स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों को ये पता होता है कि उसे कब शेयर खरीदना और बेचना है. आम तौर पर 20 से 30 फीसदी के लाभ पर शेयर होल्डर्स अपने शेयर को बेच देते हैं, लेकिन मंदी के दौर में निवेशकों को इसे लेकर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है. क्योंकि कई बार लोग सोचते हैं कि मंदी के समय में सस्ते शेयर लेकर इन्हें बाद में प्रॉफिट के साथ बेच देंगे. तो ये सोच कभी-कभी निवेशक के लिए बहुत ही नुकसानदायक साबित हो सकती है.

share and debenture

शेयर और डिबेंचर में अंतर क्या है | Difference between share and debenture in hindi

तात्कालिक समय में शेयर और डिबेंचर में निवेश करना व्यापार का एक अच्छा माध्यम बन गया है. समाज के किसी भी तबके, जाति धर्म के लोग इसके अंतर्गत अपने मेहनत से कमाए गये पैसे इस उद्देश्य और उम्मीद से निवेश करते हैं कि उसके एवज में उन्हें अच्छा ख़ासा ब्याज रिटर्न के तौर पर प्राप्त हो सकेगा. एक तरफ जहाँ शेयर किसी कंपनी के कैपिटल का शेयर होता है, वहीँ पर डिबेंचर एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के तौर पर सामने आता है. इसमें कंपनी एक तय दर से निवेशकों को लाभ पहुंचाती है. यहाँ पर इन दोनों का वर्णन किया जा रहा है.

किसी कंपनी के सबसे छोटे हिस्से को शेयर कहा जाता है. यह शेयर ओपन मार्केट में सेल के लिए लाया जाता है. इसकी सहायता से किसी कंपनी के कैपिटल में वृद्धि की जाती है. जिस क़ीमत पर यह शेयर लोगों को प्राप्त होता है, उसे शेयर प्राइस कहा जाता है. यह शेयर कंपनी के मालिकाना हक़ में शेयरहोल्डर का हिस्सा दर्शाता है. शेयर आमतौर पर स्थानांतरित किये जा सकते हैं और किसी कंपनी के लिए ये विभिन्न संख्या में मौजूद रहते हैं. शेयर मार्केट की जानकारी यहाँ पढ़ें.

Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स

Equity Market Investment : इक्विटी में निवेश पर चाहिए ज्यादा रिटर्न? अपनाएं ये 4 टिप्स

छोटी कंपनियों के शेयर्स में ज्यादा निवेश से ज्यादा बेहतर होगा, बड़ी कंपनियों में कम निवेश करना.

Equity Investment : अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आज आपको कुछ ऐसे जरूरी टिप्स बताने वाले हैं. इन्हें अपनाकर आप न सिर्फ अपने निवेश को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि बेहतरीन रिटर्न भी हासिल कर पाएंगे. आम तौर पर भारत में ज्यादातर लोग इक्विटी में निवेश करना पसंद करते हैं. क्योंकि इसमें कम निवेश पर भी बेहतरीन रिटर्न हासिल हो सकता है. हालांकि इसमें निवेश जोखिम बना रहता है. इसलिए इक्विटी में निवेश से पहले आपको इसके बारे में सभी जानकारी तो लेनी ही चाहिए, साथ ही आपको व्यवस्थित तरीके से निवेश करना चाहिए. ताकि आपके निवेश पर जोखिम कम से कम हो.

1. कभी भी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे न भागें

हमारे देश में शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले 10 में से 9 व्यक्ति ऐसे हैं जिन्होंने किसी अन्य से मिली इन्वेस्टमेंट टिप्स को आधार बनाते हुए शेयर बाजार में निवेश शुरू किया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शेयर मार्केट का जानकार या उसमें काम करने वाला व्यक्ति आप को ऐसी जानकारी या टिप्स क्यों देगा, जिससे उसकी जगह आप का फायदा होगा? उदाहरण के तौर पर हम देखेंगे कि कभी भी कोई सेफ (खाना बनाने वाला) अपनी रेसिपी का खुलासा नहीं करता है, तो फिर कोई आपको फायदा कराने वाली टिप्स की जानकारी क्यों देगा?. इसलिए किसी इन्वेस्टमेंट टिप्स के पीछे भागने से बेहतर होगा कि आप निवेश से पहले स्कीम को लेकर थोड़ा रिसर्च जरूर करें, ताकि आप की मेहनत की कमाई बेकार न हो जाए.

Insurance on Education Loan: एजुकेशन लोन का इंश्योरेंस क्यों है जरूरी, किन हालात में मिल सकता है इसका फायदा

2. फंडामेंटल एनालिसिस

जहां तक रिसर्च की बात है तो हर व्यक्ति को न तो रिसर्च की तकनीक का ज्ञान है और न ही उसमें इतनी समझ है कि वो खुद से इन्वेस्टमेंट से जुड़े टेक्निकल वर्ड को सही मायनों में समझ सके. हालांकि वो पढ़ जरूर सकता है. वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो इन्वेस्टमेंट सेक्टर में हमेशा वॉरेन बफे और चार्ली मुंगेर की मिसाल दी जाती है, जिन्होंने निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च किया और प्लान तरीके से निवेश किया. अपनी इसी रिसर्च और प्लान निवेश के दम पर इंटरनेशनल मार्केट में दोनों ने अपनी खास पहचान बनाई है.

क्या आप जाने हैं कि एक ही स्टॉक या सेक्टर में निवेश करना आप के लिए बड़ा जोखिमभरा साबित इक्विटी शेयर के फायदे हो सकता है. इसलिए आप को निवेश करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आप अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करें, ताकि अगर एक सेक्टर या एक स्टॉक में कोई दिक्कत आती है तो आप की सारी रकम एक साथ न डूब जाएये. यही वजह है कि निवेशकों को अपने निवेश पोर्टपोलियों में विविधता लाने की सलाह दी जाती है.

What is Equity Share? – इक्विटी शेयर क्या होता है?

तो चलिए आज के हमारे इस लेख में हम यह जानेगें कि What is Equity Share? – इक्विटी शेयर क्या होता है? के कितने प्रकार होते हैं?

Equity Share को साधारण शेयर या ordinary Share भी कहा जाता है। हम जब भी किसी से अपनी बात करते हैं तो हम शॉर्ट फॉर्म में इक्विटी शेयर को ही शेयर कहते हैं। यानी कि अगर किसी शेयर के आगे पीछे कुछ नहीं लिखा है तो सिर्फ ” शेयर” लिखा है तो वह अवश्य ही इक्विटी शेयर माना जाता है।

शेयर के तीन प्रकार होते हैं। भारत जैसे देश में मुख्यता इन्हीं तीन तरह के शेयर की प्रमुखता है।

  1. Equity Share – इक्विटी शेयर
  2. Preference Share – प्रेफरेंस शेयर
  3. DVR Share – डीवीआर शेयर

साधारण बोलचाल में हम किसी भी शेयर को शेयर ही कहते हैं ना कि अलग-अलग नाम का प्रयोग करते हैं। लेकिन यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि जब भी कोई व्यक्ति “ शेयर” शब्द का इस्तेमाल करता है। इसका सीधा अर्थ है कि वह Equity Share के बारे में बात कर रहा है।

इक्विटी शेयर होल्डर और मालिकाना हक

इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी का असली मालिक माना जाता है ऐसा इसलिए है क्योंकि इक्विटी शेयर होल्डर के पास कंपनी में किए जाने वाले मैनेजमेंट के फैसले में वोट देने का अधिकार होता है। इस तरह से इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के कार्यों पर नियंत्रण रखता है।

इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी द्वारा अर्जित किए गए लाभ में सबसे अंत में लाभ से डिविडेंड के रूप में हिस्सा दिया जाता है। यही वजह है कि अगर कंपनी लाभ अर्जित नहीं करती है तो इक्विटी शेयर होल्डर को किसी भी तरह का लाभ कंपनी द्वारा नहीं दिया जाता है।

इस तरह से देखा जाए तो इक्विटी शेयर होल्डर किसी कंपनी के शेयर को खरीद करके वह अपनी पूंजी अधिक जोखिम में डाल देता है। क्योंकि अगर कभी कंपनी बंद होती है तो इक्विटी शेयर होल्डर को सबसे अंत में पूंजी वापस मिलता है, और इसलिए इनको कंपनी का असली मालिक माना जाता है।

Equity Share से कंपनी को क्या फायदा होता है?

  1. इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी अपनी मर्जी से लाभांश देती है। अगर कंपनी फैसला करती है कि लाभांश नहीं देना तो इक्विटी शेयर होल्डर को किसी भी तरह का कोई लाभांश नहीं मिलता है।
  2. इक्विटी शेयर जारी करने से कंपनी की संपत्ति के ऊपर कोई अतिरिक्त दायित्व उत्पन्न नहीं होता है।
  3. इक्विटी शेयर, स्टॉक मार्केट पर आसानी से खरीद बिक्री यानी कि ट्रेडिंग की जा सकती है।
  4. इक्विटी शेयर, किसी भी कंपनी के लिए पूंजी जुटाने का सबसे बढ़िया साधन है।
  5. कंपनी की संपत्ति पर कोई शुल्क बनाए बिना इक्विटी शेयर जारी किया जा सकता है।
  1. इक्विटी शेयर होल्डर को कंपनी का असली मालिक माना जाता है। कंपनी के लाभ अर्जित करने की स्थिति में सबसे आखरी में इक्विटी शेयर होल्डर को लाभांश (Dividend) दिया जाता है।
  2. इक्विटी शेयर होल्डर के पास कंपनी के कार्यों के लिए वोटिंग या मतदान का अधिकार होता है। इस तरह से इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के कार्यों को नियंत्रित कर सकता है।
  3. अगर कंपनी बड़ा लाभ कम आती है, तो इसका अधिक फायदा इक्विटी शेयर होल्डर को मिलता है। इक्विटी शेयर का भाव बढ़ जाता है और दूसरा लाभांश अधिक मिलने की उम्मीद होती है।

इक्विटी शेयर से कंपनी को नुकसान

  1. यदि एक बार कोई कंपनी इक्विटी शेयर जारी कर देती है तो कंपनी इक्विटी पर ट्रेडिंग का लाभ नहीं ले सकती है।
  2. इक्विटी शेयर होल्डर खुद को जोड़ तोड़ तथा व्यवस्थित करके कंपनी के प्रबंधन के लिए बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।
  3. इक्विटी कैपिटल को भुनाया नहीं जा सकता है, इसीलिए कैपिटलईजेशन का खतरा हमेशा बना रहता है।
  4. निश्चित आय के साथ सुरक्षित प्रतिभूतियों में निवेश करने की इच्छा रखने वाले निवेशकों को ऐसे शेयरों के लिए कोई आकर्षण नहीं होता।
  5. समृद्ध अवधि के दौरान बाजार में शेयरों के मूल्य में वृद्धि के लिए उच्च लाभांश का भुगतान करना पड़ता है तथा यह अटकलों की ओर जाता है।

इक्विटी शेयर को आप प्राइमरी एवं सेकेंडरी मार्केट से खरीद सकते हैं। आईपीओ या एफपीओ प्राइमरी मार्केट होते हैं। जबकि मान्यता प्राप्त ब्रोकर को सेकेंडरी मार्केट कहा जाता है।

Money Management Tips: अगर शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो इस नियम को फॉलो करें, हमेशा फायदे में रहेंगे

Money tips: अगर आप निवेश की शुरुआत करने जा रहे हैं तो '100 minus age' रूल्स को ध्यान में रखना चाहिए. अगर आपकी उम्र 35 साल है तो नियम के मुताबिक इक्विटी अलोकेशन अधिकतम 65 फीसदी और डेट अलोकेशन 35 फीसदी हेल्दी माना जाता है.

Money Management Tips: शेयर बाजार के प्रति निवेशकों में क्रेज काफी बढ़ा है. अब हर कोई शेयर बाजार से कमाई करना चाहता है. हालांकि, इसमें रिस्क भी काफी होता है. ऐसे में यह जरूरी है कि शेयर बाजार में लिमिटेड निवेश करें और पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें. जब आप अपना पोर्टफोलियो तैयार कर रहे होते हैं तो असेट अलोकेशन के लिए "100 minus age" रूल्स को ध्यान में रखना फायदेमंद होता है. इससे आपका पोर्टफोलियो बैलेंस्ड बना रहता है. इस नियम के मुताबिक, आपकी जितनी उम्र है उसके आधार पर असेट अलोकेशन होना चाहिए.

युवा ज्यादा रिस्क ले सकते हैं

अगर आप युवा हैं तो रिस्क ज्यादा ले सकते हैं और इक्विटी में ज्यादा निवेश किया जा सकता है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, रिस्क लेने की क्षमता घटती जाती है. मान लीजिए की आपकी उम्र 25 साल है तो और निवेश की शुरुआत करना चाहते इक्विटी शेयर के फायदे हैं तो "100 minus age" के मुताबिक 75 फीसदी (100-25=75) इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. 25 फीसदी डेट में निवेश करना चाहिए. वहीं, जब किसी की उम्र 40 साल होगी और वह निवेश की शुरुआत करती है तो उसे रिस्क के आधार पर इक्विटी में अधिकतम 60 फीसदी (100-40=60) निवेश करना चाहिए. डेट फंड में 40 फीसदी निवेश करना चाहिए.

वैसे निवेश का यह नियम सभी पर लागू नहीं होता है. हर निवेशक की अपनी आर्थिक स्थिति, रिस्क लेने की क्षमता और खर्च अलग-अलग होते हैं. हर निवेशक के निवेश का लक्ष्य भी अलग-अलग होता है. इन तमाम बातों का आपके असेट अलोकेशन पर असर होता है. जब किसी निवेश पर जिम्मेदारी ज्यादा होती है तो उसकी रिस्क लेने की क्षमता कम हो जाती है. अगर आप आर्थिक रूप से सबल होते हैं तो रिस्क लेने की क्षमता बढ़ जाती है. हालांकि, यह नियम आपके पोर्टफोलियो को बैलेंस करने में मदद जरूरत करता है.

टाइम पीरियड के आधार पर रिस्क कैलकुलेशन करें

निवेश में रिस्क कितना होना चाहिए, यह पूरी तरह लक्ष्य और समय पर निर्भर करता है. अभी शेयर बाजार में भारी उठापटक और अनिश्चितता है. ऐसे में अगर शॉर्ट या मीडियम टर्म के लिए इक्विटी में निवेश किया जाता है तो संभव है कि उचित रिटर्न नहीं मिले या नुकसान हो जाए. अगर कोई निवेशक अभी की गिरावट में खरीदारी करता है और लॉन्ग टर्म के लिए यानी कम से कम 3-5 साल के लिए निवेश करता है तो उसे मोटा रिटर्न मिलेगा.

मनी मैनेजमेंट को लेकर एक और नियम है जिसे 50:30:20 का नियम कहते हैं. आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ आनंद राठी ने कहा कि इस नियम के तहत आपकी कमाई का अधिकतम 50 फीसदी जरूरत में खर्च होना चाहिए. इसमें आपके घर का खर्च, EMI शामिल होते हैं. हर हाल में ईएमआई को कमाई का अधिकतम 40 फीसदी रखें. कम से कम 10 फीसदी इमरजेंसी फंड के इक्विटी शेयर के फायदे लिए रखें. 25-30 फीसदी तक सेविंग करना जरूरी है.

इस कंपनी के शेयरहोल्डर्स को होगा डबल मुनाफा, 10 अक्टूबर को हो सकता है ऐलान, पिछले साल आया था IPO

इस कंपनी के शेयरहोल्डर्स को होगा डबल मुनाफा, 10 अक्टूबर को हो सकता है ऐलान, पिछले साल आया था IPO

EaseMyTrip या Easy Trip Planners IPO अपने शेयरधारकों को बंपर मुनाफा कराने की तैयारी में है। दरअसल, इजी माय ट्रिप अपने निवेशकों को बोनस शेयर (Bonus share) देने का ऐलान करने वाली है। साथ ही स्टॉक स्प्लिट (Stock split) की भी घोषणा हो सकती है।

कंपनी ने दी जानकारी
कंपनी ने मंगलवार को बताया कि उसके बोर्ड की बैठक अगले सप्ताह सोमवार, 10 अक्टूबर, 2022 को होगी। इसमें कंपनी के बोनस इक्विटी शेयर और सब-डिवीजन या शेयर के शेयर विभाजन के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इस खबर के बाद आज इंट्रा डे में कंपनी के शेयर 9% तक उछल गए।

रेटिंग: 4.29
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 664