जमुई में ट्रेन से शराब बरामद, रेलवे पुलिस ने गुप्त सूचना पर की कार्रवाई
बिहार के जमुई रेलवे स्टेशन पर एर्नाकुलम एक्सप्रेस (Liquor recovered from Ernakulam Express in Jamui) के रुकते ही रेल पुलिस की जांच टीम ने ट्रेन के जेनरल बोगी से शराब की बड़ी खेप बरामद (Police Recovered Liquor At Railway station) किया है. हालांकि इस शराब को कौन कहां ले जा रहा था इसकी जानकारी नहीं मिली है. पढ़ें पूरी खबर.
जमुई: बिहार के जमुई में ट्रेन से भारी मात्रा में विदेशी शराब और बीयर बरामद (Rail Police Recovered Liquor and Bear) हुआ है. बताया जा रहा है कि तस्कर एर्नाकुलम एक्सप्रेस के जेनरल बोगी में शराब को ले जा रहे थे. तभी रेल पुलिस के द्वारा चलाए जा रहे तलाशी अभियान के दौरान पुलिस को सफलता हाथ लगी. हालांकि मौके से किसी तस्कर की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
ये भी पढ़ें- रोहतास: सासाराम-पटना पैसेंजर से अवैध शराब बरामद
गुप्त सूचना के आधार पर हुई कार्रवाई: घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि झाझा-रेलमार्ग के रास्ते शराब तस्करी की रोकथाम को लेकर रेलपुलिस के द्वारा ट्रेंड रेवसल चलाये जा रहे सर्च अभियान के दौरान पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी. इसी सूचना के आधार पर रेल पुलिस ने एर्नाकुलम एक्सप्रेस में सर्च अभियान चलाया. पुलिस को ट्रेन के एक जेनरल बोगी में लावारिश थैला मिला. जिसकी तलाशी करने पर उससे अलग-अलग ब्रांड के 20 बोतल विदेशी शराब और 12 पीस केन बीयर बरामद हुआ.
मौके से नहीं मिला कोई तस्कर: बिहार में शराब बंदी कानून लागू होने के बावजूद तस्कर पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर शराब की तस्करी कर रहे हैं. वहीं पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम भी लगातार छापेमारी अभियान चलाकर तस्करों के मनोबल को तोड़ रही हैं. हालांकि सर्च अभियान के दौरान किसी भी शराब तस्कर की गिरफ्तारी न होने पर रेल थाना में अज्ञात शराब तस्कर के विरुद्व रेल पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई में जुट गई है.
"उक्त गाड़ी के प्लेटफार्म पर लगते ही सर्च अभियान चलाया गया. जिसमें इंजन से पीछे तीसरा साधारण बोगी मे एक प्लास्टिक का झोला लावारिस स्थिति में बरामद हुआ. जिसकों संदेह के आधार पर सर्च किया गया तो अलग अलग ब्रांड का 20 बोतल विदेशी शराब और 12 पीस केन बीयर बरामद हुआ है. हालांकि सर्च अभियान के दौरान किसी भी शराब तस्कर की गिरफ्तारी न होने पर रेलथाना में अज्ञात शराब तस्कर के विरूद्व रेलपुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई में जुट चुकी है"- अनिल कुमार, रेल थानाध्यक्ष
ट्रेन की पटरियों के दोनों तरफ दीवार बनाने की तैयारी शुरू, सबसे हाई स्पीड रेल चलाएँगे PM Modi
देश के सबसे अहम दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक को सुरक्षित करने के लिए रेल मंत्रालय दो तरफा दीवार बना कर सुरक्षित करने मे जुट गया है। इस दीवार के निर्माण के बाद हादसो पर ना केवल विराम लगेगा बल्कि रेल गाडियो की स्पीड एक सौ पचास किलोमीटर प्रति घंटा तक करने मे रेल मंत्रालय कामयाब हो जायेगा। नई दिल्ली से लेकर मुगलसराय तक यह दो तरफा दीवार बनाने का प्लान बनाया गया है जिसको लेकर करोडो रूपये का बजट का निर्धारण कर दिया है । जिसके क्रम मे यह दो तरफा दीवार निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है ।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे दिल्ली हावडा रेल मार्ग पर यह दो तरफा दीवार रेलवे लाइन के किनारे बनती हुई दिखाई दे रही है। दरअसल मोटर बाइक सवारो और मवेशियो की रेलवे लाइन पर इंट्री से होने वाले हादसो को रोकने के लिए दो तरफा दीवार बनाने का काम शुरू कर दिया गया है ।
रेल मार्ग पर आए दिन जानवरों और बाइक सवारों के हादसों से ट्रेनों के परिचालन प्रभावित होने को लेकर कानपुर से टूंडला रेलवे स्टेशन के मध्य 200 करोड़ रुपये से ट्रैक के दोनों ओर बाउंड्रीवाल का निर्माण शुरू कराने का आदेश रेलवे प्रशासन ने दिया है।
इससे ट्रेनों का परिचालन काफी सुरक्षित होगा । वर्तमान दौर में 100 से 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से यात्री ट्रेनें दौड़ रहीं हैं। निकट भविष्य में तेजस, हमसफर, शताब्दी, राजधानी सहित अन्य कई महत्वपूर्ण ट्रेनों की स्पीड 150 किमी प्रति घंटा किए जाने को लेकर ट्रैक पर ट्रायल जारी है । इसमें बड़ी दिक्कत ट्रैक का खुला होना माना जा रहा है।
ओपन ट्रैक होने से रनओवर काफी हो रहे हैं। रेलवे की भाषा में रनओवर का मतलब है दौड़ रही ट्रेन के समक्ष अचानक इंसान या जानवर का आना और उसका कट जाना। इससे ट्रेन को इमरजेंसी ब्रैक लगाकर रोकना भी पड़ता है जिससे भयावह हादसा होने का खतरा रहता है। इसी के तहत ट्रैक पर दीवार का निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया है।
दोनों ओर होगी आरसीसी दीवार रेलवे ट्रैक के दोनों ओर 1.80 मीटर ऊंचाई की आरसीसी दीवार बनेगी। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सवा फीट वर्गाकार पिलर बनाए जाएंगे। पिलर में छह इंच मोटी आरसीसी प्लेट बनाकर लगाई जाएगी।
इटावा मंडल कार्यालय जसवंतनगर से अंबियापुर रेलवे स्टेशनों के मध्य 104 किमी की दूरी में आरसीसी दीवार बनायी जा रही है। प्लेट निर्माण रेलवे मैदान में जल्द शुरू होगा। रेलवे भूमि होगी सुरक्षित दीवार निर्माण से रेलवे भूमि सुरक्षित होगी। भूमि की नाप कराकर दीवार निर्माण कराया जाएगा। इससे अनाधिकृत रास्ते बंद हो जाएंगे जिससे ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित हो जाएगा। चेनपुलिग करके ट्रैक पार करना आसान नहीं होगा।
हावड़ा दिल्ली रेल मार्ग ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के साथ आए दिन होने वाली कैटल रन ओवर की घटनाओं को रोकने के लिए बाउंड्री वाल बनाकर ट्रैक को सुरक्षित किया जाएगा । बाउंड्री वाल के लिए जो पैनल व पिलर तैयार होंगे उसके लिए माल गोदाम परिसर में प्लांट लगाया जा रहा है। प्लांट के लगते ही बाउंड्री वाल के पैनल व पिलर यहीं पर तैयार होंगे।
लंबे समय से रेलवे ट्रेनों की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटे से बढाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे करने की तैयारी काफी पहले से की जा रही है। ट्रेनों की रफ्तार बढ़नें से पहले रेलवे ट्रैक की सुरक्षा काफी जरूरी है क्योंकि आए दिन ट्रेक पर मवेशियों के आने से कैटल रन ओवर की घटनाएं होती हैं जिससे ट्रेनों का संचालन बिगड़ जाता है।
Indian Railways: बिहार और झारखंड के लिए नई ट्रेन चलाएगी रेलवे, देखें गाड़ी की टाइमिंग, रूट और स्टॉपेज
Indian Railways: भारतीय रेल, बिहार और झारखंड को एक बड़ी सौगात देने जा रहा है. भारतीय रेल ने बिहार के राजेंद्र नगर (पटना) और गोड्डा के बीच एक नई ट्रेन चलाने का ऐलान किया है. भारतीय रेल के पूर्व मध्य रेलवे (East Central Railways) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राजेंद्र नगर (Rajendra Nagar, Patna) और गोड्डा के बीच चलाई जाने वाली ये नई ट्रेन 16 दिसंबर से शुरू होगी और हफ्ते में एक दिन चलाई जाएगी. पटना के राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन और गोड्डा (Godda) के बीच चलाई जाने वाली इस ट्रेन से हजारों लोगों को काफी सुविधाएं होंगी. पूर्व मध्य रेलवे ने इस नई ट्रेन के बारे में सभी जरूरी डीटेल्स शेयर की हैं.
राजेंद्र नगर और गोड्डा के बीच चलाई जाने वाली नई ट्रेन का टाइम टेबल
Indian Railways के पूर्व मध्य रेलवे के मुताबिक राजेंद्र नगर से गोड्डा के बीच चलाई जाने वाली गाड़ी संख्या- 13230, राजेंद्र नगर-गोड्डा एक्सप्रेस 16 दिसंबर, 2022 से प्रत्येक शुक्रवार को रात 22.15 बजे प्रस्थान करेगी और अगले दिन सुबह 06.25 बजे गोड्डा पहुंचेगी. वापसी में गोड्डा से राजेंद्र नगर के बीच चलाई जाने वाली गाड़ी संख्या- 13229, गोड्डा-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस 17 दिसंबर, 2022 से प्रत्येक शनिवार को गोड्डा से सुबह 07.25 बजे प्रस्थान करेगी और उसी शाम रात में 16.05 बजे राजेंद्र नगर पहुंचेगी.
रूट पर किन-किन रेलवे स्टेशनों पर रुकेगी राजेंद्र नगर - गोड्डा एक्सप्रेस
Indian Railways के पूर्व मध्य रेलवे जोन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक राजेंद्र नगर और गोड्डा के बीच चलाई जाने वाली ये ट्रेन अपनी यात्रा के दौरान बख्तियारपुर, हाथीदह, किउल, अभयपुर, जमालपुर, बरियारपुर, सुलतानगंज, भागलपुर, धौनी, बराहाट, मंदारहिल, हंसडीहा और पोड़ैयाहाट रेलवे स्टेशनों पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी. इस ट्रेन में फर्स्ट क्लास एसी का 1, सेकेंड क्लास एसी के 2, थर्ड क्लास एसी के 6, थर्ड इकोनॉमी क्लास का 1, स्लीपर क्लास के 6 और जनरल क्लास के 3 कोच होंगे.
यात्री के पास वैध टिकट है, लेकिन गलत ट्रेन में चढ़ गया तो भी रेलवे अधिनियम के तहत दुर्घटना मुआवजे का हकदार: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जिस व्यक्ति के पास गलती से गलत ट्रेन में चढ़ने पर भी वास्तव में ट्रेन/यात्रा का टिकट है, वह भी रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत "यात्री" होगा और दुर्घटना के मामले में मुआवजे का हकदार होगा।
"उपर्युक्त ट्रेंड रेवसल कहीं भी दो प्रावधान (धारा 2(29) और 124-ए) जो "यात्री" को परिभाषित करते हैं, यह निर्धारित करते हैं कि यात्री होने के लिए केवल किसी विशेष ट्रेन के लिए टिकट होना चाहिए, जिस पर व्यक्ति को यात्रा करनी है। अधिनियम की धारा किसी भी तारीख को यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेन से यात्रा करने के लिए केवल वैध टिकट की आवश्यकता होती है।"
नागपुर बेंच के जस्टिस अभय आहूजा ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा दिए गए मुआवजे को ऐसे मामले में बरकरार रखा, जहां पीड़ित गलत ट्रेन में सवार हो गए और ट्रेन से उतरने की कोशिश में गिर गए।
मां-बेटी की जोड़ी शादी की खरीदारी के लिए नागपुर से पांढुर्ना जाना चाहती थी और उसके पास वैध टिकट था। वे चेन्नई यानी विपरीत दिशा की ओर जाने वाली जीटी एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हो गईं। उन्हें जब यह एहसास हुआ कि वे गलत ट्रेन में सवार हो गईं तो उन्होंने अजनी रेलवे स्टेशन पर उतरने की कोशिश की, जो ट्रेन का निर्धारित स्टॉप नहीं है। वे गिर गए और मां की मौत हो गई, जबकि बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई और उसके दोनों पैर कट गए। रेलवे दावा न्यायाधिकरण ने मुआवजे का आदेश दिया। इसलिए रेलवे ने वर्तमान अपील दायर की।
रेलवे का मामला यह था कि बेटी के पास कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर डिग्री है और वह इतनी समझदार है कि समझ गई कि वे गलत ट्रेन में चढ़ गए। लेकिन उन्होंने लापरवाही बरती और गलत ट्रेन में सवार हो गए। इसके अलावा, यह जानने के बावजूद कि जरूरत पड़ने पर ट्रेन को रोकने के लिए जंजीर खींची जा सकती ती, उन्होंने दौड़ती हुई ट्रेन से ऐसे स्टेशन पर उतरना चाहा, जिसका ठहराव निर्धारित नहीं था। इस प्रकार, मां-बेटी की जोड़ी के पास वैध टिकट नहीं था और यह स्व-संक्रमित चोट का मामला है।
अधिनियम की धारा 2(29) यात्री को वैध पास या टिकट के साथ यात्रा करने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित करती है। अधिनियम की धारा 124ए की व्याख्या के अनुसार, यात्री में वह व्यक्ति शामिल है जिसके पास किसी भी तारीख को यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेन से यात्रा करने के लिए वैध टिकट है और वह किसी अप्रिय घटना का शिकार हो जाता है।
अदालत ने कहा कि उपरोक्त प्रावधान यह निर्दिष्ट नहीं करते हैं कि यात्री को किसी विशेष ट्रेन के लिए टिकट रखना होगा, जिस पर व्यक्ति को यात्रा करनी है।
अदालत ने कहा कि मां और बेटी दोनों के पास वैध टिकट था और टिकट केवल बोर्डिंग प्वाइंट और गंतव्य के साथ-साथ यात्रा की तारीख को इंगित करता है। इसमें वह ट्रेन शामिल नहीं है, जिससे व्यक्ति को यात्रा करनी है।
कोर्ट ने कहा कि रेलवे अधिनियम लाभकारी कानून है और अधिनियम की धारा 124ए की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए। इस विशेष मामले में मां-बेटी की जोड़ी ने टिकट खरीदा, वे टिकट पर उल्लिखित तिथि पर यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेन में थी और अजनी रेलवे स्टेशन पर उतरने की कोशिश करते समय गलती की शिकार हो गई।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि इसलिए अधिनियम की धारा 124ए स्पष्टीकरण (ii) की सामग्री को पूरा किया गया और मां-बेटी वास्तविक यात्री थीं।
कोर्ट ने कहा कि यह घटना अधिनियम की धारा 123(सी)(2) के तहत अप्रिय घटना है।
अदालत ने कहा कि ट्रैकमैन के साक्ष्य के अनुसार अजनी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन धीमी गति से चल रही थी। अदालत ने कहा कि तथ्य यह नहीं बताते हैं कि मां-बेटी का खुद को चोट पहुंचाने का कोई इरादा था।
"जब यात्री को पता चलता है कि वह गलत ट्रेन में चढ़ गया है तो स्वाभाविक रूप से उसके दिमाग में यह विचार आता है कि किसी तरह उस ट्रेन से उतर जाना चाहिए और जीटी एक्सप्रेस से उतरते समय बेटी और उसकी माँ ने ठीक यही किया। ट्रेन गलत दिशा में जा रही थी, जब ट्रेन अजनी रेलवे स्टेशन के पास धीमी हो गई।"
कोर्ट ने नोट किया कि घटना के कुछ दिनों बाद बेटी की शादी होने वाली थी।
"किसी भी तरह की कल्पना से यह नहीं कहा जा सकता है कि यह स्वयं को चोट पहुंचाने या उनके अपने आपराधिक कृत्य का मामला है।"
इसलिए अदालत ने न्यायाधिकरण के फैसले में कोई विकृति या त्रुटि नहीं पाई और दोनों अपील खारिज कर दी।
केस नंबर- प्रथम अपील नंबर 113 एवं 114/2022
केस टाइटल- भारत संघ बनाम रीना पुत्री किशोर खरवड़े से जुड़े हुए मामले।
जानिए भारत के उस आख़िरी रेलवे स्टेशन के बारे में जहां से नहीं गुज़रती है एक भी ट्रेन
Last Railway Station Of India: एक जगह से दूसरी जगह जाना हो और दूरी ज़्यादा हो तो आप लोग ट्रेन या हवाई जहाज़ का रास्ता चुनते हैं. मगर ज़्यादातर लोग ट्रेन का क्योंकि ट्रेन हर किसी के बजट में फ़िट बैठती है. इस लिहाज़ से तो अभी तक आप सब न जाने कितने रेलवे स्टेशन घूम चुके होंगे. ट्रेन ट्रेंड रेवसल से यात्रा के दौरान कभी दिमाग़ में आया कि आख़िर कहीं कोई रेलवे स्टेशन होगा, जिसे आख़िरी कहा जा सके, जैसे दुनिया का भी आख़िरी छोर है तो क्या रेलवे स्टेशन भी आख़िरी होगा.
Image Source: wikimedia
आपके मन का सवाल जायज़ है और भारत का आख़िरी रेलवे स्टेशन भी है, जिसमें से एक तो बिहार के अररिया ज़िले में एक जगह है जोगबनी, जिसे भारत का आख़िरी रेलवे स्टेशन माना जाता है. यहां से नेपाल पैदल जाया जा सकता है. इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में स्थित सिंहाबाद रेलवे स्टेशन (Singhabad Railway Station) को भी भारत का आख़िरी रेलवे स्टेशन माना जाता है. यहां पर हर चीज़ अंग्रेज़ों के ज़माने की है.
Image Source: indianrailways
Last Railway Station Of India
चलिए, इसके बारे में जानते हैं:
भारत का ये आख़िरी रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के हबीबपुर इलाक़े में स्थित है. इस स्टेशन को अंग्रेज़ों ने जैसा छोड़ा था ये आज भी वैसा ही है, इसमें कोई बदलाव नहीं किए गए हैं. ये बारत का आख़िरी सीमांत स्टेशन है, जो बांग्लादेश की सीमा के काफ़ी पास है. बांग्लादेश के पास होने के चलते यहां से पैदल भी जाया जा सकता है.
Image Source: climaterealityproject
भारत का बंटवारा होने के बाद इस स्टेशन के मेंटीनेंस का सारा काम जस का तस रोक दिया गया था. इसलिए यहां से कोई गाड़ी भी नहीं गुज़रती थी, लेकिन 1978 में जब मालगाड़ियां चलना शुरू हुईं तो दोबारा से ट्रेन और हार्न की आवाज़ें आने लगीं. ये गाड़ियां पहले बांग्लादेश तक ही जाती थीं, लेकिन 2011 में पड़ोसी देश नेपाल तक भी जाने लगी.
Image Source: wp
भले ही यहां से गाड़ियों का आवागमन शुरू हुआ हो, लेकिन इस स्टेशन के रूप-रंग में कोई सुधार नहीं हुआ है. ये आज भी वैसा ही है जैसा ब्रिटिशों के ज़माने में था. यहां से मालगाड़ी के अलावा दो मैत्री एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेनें भी गुज़रती हैं.
Image Source: indiarailinfo
इस स्टेशन का इस्तेमाल कोलकाता और ढाका के बीच ट्रेन कनेक्टिविटी के लिए किया जाता था. हालांकि, ये स्टेशन आज़ादी से पहले का है, इसलिए ढाका जाने के लिए महात्मा गांधी और सुभाष चंद बोस ने भी कई बार इस रास्ते का इस्तेमाल किया था. कभी यहां से दार्जिलिंग मेल जैसी ट्रेनें भी गुजरती थीं, लेकिन अब यहां से सिर्फ़ मालगाड़ियां ही गुज़रती हैं.
Image Source: wikimedia
आपको बता दें, इस स्टेशन पर आज भी पुराने ज़माने के हाथ के गियर वाले सिग्नल का इस्तेमाल होता है. साथ ही, यहां पर कोई ज़्यादा रेलवे कर्मचारी नहीं रके जाते हैं.
Image Source: indiarailinfo
इतना ही नहीं, टिकट काउंटर तक बंद हो चुका है. ज़्यादा कर्मचारी इसलिए नहीं है क्योंकि जब मालगाड़ी आती है बस तभी सिग्नल देना होता है, जो रोहनपुर के रास्ते से बांग्लादेश जाती है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 91