इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना
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रूस-चीन इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना सोचते रह गए लेकिन भारत ने कर दिखाया, अमेरिका डॉलर को पछाड़कर भारतीय रुपया बनने जा रहा इंटरनेशल करेंसी; जानें कैसे
बिज़नेस न्यूज़ डेस्क - जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकट में है, तब भारत इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना ने एक ऐसा बड़ा काम शुरू किया है, जो आगे चलकर सही मायने में दुनिया की दूसरी महाशक्ति के रूप में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना होगा। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की पहल शुरू की है, जिसे अच्छा रिस्पॉन्स इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना भी मिलना शुरू हो गया है। अगर यह पहल सफल होती है तो अमेरिकी डॉलर के अलावा रुपया दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना जाएगा। जिसके बाद आप भारतीय रुपये से दुनिया में कहीं भी खरीदारी कर सकेंगे। इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना सहयोगी वेबसाइट WION के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर की किल्लत से जूझ रहे श्रीलंका ने यहां स्पेशल रुपी ट्रेडिंग अकाउंट शुरू किया है ऐसे खातों को वोस्त्रो खाते भी कहा जाता है। इस खाते को खोलने के बाद श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से श्रीलंका में भारतीय रुपये को विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया है। श्रीलंका ने आरबीआई से श्रीलंका सहित सार्क देशों में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया है।
श्रीलंका की इस गुजारिश को आप इस तरह समझ सकते हैं इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना कि कोई भी श्रीलंकाई नागरिक आरबीआई की अनुमति के बाद अपने पास 8 लाख 26 हजार 823 रुपये यानी 10 हजार अमेरिकी डॉलर नकद रख सकता है. इसका दूसरा अर्थ यह है कि भारत और श्रीलंका के व्यापारी और आम नागरिक अमेरिकी डॉलर के बजाय भारतीय रुपये में आसानी से व्यापार और खरीदारी कर सकेंगे। भारत सरकार ने अमेरिकी डॉलर की कमी का सामना कर रहे इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना देशों को एक वैकल्पिक लेनदेन प्रणाली प्रदान करने के इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना उद्देश्य से इस साल जुलाई में इस महत्वाकांक्षी पहल इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना की शुरुआत की थी। ऐसे देशों को विशेष वोस्ट्रो खाते खोलकर रुपये निपटान प्रणाली के तहत लाना होता है, जिसके बाद भारतीय रुपये में लेनदेन सीधे भारत और उन देशों के बीच शुरू किया जा सकता है। अब समझते हैं कि श्रीलंका ने भारत की यह पहल फौरन क्यों की है। दरअसल, पिछले 2 साल से आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को अमेरिकी डॉलर की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वह दुनिया के दूसरे देशों से अपनी जरूरत की अन्य चीजें नहीं खरीद पा रहा है। इसकी अपनी मुद्रा श्रीलंकाई रुपये की अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा कीमत नहीं है। इसलिए उसे ऐसी करेंसी की जरूरत है, जिसकी विश्व में विश्वसनीयता हो और जो उसे आसानी से उपलब्ध भी हो।
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