स्वैप क्या है?
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मर्जर और स्पिन ऑफ का क्या प्रभाव पड़ता है ?
मर्जर और स्पिन ऑफ का असर हर कंपनी की अपनी परिस्थितयों और स्वैप रेश्यो (Swap Ratio) पर निर्भर करता है। स्वैप रेश्यो किसी कंपनी के शेयर के एक्सचेंज रेट होते है जिस पर मर्जर होता है।इसका कैलकुलेशन मर्जर करने वाली कंपनियों के अलग अलग एसेट्स और लाएबिलिटीज़ की जाँच कर के किया जाता है।
स्वैप रेश्यो कंपनी के हर ग्रुप के शेयर होल्डर्स का कंबाइंड फर्म में क्या कण्ट्रोल होगा इस बात को निर्धारित करता है। यह कंपनी के फाइनेंसियल और स्ट्रेटेजिक रिसल्ट को दिखाता है।
ज्यादा जानकारी के लिए ट्रेडिंग Q&A के नीचे दिए गए पोस्ट को पढ़ स्वैप क्या है? सकते है :
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मुद्रा विनिमय (swap) किसकी एक विधि है?
University Grants Commission (Minimum Standards and Procedures for Award of Ph.D. Degree) Regulations, 2022 notified. As, per the new regulations, candidates with a 4 years Undergraduate degree with a minimum CGPA of 7.5 can enroll for PhD admissions. The UGC NET Final Result for merged cycles of December 2021 and June 2022 was released on 5th November 2022. Along with the स्वैप क्या है? results UGC has also released the UGC NET Cut-Off. With tis, स्वैप क्या है? the exam for the merged cycles of Dec 2021 and June 2022 have conclude. The notification for December 2022 is expected to be out soon. The UGC NET CBT exam consists of two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. By qualifying this exam, स्वैप क्या है? candidates will be deemed eligible for JRF and Assistant Professor posts in Universities and Institutes across the country.
सावधान हो जाइए! SIM Card का यह खतरनाक Scam खाली कर देगा आपका बैंक अकाउंट
Dangerous SIM Swap Scam may Loot your Bank Account: आज के समय में कई सारे ऐसे खतरनाक ऑनलाइन स्कैम्स (Online Scams) हैं जो काफी नुकसानदायक हैं. जहां कुछ स्कैम्स के बारे में यूजर्स सतर्क हैं वहीं कई ऐसे भी स्कैम्स हैं जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. इन्हीं स्कैम्स में से एक, SIM Swap Scam है जिससे स्वैप क्या है? आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है. हम आपको बताएंगे कि इस स्कैम को कैसे अंजाम दिया जाता है, इसके नुकसान क्या हो सकते हैं और आप किस तरह पता लगा सकते हैं कि ये आप इस खतरनाक स्कैम के शिकार हुए हैं या नहीं..
5 पॉइंट में समझें बैटरी स्वैपिंग क्या है? इससे इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को क्या फायदा होगा?
स्वैपिंग स्टेशन पर बैटरी की अदला-बदली बहुत कम समय में हो सकेगी.
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी को भारत में इलेक्ट्रिक स्वैप क्या है? वाहनों के विकास में महत्वपूर्ण कदमों में से एक माना जा रहा है. यहां आज 5 प . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : August 28, 2022, 13:09 IST
हाइलाइट्स
बैटरी स्वैपिंग में चार्ज बैटरी को डिस्चार्ज हो चुकी बैटरी से बदला जा सकता है.
इसका मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है.
स्वैपिंग पॉलिसी आने के बाद बैटरी मौजूदा बैटरी की तुलना में अधिक सुरक्षित हो जाएगी.
नई दिल्ली. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की वजह से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है. इस मांग को और गति देने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का भी विकास किया जा रहा है. सरकार इसके लिए राष्ट्रव्यापी बैटरी-स्वैपिंग पॉलिसी पर काम कर रही है. इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है.
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी को भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास में महत्वपूर्ण कदमों में से स्वैप क्या है? एक माना जा रहा है. यहां आज 5 पॉइंट्स में समझते हैं कि बैटरी स्वैपिंग क्या है? बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लाने के पीछे सरकार का मकसद क्या है? बैटरी स्वैपिंग सिस्टम कैसे काम करता है? इससे इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को क्या फायदा होगा?
बैटरी स्वैपिंग क्या है?
बैटरी स्वैपिंग में चार्जिंग स्टेशन से चार्ज की गई बैटरी को इलेक्ट्रिक वाहन की डिस्चार्ज हो चुकी बैटरी से बदला जा सकता है. बैटरी स्वैपिंग का उपयोग छोटे वाहनों जैसे कि दो-पहिया और तिपहिया वाहनों के लिए किया जाता है. इसकी वजह यह है कि इन वाहनों में छोटी बैटरी होती है, जिन्हें फोर व्हीलर में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों के मुकाबले बदलना आसान होता है.
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के पीछे सरकार का मकसद
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी के पीछे सरकार का मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तेजी से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना है. बैटरी स्वैपिंग स्टेशन को लगाने में कम जगह लगती है. मतलब यह चार्जिंग स्टेशन के मुकाबले कम जगह घेरते हैं. शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए जगह की कमी प्राथमिक कारणों में से एक है.
सेफ्टी
बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी आने के बाद बैटरी मौजूदा बैटरी की तुलना में अधिक सुरक्षित हो जाएगी. ड्राफ्ट पॉलिसी में कहा गया है कि बैटरियों को एआईएस 156 (2020) और एआईएस 038 रेव 2 (2020) मानकों के अनुसार टेस्ट और प्रमाणित किया जाना जरूरी होगा. इसके अलावा भी स्वाइपेबल बैटरी के लिए कई टेस्ट निर्धारित किए जा सकते हैं. साथ ही स्वाइपेबल बैटरी को बैटरी मॉनिटरिंग सिस्टम, रिमोट मॉनिटरिंग और इमोबिलाइजेशन जैसे एडवांस फीचर्स से लैस करना होगा.
एक ही तरह का होगा बैटरी का साइज
बैटरी स्वैपिंग नीति के अनुसार, यह अनिवार्य होगा कि बैटरियों का वजन 1 kWh की क्षमता के साथ 10 किलोग्राम से अधिक न हो. इससे व्यक्ति के लिए बैटरी को उठाना आसान हो जाएगा और डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों की चिंता कम हो जाएगी, जो इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे अधिक उपयोग करते हैं, बैटरियों का शेप बेलनाकार होगा.
बैटरी स्वैपिंग के फायदे?
बैटरी स्वैपिंग तकनीक के तीन बड़े फायदे हैं. पहला, स्वैपिंग स्टेशन पर बैटरी की अदला-बदली बहुत कम समय में हो सकेगी, इससे काफी हद तक समय की बचत होगी. दूसरा, बैटरी स्वैपिंग स्टेशन कम जगह में भी बनाए जा सकते हैं, जिससे इन्हें ज्यादा संख्या में लगाने की परेशानी नहीं होगी. तीसरा, इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी का साइज छोटा होने से उनकी लागत में भी भारी कमी आएगी.
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