क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Option Trading- ऑप्शन ट्रेडिंग
ऑप्शन ट्रेडिंग
ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) एक कॉन्ट्रैक्ट है जो किसी विक्रेता द्वारा लिखा जाता है जो खरीदार को अधिकार देता है लेकिन भविष्य में विशिष्ट प्राइस (स्ट्राइक प्राइस/एक्सरसाइज प्राइस) पर किसी विशेष एसेट को खरीदने (एक कॉल ऑप्शन के लिए) या बेचने (एक पुट ऑप्शन के लिए) का दायित्व नहीं देता। ऑप्शन की मंजूरी देने के बदले में विक्रेता, खरीदार से एक भुगतान (एक प्रीमियम के रूप में) संग्रहित करता है।
एक्सचेंज ट्रेडेड ऑप्शंस की उपयोगिता
एक्सचेंज ट्रेडेड ऑप्शंस, ऑप्शंस के एक महत्वपूर्ण वर्ग हैं जिनके मानकीकृत कॉन्ट्रैक्ट फीचर्स होते हैं और पब्लिक एक्सचेंजों पर ट्रेड करते हैं जिससे निवेशकों को सुविधा होती है। ये इंस्ट्रूमेंट क्लियरिंग कॉरपोरेशन द्वारा गारंटीड निपटान प्रदान करते हैं जिससे काउंटरपार्टी जोखिम में कमी आती है। ऑप्शंस का उपयोग हेज के लिए, मार्केट के भविष्य की दिशा का अनुमान लगाने के लिए, आर्बिट्रेज के लिए या कार्यनीतियों को कार्यान्वित करने के लिए जिससे ट्रेडरों के लिए आय सृजित करने में मदद मिलती है, किया जा सकता है।
जब शेयर मार्केट कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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कंपनी के भविष्य को परख कर कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
SBI जुटाएगा 8,931 करोड़ रुपए, निवेशकों को कॉल-ऑप्शन के साथ जारी किए जाएंगे बेसेल-3 बांड
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 21, 2020 18:12 IST
Photo:INDIAN EXPRESS
SBI to raise Rs 8,931 cr by issuing Basel III कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम compliant bonds
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि उसके निदेशक मंडल ने बेसेल-3 अनुपालन वाले बांड जारी कर 8,931 करोड़ रुपए जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बैंक ने शेयर बाजार को बताया कि पूंजी जुटाने वाली समिति के निदेशकों कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम ने आज हुई बैठक में बेसेल-3 के तहत आने वाले 89,310 गैर-परिवर्तनीय, कर योग्य, भुनाने योग्य, अधीनस्थ, प्रतिभूति रहित और पूर्ण चुकता ऋण पत्र जारी करने को मंजूरी दे दी।
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ये बांड कुल मिलाकर 8,931 करोड़ रुपए के होंगे। बैंक ने कहा कि इन बांड का अंकित मूल्य 10 लाख रुपए प्रति बांड होगा और परिपक्वता अवधि 15 साल की होगी। इनके ऊपर सालाना 6.80 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा। बैंक ने बताया कि यह बांड कॉल ऑप्शन के साथ आएंगे और निवेशक 10 साल के बाद इन बांड को कभी भी बेच सकते हैं।
कॉल ऑप्शन का मतलब है कि बांड को जारी करने वाला परिपक्वता अवधि से पहले ही निवेशकों को मूल राशि का भुगतान कर बांड को वापस ले सकता है। बेसेल-3 पूंजी नियम के तहत, बैंकों को अपनी पूंजी योजना प्रक्रिया को बेहतर और मजबूत बनाने की आवश्कयता होती है। घरेलू बैंकों द्वारा बेसेल-3 नियम 2013 से चरणबद्ध ढंग से लागू किए जा रहे हैं। एसबीआई का शेयर बीएसई पर 1.87 प्रतिशत के उछाल के साथ 198.35 रुपए पर बंद हुआ।
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डीमैट अकाउंट से कर सकते कॉल ऑप्शन खरीदने के नियम हैं ट्रेडिंग
अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.
डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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