उन्होंने कहा कि संबंधित नियम में कंपनियों की श्रेणी, उत्पादों का प्रकार विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची जिसे सूचीबद्ध कराया जा सकता है और अन्य चीजों को अधिसूचित किया जाएगा. इस योजना के क्रियान्वयन में कुछ महीने का समय लग सकता है.
विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची
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एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?
Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST
Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.
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रुपया विनिमय दर क्या है?
अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.
जब रुपये का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.
डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?
सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.
विदेशी बाजार में भी लिस्ट हो सकेंगी भारतीय कंपनियां, सरकार का बड़ा फैसला
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बड़े निर्णय के तहत भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों में शेयर लिस्ट कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
मौजूदा समय में भारतीय कंपनियों को विदेश से फंड जुटाने के लिए विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची डिपोजिटरी रिसीट की जरूरत पड़ा है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक बड़े निर्णय के तहत भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों में शेयर लिस्ट कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची दी है. इस निर्णय के अनुसार ऐसी भारतीय कंपनयां भी विदेश में लिस्टिंग के लिए आवेदन कर सकती हैं जो भारत में सूचीबद्ध नहीं हैं. मौजूदा समय विदेशी मुद्राओं में भारतीय कंपनियों की सीधी सूची में भारतीय कंपनियों को विदेश से फंड जुटाने के लिए डिपोजिटरी रिसीट की जरूरत पड़ा है. भारतीय नागरिक सिर्फ भारतीय शेयर बाजार में ही सीधे निवेश कर सकते हैं.
विदेश में डिपोजिटरी रिसीट के जरिए पैसा जुटाने वाली कंपनियों में इंफोसिस, आईसीआईसआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे दिग्गज शामिल हैं. इन्होंने एडीआर और जीडीआर के जरिए विदेश से फंड जुटाया है.
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