- सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बैतूल शहर मुम्बई से सीधा जुड़ जाएगा। अभी मुम्बई के लिए नागपुर या इटारसी जाकर ट्रेन पकड़ना हो ता है। इस ट्रैक से मुम्बई के लिए सीधी ट्रेन उपलब्ध हो जाएगी। दूरी भी कम हो जाएगी। इटारसी-मुम्बई मार्ग से दबाव कम करने कुछ ट्रेनों को इस रूट से चलाया जा सकता है।
बिछेगा नया ट्रैक, रेलवे के नक्शे पर आएंगे बैतूल बाजार और आठनेर
बैतूल से चांदूर बाजार तक नई रेलवे लाइन जल्द बिछाई जाना है। इसके लिए रेलवे द्वारा तय कंपनी ने प्रारंभिक सर्वे का काम शनिवार से शुरू कर दिया है। यह लाइन बिछने के बाद जिले के 2 बड़े नगर बैतूल बाजार और आठनेर रेलवे के नक्शे पर आ जाएंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र के विभिन्न नगरों तक आवाजाही में सहूलियत होगी। सबसे बड़ा फायदा यह हा
बैतूल (ब्यूरो)। बैतूल से चांदूर बाजार तक नई रेलवे लाइन जल्द बिछाई जाना है। इसके लिए रेलवे द्वारा तय कंपनी ने प्रारंभिक सर्वे का काम शनिवार से शुरू कर दिया है। यह लाइन बिछने के बाद जिले के 2 बड़े नगर बैतूल बाजार और आठनेर रेलवे के नक्शे पर आ जाएंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र के विभिन्न नगरों तक आवाजाही में सहूलियत होगी। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मुम्बई और अमरावती के लिए सीधी ट्रेन मुहैया हो जाएंगी।
उपग्रहीय सर्वेक्षण में सब कुछ शामिल नहीं, यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है: केरल सरकार
विजयन ने स्वीकार किया कि उपग्रहीय सर्वेक्षण में सब कुछ शामिल नहीं था. (फाइल)
सत्तारूढ़ माकपा और केरल सरकार ने रविवार को कहा कि उनका इरादा आवासीय और कृषि क्षेत्रों को बफर जोन से बाहर रखने का था और चूंकि उपग्रहीय सर्वेक्षण में सब कुछ शामिल नहीं है, इसलिए इसे अंतिम रिपोर्ट नहीं माना जा रहा. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कन्नूर में आयोजित केरल राज्य महोत्सव के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि सरकार ने उपग्रहीय सर्वेक्षण केवल जल्दी से रिपोर्ट के साथ आने के लिए किया, जिसे उच्चतम न्यायालय और केंद्र के समक्ष, दक्षिणी राज्य की विशेष परिस्थितियों और क्यों एक किलोमीटर का बफर जोन अव्यावहारिक है, इसके संदर्भ में रखा जा सके.
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उन्होंने स्वीकार किया कि उपग्रहीय सर्वेक्षण में सब कुछ शामिल नहीं था और इसीलिए इसे अंतिम रिपोर्ट नहीं माना जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्य की अनूठी विशेषताओं का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की गई थी और यहां तक कि स्थानीय निकायों को भी बफर जोन में वार्डवार जानकारी दर्ज करने का अवसर दिया गया था, ताकि सरकार एक दोषरहित रिपोर्ट के साथ सामने आ सके.
विजयन ने कार्यक्रम में कहा कि बफर जोन के संबंध में लोगों के बीच विभाजन या मतभेद पैदा करने के लिए कुछ लोगों द्वारा सरकार के ऐसे 'अच्छे इरादों' को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.
माकपा राज्य सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में इसी तरह के दृष्टिकोण का संकेत दिया गया था.
इसमें दावा किया गया कि बफर जोन और सरकार के प्रयासों को लेकर कुछ लोगों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे प्रचार को जनता द्वारा खारिज किया जाना चाहिए.
स्वच्छता सर्वेक्षण-2021: स्वच्छता जांचने सर्वे टीम नगरपरिषद को सूचना दिए बिना जाएगी फील्ड में, एक मार्च के बाद कभी भी आ सकती है
स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में कुछ बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों में से एक सर्वेक्षण के लिए आने वाली टीम से जुड़ा है। दरअसल स्वच्छता सर्वेक्षण की शुरुआत से ही सर्वेक्षण टीम नगर निकायों में आती है। निकायों की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों की सत्यता मौके पर जाकर जांच करती है। अक्सर टीम आने से पहले संबंधित निकाय के अधिकारियों से संपर्क करते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार टीम निकाय के किसी अधिकारी कर्मचारी से संपर्क नहीं करेगी। सीधे ही कॉलोनियों में पहुंचकर सफाई व्यवस्थाओं के हालात जानेगी।
जांच में सही मिला तो मिलेंगे 2400 अंक
इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण 6 हजार अंकों का है। पहले प्रत्येक भाग 1500 अंकों का था लेकिन इस बार दो भाग 1800 और एक भाग 2400 अंकों का है। दो क्वार्टर में ऑन कॉल ऑब्जरवेशन 600 -600 अंकों का है। तीसरे क्वार्टर में टीम आकर जांचकर करेगी इसके 1200 अंक है। ये टीम 1 मार्च से 28 मार्च के बीच नगर निकायों में आएगी।
एमआईएस के आधार पर जांची गई सफाई की स्थिति
स्वच्छता सर्वेक्षण के साथ ही हर महीने में नगर निकाय की ओर से एमआईएस भरा जाता है यानी सफाई के आंकड़े अपलोड किए जाते है। इन आंकड़ों की सत्यता जांचने के लिए फोन पर सवाल पूछे गए। दो क्वार्टर में इस तरह की आंकड़ों की सत्यता जांची गई है। दो क्वार्टर में इसके 1200 अंक है। अब टीम मार्च में ट्रेंड फील्ड सर्वे आकर जांच करेगी। इसके 1200 अंक अलग से है।
भारत-नेपाल सीमा विवाद को सुलझाने के लिए जॉइंट फील्ड सर्वे टीम ने शुरू किया मेजरमेंट
भारत-नेपाल (India and Nepal) के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत-नेपाल संयुक्त फील्ड सर्वे टीम ने जमीन को मापने (Measurement) का काम शुरू कर दिया है. इस क्रम में भारत-नेपाल सीमा पर बिहार के पूर्वी चंपारण जिले (East Champaran District) के ढाका ब्लॉक में मेजरमेंट का काम शुरू किया गया है.
अधिकारियों के अनुसार, देहरादून के दो-सदस्यीय सर्वे टीम ने नेपाल के अपने समकक्षों के साथ गुरुवार से जिले के सिकरहना सब-डिविजन के ढाका ब्लॉक (Dhaka Block) के अंदर आने वाले बलुआ गुआबरी पंचायत के बलुआ गांव में जमीन का मेजरमेंट शुरू किया है.
बांध की जमीन पर नेपाल ने किया था अपना दावा
ऐसा कदम तब उठाया गया ट्रेंड फील्ड सर्वे जब पिछले महीने नेपाल ने बिहार के पूर्वी चंपारण के ढाका ब्लॉक में स्थित ट्रेंड फील्ड सर्वे बलुआ गुआबारी पंचायत के पास लालबकेया नदी (Lalbakeya River) पर बांध (Dam) की मरम्मत के कार्य को रोक दिया था. नेपाल का कहना था कि यह बांध उसकी जमीन पर बनाया जा रहा है.
नेपाल के अधिकारी ने दावा किया था कि बांध के निर्माण का काम ‘नो मेंस लैंड’ पर किया जा रहा है. यदि नेपाल की माने तो यह विवादित स्थान मोतिहारी जिला मुख्यालय से ट्रेंड फील्ड सर्वे लगभग 45 किमी उत्तर-पूर्व में इंटरनेशनल बॉर्डर पर स्थित है.
नेपाल की आपत्ति के बाद लालबकेया नदी के दाहिने बांध पर पिलर नंबर 346 और 347 के बीच चल रहे मरम्मत और कटावरोधी कार्यों पर रोक लगा दी गई है. इसे लेकर कपिल अशोक ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) से इस विवाद को सुलझाने के लिए मदद मांगी थी.
बांध के किनारे चल रहे काम के रुक जाने पर ग्रामीण परेशान
बांध के किनारे चल रहे मरम्मत के काम के रुक जाने से स्थानीय ग्रामीणों को चिंता हो रही है. उनका कहना है कि यदि इस मानसून में बांध टूट गया तो गुबरी, बलुवा, भवानीपुर, हीरपुर, महुवा, फुलवरिया, चंदनबाड़ा, डिस्टिया, बरेवा, कुशमहवा, सरथा, और जामवा समेत एक दर्जन से भी ज्यादा गांव बाढ़ में डूब जाएंगे. हालांकि जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को हर मदद देने का आश्वासन दिया है.
राज्य के बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी विभाग (Drainage Department) के इंजीनियर बब्बन सिंह (Babban Singh) ने कहा, “जॉइंट सर्वे टीम ने भारत-नेपाल सीमा के कुछ स्थानों का मेजरमेंट कर दिया है. हालांकि संबंधित विभागों को रिपोर्ट सौंपने के बाद ही आगे की चीजें स्पष्ट हो पाएंगी.” स्थानीय ट्रेंड फील्ड सर्वे ग्रामीणों ने बताया कि 14 स्थानों पर मेजरमेंट किया गया है.
26 मई तक पूरा होगा भारत-नेपाल सीमा सर्वे
भारत और नेपाल के सीमांकन को लेकर शुक्रवार को हुई बैठक में सर्वे की जिम्मेदारी दोनों देशों की फील्ड सर्वे टीम (एफएसटी) को सौंप दी गई। पिलर संख्या 700 से सर्वे शुरू होगा। संबंधित जिलों के डीएम या सीडीओ सर्वे टीम की अगुआई करेंगे। इसी साल 26 मई तक सर्वे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जून के दूसरे सप्ताह में फील्ड सर्वे टीम की दूसरी बैठक प्रस्तावित की गई।
देहरादून (ब्यूरो)। भारत और नेपाल सीमा का नए सिरे से सीमांकन न होने के चलते लंबे समय से विवाद की स्थिति बनी हुई है। पूर्व में निर्धारित सीमा पर बने कई पिलर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसे देखते हुए भारत व नेपाल सरकार ने चरणबद्ध तरीके से सीमांकन करने का फैसला किया है। इसके लिए भारत की सर्वे टीम ने अपना कैंप ऑफिस टनकपुर और नेपाल ने धनगढ़ी में बनाया हुआ है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से उत्तराखंड के चम्पावत के बीच पिलर नंबर 700 से 811 के बीच सर्वे कर पिलरों का निर्माण व मरम्मत किया जाना है।
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