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पुतिन इधर कर रहे खूब तारीफ, उधर जयशंकर चले रूस, कूटनीति का डबल गेम समझिए

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि भारत इस युद्ध को समाप्त कराने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। दुनिया के कई देशों को यह उम्मीद है और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के रूसी दौरे से ठीक पहले यह चर्चा और भी जोरों पर है।

हाइलाइट्स

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच खास है विदेश मंत्री एस जयशंकर का मास्को दौरा
  • एक हफ्ते के भीतर दो बार रूसी राष्ट्रपति ने की जमकर भारत की तारीफ
  • किसी के दबाव में नहीं आया भारत, रूस बना सबसे तेल सप्लायर

एक हफ्ते में दूसरी बार. पुतिन भी मान रहे भारतीय पीएम का लोहा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक हफ्ते के भीतर दूसरी भारत की विकास गाथा की तारीफ की। पुतिन ने कहा कि भारत के लोग बहुत प्रतिभाशाली हैं। वे विकास के मामले में बेहतर रिजल्ट हासिल करने में अपने देश की मदद करेंगे। पुतिन की यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर की मॉस्को यात्रा से कुछ ही दिन पहले आई है। पुतिन ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के लगभग 1.5 अरब लोग विकास के मामले में निश्चित रूप से शानदार परिणाम हासिल करेंगे। इसके पहले रूसी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी की तारीफ की थी। उन्होंने देश के हित में फैसले लेने और स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी तारीफ की थी।

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उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारे विशेष संबंध हैं, जो दशकों से हमारे बीच मौजूद घनिष्ठ रिश्तों की नींव पर बने हैं। भारत के साथ हमारा कभी कोई विवाद नहीं रहा, हमने हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया है और यह संबंध भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। पुतिन ने जिस तरीके से भारत की तारीफ पिछले दिनों की है उससे एक बात क्लियर है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच उसे भारत से काफी उम्मीदें हैं। भारत का युद्ध पर शुरू से ही स्टैंड क्लियर रहा है और पीएम मोदी इसके खिलाफ बोल भी चुके हैं। जिस तरीके से भारत बिना दबाव के रूस से तेल आयात कर रहा है इस दौरे में कुछ और भी फैसले हो सकते हैं।

रूस को मिला भारत का सहारा, जरा इन आंकड़ों को देखिए

रूस अक्टूबर में सऊदी अरब और इराक को पीछे छोड़ते हुए भारत को सबसे अधिक तेल सप्लाई करने वाला देश बन गया। कच्चे तेल की आपूर्ति पर नजर रखने वाली वोर्टेक्स के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। अक्टूबर के दौरान रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है। यह उसके द्वारा भारत को कच्चे तेल की अब तक की सर्वाधिक आपूर्ति है। वहीं, पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत द्वारा आयात किए गए सभी तेल में रूस के तेल का सिर्फ 0.2 प्रतिशत हिस्सा था और यह अब बढ़कर 22 प्रतिशत हो गया है। यह इराक के 20.5 प्रतिशत और सऊदी अरब के 16 प्रतिशत से अधिक है।

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कुछ पश्चिमी देश खासकर अमेरिका कई देशों को नसीहत दे चुके हैं कि वह रूस से तेल न खरीदें। अमेरिका ने रूस के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाले भारत को भी चेताया कि वह तेल न खरीदे। भारत ने इस मामले में किसी की एक न सुनी साथ ही यह भी क्लियर कर दिया कि कोई भी फैसला वही होगा जो देशहित में होगा। साथ ही उन पश्चिमी देशों को भी आईना दिखाया जो अब भी रूस से तेल खरीद रहे थे। भारत ने इस पूरे मामले बता दिया कि उसकी मर्जी ही चलेगी। भारत के इस फैसले से फायदा भी हुआ है।

अमेरिका की हर चेतावनी को हवा में उड़ा दिया

रूस और भारत के बीच दोस्ती नई नहीं है लेकिन कुछ समय पहले तक चीन जिस तरीके से रूस के करीब था उसके बाद यह कहा गया कि वह चीन को भारत के ऊपर तरजीह देगा। अमेरिका की ओर से यह भी बताने की कोशिश हुई कि चीन का अतिक्रमण भारत की ओर हुआ तो रूस नहीं आएगा। भारतीय विदेश मंत्री का रूस दौरा और हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच जो निकटता और बढ़ी है उससे चीन और अमेरिका दोनों टेंशन में हैं। रूस के मामले में कई बार अमेरिका ने भारत के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश की। सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन इशारों-इशारों में धमकाने की भी कोशिश हुई लेकिन भारत ने उसकी हर चेतावनी को हवा में उड़ा दिया। पिछले दिनों पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के मेंटेनेंस नाम पर अमेरिका ने 45 करोड़ डॉलर की मदद देने का वादा किया तो भारत ने खरी खरी सुना दी। अमेरिका के फैसले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आप किसे बेवकूफ बना रहे हैं, सब जानते हैं कि यह पैसा कहां खर्च होने वाला है। अमेरिका को इस दौरान इस बात का एहसास हो गया है कि वह किसी दबाव में नहीं आने वाला। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री ने किसी एक तरफ न जाते हुए क्लियर कर दिया है कि जो भारतीयों के हित में होगा वही फैसला होगा। चीन भले ही रूस के साथ है लेकिन वह कई मोर्चे पर घिरा है।

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Intraday Trading: शेयर बाजार की बात आती है तो अमूमन यही खयाल आता है कि बाजार में पैसा लगाकर लंबा इंतजार करना होगा. तभी बेहतर मुनाफा हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है. बाजार निवेशकों को 1 दिन में भी बंपर मुनाफा कमाने का मौका देता है. बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहते हैं. इसमें सुबह पैसा लगाकर दोपहर तक अच्छी कमाई की जा सकती है. यहां शेयर खरीदा तो जाता है लेकिन उसका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि एक दिन में उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाना होता है. ध्यान रहे कि इसमें जरूरी नहीं है कि आपको फायदा ही हो.

कैसे कर सकते हैं Intraday ट्रेड

अगर शेयर बाजार में डे-ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए पहले आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होता है. इस अकाउंट में आप या तो ब्रोकर को फोन पर ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं या ऑनलाइन भी खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं.

कैसे चुनें सही स्टॉक

#सिर्फ लिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग करें, 2 या 3 ऐसे स्टॉक चुन सकते हैं.
#वोलेटाइल स्टॉक से दूर रहें
#अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों में करें खरीददारी
#शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देख लें, मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं.
#रिसर्च के बाद जिन शेयरों को लेकर कांफिडेंट हैं, उनमें निवेश करें
#शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.
#जैसे ही लक्ष्य पूरा हो, प्रॉफिट बुकिंग करें.

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कितने पैसों की पड़ती है जरूरत

इंट्रा डे में आप किसी शेयर में कितनी भी रकम लगा सकते हें. शेयर बाजार में नियम है कि जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उस दिन पूरा पैसा नहीं देना होता है. नियम के तहत जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उसके 2 ट्रेडिंग दिनों के बाद पूरा भुगतान करना होता है. फिर भी आपको शेयर के भाव का शुरू में 30 फीसदी रकम निवेश करना होता है.

कैसे मिलता है फायदा

इसका उदाहरण 6 मार्च 2019 यानी बुधवार को शेयर बाजार में होने वाली ट्रेडिंग से ले सकते हैं. दीवान हाउसिंग फाइनेेंस कॉरपोरेशन (DHFL) के शेयरों में निवेश करने वालों के लिए बुधवार का दिन बेहतर साबित हुआ. बुधवार को पॉजिटिव सेंटीमेंट जुड़ने के बाद कंपनी के शेयर में 20 फीसदी तक तेजी आई है.

DHFL का शेयर मंगलवार को 134 रुपये के भाव पर बंद हुआ था. वहीं बुधवार को यह 147.40 के भाव पर खुला और कुछ देर में ही 160 रुपये के भाव पर पहुंच गया. यानी प्रति शेयर 26 रुपये का फायदा हुआ. इस लिहाज से अगर किसी ने 50 हजार रुपये लगाए होंगे तो उसकी रकम बढ़कर 60 हजार रुपये हो गई. कुछ घंटों में ही 10 हजार रुपये का फायदा.

जानकारों की राय

एक्सपर्ट के अनुसार हालांकि शेयर बाजार का अधिकांश कारोबार डे ट्रेडिंग का ही होता है, लेकिन फिर भी सावधानी के साथ कारोबार करना चाहिए. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देखना चाहिए. मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं. शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.

(Discliamer: हम यहां इंट्राडे कारोबार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, न कि निवेश की सलाह. शेयर बाजार के अपने जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)

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टॉप 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्लें

टॉप 5 सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्लें

जानें, कौनसी नस्ल की भैंस देती है सबसे ज्यादा दूध और क्या है खासियत

भारत एक कृषि प्रधान देश है और खेती के साथ किसान पशुपालन भी करते हैं। देश में डेयरी पदार्थों की बढ़ती मांग ने दुधारू पशुओं का पालना एक फायदेमंद सौदा बना दिया है। भारत में 55 प्रतिशत दूध यानि 20 मिलियन टन दूध भैंस पालन से मिलता है। ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में हम आपको सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंसों की 5 नस्लों के बारे में बताएंगे। अगर भैंसों की नस्ल अच्छी होगी तो दूध उत्पादन ज्यादा होगा और किसान की ज्यादा कमाई होगी।

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1


विश्व में भैंसों की सबसे ज्यादा आबादी भारत में

विश्व में सबसे अधिक भैंसों की आबादी भारत में है। देश का एक हिस्सा भैंस पालन से जुड़ा हुआ है। भारत में सर्वाधिक अनुशंसित ब्रोकर भैंसों
की 26 नस्लें पाई जाती हैं इनमें से 12 नस्ल की भैंसे रजिस्टर्ड नस्लें हैं जो कि सबसे ज्यादा दूध देती है। इनमें मुर्रा, नीलीरावी, जाफराबादी, नागपुरी, पंढरपुरी, बन्नी, भदावरी, चिल्का, मेहसाणा, सुर्ती, तोड़ा किस्म की भैंसे शामिल है। 20वीं पशुगणना में देश में भैंसों की आबादी 109.9 मिलियन बताई गई है। भारत में सबसे अधिक भैंसे उत्तरप्रदेश में पाई जाती है, उसके बाद राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे प्रदेश आते हैं। आइए जानते हैं टॉप-5 भैंसों की नस्ल की खासियत।


मुर्रा भैंस : दूध उत्पादन क्षमता 1850 लीटर

मुर्रा नस्ल की भैंसे सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है। इसकी औसत उत्पादन क्षमता 1750 से 1850 लीटर प्रति ब्यात होती है। इसके दूध में बसा की मात्रा करीब 9 प्रतिशत होती है। मुर्रा नस्ल की भैंस हरियाणा के रोहतक, हिसार व जिंद व पंजाब के नाभा व पटियाला जिले में पाई जाती है। इस रंग गहरा काला होता है और खुर और पूंछ के निचले हिस्सों पर सफेद दाग पाया जाता है। इस भैंस के सींग छोटी व मुड़ी हुई होती है। अब देश के कई राज्यों में मुर्रा नस्ल की भैंसों का पालन होने लगा है।


पंढरपुरी भैंस : दूध उत्पादन क्षमता 1800 लीटर

पंढरपुरी नस्ल की भैंस महाराष्ट्र के सोलापुर, कोल्हापुर, रत्नागिरी जैसे जिलों में पाई जाती है, इसका नाम सोलापुर
के पंढरपुर गांव के नाम पर पड़ा है। इसकी औसत दूध उत्पादन क्षमता 1700-1800 प्रति ब्यांत होती है। इसके दूध में वसा की मात्रा 8 प्रतिशत पाई जाती है। पंढरपुरी नस्लें अपनी प्रजनन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। यह हर 12-13 महीने में बछड़ा जन्म देने की क्षमता रखती है। प्रजनन के बाद 305 दिन तक यह दूध दे सकती है, जो कि इन्हें अन्य नस्लो से पृथक करता है। इस नस्ल की भैंसों के सींग 45-50 सेमी तक लंबे होते हैं। इसे धारवाड़ी नाम से भी जाना जाता है। यह भैंसे सूखे इलाके के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। पंढरपुरी भैंसों का वजन 450 से 470 किलो होता है। यह गहरे और काले रंग की भैंस होती है।

मेहसाना भैंस : दूध उत्पादन क्षमता 1500 लीटर

मेहसाना नस्ल की भैंसे गुजरात के मेहसाणा जिले और गुजरात की सीमा से लगे महाराष्ट्र के कुछ जिलों में पाई जाती है। इसकी औसत दूध उत्पादन क्षमता 1200 से 1500 लीटर पति ब्यांत होती है। भैंस की इस नस्ल का रंग काला होता है, वहीं कुछ का रंग काला व भूरा भी पाया जाता है। यह नस्ल कुछ-कुछ मुर्रा भैंस की तरह दिखती है। इसका शरीर मुर्रा भैंसे से बड़ा होता है लेकिन वजन कम होता है। नर मेहसाणा का औसत वजन 560 व मादा का वजन 480 किलोग्राम के आसपास होता है। सींग दरांती जैसे आकार के होते हैं और वो मुर्रा भैंस से कम घूमी हुई रहती हैं।


सुर्ती भैँस : दूध की उत्पादन क्षमता 1300 लीटर

सुर्ती भैंस की नस्ल गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा जिले में पाई जाती है। इसकी दूध उत्पादन की औसत क्षमता 900
से 1300 लीटर प्रति ब्यांत होती है। इस भैंस की नस्ल के दूध में 8 से 12 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है। इस नस्ल का रंग भूरा, सिल्वर सलेटी या फिर काला होता है। इसका साइज मीडियम होता है। धड़ नुकीला और सिर लंबा होता है। इनके सींग दराती के आकार के होते हैं।

चिल्का भैंस : दूध उत्पादन क्षमता 600 किलोग्राम

चिल्का सर्वाधिक अनुशंसित ब्रोकर नस्ल की भैंस उड़ीसा राज्य के कटक, गंजम, पुरी और खुर्दा जिलों में पायी जाती है। मध्यम आकार इस भैंस का औसत उत्पादन 500-600 किलोग्राम प्रति व्यात होता है। इसका नाम उड़ीसा के चिल्का के झील के नाम पर पड़ा है। इस भैंस को 'देशी' नाम से जाना जाता है। यह मुख्यत: खारे क्षेत्रों में पायी जाती है, जिसका रंगा भूरा-काला या काला होता है।

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