मंदड़ियों की गिरफ्त में है निफ्टी, क्या है इसका मतलब?
गुरुवार (12 मार्च) को घरेलू शेयर बाजार में कोहराम मच गया. बाजार के कई सूचकांक बिकवाली दबाव से धड़ाम हो गए.
विश्व स्वास्थ संगठन ने कोरोना वायरस यानी कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. इस खबर के बाद मंदड़ियों ने बाजार पर अपनी गिरफ्त बढ़ा दी है.
1. बाजार मंदड़ियों की गिरफ्त में कब आता है?
शेयर बाजार में मंदड़िए तब हावी होते हैं, जब कोई शेयर या इंडेक्स अपने हालिया यह भालू बाजार कब समाप्त होगा उच्चतम स्तर से 20 फीसदी या उससे अधिक नीचे फिसल जाता है. यह बाजार या शेयर के प्रति नकारात्मक धारणा का संकेत होता है. इससे शेयर या बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ जाता है.
2. क्या भारतीय शेयर बाजार पर मंदड़िए हावी हैं?
हां, शेयरों में भारी गिरावट के बाद निफ्टी 50 इंडेक्स पर मंदड़ियों का बोलबाला है. बीएसई का सेंसेक्स भी इसी दहलीज पर खड़ा है. सेक्टर आधारित बात करें तो निफ्टी बैंक, निफ्टी मेटल, निफ्टी ऑटो और निफ्टी सीपीएसई जैसे सूचकांकों पर भी मंदड़िए हावी हैं.
3. क्या अमेरिकी शेयर बाजार पर भी मंदड़िए हावी हैं?
हां. अमेरिकी शेयर बाजारों की हालत भी ऐसी है. साल 2008 की आर्थिक मंदी के बाद अमेरिका के प्रमुख सूचकांक पहली दफा मंदी के दौर में गए हैं. 2008 की मंदी ने अमेरिकी शेयर बाजारों की जबरदस्त तेजी पर ब्रेक लगा दिया था.
इसके अलावा जापान के शेयर बाजारों पर भी मंदड़ियों की गिरफ्त नजर आ रही है. इसका बेंचमार्क इंडेक्स अप्रैल 2017 के बाद न्यूनतम स्तर पर फिसल चुका है. गुरुवार के कारोबारी सत्र के दौरान यह इंडेक्स 5 फीसदी से अधिक फिसला.
4. मंदड़िये हावी होने का क्या कारण है?
इसकी कई वजहें हो सकती हैं. 1980 के दशक में बढ़ती महंगाई और कर्ज की अधिक दरों की वजह से ऐसा देखने को मिला था. 2000 के शुरुआती दौर में टेक्नोलॉजी कंपनियों से जुड़ा बुलबुला फूट गया था. साल 2008 में अमेरिकी रीयल एस्टेट कारोबार धाराशाई हुआ था. इस दफा कोरोना वायरस ने दुनिया भर के बिजनेस को प्रभावित किया है.
5. बाजार की ऐसी स्थिति अच्छी है या बुरी?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां खड़े हैं. यदि आपकों पैसों की तुरंत जरूरत है, तो आपके लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि इस गिरावट ने आपके पूरे मुनापे को साफ कर दिया होगा. ऐसी स्थिति लिक्विडिटी के पक्ष में नहीं होती.
दूसरी तरफ, यदि आप दीर्घावधि निवेशकों में शामि हैं और बाजार की गिरावट को खरीदारी यह भालू बाजार कब समाप्त होगा का अवसर मानते हैं, तो क्वालिटी कंपनियों को कम भाव पर खरीद सकते हैं. दिग्गज निवेशक चार्ली मंगर ने साल 2008 की मंदी के बाद बैंकिंग शेयरों से जबरदस्त कमाई की थी.
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Stock Market Muhurat Trading: मुहूर्त ट्रेडिंग में सेंसेक्स 525 अंक बढ़कर बंद, निफ्टी 17731 पर, टॉप गेनर्स में HDFC ट्विंस
Diwali Stock Market Trading: दिवाली की शाम बाजार मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए 1 घंटे खुलता है. जिसके बाद नया संवत शुरू होता है. इस मौके पर निवेश करना शुभ माना जाता है.
Muhurat Trading: दिवाली का त्योहार शेयर बाजार और निवेशकों के लिए बेहद खास होता है.यह भालू बाजार कब समाप्त होगा
Diwali Muhurat Trading 2022: दिवाली के दिन मुहूर्त ट्रेडिंग पर शेयर बाजार में रौनक रही है. आज के कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी में जोरदार खरीदारी देखने को मिल है. सेंसेक्स 500 अंकों से ज्यादा मजबूत हुआ है. जबकि निफ्टी 17750 के करीब बंद हुआ है. ट्रेडिंग में हर सेक्टर में खरीदारी देखने को मिली है. निफ्टी पर बैंक और फाइनेंशियल इंडेक्स करीब 1.5 फीसदी मजबूत हुए हैं. आईटी इंडेक्स भी 1 फीसदी के करीब चढ़ा है. जबकि ऑटो, मेटल और फार्मा इंडेक्स में करीब 1 फीसदी तेजी रही है. रियल्टी और अन्य इंडेक्स भी हरे निशान में बंद हुए हैं. सिर्फ एफएमसीजी इंडेक्स लाल निशान में बुद हुआ.
फिलहाल सेंसेक्स में 525 अंकों की तेजी रही है और यह 59,831.66 के लेवल पर बंद हुआ है. जबकि निफ्टी 154 अंक बढ़कर 17731 के लेवल पर बंद हुआ है. हैवीवेट शेयरों में खरीदारी है. सेंसेक्स 30 के 28 शेयर हरे निशान में बंद हुए हैं. आज के टॉप गेनर्स में ICICIBANK, SBI, LT, HDFC, HDFCBANK, DRREDDY, INFY, NTPC, M&M शामिल हैं.
पिछले साल मुहूर्त ट्रेडिंग पर कैसा था बाजार
पिछले साल दिवाली पर मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान शेयर बाजार में मजबूती देखने को मिली थी. सेंसेक्स में 300 अंकों से ज्यादा तेजी रही तो निफ्टी भी 17900 के पार निकलकर बंद हुआ था. सेंसेक्स में 307 अंकों की तेजी रही और यह 60079 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी भी 88 अंकों की तेजी के साथ 17917 के स्तर पर बंद हुआ. बैंक, आटो , फाइनेंशियल, एफएमसीजी, आईटी और रियल्टी शेयरों में अच्छी खरीदारी रही थी. मुहूर्त ट्रेडिंग पर M&M, ITC, BAJAJ-AUTO, LT, KOTAKBANK में सबसे ज्यादा तेजी रही.
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Diwali Muhurat Trading Live: मुहूर्त ट्रेडिंग में हर खबर का अपडेट
जब भालू से हुआ मजूदर का आमना सामना तो डटकर लडा युद्ध, अधिक यह भालू बाजार कब समाप्त होगा खून बहने पर तोड़ गया दम
अनूपपुर। वनपरिक्षेत्र जैतहरी अंतर्गत वन कक्ष क्रमांक आरएफ ३२६ बीट गरियाटोला प्लांटेशन के पास बीड़ गांव के राजस्व भूमि में १६ मार्च की दोपहर भालू के हमले में ३५ वर्षीय ईंट पाथने वाले मजदूर कोमल सिंह पिता रामचरण सिंह गोंड निवासी आमाडांड की दर्दनाक मौत हो गई। घटना दोपहर १२ बजे के आसपास के बताई जा रही है। घटना की सूचना पर वनपरिक्षेत्र सहायक वेंकटनगर ने वनमंडलाधिकारी सहित पुलिस को सूचना दी, जहां मौके पर पहुंची पुलिस और वन अधिकारियों ने शव को एम्बुलेंस से स्वास्थ्य केन्द्र भेजने की व्यवस्था बनाते हुए मामले की जांच पड़ताल आरंभ की है। वन उपमंडलाधिकारी केबी सिंह ने बताया कि दोपहर गांव बीड में ईंट पाथने की मजदूरी कर रहा कोमल सिंह को यह भालू बाजार कब समाप्त होगा दोपहर शौच महसूस हुआा, वह पास के ही जंगल से सटे तालाब की ओर शौच के लिए गया हुआ था, जहां वापसी के दौरान उमर पेड़ के नीचे बैठा भालू की नजर कोमल सिंह पर पड़ी, जिसके बाद वह कोमल सिंह की ओर दौड़ लगाते हुए चला गया। यहां कोमल ने भी सामने खड़े भालू को देखकर हिम्मत नहीं हारी और भालू से भिड़ गया। वन उपमंडलाधिकारी ने बताया कि घटना स्थल को देखने से ऐसा लगा कि यहां अधिक परिधि में दोनों के बीच जमकर युद्ध हुई हो । घटना स्थल के खेत में दोनों के बाल, खून मिले । इसमें भालू का भी अधिक मात्रा में बाल बिखरा पड़ा था, जैसे कोमल ने उसके बाल को पकडक़र खुद को बचाने में नोंच डाले थे । संभावना है कि भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल कोमल थकने और अधिक खून बहने के बाद जमीन पर गिर पड़ा होगा और समय पर कोई मदद या उपचार नहीं मिल पाने के कारण उसकी मौत हो गई होगी। बताया जाता है कि जमीन पर गिरे कोमल के बेहोशी की हालत के बाद भी भालू कोमल के पास ही बैठा रहा, जहां उसकी मौत के उपरांत जंगल की ओर भाग गया । शव की शिनाख्ती में सिर, जांघ, पैर, सहित अन्य हिस्से भालू के पैनी दांतो से बने गहरे जख्म दिख रहे थे। वहीं कोमल का पूरा शरीर भी खून से लहुलुहान हो रखा था। ग्रामीणों की पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि कोमल पर हमला करने से पूर्व भालू ने बीड गांव के किसी किसान की गाय जो खेत में चरने गई थी पर भी हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था । इसके बाद वह धूप होने के कारण उमर के पेड़ के पास आकर बैठ गया था । लेकिन इसी दौरान सामने से कोमल सिंह आ गया। वनविभाग कर्मियों के अनुसार घटना स्थल से ३०० मीटर की दूरी पर ही जंगल है।
बॉक्स: चेहरे सहित जांघ और पैर के मांस नोंच लिए थे भालू ने
वन अधिकारियों ने बताया कि भालू ने हमले के दौरान कोमल के चेहरे पर अधिक वार किया था, जिसमें उसके चेहरे के मांस सहित सिर पर बालों के साथ मांस भी उधड़ आई थी। यहीं नहीं सिर में दांत के अनेक स्थानों पर निशान भी पाए गए। वहीं पैर और जांघ के हिस्से में गहरा घाव बन गया था, वहां के मांस नोंचें हुए थे। जिसमें अधिक खून के बहाव होने के कारण कोमल सिंह की मौके पर मौत हो गई। शव का पंचनामा तैयार कर पीएम उपरांत परिजनों को सौंपा जाएगा। साथ ही वनविभाग की ओर से तत्काल सहायता राशि के साथ आगे की भी कार्रवाई की जाएगी।
वर्सन:
परिजनों को अंत्येष्टि सहायता राशि के साथ प्रावधानों के अनुसार ४ लाख की राशि दिलाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। परिवारो को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही ग्रामीणों से अपील की गई है अभी महुआ का सीजन है, जिसमें भालू महुआ के पेड़ या लाहन भंडारण स्थल की ओर रूख करते हैं। सावधानी बरते।
डॉ. अब्दुल अलीम अंसारी, वनमंडलाधिकारी अनूपपुर।
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जब भालू से हुआ मजूदर का आमना सामना तो डटकर लडा युद्ध, अधिक खून बहने पर तोड़ गया दम
अनूपपुर। वनपरिक्षेत्र जैतहरी अंतर्गत वन कक्ष क्रमांक आरएफ ३२६ बीट गरियाटोला प्लांटेशन के पास बीड़ गांव के राजस्व भूमि में १६ मार्च की दोपहर भालू के हमले में ३५ वर्षीय ईंट पाथने वाले मजदूर कोमल सिंह पिता रामचरण सिंह गोंड निवासी आमाडांड की दर्दनाक मौत हो गई। घटना दोपहर १२ बजे के आसपास के बताई जा रही है। घटना की सूचना पर वनपरिक्षेत्र सहायक वेंकटनगर ने वनमंडलाधिकारी सहित पुलिस को सूचना दी, जहां मौके पर पहुंची पुलिस और वन अधिकारियों ने शव को एम्बुलेंस से स्वास्थ्य केन्द्र भेजने की व्यवस्था बनाते हुए मामले की जांच पड़ताल आरंभ की है। वन उपमंडलाधिकारी केबी सिंह ने बताया कि दोपहर गांव बीड में ईंट पाथने की मजदूरी कर रहा कोमल सिंह को दोपहर शौच महसूस हुआा, वह पास के ही जंगल से सटे तालाब की ओर शौच के लिए गया हुआ था, जहां वापसी के दौरान उमर पेड़ के नीचे बैठा भालू की नजर कोमल सिंह पर पड़ी, जिसके बाद वह कोमल सिंह की ओर दौड़ लगाते हुए चला गया। यहां कोमल ने भी सामने खड़े भालू को देखकर हिम्मत नहीं हारी और भालू से भिड़ गया। वन उपमंडलाधिकारी ने बताया कि घटना स्थल को देखने से ऐसा लगा कि यहां अधिक परिधि में दोनों के बीच जमकर युद्ध हुई हो । घटना स्थल के खेत में दोनों के बाल, खून मिले । इसमें भालू का भी अधिक मात्रा में बाल बिखरा पड़ा था, जैसे कोमल ने उसके बाल को पकडक़र खुद को बचाने में नोंच डाले थे । संभावना है कि भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल कोमल थकने और अधिक खून बहने के बाद जमीन पर गिर पड़ा होगा और समय पर कोई मदद या उपचार नहीं मिल पाने के कारण उसकी मौत हो गई होगी। बताया जाता है कि जमीन पर गिरे कोमल के बेहोशी की हालत के बाद भी भालू कोमल के पास ही बैठा रहा, जहां उसकी मौत के उपरांत जंगल की ओर भाग गया । शव की शिनाख्ती में सिर, जांघ, पैर, सहित अन्य हिस्से भालू के पैनी दांतो से बने गहरे जख्म दिख रहे थे। वहीं कोमल का पूरा शरीर भी खून से लहुलुहान हो रखा था। ग्रामीणों की पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि कोमल पर हमला करने से पूर्व भालू ने बीड गांव के किसी किसान की गाय जो खेत में चरने गई थी पर भी हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था । इसके बाद वह धूप होने के कारण उमर के पेड़ के पास आकर बैठ गया था । लेकिन इसी दौरान सामने से कोमल सिंह आ गया। वनविभाग कर्मियों के अनुसार घटना स्थल से ३०० मीटर की दूरी पर ही जंगल है।
बॉक्स: चेहरे सहित जांघ और पैर के मांस नोंच लिए थे भालू ने
वन अधिकारियों ने बताया कि भालू ने हमले के दौरान कोमल के चेहरे पर अधिक वार किया था, जिसमें उसके चेहरे के मांस सहित सिर पर बालों के साथ मांस भी उधड़ आई थी। यहीं नहीं सिर में दांत के अनेक स्थानों पर निशान भी पाए गए। वहीं पैर और जांघ के हिस्से में गहरा घाव बन गया था, वहां के मांस नोंचें हुए थे। जिसमें अधिक खून के बहाव होने के कारण कोमल सिंह की मौके पर मौत हो गई। शव का पंचनामा तैयार कर पीएम उपरांत परिजनों को सौंपा जाएगा। साथ ही वनविभाग की यह भालू बाजार कब समाप्त होगा ओर से तत्काल सहायता राशि के साथ आगे की भी कार्रवाई की जाएगी।
वर्सन:
परिजनों को अंत्येष्टि सहायता राशि के साथ प्रावधानों के अनुसार ४ लाख की राशि दिलाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। परिवारो को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही ग्रामीणों से अपील की गई है अभी महुआ का सीजन है, जिसमें भालू महुआ के पेड़ या लाहन भंडारण स्थल की ओर रूख करते हैं। सावधानी बरते।
डॉ. अब्दुल अलीम यह भालू बाजार कब समाप्त होगा यह भालू बाजार कब समाप्त होगा अंसारी, वनमंडलाधिकारी अनूपपुर।
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अब बस. नहीं तो खत्म हो जाएंगे भालू
शिकार, इंसान की जवाबी कार्रवाई और आवासीय ह्रास के चलते भारत में भालुओं के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे.
शिकार, इंसान की जवाबी कार्रवाई और आवासीय ह्रास के चलते भारत में भालुओं के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भालुओं की आठ प्रजातियों में चार प्रजातियों के भालू भारत में पाए जाते हैं जिनमें हिमालयन ब्राउन बीयर, एशियाटिक ब्लैक बीयर, स्लोथ बीयर और सन बीयर शामिल हैं।
भारतीय वन्यजीव संस्थान का कहना है कि भारत में शिकार, इंसान की जवाबी कार्रवाई और आवासीय ह्रास के चलते भालुओं को संकट का सामना करना पड़ रहा है। भालू के अंगों के व्यापार के लिए इस वन्यजीव का शिकार किया जाता है।
संस्थान का कहना है कि इन चिंताओं के अतिरिक्त भालू पालकर जीवन निर्वाह करने वाले समुदायों के पुनर्वास ने भी इस जानवर के संरक्षण को एक चुनौती बना दिया है।
भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (डब्यूटीआई) का कहना है कि हाल में उत्तराखंड में भालू का एक पित्ताशय जब्त किया गया जिससे इस बात का पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर इस जीव को कितना बड़ा खतरा है।
यह बरामदगी डब्ल्यूटीआई और और उत्तराखंड वन विभाग के संयुक्त अभियान में गोविन्द वन्यजीव अभयारण्य के नजदीक एक गांव से हुई। नेपाल की सीमा से सटा उत्तराखंड शिकार और वन्यजीवों के खिलाफ अपराध की घटनाओं से लंबे समय से जूझता रहा है।
नेपाल की सीमा चीन में वन्यजीवों के अवैध व्यापार के लिए तस्करी का एक आम रास्ता है। देश में पाई जाने वाली प्रजातियों में से ब्लैक बीयर प्रजाति का भालू सबसे तेज और चतुर माना जाता है। इस प्रजाति के भालू उत्तर भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, वियतनाम और उत्तर पूर्वी चीन में पाए जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने इस प्रजाति के भालुओं को अपनी रेड लिस्ट में शुमार किया है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 203