्ता का आकलन करने में मुश्किल होती है।

हालांकि डेट फंड क्षेत्र की चिंता ज्यादातर ढांचागत कारकों से संचालित है जो व्यक्तिगत स्तर पर फंड प्रबंधकों की पहुंच से बाहर हैं। द्वितीयक बॉन्ड बाजार की गैर मौजूदगी और रेटिंग एजेंसियों द्वारा खराब गुणवत्ता आकलन प्रबंधकों के लिए जोखिम के व्यवस्थित आकलन को और मुश्किल बना देते हैं।

अपने जोखिम का प्रबंधन करें

दैनिक परिभाषित करें लाभ लें और अपने खाते के लिए हानि लक्ष्य को रोकें। यदि ये मानदंड पूरे हो गए, तो ट्रेडिंग अपने आप बंद हो जाएगी और आपकी कमाई सुरक्षित और लॉक हो जाएगी।

आप व्यापार राशि और वॉल्यूम सीमाएँ भी कॉन्फ़िगर कर पाएंगे जो आपकी पूँजी का प्रबंधन करने में आपकी मदद करेगा जिस तरह से यह आपकी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त है।

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आपदा जोखिम न्यूनीकरण

Children play in Gehua river, Madhubani, one of the worst flood-affected districts in Bihar Province.

भारत एक बहु आपदा प्रवण देश है जहाँ दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक आपदाएँ घटती हैं. भारत के 29 राज्यों एवं 7 केंद्र शासित प्रदेशों में से 27में प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ और सूखे जैसी आदि का कहर निरंतर रहता है।

जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय क्षति की वजह से आपदाओंकी तीव्रता एवं आवृत्ति भी अधिक हो गई है जिससे जान – माल की जोखिम प्रबंधन क्षति अधिक हो रही है. इसके अतिरिक्त देश का एक तिहाई हिस्सा नागरिक संघर्ष एवं बंद आदि से भी प्रभावित रहता है।

किसी भी आपदा में व आपदा के बाद बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और ऐसी वास्तविकताओं को अक्सर योजनाओं एवं नीति निर्माण के समय में अनदेखा कर दिया जाता है ।

आपातकालीन तत्परता और प्रतिक्रिया

राष्ट्रीय क्षमता और यूनिसेफ के तुलनात्मक फायदे के साथ आने से आपातकालीन तैयारी और राहत एवं बचाव तंत्र द्वारा आपातकालीन एवं मानवीय संकट में प्रभावी रूप से सामना करने में मदद मिलती है । यूनिसेफ बच्चों के लिए अपनी मुख्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आपातकालीन तैयारियों पर सरकार के अनुरोधों को पूरा करने हेतु अपनी क्षमता को निरंतर विकसित करता है।

सरकार में जोखिम प्रबंधन यूनिसेफ की मुख्य समकक्ष संस्था

गृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जोखिम प्रबंधन जोखिम प्रबंधन यूनिसेफ का मुख्य सरकारी समकक्ष है। अन्य रणनीतिक भागीदारों में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, शहरी स्थानीय निकाय, थिंक टैंक, सिविल सोसाइटी संगठन, सेक्टोरल जोखिम प्रबंधन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विकास संगठन शामिल हैं। जोखिम प्रबंधन आपदा जोखिम में कमी पर काम करने वाले बाल-केन्द्रित गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) समुदाय और क्षमता निर्माण गतिविधियों के प्रमुख भागीदार हैं। मीडिया, विशेष रूप से रेडियो, भी यूनिसेफ के एक महत्वपूर्ण भागीदार की भूमिका निभाता है।

औद्योगिक जोखिम प्रबंधन

जोखिम प्रबंधन किसी संगठन की पूंजी और कमाई के खतरों की पहचान, मूल्यांकन और नियंत्रण करने की प्रक्रिया है। ये खतरे या जोखिम वित्तीय अनिश्चितता, कानूनी देनदारियों, रणनीतिक प्रबंधन त्रुटियों, दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं सहित कई प्रकार के स्रोतों से उत्पन्न हो सकते हैं।

औद्योगिक जोखिम प्रबंधन

सुरक्षा खतरों और डेटा से संबंधित जोखिमों और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों को कम करने के लिए वे डिजीटल कंपनियों के लिए एक सर्वोच्च प्राथमिकता बन गए हैं। नतीजतन, एक जोखिम प्रबंधन योजना तेजी से कंपनियों की प्रक्रियाओं को शामिल करती है जो निजी कॉरपोरेट डेटा, ग्राहक की व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई) और बौद्धिक संपदा सहित उनकी डिजिटल परिसंपत्तियों के खतरों की पहचान और नियंत्रण करती है।

आपदा जोखिम प्रबंधन

बेहतर शहरी नियोजन व निर्माण से, भूकम्प जैसी आपदाओं से होने वाले नुक़सान में कमी लाने में मदद मिल सकती है.

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में चेतावनी जारी की गई है जोखिम प्रबंधन कि मानवीय गतिविधियाँ और बर्ताव की वजह से, दुनिया भर में आपदाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे लाखों-करोड़ों ज़िन्दगियों के लिये ख़तरा उत्पन्न हो रहा है. साथ ही, हाल के दशकों में दर्ज की गई आर्थिक व सामाजिक प्रगति पर भी जोखिम मंडरा रहा है.

इंडोनेशिया में दिसंबर 2018 में आई भीषण सूनामी में भारी तबाही हुई थी. प्रभावित लोग लापता परिजनों और सामान की तलाश करते हुए.

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