जीएसटी के नाम पर किया जा रहा उत्पीड़न, व्यापारियों ने जंजीर में जकड़ कर किया प्रदर्शन
कानपुर. जीएसटी के नाम पर आए दिन एसआईबी, सचल दस्तों के छापों से परेशान GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी होकर हटिया बाजार के व्यापारी सड़क पर उतर आए। व्यापारियों ने इसके विरोध में अपने शरीर को जंजीरों में जकड़ कर कई इलाकों में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। लोहा व्यापार समिति के अध्यक्ष अतुल द्धिवेदी ने कहा कि वाणिज्य कर की एसआईबी की टीमें सर्वे के नाम पर व्यापारियों का उत्पीड़न कर बाजार का महौल खराब कर रही हैं। जीएसटी पोर्टल में कई दिक्कतें हैं, जिसके कारण हम लोग समय से रिर्टन नहीं भर पा रहे हैं। हम शासन-प्रशासन से मांग करते हैं कि जीएसटी के पोर्टल को पहले ठीक करें, फिर हमारे ट्रकों GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी को पकड़ें।
हटिया बाजार से निकाला जुलूस
जीएसटी के नाम पर उत्पीड़न के विरोध में हटिया बाजार में सैकड़ों व्यापारी उतरे। इस दौरान व्यापारियों ने अपने आपको लोहे की जंजीरों से जकड़ा हुआ था। हटिया बाजार से रैली जुलूस में बदल गई और नयागंज, मालरोड, सागर मार्केट सहित कई इलाकों में जाकर जीएसटी के खिलाफ व्यापारी वर्ग को एक साथ आने की अपील की। व्यापारी गुरूतिजेंदर सिंह ने बताया कि जीएसटी की जानकारी के लिए शुरू कराया गया पोर्टल में कई गलतियां है, जिसके कारण हमें समय से रिर्टन भरने में समस्याएं आ रही हैं। आईटी और वाणिज्य कर विभाग जाकर इसकी शिकायत करतें हैं, लेकिन अफसर सुनने को कुछ तैयार नहीं होते। एसआईबी और वाणिज्य कर के सचल दस्ते हमारे गोदामों और सामान लेकर आ रहे वाहनों को रोक लेते हैं कमी दिखाकर वसूली करते हैं।
रिर्टन भरने में आ रही दिक्कतें
लोहा व्यापार समिति के अध्यक्ष अतुल द्धिवेदी ने बताया जीएसटी पोर्टल में गंभीर समस्याएं हैं। ज्यादातर पोर्टल Hang रहता है। इसी के चलते हमने मांग की है कि रिर्टन भरने की तारीख 10 जनवरी से बढ़ाकर 30 जनवरी कर दी जाए। बताया कि 3-बी, 1,2,3 व कई अन्य रिर्टन भरने के लिए हमें पोर्टल में सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसी के चलते रिर्टन समय पर नहीं भर पा रहे हैं। सात दिन पहले जीरो टैक्स वाले लोहे के कृषि उपकरणों के सामान वाले ट्रक को सचल दस्ते ने रोक लिया। चालक ने सारे कागजात दिखाए, लेकिन दस्ते की टीम नहीं मानी और बिल में कमी बताकर वसूली कर ली। वहीं महामंत्री सुरेंद्र सिंह ने बताया कि सचल दस्ते की टीमें आए दिन कहीं न कहीं छापा मारकर जबरन जीएसटी के नाम पर पैसे की डिमांड करते हैं।
वित्तमंत्री से करेंगे शिकायत
व्यापार मंडल के महामंत्री मयंक अग्रवाल ने बताया कि कानपुर के अधिकारी व्यापारियों को बेवजह परेशान कर रहे हैं। हमारी शिकायत कोई सुनने को तैयार नहीं है। इसलिए व्यापार मंडल के आधा दर्जन व्यापारी दिल्ली जाएंगे और वित्तमंत्री से मिलकर अपना दर्द सुनाएंगे। मोदी सरकार ने पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी का बाण चलाकर व्यापारियों को घायल कर दिया है। अधिकतर छोटे कारखानें बंद हो गए हैं, वहीं जो बचे हैं वह जीएसटी के चलते बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। सरकार जीएसटी तो ले आई, लेकिन इससे निपटने के लिए हमें कोई औजार नहीं दिया। जो पोर्टल लॉन्च किया, उसमें कई दिक्कतें हैं, जिन्हें दूर करने के लिए अधिकारी तैयार नहीं।
व्यापारियों पर जीएसटी विभाग की कार्रवाई अनुचित – सुबोध जायसवाल
देवरिया/ शुक्रवार को जिले के अधिकांश बाजारों में हेतिमपुर,देसही बरवा,बरवा मीरछापर,भटनीदादन, भलुअनी इत्यादि बाजार में जीएसटी छापेमारी से बाजार बंद होने की सूचना मंडल संयोजक सन्तोष मद्धेशिया वैश्य ने भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ जिला संयोजक सुबोध जायसवाल को दी ।
सुबोध जायसवाल ने व्यापार कल्याण बोर्ड प्रदेश अध्यक्ष रविकांत गर्ग व उपाध्यक्ष मनीष गुप्ता से वार्ता कर इस छापामार कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुये इसे शीघ्र रोकने की मांग की । सुबोध जायसवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जनपदों, कस्बो व नगरों में जीएसटी विभाग के अधिकारियों द्वारा सर्वे छापों की कार्यवाही विगत तीन GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी दिनों से की जा रही है इस छापामार कार्रवाई के चलते प्रदेश भर के व्यापारी आतंकित एवं दहशत मे हैं । जिस प्रकार की सर्वे छापों की कार्यवाही अधिकारियो द्वारा विगत तीन दिनों से की जा रही है इस प्रकार के सर्वे छापों से व्यापारियों का उत्पीडन होगा ।
विगत तीन दिनों में विभाग द्वारा जो सर्वे छापों की कार्यवाही की गई है वह केवल जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों पर ही की गई है और सर्वे छापों के द्वारा तकनीकी खामियां दिखाकर दुकान/प्रतिष्ठान को सीज करने की धमकी देकर व्यापारियों पर दबाव डालकर बिना टैक्स एसेसमेंट किए तथा बिना स्वीकाज नोटिस के पेनाल्टी के रूप में रकम जमा करवाई जा रही है जो कि पूर्णतया अनुचित एवं व्यापारी का उत्पीड़न है जिससे शासन के प्रति व्यापारी समाज GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी का अविश्वास बढ़ता जा रहा है । विगत लगभग तीन दशक पूर्व से व्यापारियों द्वारा किए गए जन आंदोलन के फल स्वरुप प्रदेश एवं केंद्र की सरकारों ने सामान्य सर्वे छापों को बंद कर दिया था केवल कर चोरी की सूचना के आधार पर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा द्वारा ही सर्वे की कार्रवाई की जाती है ।वर्तमान में इस प्रकार के सर्वे और GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी छापों की कार्रवाई की जा रही है वह सामान्य सर्वे का ही रूप है जो कि जीएसटी की प्रावधानों के विपरीत है जबकि जीएसटी कानून लागू करते समय यह सुनिश्चित किया गया था कि व्यापारी बिना किसी भय एवं दबाव के अपना व्यापार कर सके ना कि सर्वे छापों के द्वारा व्यापारियों को आतंकित कर उन्हें व्यापार से वंचित करना ।
जीएसटी कानून के अंतर्गत धारा 67 से धारा 84 तक व्यापारियों के प्रतिष्ठान पर सर्वे चीज करने टैक्स एवं पेनाल्टी एवं गिरफ्तार करनें, मनमर्जी से टैक्स लगानें के जो प्रावधान दिये गये हैं उन प्रावधानों की आड़ में अधिकारी व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं एवं प्रतिष्ठान पर मौजूद प्रपत्रों की अंदेखी कर अपनी मनमर्जी से बिना किसी सत्यापन के कर एवं पैनालिटी का आंकलन कर GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी पैनालिटी जमा कराई जा रही है जो कि न्याय संगत नहीं है तथा जीएसटी प्रावधानो के विरूद्ध है । इससे व्यापारी समाज में रोष बढता जा रहा है जो कभी भी एक बडे जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
उन्होनें अनुरोध करते हुये कहा कि शासन की छवि को धूमिल करनें वाले इस जीएसटी की सर्वे छापों की कार्यवाही पर अबिलम्ब रोक लगाकर इसे बंद किया जाय व व्यापारियों को बिना किसी भय एवं आतंक के अपने व्यापार को करनें की सुविधा प्रदान की जाय । उनकी मांग को गम्भीरता से लेते हुये व्यापार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस कार्रवाई को जल्द से जल्द बंद कराने का आश्वासन दिया ।
देवरिया । शुक्रवार को जिले के भलुअनी बाजार में जीएसटी छापेमारी से बाजार बंद होने की सूचना मंडल संयोजक सन्तोष मद्धेशिया वैश्य ने भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ जिला संयोजक सुबोध जायसवाल को दी ।
सुबोध जायसवाल ने व्यापार कल्याण बोर्ड प्रदेश अध्यक्ष रविकांत गर्ग व उपाध्यक्ष मनीष गुप्ता से वार्ता कर इस छापामार कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुये इसे शीघ्र रोकने की मांग की । सुबोध जायसवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के जनपदों, कस्बो व नगरों में जीएसटी विभाग के अधिकारियों द्वारा सर्वे छापों की कार्यवाही विगत तीन दिनों से की जा रही है इस छापामार कार्रवाई के चलते प्रदेश भर के व्यापारी आतंकित एवं दहशत मे हैं । जिस प्रकार की सर्वे छापों की कार्यवाही अधिकारियो द्वारा विगत तीन दिनों से की जा रही है इस प्रकार के सर्वे छापों से व्यापारियों का उत्पीडन होगा ।
विगत तीन दिनों में विभाग द्वारा जो सर्वे छापों की कार्यवाही की गई है वह केवल जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों पर ही की गई है और सर्वे छापों के द्वारा तकनीकी खामियां दिखाकर दुकान/प्रतिष्ठान को सीज करने की धमकी देकर व्यापारियों पर दबाव डालकर बिना टैक्स एसेसमेंट किए तथा बिना स्वीकाज नोटिस के पेनाल्टी के रूप में रकम जमा करवाई जा रही है जो कि पूर्णतया अनुचित एवं व्यापारी का उत्पीड़न है जिससे शासन के प्रति व्यापारी समाज का अविश्वास बढ़ता जा रहा है । विगत लगभग तीन दशक पूर्व से व्यापारियों द्वारा किए गए जन आंदोलन के फल स्वरुप प्रदेश एवं केंद्र की सरकारों ने सामान्य सर्वे छापों को बंद कर दिया था केवल कर चोरी की सूचना के आधार पर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा द्वारा ही सर्वे की कार्रवाई की जाती है ।वर्तमान में इस प्रकार के सर्वे और छापों की कार्रवाई की जा रही है वह सामान्य सर्वे का ही रूप है जो कि जीएसटी की प्रावधानों के विपरीत है जबकि जीएसटी कानून लागू करते समय यह सुनिश्चित किया गया था कि व्यापारी बिना किसी भय एवं दबाव के अपना व्यापार कर सके ना कि सर्वे छापों के द्वारा व्यापारियों को आतंकित कर उन्हें व्यापार से वंचित करना ।
जीएसटी कानून के अंतर्गत धारा 67 से धारा 84 तक व्यापारियों के प्रतिष्ठान पर सर्वे चीज करने टैक्स एवं पेनाल्टी एवं गिरफ्तार करनें, मनमर्जी से टैक्स लगानें के जो प्रावधान दिये गये हैं उन प्रावधानों की आड़ में अधिकारी व्यापारियों का उत्पीड़न कर रहे हैं एवं प्रतिष्ठान पर मौजूद प्रपत्रों की अंदेखी कर अपनी मनमर्जी से बिना किसी सत्यापन के कर एवं पैनालिटी का आंकलन कर पैनालिटी जमा कराई जा रही है जो कि न्याय संगत नहीं है तथा जीएसटी प्रावधानो के विरूद्ध है । इससे व्यापारी समाज में रोष बढता जा रहा है जो कभी भी एक बडे जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
उन्होनें अनुरोध करते हुये कहा कि शासन की छवि को धूमिल करनें वाले इस जीएसटी की सर्वे छापों की कार्यवाही पर अबिलम्ब रोक लगाकर इसे बंद किया जाय व व्यापारियों को बिना किसी भय एवं आतंक के अपने व्यापार को करनें की सुविधा प्रदान की जाय । उनकी मांग को गम्भीरता से लेते हुये व्यापार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस कार्रवाई को जल्द से जल्द बंद कराने का आश्वासन दिया ।
जीएसटी के नाम पर किया जा रहा उत्पीड़न, व्यापारियों ने जंजीर में जकड़ कर किया प्रदर्शन
कानपुर. जीएसटी के नाम पर आए दिन एसआईबी, सचल दस्तों के छापों से परेशान होकर हटिया बाजार के व्यापारी सड़क पर उतर आए। व्यापारियों ने इसके विरोध में अपने शरीर को जंजीरों में जकड़ कर कई इलाकों में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन किया। लोहा व्यापार GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी समिति के अध्यक्ष अतुल द्धिवेदी ने कहा कि वाणिज्य कर की एसआईबी की टीमें सर्वे के नाम पर व्यापारियों का उत्पीड़न कर बाजार का महौल खराब कर रही हैं। जीएसटी पोर्टल में कई दिक्कतें हैं, जिसके कारण हम लोग समय से रिर्टन नहीं भर पा रहे हैं। हम शासन-प्रशासन से मांग करते हैं कि जीएसटी के पोर्टल को पहले ठीक करें, फिर हमारे ट्रकों को पकड़ें।
हटिया बाजार से निकाला जुलूस
जीएसटी के नाम पर उत्पीड़न के विरोध में हटिया बाजार में सैकड़ों व्यापारी उतरे। इस दौरान व्यापारियों ने अपने आपको लोहे की जंजीरों से जकड़ा हुआ था। हटिया बाजार से रैली जुलूस में बदल गई और नयागंज, मालरोड, सागर मार्केट सहित कई इलाकों में जाकर जीएसटी के खिलाफ व्यापारी वर्ग को एक साथ आने की अपील की। व्यापारी गुरूतिजेंदर सिंह ने बताया कि जीएसटी की जानकारी के लिए शुरू कराया गया पोर्टल में कई गलतियां है, जिसके कारण हमें समय से रिर्टन भरने में समस्याएं आ रही GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी हैं। आईटी और वाणिज्य कर विभाग जाकर इसकी शिकायत करतें हैं, लेकिन अफसर सुनने को कुछ तैयार नहीं होते। एसआईबी और वाणिज्य कर के सचल दस्ते हमारे गोदामों और सामान लेकर आ रहे वाहनों को रोक लेते हैं कमी दिखाकर वसूली करते हैं।
रिर्टन भरने में आ रही दिक्कतें
लोहा व्यापार समिति के अध्यक्ष अतुल द्धिवेदी ने बताया जीएसटी पोर्टल में गंभीर समस्याएं हैं। ज्यादातर पोर्टल Hang रहता है। इसी के चलते हमने मांग की है कि रिर्टन भरने की तारीख 10 जनवरी से बढ़ाकर 30 जनवरी कर दी जाए। बताया कि 3-बी, 1,2,3 व कई अन्य रिर्टन भरने के लिए हमें पोर्टल में सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसी के चलते रिर्टन समय पर नहीं भर पा रहे हैं। सात दिन पहले जीरो टैक्स वाले लोहे के कृषि उपकरणों के सामान वाले ट्रक को सचल दस्ते ने रोक लिया। चालक ने सारे कागजात दिखाए, लेकिन दस्ते की टीम नहीं मानी और बिल में कमी बताकर वसूली कर ली। वहीं महामंत्री सुरेंद्र सिंह ने बताया कि सचल दस्ते की टीमें आए दिन कहीं न कहीं छापा मारकर जबरन जीएसटी के नाम पर पैसे की डिमांड करते हैं।
वित्तमंत्री से करेंगे शिकायत
व्यापार मंडल के महामंत्री मयंक अग्रवाल ने बताया कि कानपुर के अधिकारी व्यापारियों को बेवजह परेशान कर रहे हैं। हमारी शिकायत कोई सुनने को तैयार नहीं है। इसलिए व्यापार मंडल के आधा दर्जन व्यापारी दिल्ली जाएंगे और वित्तमंत्री से मिलकर अपना दर्द सुनाएंगे। मोदी सरकार ने पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी का बाण चलाकर व्यापारियों को घायल कर दिया है। अधिकतर छोटे कारखानें बंद हो गए हैं, वहीं जो बचे हैं वह जीएसटी के चलते बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। सरकार जीएसटी तो ले आई, लेकिन इससे निपटने के लिए हमें कोई औजार नहीं दिया। जो पोर्टल लॉन्च किया, उसमें कई दिक्कतें हैं, जिन्हें दूर करने के लिए अधिकारी तैयार नहीं।
UP चुनाव: नया सर्वे आया, जानें पूर्वांचल से लेकर पश्चिम का हाल, कौन बनाता दिख रहा सरकार?
यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों में जोर-आजमाइश का दौर काफी तीखा हो गया है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) है, जो योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वह सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है. अखिलेश के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी (एसपी) छोटे दलों को एक साथ लाकर सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष कर रही है. इसी तरह प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और मायावती के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) भी आगामी सरकार को लेकरव अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर यूपी की जनता किसके सिर ताज पहनाएगी? इस बात का एक संकेत चुनावी सर्वे में जरूर देखा जा रहा है.
यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर एबीपी न्यूज सी वोटर्स के साथ मिलकर वीकली सर्वे करा रहा है. पिछला सर्वे 27 नवंबर को आया था. आज यानी शनिवार, 4 दिसंबर को नए सर्वे के आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों से यूपी चुनाव की एक मोटा-मोटी तस्वीर जरूर सामने आ रही है. लेकिन हम आपको चुनावी सर्वे के आंकड़े बताएं इससे पहले यह जान लेना जरूरी है कि सर्वे के परिणाम महज आकलन हैं. इस बात की पूरी संभावना रहती है कि चुनावों के अंतिम परिणाम इनसे अलग भी हो सकते हैं.
जानें यूपी में किसे कितना वोट मिलता दिख रहा है?
किसी भी चुनाव में सबसे अहम फैक्टर होता है कि आखिर किस पार्टी को कितना वोट मिल रहा है. एबीपी न्यूज और सी GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी वोटर के इस वीकली सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 41 फीसदी, एसपी को 33 फीसदी, बीएसपी को 13 फीसदी, कांग्रेस को 8 फीसदी और अन्य को 5 फीसदी वोट मिलने की संभावना जताई गई है. पिछले हफ्ते से तुलना करें तो बीएससी और एसपी, दोनों के ही वोट शेयर में एक-एक फीसदी का इजाफा होता दिख रहा है.
इस बिंदु पर यह बीजेपी के लिए राहत का संकेत दिख रहा है कि सरकार विरोधी लहर का कोई खास असर सर्वे के हिसाब से पड़ता नजर नहीं आ रहा. हालांकि अभी चुनावों में काफी वक्त है और विपक्ष के पास मौका है कि वह चुनावी मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है.
बुंदेलखंड में क्या है हाल?
सर्वे में बुंदेलखंड की 19 सीटों पर आकलन बताया गया है. सर्वे के परिणाम के मुताबिक यहां बीजेपी को 41 फीसदी, एसपी को 33 फीसदी, बीएसपी को 12 फीसदी, कांग्रेस को 9 फीसदी और अन्य को 5 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. 27 नवंबर के सर्वे के हिसाब से यहां एसपी के खाते में एक फीसदी वोटों की बढ़त दिख रही है, जो इशारा कर रही है कि बुंदेलखंड में अखिलेश का कैंपेन असर कर रहा है.
अवध में क्या है हाल?
सर्वे में यूपी के अवध क्षेत्र की 118 सीटों पर भी लोगों का मिजाज भांपा गया है. यहां बीजेपी को 43 फीसदी, एसपी को 31 फीसदी, बीएसपी को 10 फीसदी, कांग्रेस को 8 फीसदी और अन्य को 8 फीसदी वोट मिलते नजर आ रहे हैं. यहां पर 27 नवंबर के बाद से आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं आया है.
पश्चिमी यूपी में क्या है हाल?
सर्वे के मुताबिक पश्चिम यूपी की 136 सीटों पर बीजेपी प्लस को 39 फीसदी, एसपी प्लस को 33, बीएसपी को 16, कांग्रेस को 7 और अन्य को 4 फीसदी वोट का अनुमान है. यहां 27 नवंबर के हिसाब से नए आंकड़ों में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है.
पूर्वांचल में क्या GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी है हाल?
सर्वे में पूर्वांचल की 130 विधानसभा सीटों पर बीजेपी प्लस को 40 फीसदी, एसपी प्लस को 36 फीसदी, बीएसपी को 12 फीसदी, कांग्रेस को 7 फीसदी और अन्य को 5 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं. यहां 27 नवंबर के हिसाब से देखें तो बीजेपी और एसपी दोनों के वोट शेयर में एक-एक फीसदी का इजाफा दिख रहा है, वहीं बीएसपी के वोट शेयर में 2 फीसदी की कटौती दिख रही है.
सीएम की पहली पसंद कौन?
नए चुनावी सर्वे में भी सीएम योगी आदित्यनाथ नंबर 1 पर हैं. 43 फीसदी लोग योगी आदित्यनाथ, 30 फीसदी अखिलेश, 16 फीसदी मायावती और 4 फीसदी लोग प्रियंका गांधी को सीएम की पहली पसंद बता रहे हैं.
ऑटो इंडस्ट्री का हब बनेगा उत्तर प्रदेश, योगी आदित्यनाथ ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए पश्चिमी और मध्य यूपी को ऑटो और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री का हब बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए 9 से 10 हजार एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। इस पर 19 से 20 बिलियन डॉलर खर्च होंगे
बैठक कर योगी ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नेपाल में हुई बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पश्चिमी और मध्य यूपी में ऑटो और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को और विकसित करने की जरूरत है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यहां पर आसानी से ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को विकसित करने के साथ एक्सप्रेस वे से जोड़ा जा सकता है। सीएम ने कहा कि मध्य और पश्चिमी में बने टू और थ्री ईवी व्हीकल और ईवी पार्ट्स को यूके, यूएसए, आस्ट्रेलिया, साउथ एशिया में सप्लाई किया जाएगा।
इन शहरों को चुना गया
आटो इंडस्ट्री योगी सरकार ऑटो इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, लखनऊ, हापुड़, कानपुर नगर और मेरठ को वृहद उद्योग के निर्माण के लिए चुना है। जबकि एमएसएमई इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए आगरा, शाहजहांपुर, अलीगढ़, प्रयागराज, सहारनपुर और इटावा को चुना गया है। प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए पश्चिमी यूपी को ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर बेल्ट के रूप में विकसित किया जाएगा। मध्य उत्तर प्रदेश ऑटो इंडस्ट्री के लिए GST सर्वे के विरोध में उतरे व्यापारी सबसे जरूरी मेटल इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जाएगा।
हर साल 1.10 लाख नए रोजगार
हर साल 1.10 लाख नए रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी यूपी में ऑटो जोन और ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को विकसित करने के लिए इससे जुड़े सहायक और डाउनस्ट्रीम उद्योग पर फोकस करना होगा। इसके लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर के सहायक उद्योग रबड़ प्रसंस्करण, प्लास्टिक, धातु, मशीनरी, कांच उद्योग को ग्रीन जोन के रूप में विकसित करना होगा। साथ ही प्रदेश में ईवी चार्जिंग नेटवर्क को बढ़ाना होगा। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 में इस सेक्टर में 60 से 70 हजार लोगों को रोजगार मिला था, वहीं उसकी ग्रोथ से अगले पांच वर्षों में 90 हजार से 1.10 लाख प्रतिवर्ष रोजगार उपलब्ध होंगे।
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