पहुंचे होटल में तो फिर ईद की परवा न रही
केक को चख के सिवइयों का मज़ा भूल गए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शश-जिहत

Quiz A collection of interesting questions related to Urdu poetry, prose and literary history. Play Rekhta Quiz and check your knowledge about Urdu!

The famous ghazal, 'baat karni mujhe mushkil kabhi aisi to na thi', was written by?
app bg1 app bg2

Rekhta App : World’s largest collection of Urdu poetry

क्या आप जानते हैं?

अली सरदार जाफ़री

सरदार जाफ़री को 1968 में जब दिल का दौरा पड़ा तो अस्पताल से वापस औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? आ कर डाक्टरों के मश्विरे पर तीन माह के आराम के दौरान उन्होंने औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? अपनी यादों का इम्तिहान लेना शुरू कर दिया। जो शे'र उन्हें बचपन से याद थे उन्हें लिखते गए। स्मृतियों के इस इम्तिहान से एक लंबी सूची तैयार हो गई तब उन्हें ख़्याल आया कि उर्दू अश्आर का एक शब्दकोश तैयार किया जाए और उन्हें संयोग से उस काम के लिए दो साल के लिए फेलोशिप भी मिल गई। उन्होंने "सरमाया ए सुख़न" नाम से उर्दू शायरी की एक शब्दकोश तैयार की जिसमें इक्कीस हज़ार ऐसे शब्दों का चयन किया गया औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? जो उर्दू शायरी में इस्तेमाल हुए हैं और उन्हें उर्दू वर्णमाला के क्रम में संकलित किया और उनकी व्याख्या के साथ साथ उदाहरण के रूप में अश्आर भी शामिल किए। यह काम शब्दकोश लेखन और ऐतिहासिक प्रसंग से बिल्कुल अलग था। "सरमाया ए सुख़न" की लंबी भूमिका भी बहुत दिलचस्प है। उसमें प्रसिद्ध और लोकप्रिय रूपकों का भी एक अध्याय बनाया गया है जिसका शीर्षक है 'मक़बूल इस्तिआरों का ख़ज़ाना'। सरदार जाफ़री की यह आख़िरी अदबी यादगार है जो उनकी ज़िंदगी में प्रकाशित नहीं हो सकी। उनका इरादा उसको कई खंडों में लिखने का था। अभी दूसरा ही खंड लिख रहे थे कि मौत ने उन्हें अपनी आग़ोश में ले लिया।

क्या आप जानते हैं?

शाह नसीर

शाह नसीर की गिनती अठारहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध शायरों में होती है। शाह नसीर ने अपनी ज़िंदगी में बेशुमार शे'र कहे मगर अपना दीवान संकलित नहीं किया। जो कलाम कहते उसे एक जगह रखते जाते और जब बहुत सारा कलाम जमा हो जाता तो तकिए की तरह एक लम्बे से थैले में रख देते। घर वालों को निर्देश देते कि इसकी देखभाल करते रहना। शाह नसीर के बहुत से शागिर्द हुए जिनके कलाम को न केवल दुरुस्त करते बल्कि कभी कभी ग़ज़लें भी कह कर देते और मुशायरे पढ़वाते। सख़्त ज़मीनों और मुश्किल रदीफ़ व क़ाफ़िये में शे'र कहना उनका शौक़ था। शायरी की वजह से ही शाह आलम के दरबार में पहुंच हुई। उनका देहांत हैदराबाद में हुआ और उसके बाद उनका औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? दीवान "चमनिस्तान-ए-सुख़न" के नाम से प्रकाशित हुआ। यह मशहूर शे'र उन्हीं से सम्बद्ध है:
ख़्याल-ए-ज़ुल्फ़ दोता में औसत दिशात्मक सूचकांक क्या है? नसीर पीटा कर
गया है सांप निकल तो लकीर पीटा कर

रेटिंग: 4.19
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 317