रूस-यूक्रेन युद्ध : तटस्थ देशों ने भी बदली रणनीति, यूक्रेन की मदद को आगे आए

रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ( Russia-Ukraine War) का असर अन्य देशों पर भी पड़ रहा है. दशकों से न्यूट्रल रहे देश भी अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं. कई देशों ने रूस के कदम की निंदा करते हुए यूक्रेन के लिए मदद की घोषणा की है (neutral countries in war).मौलिक रणनीति

हैदराबाद : रूस-यूक्रेन के बीच चल रही युद्ध की स्थिति इस कदर खतरनाक हो चुकी है कि बाकी देश भी अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं. दशकों से न्यूट्रल रहे देश भी अब युद्ध के 'मोड' में आ गए हैं. फिनलैंड, स्वीडन, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और वेटिकन सहित तटस्थ देश यूक्रेन पर रूसी युद्ध की निंदा करके यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के साथ खड़े हो रहे हैं. जापान, जर्मनी ने भी कदम उठाए हैं.

फ़िनलैंड उन देशों में से एक है जिसका नाटो के साथ घनिष्ठ सहयोग है. उसने भी युद्ध की 'दृढ़ता से' निंदा की. वहां की मौलिक रणनीति सरकार ने रविवार को यूक्रेन को 2,000 बुलेटप्रूफ जैकेट, 2,000 हेलमेट, 100 स्ट्रेचर के साथ दो आपातकालीन चिकित्सा देखभाल स्टेशनों के लिए उपकरण भेजने का फैसला किया. फ़िनलैंड ने बड़ी वित्तीय सहायता देने का भी निर्णय लिया है. यूक्रेन और फ़िनलैंड के बीच राजनयिक संबंधों के हाल ही में 30 साल पूरे हुए हैं. फिनलैंड के विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'कीव की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए दृढ़ समर्थन है. मंत्रालय ने ट्विटर पर कहा, 'इस कठिन समय के दौरान यूक्रेन के नेताओं और लोगों को साहस और शक्ति की कामना.'

स्वीडन का रूसी विमानों को हवाई क्षेत्र देने से इनकार
स्वीडन के विदेश मंत्री एन लिंडे ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आपातकालीन विशेष सत्र के आह्वान का स्वागत किया. लिंडे ने ट्विटर पर कहा, 'पिछले शुक्रवार को यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) के प्रस्ताव पर रूस के वीटो के कारण यह एक आवश्यक कदम है.' उन्होंने कहा कि 'स्वीडन यूक्रेन को सैन्य सहायता भेजेगा, जिसमें 5,000 टैंक रोधी हथियार, 5,000 हेलमेट, 5,000 बॉडी शील्ड और 135,000 फील्ड राशन शामिल हैं, साथ ही यूक्रेनी सेना को 500 मिलियन स्वीडिश क्रोना (52.9 मिलियन डॉलर) का फंड भी शामिल है.' देश ने सोमवार से स्वीडिश हवाई क्षेत्र से रूसी विमानों पर प्रतिबंध लगाने का भी फैसला किया.

जापान ने आर्थिक प्रतिबंध का समर्थन किया
जापान ने भी रूस पर प्रतिबंधों का समर्थन किया है. जापान ने यूक्रेन को 100 मिलियन डॉलर लोन देने के साथ-साथ 100 मिलियन डॉलर की मानवीय सहायता देने की घोषणा भी की है. पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने नाटो की तरह न्यूक्लियर शेयरिंग प्रोग्राम की बात कही है.

जर्मनी ने उठाए ये कदम
जर्मनी ने भी अपनी विदेश नीति में बदलाव किया है. उसने यूक्रेन को सैन्य मदद देने का एलान किया है. जर्मनी ने यूक्रेन को 500 स्टिंजर मिसाइल देगा. जर्मनी के चांसलर ने अपनी रक्षा पर 113 अरब डॉलर खर्च करने का एलान भी किया है.

राजनीतिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध : स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड ने भी राजनीतिक समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है. उसने आग्रह किया है कि रूस अपने सैनिक यूक्रेन से वापस बुलाए. विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा, 'स्विट्जरलैंड यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य हस्तक्षेप की निंदा करता है और रूस से सैन्य आक्रमण को तुरंत बंद करने और यूक्रेनी क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस लेने का आग्रह करता है.' इसके साथ ही विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'स्विट्जरलैंड संघर्ष के राजनीतिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध है.'

दोनों देश बातचीत से निकालें हल : ऑस्ट्रिया
इसी तरह ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री एलेक्जेंडर शालेनबर्ग (Alexander Schallenberg) ने यूक्रेन के ताजा घटनाक्रम को 'डार्क टाइम' बताते हुए कहा कि रूस की कार्रवाई यूरोप में एक संप्रभु राष्ट्र पर 'अस्वीकार्य हमला' है. यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'यूरोपीय महाद्वीप पर युद्ध चल रहा है और यूक्रेन रूस द्वारा सैन्य आक्रमण का शिकार हो गया है. यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय कानून के सबसे मौलिक नियमों का उल्लंघन करता है. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रिया यूक्रेन और यूक्रेन के लोगों के साथ 'पूर्ण एकजुटता' के साथ खड़ा है. उन्होंने रूस से हथियार छोड़कर यूक्रेन से बातचीत करने का भी आग्रह किया.

यूरोपीय संघ उठाए मजबूत कदम : आयरलैंड
आयरलैंड ने भी 21 फरवरी को यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने समर्थन की आवाज उठाई. विदेश मंत्री साइमन कोवेनी ने एक बयान में कहा, 'आयरलैंड की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन और अपनी खुद की विदेश और सुरक्षा नीति चुनने का अधिकार अटूट है.' उन्होंने कहा कि आयरलैंड 'अतिरिक्त प्रतिबंध उपायों सहित एक स्पष्ट और मजबूत यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया का समर्थन करता है.'

पोप फ्रांसिस ने भी व्यक्त किया यूक्रेन को समर्थन
गौरतलब है कि वेटिकन संत पोप फ्रांसिस ने शनिवार को यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था. उन्होंने ट्वीट किया 'यीशु ने हमें सिखाया कि हिंसा की शैतानी संवेदनहीनता का उत्तर ईश्वर के हथियारों, प्रार्थना और उपवास के साथ दिया जाता है. शांति की देवी दुनिया को युद्ध के पागलपन से बचाएं.' उन्होंने यूक्रेन में शांति के लिए 2 मार्च को प्रार्थना और उपवास का भी आह्वान किया. उनकी मौलिक रणनीति टिप्पणी का यूक्रेन के राष्ट्रपति ने स्वागत किया.

ताप- विद्युतीय पदार्थ बनाने के लिए नवीन रणनीति विकसित करने वाले कनिष्क बिस्वास को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार मिला

Screenshot 2021 10 07 07 03 35 51

नई दिल्ली, 07 अक्टूबर (विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी मंत्रालय): वर्तमान में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, जेएनसीएएसआर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत प्रोफेसर कनिष्क बिस्वास ने रसायन विज्ञान में प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्राप्त किया है।

कनिष्क बिस्वास को यह पुरस्कार ठोस – अवस्था अकार्बनिक रसायन और ताप- विद्युतीय ऊर्जा रूपांतरण के क्षेत्र में उनकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी खोजों के लिए दिया गया है। उनके शोध में सीसे (लेड-पीबी) मुक्त उच्च कार्यनिष्पादन वाला ताप- विद्युतीय पदार्थ विकसित करने के लिए अकार्बनिक ठोस पदार्थों की संरचना और गुणों के बीच संबंधों की ऐसी मौलिक समझ शामिल है,

जो कुशलतापूर्वक अपशिष्ट गर्मी को ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है और लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों में जिसका अनुप्रयोग किया जा रहा है। मौलिक और व्यावहारिक रासायनिक सिद्धांतों का उपयोग करते हुए, कनिष्क बिस्वास ने एक क्रिस्टलीय अकार्बनिक ठोस में परमाणु क्रम और परिणामी इलेक्ट्रॉनिक अवस्था निरूपण के नियंत्रण के माध्यम से एक अभूतपूर्व ताप-विद्युतीय (थर्मोइलेक्ट्रिक) प्रदर्शन हासिल किया है,

और साथ ही इसके इलेक्ट्रॉनिक परिवहन को बढ़ाकर उसकी तापीय (थर्मल) चालकता को कम किया है। उनका यह शोध इस वर्ष विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो से अपने विज्ञान विशारद के पश्चात शोध के दौरान, उन्होंने तापीयविद्युत पर अपने ध्यान का क्षेत्र विकसित किया। कनिष्क बिस्वास के नाम कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हैं।

उन्होंने जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र से अपने स्वतंत्र करियर में ठोस –अवस्था अकार्बनिक रसायन और ताप- विद्युतीय ऊर्जा रूपांतरण पर जर्नल ऑफ अमेरिकन केमिकल सोसाइटी और एंजवेन्टे केमी जैसे उच्चतम गुणवत्ता वाली 10 से अधिक रसायन विज्ञान पत्रिकाओं में 165 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनके कुल उद्धरण और एच-इंडेक्स क्रमशः 13650 और 50 हैं।

उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से स्वर्ण जयंती फेलोशिप मिली है। वह रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (एफआरएससी), ब्रिटेन में आमंत्रित फेलो हैं। वह एसीएस एप्लाइड मौलिक रणनीति एनर्जी मैटेरियल्स, एसीएस, संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) में कार्यकारी संपादक और कई महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में संपादकीय सलाहकार बोर्ड के सदस्य के रूप में भी कार्यरत हैं।

मौलिक कर्तव्यों की प्रासंगिकता|#Indian polity|#mppsc

सामान्य जानकारी ( General Information)

यदि अधिकारों के साथ कर्त्तव्य न जुड़े हों तो अधिकार निरर्थक हो जाते हैं। यदि हम एक नागरिक के रूप में अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह नहीं करते तो अन्य लोग अपने अधिकारों का आनन्द नहीं ले सकते। इतना ही नहीं बल्कि राज्य भी हमारी रक्षा करने तथा हमारी आवश्यकताओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य मकान, पानी इत्यादि को पूरा करने के अपने दायित्व का ठीक ढंग से पालन नहीं कर सकेगा। इसलिए महसूस किया गया कि भारत के संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों को शामिल किया जाना चाहिए।

भारत में जिस प्रकार राज्यों के लिए नीति निदेशक तत्व हैं उसी प्रकार मौलिक रणनीति नागरिकों के लिए मौलिक कर्त्तव्य हैं। दोनों का पालन स्वेच्छा पर निर्भर है। उसके लिए कोई विधिक बाध्यता नहीं हैं। अतः यदि कोई नागरिक मौलिक कर्तव्य का पालन नहीं करता है तो उसे किसी दण्ड से दण्डित नहीं किया जा सकता है |

मौलिक कर्तव्य को रूस ( पूर्व सोवियत संघ ) के संविधान से लिया गया है।

मूल संविधान में एक भी मौलिक कर्तव्य नहीं थे

सरदार स्वर्णसिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान मे मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया था इस समिति ने 8 मूल कर्तव्यों को जोड़ने की सिफारिश की थी लेकिन 42 वें संशोधन 1976 के द्वारा 10 मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया।

नोट :- मौलिक कर्तव्य बस नहीं बल्कि पूरा का पूरा 42वां संविधान संशोधन सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर जोड़ा गया था इस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी ।

मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV(A) के अनुच्छेद 51(A) में किया गया है।

मूल रूप से मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 थी वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा अनु. 51 क (ट) के तहत एक और कर्तव्य जोड़े जाने पर अब मौलिक कर्तव्यों की कुल संख्या 11 हो गई है ।

11 वा मौलिक कर्तव्य शिक्षा के अधिकार का पूरक है इसलिए माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे शिक्षा के अधिकार का अधिकतम लाभ उठाएं।

संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य केवल भारतीय नागरिकों के लिए हैं।

एम. सी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद-51 क, खण्ड (छ) के अन्तर्गत केन्द्र सरकार का यह कर्त्तव्य है कि वह देश की शिक्षण संस्थाओं को सप्ताह में एक घण्टे पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देने का निर्देश दे।

मौलिक कर्तव्यों की अवहेलना करने पर दंड देने की व्यवस्था नहीं है।

जे. एस. वर्मा समिति का संबंध भी मौलिक कर्तव्यों से है इस समिति का गठन 1998 में किया गया था जिसका उद्देश्य प्रत्येक शिक्षण संस्थान में मौलिक कर्तव्यों को लागू करने और सभी विद्यालयों में इन कर्तव्यों को सिखाने के लिए रणनीति से था ।

गाँधी जी का कथन जो हमें मूल कर्त्तव्य के प्रति समर्पित करता है – ” अधिकार का स्रोत कर्त्तव्य हैं। यदि हम सब अपने कर्त्तव्यों का पालन करें तो अधिकारों को खोजने हमें दूर नहीं जाना पड़ेगा। यदि अपने कर्त्तव्यों को पूरा करे बगैर हम अधिकारों के पीछे भागेंगे तो वह छलावे की तरह हमसे दूर रहेंगे, जितना हम उनका पीछा करेंगे, वह उतनी ही और दूर उड़ते जाएंगे। जिन अधिकारों के हम पात्र होना चाहते हैं तथा जिन्हें हम सुरक्षित कराना चाहते हैं, वे सभी अच्छी तरह निभाए गए कर्त्तव्य से प्राप्त होते हैं।”

मौलिक कर्तव्य ( Fundamental duties )

1. भारत के प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्त्तव्य है कि वह भारतीय संविधान का पालन करे, उसके आदर्श संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे ।

नोट :- राष्ट्रीय गीत शब्द का उल्लेख नहीं हुआ है ।

नोट :- राष्ट्रगान या राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करना दंडनीय अपराध है ।

2. प्रत्येक नागरिक , स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को अपने हृदय में संजोए रखे और निष्ठापूर्वक पालन करे ।

3. प्रत्येक नागरिक देश की प्रभुता, एकता व अखण्डता की रक्षा करे और उसे बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करे ।

4. देश की रक्षा करे प्रत्येक नागरिक और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की जी-जान से सेवा करे ।

5. भारत के समस्त लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का विकास करे ।

6. हमारी समन्वित सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे व उनका आदर करे और संरक्षण करे ।

7. देश की प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व उसका संवर्द्धन करे ।

8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मानववाद का विकास करे और निरन्तर ज्ञानार्जन कर देश सेवा में अपने ज्ञान को लगाये ।

9. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखने का हरसंभव प्रयास करे और हिंसात्मक गतिविधियों से दूर रहे ।

10. प्रत्येक नागरिक व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के समस्त क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों को छू ले ।

11. माता-पिता, अभिभावक या संरक्षक अपने 6 से 14 वर्ष के बच्चों प्राथमिक शिक्षा का अवसर अवश्य प्रदान करें।

cdestem.com

बजटिंग से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं हैं, जिनमें गेममैनशिप, बजट बनाने के लिए अत्यधिक समय और बजट की अशुद्धि शामिल है। अधिक विस्तार से, बजट की समस्याओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

अशुद्धता. एक बजट मान्यताओं के एक समूह पर आधारित होता है जो आम तौर पर उन परिचालन स्थितियों से बहुत दूर नहीं होते हैं जिनके तहत इसे तैयार किया गया था। यदि कारोबारी माहौल किसी भी महत्वपूर्ण डिग्री में बदल जाता है, तो कंपनी का राजस्व या लागत संरचना इतनी मौलिक रूप से बदल सकती है कि वास्तविक परिणाम बजट में उल्लिखित अपेक्षाओं से तेजी से हट जाएंगे। यह स्थिति एक विशेष समस्या है जब अचानक आर्थिक मंदी आती है, क्योंकि बजट एक निश्चित स्तर के खर्च को अधिकृत करता है जो अब अचानक कम राजस्व स्तर के तहत समर्थन योग्य नहीं है। जब तक प्रबंधन बजट को ओवरराइड करने के लिए जल्दी से कार्य नहीं करता, प्रबंधक अपने मूल बजटीय प्राधिकरणों के तहत खर्च करना जारी रखेंगे, जिससे लाभ कमाने की कोई संभावना टूट जाएगी। अन्य स्थितियां जो परिणाम को बजटीय मौलिक रणनीति अपेक्षाओं से अचानक भिन्न कर सकती हैं, उनमें ब्याज दरों, मुद्रा विनिमय दरों और कमोडिटी की कीमतों में बदलाव शामिल हैं।

कठोर निर्णय लेना. बजट प्रक्रिया केवल वित्तीय वर्ष के अंत के करीब बजट निर्माण अवधि के दौरान रणनीति पर प्रबंधन टीम का ध्यान केंद्रित करती है। शेष वर्ष के लिए, रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए कोई प्रक्रियात्मक प्रतिबद्धता नहीं है। इस प्रकार, यदि बजट पूरा होने के तुरंत बाद बाजार में एक मौलिक बदलाव होता है, तो स्थिति की औपचारिक रूप से समीक्षा करने और बदलाव करने के लिए कोई प्रणाली नहीं होती है, जिससे कंपनी को अपने अधिक फुर्तीले प्रतिस्पर्धियों के लिए नुकसान होता है।

समय की आवश्यकता. बजट बनाने में बहुत समय लग सकता है, विशेष रूप से खराब-संगठित वातावरण में जहां बजट के कई पुनरावृत्तियों की आवश्यकता मौलिक रणनीति हो सकती है। यदि एक अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई बजट प्रक्रिया है, तो इसमें शामिल समय कम है, कर्मचारी इस प्रक्रिया के आदी हैं, और कंपनी बजट सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है। आवश्यक कार्य अधिक व्यापक हो सकता है यदि व्यावसायिक स्थितियां लगातार बदल रही हैं, जिसके लिए बजट मॉडल के बार-बार पुनरावृत्तियों की आवश्यकता होती है।

गेमिंग सिस्टम. एक अनुभवी प्रबंधक बजटीय शिथिलता को पेश करने का प्रयास कर सकता है, जिसमें जानबूझकर राजस्व अनुमानों को कम करना और व्यय अनुमानों को बढ़ाना शामिल है, ताकि वह आसानी से बजट के खिलाफ अनुकूल भिन्नता प्राप्त कर सके। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है, और इसका पता लगाने और खत्म करने के लिए काफी निरीक्षण की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, जो कोई भी गेमिंग का उपयोग करता है, मौलिक रणनीति उसे अनिवार्य रूप से अनैतिक व्यवहार में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे धोखाधड़ी से संबंधित और कठिनाइयां हो सकती हैं।

परिणामों के लिए दोष. यदि कोई विभाग अपने बजटीय परिणामों को प्राप्त नहीं करता है, तो विभाग प्रबंधक अपने विभाग को पर्याप्त रूप से समर्थन नहीं देने के लिए उसे सेवाएं प्रदान करने वाले किसी अन्य विभाग को दोषी ठहरा सकता मौलिक रणनीति है।

व्यय आवंटन. बजट यह निर्धारित कर सकता है कि विभिन्न विभागों को ओवरहेड लागत की कुछ मात्रा आवंटित की जा सकती है, और उन विभागों के प्रबंधक उपयोग की जाने वाली आवंटन विधियों के साथ समस्या उठा सकते हैं। यह एक विशेष समस्या है जब विभागों को कंपनी के भीतर से प्रदान की जाने वाली सेवाओं को कम लागत वाली सेवाओं के लिए स्थानापन्न करने की अनुमति नहीं है जो कहीं और उपलब्ध हैं।

या तो इसे प्रयोग करें या इसे गंवा दें. यदि किसी विभाग को व्यय की एक निश्चित राशि की अनुमति है और ऐसा नहीं लगता है कि विभाग बजट अवधि के दौरान सभी धनराशि खर्च करेगा, तो विभाग प्रबंधक अंतिम समय में अत्यधिक व्यय को इस आधार पर अधिकृत कर सकता है कि उसका बजट कम हो जाएगा अगली अवधि में जब तक कि वह सभी अधिकृत राशि खर्च नहीं करता। इस प्रकार, एक बजट प्रबंधकों को यह विश्वास दिलाता है कि वे प्रत्येक वर्ष एक निश्चित राशि के धन के हकदार हैं, भले ही धन की उनकी वास्तविक आवश्यकता कुछ भी हो।

केवल वित्तीय परिणामों पर विचार करता है. बजट की प्रकृति संख्यात्मक होती है, इसलिए यह किसी व्यवसाय के मात्रात्मक पहलुओं पर प्रबंधन का ध्यान केंद्रित करता है; इसका आमतौर पर अर्थ है लाभप्रदता में सुधार या उसे बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना। वास्तव में, ग्राहक किसी व्यवसाय के मुनाफे की परवाह नहीं करते हैं - वे केवल कंपनी से तभी खरीदेंगे जब तक उन्हें उचित मूल्य पर अच्छी सेवा और अच्छी तरह से निर्मित उत्पाद मिल रहे हों। दुर्भाग्य से, इन अवधारणाओं को बजट में बनाना काफी कठिन है, क्योंकि वे प्रकृति में गुणात्मक हैं। इस प्रकार, बजट अवधारणा आवश्यक रूप से ग्राहकों की आवश्यकताओं का समर्थन नहीं करती है।

यहां बताई गई समस्याएं व्यापक रूप से प्रचलित हैं और इन्हें दूर करना मुश्किल है।

5 UPSC टॉपर ने अपने अनुभव किए साझा: बताया सोशल मीडिया से दूर रहे, मौलिक मटेरियल से की पढ़ाई

दुर्ग। यूपीएससी में चयन के लिए जगह की बाधा नहीं होती। रायपुर से पढ़कर भी सलेक्शन होता है। बिना कोचिंग के भी सलेक्शन होता है। हिंदी मीडियम से भी सलेक्शन होता है और इसके लिए जरूरी नहीं कि सबसे प्रतिष्ठित संस्थाओं से आपने पढ़ाई की हो। दुर्ग में पांच टापर्स जुटे और सब अलग-अलग एजुकेशन फील्ड थे, सबने कहा कि अपने पसंद का सबजेक्ट चुनो और खूब पढ़ो। टापर श्रद्धा शुक्ला ने कहा कि वो रायपुर से हैं उन्होंने कोचिंग नहीं ली और मौलिक मटेरियल पढ़ा। रायपुर से ही पढ़ाई भी की। पूजा ने बताया कि वो मगरलोड से हैं घर में इंटरनेट का कवरेज ही नहीं। इंटरनेट चाहिए तो ऊपर छत पर जाना पड़ता है। फिर भी चयन में इसके लिए कोई बाधा नहीं आई। पूजा ने बताया कि उन्हें लगा कि सोशल मीडिया तो सबसे ज्यादा बाधक है पढ़ाई के लिए मौलिक रणनीति मौलिक रणनीति और तीन साल तक सोशल मीडिया देखा ही नहीं। उन्होंने कहा कि पहले दो अटेम्प खराब हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। निगेटिव लोगों से दूर रही। पाजिटिविटी आपके अंदर है इसके लिए मसूरी जाकर मोटिवेशन नहीं लेना पड़ता, ऐसा मोटिवेशन टिकता नहीं है। अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि जाब में हैं इसलिए समय मैनेज करना पड़ा। कोई जाब के साथ भी पढ़ाई कर सकता है। अक्षय पिल्लै ने कहा कि इंजीनियरिंग के सब्जेक्ट लेकर भी चयनित हुआ जा सकता है। कोई भी विषय हो, उसमें आपकी पकड़ मायने रखती है। दिव्यांजलि ने कहा कि यूपीएससी की तैयारी मैराथन दौड़ के जैसी है। इसमें सही रणनीति रखना बहुत जरूरी है।

कलेक्टर ने भी अपने अनुभव साझा किये- कार्यशाला में कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि जिस तरह साढ़े तीन घंटे आप लोग लगातार धैेर्य से आज टापर्स को सुन रहे हैं। कुछ वर्षों पहले मैंने भी ऐसे ही एक कार्यशाला अटेंड की थी जिसमें खड़े हुए साढ़े तीन मौलिक रणनीति घंटे टापर्स को सुना था। जहां आपके इंटेलीजेंस की सीमा होती है वहां से हार्डवर्क काम करना शुरू कर देता है।

एसपी ने साझा किये अपने अनुभव- एसपी डा. अभिषेक पल्लव ने भी अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि हार्ड वर्क का कोई विकल्प नहीं है। स्मार्ट वर्क की शुरूआत भी हार्ड वर्क से हुए अनुभवों से होती है। कोई यूपीएससी की तैयारी करें तो उसे पूरी तौर पर समर्पित होकर तैयारी करनी होगी। जब तक पूरे संकल्प से अपनी शक्ति इसमें झोंक नहीं देंगे, तब तक सफलता नहीं मिलेगी लेकिन सही रणनीति से यदि कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता तय है।

प्रतिभागियों ने भी पूछे प्रश्न- इस दौरान प्रतिभागियों ने भी प्रश्न चयनित अभ्यर्थियों से पूछे। कार्यशाला के अंत में अपर कलेक्टर पद्मिनी भोई ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला से निश्चित रूप से ही अभ्यर्थियों को सहयोग मिला होगा। इस दौरान डिप्टी कलेक्टर श्री जागेश्वर कौशल, श्री लवकेश ध्रुव और उप संचालक जनशक्ति नियोजन राजकुमार कुर्रे भी मौजूद थे।

रेटिंग: 4.66
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 252