बिटकॉइन के द्वारा प्रत्येक ट्रांजैक्शन डायरेक्टली यूजर्स के बीच में होता है इसे पियर टू पियर नेटवर्क कहते हैं| इससे अपना पहचान बताएं बिना पेमेंट कर सकते हैं|
Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है?
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क्रिप्टोकरेंसी क्या है – What is a cryptocurrency?
क्रिप्टो करेंसी दो शब्दों से मिलकर बना है जो की Crypto + Currency है। क्रिप्टो लेटिन भाषा का एक शब्द है जो Cryptography से लिया गया है जिसका मतलब होता है गायब या फिर छुपा हुआ होना। Currency भी लैटिन भाषा के Currentia से लिया गया है जो कि हर देश का अपना अलग अलग करेंसी होता है।
जैसे भारत में करेंसी को रुपए पैसे में इस्तेमाल किया जाता है यानी एक ऐसी मुद्दा प्रणाली जो किसी देश के द्वारा मान्यता प्राप्त हो और उस मुद्रा से आप कोई भी वस्तु विशेष का लेन देन कर सकते हैं। तो हम यह कह सकते हैं करेंसी वह है जिसकी कोई वैल्यू है और उसे सरकार चलाती हो।
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूपांतरण है जिसे हम सिक्के और नोट की तरह अपनी जेब में नहीं रख सकते अर्थात यह छुपा हुआ पैसा या गुप्त पैसा है। जो पूरी तरह से ऑनलाइन होता है और व्यापार में इससे लेनदेन किया जाता है जिसके लेनदेन पर कोई नियम लागू नहीं होता। अर्थात Cryptocurrency पर किसी सरकार या किसी एक व्यक्ति का नियंत्रण नहीं होता है।
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास – Cryptocurrency History
दोस्तों क्रिप्टो करेंसी को क्यों बनाया गया और किसने बनाया क्रिप्टो करेंसी हिस्ट्री क्या है? इस बात का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि लोग मानते हैं कि Cryptocurrency को वर्ष 2009 में सतोशी नाकामोतो ने बनाया था परंतु ऐसा नहीं है उससे पहले भी कई देश के लोगों ने digital मुद्रा पर काम किया था परंतु ऐसे मुद्राएं कामयाब नहीं हुई।
वर्ष 1996 में अमेरिका ने एक electronic gold बनाया था जिसे हम अपने पास Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है? रख नहीं सकते परंतु इससे किसी दूसरी वस्तु को खरीदे या बेंच सकते थे। पर इसे वर्ष 2008 में पूरी तरह से बैन कर दिया गया। इसी तर्ज पर आधारित वर्ष 2000 में नीदरलैंड ने पेट्रोल भरने के लिए कैश की जगह स्मार्ट कार्ड जोड़ दिया था।
Cryptocurrency कैसे काम करती है?
बीते कुछ सालों से क्रिप्टो करेंसी मुद्राओं की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ रही है खासकर जितनी भी युवा वर्ग हैं उनमें क्रिप्टो करेंसी को लेकर काफी एक्साइटमेंट रहता है और इसमें काफी इन्वेस्टमेंट करते हैं क्रिप्टो करेंसी ब्लॉकचेन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पर काम करता है जोकि इंक्रिप्टेड यानी कोडेड होता है इसे डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम के माध्यम से मैनेज किया जाता है।
जब भी हम क्रिप्टो करेंसी का लेनदेन करते हैं तो उसका एक डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है। जिसका रिकॉर्ड क्रिप्टोग्राफी की मदद से रखा जाता है। इस डिजिटल signature को कॉपी करना असंभव है। यू कहे तो सभी काम पावरफुल कंप्यूटर के माध्यम से ही होता है।
इसी पावरफुल कंप्यूटर से क्रिप्टो करेंसी की खरीदी की जाती है जिसे हम माइनिंग (cryptocurrency mining) कहते हैं। जिनके द्वारा क्रिप्टो की माइनिंग की जाती है उन्हें माइनस कहते हैं।
CryptoCurrency कैसे काम करती है Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है?
यह एक blockchain के माध्यम से काम करती है| इसमें जो भी लेनदेन होता है| उसका रिकॉर्ड रखा जाता है| यहां हाइटेक कंप्यूटर द्वारा इसकी देखरेख की जाती है|
जिसे cryptocurrency mining कहते है जो mining करते हैं उनको miners कहा जाता है | जो इसकी सिक्योरिटी करते हैं उनको फीस के तौर पर कुछ coin दिए जाते हैं|
Cryptocurrency के फायदे और नुकसान
किसी भी चीज के लोगों के लिए फायदे हैं तो नुकसान भी होते हैं।
✅ आपको पता है यह डिजिटल करंसी है और इसमें कोई भी खतरा या फ्रॉड नहीं है।
✅ इसका सबसे बड़ा फायदा है कि आप इससे किसी भी देश विदेश में लेनदेन कर सकते हैं।
✅ आप अपने देश की करेंसी से किसी भी देश में लेनदेन करते हैं तो आपको कुछ चार्ज देना पड़ता है। लेकिन CryptoCurrency में आपको कुछ नहीं देना पढ़ता।
✅ अगर आपके पास एक्स्ट्रा पैसे हैं तो आप इसमें इन्वेस्ट भी कर सकते हैं। Price बढ़ने पर एक अच्छा फायदा ले सकते Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है? हैं
✅ आप इससे किसी भी सामान की shopping कर सकते हैं।
Cryptocurrency के नुकसान क्या है।
❌ क्रिप्टो करेंसी पर किसी भी देश का नियंत्रण नहीं है। तो इसकी कीमत बढ़ती घटती रहती है।
❌ इसमें एक नुकसान यह भी है अगर आप किसी को गलत transaction कर देते हैं।तो अप इसको वापिस नहीं ले सकते।
❌ इसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए भी हो सकता है क्योंकि इसका इस्तेमाल दो लोगों के बीच ही होता है।
Bitcoin कैसे काम करता है?
जब कोई बिटकॉइन भेजता है तो उसके ट्रांजैक्शन को वेरीफाई किया जाता है और ब्लॉकचेन में स्टोर कर लिया जाता है। ब्लॉकचेन में जो सूचनाएं होती हैं इंक्रिप्टेड होती हैं जिसे सब देख सकते हैं लेकिन उसे डिक्रिप्ट केवल उसका मालिक कर सकता है| सभी कार्नर के पास अपना एक प्राइवेट की होता है जिससे वे बिटकॉइन को डिक्रिप्ट कर सकते हैं।
बिटकॉइन ब्लॉकचेन अलग-अलग लोग और कंपनियां अपने कंप्यूटर पर चलाती हैं। वह लोग अपने कंप्यूटर में एक विशेष सॉफ्टवेयर चलाते हैं जो प्रत्येक ट्रांजैक्शन को वेरीफाई करता है | इसे नोड Node /Miner कहा जाता है |
Nodes /Miners को ट्रांजैक्शन वेरीफाई करने के लिए नया बिटकॉइन मिलता है|
जब एक नया ट्रांजैक्शन ब्लॉक, ब्लॉक चेन में भेजा जाता है तो Node /Miners एक स्पेशल एल्गोरिदम जिसे प्रूफ ऑफ वर्क(Proof of Work) कहते हैं के द्वारा वेरीफाई करते हैं| जो पहला माइनर उसे वेरीफाई करता है उसे नया कॉइन मिलता है |
Alt Coins | अल्ट कॉइन
बिटकॉइन के बाद बहुत सारे ने ब्लॉक चेंज बनाए गए जिन्हें अल्टकोइंस कहा जाता है| जैसे -NEO, Litecoin, Cardano…… आज के समय में 1000 से भी ज्यादा अल्टकोइंस है इसमें अधिकतर कॉइन बिटकॉइन में मामूली बदलाव करके बनाए गए हैं। जबकि
कुछ Alt Coins बिटकॉइन से बिल्कुल अलग है और उनका लक्ष्य और उपयोग भी अलग है| जैसे Factom Coin प्रूफ-ऑफ़-स्टेक (PoS -Proof of Stake) का उपयोग करता है | PoS में Miners नहो होते है | इसमें Stakers होते है |
Ethereum और NEO बिटकॉइन से बिलकुल अलग है | बिटकॉइन डिजिटल करेन्सी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जबकि Ethereum और NEO को डिजिटल करेंसी के तौर पर नहीं बनाया गया है | ये block chain apps के लिए Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है? एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है | Ethereum और NEO पर आप अपना एप्लीकेशन बना सकते है | इसी से कई नए क्रिप्टो कर्रेंसी बने है |
Tokens/dApps | टोकंस
तीसरी प्रकार की क्रिप्टो करेंसी टोकन है। पहली दोनों क्रिप्टो करेंसी से यह बिल्कुल अलग है इसका अपना कोई ब्लॉकचेन नहीं होता है| यह एथेरियम और नियों (Ethereum और NEO) ब्लॉकचेन को यूज करके बनाए जाते हैं| इनको dApps (Decentralised Application) के द्वारा यूज किया जाता है| dApps स्मार्ट कांट्रैक्ट को यूज करके बनाए जाते हैं|
dApps किसी और का ब्लॉक चेंज जैसे कि Ethereum और NEO का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं इसलिए किसी भी प्रकार का टोकन ट्रांजैक्शन Ethereum और NEO ब्लॉकचेन नोड द्वारा ही वेरीफाई किया जाता है। इसका मतलब Ethereum और NEO ट्रांजैक्शन चार्ज देना होता है। इसलिए dApps ट्रांजैक्शन के लिए आपके पास आपका Ether या NEO होना चाहिए|
अब ये प्रूफ-ऑफ-वर्क क्या है?
प्रूफ-ऑफ-वर्क एक ब्लॉकचेन सर्वसम्मति प्रोटोकॉल है, जिसके लिए एक गणितीय पहेली को हल करने के लिए एक माइनर की जरुरत होती है. बिटकॉइन और एथेरियम (वर्ज़न 2 से पहले) प्रूफ-ऑफ-वर्क मैथड का उपयोग करते हैं.
क्रिप्टो के अलावा, स्पैमर्स को रोकने के लिए, ईमेल के लिए PoW मैथड का एक बदलाव प्रस्तावित किया गया है. उदाहरण के लिए, यदि हर एक मैसेज को भेजे जाने से पहले केवल 15 सेकंड इंतजार करना पड़ता है, तो कंप्यूटर का उपयोग कभी भी हजारों मैसेज भेजने के लिए नहीं किया जा सकता है.
हालांकि, क्रिप्टो की दुनिया में प्रूफ-ऑफ-वर्क एक बहुत ही विवादास्पद विषय है. क्योंकि यह भारी मात्रा में बिजली का उपयोग करता है.
क्यों करनी पड़ती है क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग?
जैसा कि अब आप जान ही गए होंगे कि क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग का उपयोग नए कॉइन बनाने के साथ-साथ मौजूदा ट्रांजेक्शन को वैलिडेट करने के लिए किया जाता है. ब्लॉकचेन की डिसेंट्रलाइज्ड प्रकृति धोखेबाजों को एक ही समय Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है? में एक से अधिक बार क्रिप्टोकरेंसी खर्च करने की अनुमति दे सकती है, यदि कोई भी प्रमाणित ट्रांजेक्शन नहीं करता है. माइनिंग इस तरह की धोखाधड़ी को कम करती है और कॉइन में यूजर का विश्वास बढ़ाती है.
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के दो उद्देश्य हैं. यह नई क्रिप्टोकरेंसी तैयार करता है और यह ब्लॉकचेन Cryptocurrency क्या है और यह कैसे काम करती है? पर मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन की प्रामाणिकता की पुष्टि करता है.
ट्रांजेक्शन के एक ब्लॉक की पुष्टि करने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक माइनर की प्रतिपूर्ति (reimburse) की जाती है. और बदले में उन्हें नई तैयार की गई क्रिप्टोकरेंसी मिलती है.
कैसे होती है क्रिप्टो माइनिंग?
क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए विशेष सॉफ्टवेयर वाले कंप्यूटरों की जरुरत होती है जो विशेष रूप से जटिल, क्रिप्टोग्राफिक गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. टेक्नोलॉजी के शुरुआती दिनों में, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को घरेलू कंप्यूटर पर एक साधारण सीपीयू चिप के साथ माइन किया जा सकता था. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, सीपीयू चिप्स बढ़ती कठिनाई के स्तर के कारण अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में फैल होते नज़र आए.
आज के इस दौर में, क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिए एक विशेष GPU या एक Application-Specific Integrated Circuit (ASIC) माइनर की आवश्यकता होती है. इसके अलावा, माइनिंग रिग में GPU को हर समय एक विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ा जाना चाहिए. प्रत्येक क्रिप्टो माइनर को एक ऑनलाइन क्रिप्टो माइनिंग पूल का भी सदस्य होना आवश्यक है.
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