मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईपी देहरादून देश का एक मात्र बायोजेट ईंधन निर्माता है। वर्ष 2018 में देहरादून से दिल्ली तक की भारत की पहली बायोजेट ईंधन प्रचालित उड़ान में इसी बायोजेट ईंधन का प्रयोग किया गया था। 5 केन्दीय मंत्रियों द्वारा इस बायोजेट ईंधन उड़ान के दिल्ली आगमन पर स्वागत किया गया । उत्तराखंड के युवाओं की कौशल वृद्धि एवं आजीविका के बेहतर अवसर हेतु संस्थान द्वारा अनेक कार्य किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि आईआईपी के वैज्ञानिक वानाग्नि, फलों-सब्जियों के भंडारण एवं परिवहन तथा वाहनों एवं डीजल जेनसेट से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम एवं प्रबंधन क्षेत्रों में भी तेजी से कार्य करेंगे।
इस अवसर पर निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी डॉ अंजन रे, निदेशक आरएंडडी आईओसीएल डॉ एसएसवी रामकुमार, पूर्णिमा अरोड़ा, दुर्गेश पंत, सोमेश्वर पांडेय एवं संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

आईआईपी ने मनाया 63वां स्थापना दिवस, धामी ने गिनाईं उपलब्धियां

देहरादून। आज गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईआईपी मोहकमपुर में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के 63वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज बैसाखी, भगवान महावीर जयंती, डा. भीमराव अंबेडकर जयंती तथा सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) स्थापना दिवस है। इस अवसर पर उन्होंने सर्वप्रथम डॉ. भीमराव अबेंडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने आईआईपी द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
इस मौके पर धामी ने कहा कि देश में जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ईंधन की ओर बढ़ने की यात्रा में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान का अहम योगदान सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां रहा है। आईआईपी के वैज्ञानिकों ने शोध के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। जिसमें प्लास्टिक से डीजल बनाने व जहाजों के लिए बायोफ्यूल बनाने जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां शामिल हैं। आईआईपी ने ऊर्जा और ईंधन के क्षेत्र में ही नहीं अपितु वैश्विक महामारी के दौरान भगीरथ प्रयास और सेवा से जन-जन के लिए उपयोगी कार्यों सहित अभिनव अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के लाभ का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। संस्थान ने पूरे देश में 108 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए हैं। जिसमें से उत्तराखंडवासियों की सेवा में अल्मोड़ा, चमोली, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, रूद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल तथा ऊधमसिंह नगर सहित 08 संयंत्र स्थापित किए गए हैं। जिससे इन जनपदों के 100 से अधिक चिकित्सालय लाभान्वित हुए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के तीव्र विकास के लिए संस्थानों एवं विभागों की सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां भूमिका भी अहम हो जाती है। उन्होंने कहा कि आईआईपी राज्य के 10 सीमान्त विकासखंड को एडोप्ट कर उनके विकास में योगदान के बारे में सोचे। 2025 तक उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। हम आत्मनिर्भर उत्तराखंड की ओर आगे बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए सभी को आगे आना होगा। जन सहभागिता एवं जन सहयोग से उत्तराखंड का समग्र विकास किया जायेगा। उत्तराखंड देवभूमि, वीरभूमि के साथ ही संस्कृति एवं अध्यात्म का केंद्र भी सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां है।
धामी ने कहा कि आईआईपी देहरादून देश का एक मात्र बायोजेट ईंधन निर्माता है। वर्ष 2018 में देहरादून से दिल्ली तक की भारत की पहली बायोजेट ईंधन प्रचालित उड़ान में इसी बायोजेट ईंधन का प्रयोग किया गया था। उत्तराखंड के युवाओं की कौशल वृद्धि एवं आजीविका के बेहतर अवसर हेतु संस्थान द्वारा अनेक कार्य किये जा रहे हैं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि आईआईपी के वैज्ञानिक वनाग्नि, फलों-सब्जियों के भंडारण एवं परिवहन तथा वाहनों एवं डीजल जेनसेट से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम एवं प्रबंधन क्षेत्रों में भी तेजी से कार्य करेंगे। इस अवसर पर निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी डॉ. अंजन रे, निदेशक आरएंडडी आईओसीएल डॉ. एसएसवी रामकुमार, पूर्णिमा अरोड़ा, दुर्गेश पंत, सोमेश्वर पांडेय एवं संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

किसानों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करें: नायडू ने सीएसआईआर से कहा

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से कहा कि वह खुद को नये अंदाज में पेश कर भविष्य की ओर बढ़े तथा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए नये नवाचार, तकनीक और समाधान पेश करे।नायडू ने यहां सीएसआईआर के 80वें स्थापना दिवस समारोह में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं और संस्थानों से उन चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया जिनके लिए दीर्घकालिक वैज्ञानिक और तकनीकी समाधान की आवश्यकता होती है।नायडू ने सीएसआईआर से कृषि अनुसंधान पर अधिक ध्यान देने और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए नये नवाचार,

नायडू ने यहां सीएसआईआर के 80वें स्थापना दिवस समारोह में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं और संस्थानों से उन चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया जिनके लिए दीर्घकालिक वैज्ञानिक और तकनीकी समाधान की आवश्यकता होती है।

नायडू ने सीएसआईआर से कृषि अनुसंधान पर अधिक ध्यान देने और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए नये नवाचार, तकनीक और समाधान पेश करने के लिए कहा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, दवा प्रतिरोध, प्रदूषण, महामारी और महामारी के प्रकोप जैसी चुनौतियों का जिक्र किया जिन पर वैज्ञानिक समुदाय को ध्यान देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी एक आकस्मिक संकट है, इसके अलावा कई अन्य चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर जैसे संस्थानों को किसी भी अचानक और अप्रत्याशित समस्या को दूर करने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।

नायडू ने कहा, ‘‘सीएसआईआर की प्रत्येक प्रयोगशाला को नयी अनुसंधान परियोजनाओं पर एक स्पष्ट रूपरेखा के साथ आना चाहिए जो विभिन्न चुनौतियों का समाधान करे और मानवता के बड़े हित में योगदान करने की कोशिश करता है।"

उन्होंने कहा कि भारत ने विज्ञान की दुनिया में अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, महासागर विज्ञान और रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उन्होंने उल्लेख किया कि भारत में अनुसंधान और विकास में उद्योगों द्वारा निवेश नगण्य है, नायडू ने कॉरपोरेट और उद्योगों से प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने, महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की पहचान करने और उनमें निवेश करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे न केवल वित्तपोषण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि गुणवत्ता और नवाचार दोनों में सुधार होगा।’’

महामारी के खिलाफ लड़ाई में धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ देश की लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए वैज्ञानिक सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां और चिकित्सा बिरादरी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने समाधान विकसित करने के लिए अथक प्रयास किया - चाहे वह निदान हो, टीके हों, दवाएं, अस्थायी अस्पताल और चिकित्सा सहायक उपकरण हों।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान लागू कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीके की 85 करोड़ खुराक देना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

उन्होंने कहा कि यह काफी हद तक भारत के स्वदेशी टीके, कोवैक्सीन और भारत में निर्मित कोविशील्ड जैसे अन्य टीकों से सुगम हुआ। युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान करने वाले उपराष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों के लिए सीएसआईआर इनोवेशन अवार्ड सहित विभिन्न पुरस्कारों के विजेताओं की सराहना की।

इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि सीएसआईआर और सभी विज्ञान विभाग विचार-मंथन करें और अगले दस वर्षों में आवश्यक विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचारों का एक खाका तैयार करें, यदि भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी रहना है तो।

आईआईपी के वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक से डीजल व बायोफ्यूल बनाने जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं

देहरादन, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को आईआईपी मोहकमपुर में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के 63वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज बैसाखी, भगवान महावीर जयंती, डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती तथा सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) स्थापना दिवस है। इस अवसर पर उन्होंन सर्वप्रथम भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अबेंडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने आईआईपी द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश में जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ईंधन की ओर बढ़ने की यात्रा में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान का अहम योगदान रहा है। आईआईपी के वैज्ञानिकों ने शोध के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। जिसमें प्लास्टिक से डीजल बनाने व जहाजों के लिए बायोफ्यूल बनाने जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां शामिल हैं। आईआईपी ने ऊर्जा और ईंधन के क्षेत्र में ही नहीं अपितु वैश्विक महामारी के दौरान भगीरथ प्रयास और सेवा से जन-जन के लिए उपयोगी कार्यों सहित अभिनव अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के लाभ का अद्धितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। संस्थान ने पूरे भारतवर्ष में 108 ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए हैं। जिसमें से उत्तराखंडवासियों की सेवा में अल्मोड़ा, चमोली, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, रूद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल तथा ऊधमसिंह नगर सहित 8 संयंत्र स्थापित किए गए हैं। जिससे इन जनपदों के 100 से अधिक चिकित्सालय लाभान्वित हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के तीव्र विकास के लिए संस्थानों एवं विभागों की भूमिका भी अहम हो जाती है। उन्होंने कहा कि आईआईपी राज्य के 10 सीमान्त विकासखण्डों को एडोप्ट कर उनके विकास में योगदान के बारे में सोचे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 तक उत्तरखण्ड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। हम आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की ओर आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा कि यह दशक विकास की दृष्टि से उत्तराखण्ड का दशक होगा। उत्तराखण्ड के समग्र विकास के लिए सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां सभी को आगे आना होगा। जन सहभागिता एवं जन सहयोग से उत्तराखण्ड का समग्र विकास किया जायेगा। उत्तराखण्ड देवभूमि, वीरभूमि के साथ ही संस्कृति एवं आध्यात्म का केन्द्र भी है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईपी देहरादून देश का एक मात्र बायोजेट ईंधन निर्माता है। वर्ष 2018 में देहरादून से दिल्ली तक की भारत की पहली बायोजेट ईंधन प्रचालित उड़ान में इसी बायोजेट ईंधन का प्रयोग किया गया था। 5 केन्दीय मंत्रियों द्वारा इस बायोजेट ईंधन उड़ान के दिल्ली आगमन पर स्वागत किया गया । उत्तराखंड के युवाओं की कौशल वृद्धि एवं आजीविका के बेहतर अवसर हेतु संस्थान द्वारा अनेक कार्य किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि आईआईपी के वैज्ञानिक वानाग्नि, फलों-सब्जियों के भंडारण एवं परिवहन तथा वाहनों एवं डीजल जेनसेट से होने वाले प्रदूषण सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां की रोकथाम एवं प्रबंधन क्षेत्रों में भी तेजी से कार्य करेंगे।
इस अवसर पर निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी डॉ अंजन रे, निदेशक आरएंडडी आईओसीएल डॉ एसएसवी रामकुमार, पूर्णिमा अरोड़ा, दुर्गेश पंत, सोमेश्वर पांडेय एवं संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

भारत के पहले फ्लाइंग ट्रेनर ने समुद्र स्तर का परीक्षण पूरा किया

Flying

नई दिल्ली, 08 मार्च (इंडिया साइंस वायर): भारत का पहला स्वदेशी फ्लाइंग ट्रेनर, हंसा-एनजी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया- स्थित राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं (सीएसआईआर-एनएएल) ने समुद्र के स्तर को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है पुडुचेरी में परीक्षण विमान को पुडुचेरी के लिए उड़ाया गया, जिसमें डेढ़ घंटे में 140 समुद्री मील की दूरी तय की गई 19 फरवरी को 155 किमी/घंटा की परिभ्रमण गति हैंडलिंग का मूल्यांकन करने के लिए सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां परीक्षण किए गए थे गुण, चढ़ाई/क्रूज़ प्रदर्शन, बाल्ड लैंडिंग, संरचनात्मक प्रदर्शन सहित सकारात्मक & नकारात्मक जी, बिजली संयंत्र, और अन्य सिस्टम प्रदर्शन।

इसे वापस भेज दिया गया था 18 घंटे की उड़ान पूरी करने के बाद 5 मार्च को बैंगलोर। विंग. सीडीआर के वी प्रकाश और विंग। सीडीआर भारतीय वायु सेना के विमान के दिलीप रेड्डी & सिस्टम टेस्टिंग एस्टाब्लिशमेंट (एएसटीई) ने विमान का संचालन किया। विमान रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन द्वारा संचालित है जिसमें जस्ट-इन-टाइम . जैसी विशेषताएं हैं प्रीप्रेग (जिप्रेग) लाइटवेट कम्पोजिट एयरफ्रेम, ग्लास कॉकपिट, बबल कैनोपी विद ब्रॉड मनोरम दृश्य, और विद्युत संचालित फ्लैप। यह भारतीय फ्लाइंग क्लब से मिलने के लिए बनाया गया है जरूरत है, और इसके कारण वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसिंग (सीपीएल) के लिए आदर्श विमान होने की उम्मीद है कम लागत और कम ईंधन की खपत।

एनएएल को पहले ही 80 से अधिक आशय पत्र मिल चुके हैं विभिन्न फ्लाइंग क्लबों से। यह देखते हुए कि अब तक कुल 37 उड़ानें और 50 घंटे की उड़ान पूरी हो चुकी है, CSIR-NAL निदेशक जितेंद्र जे जाधव ने कहा कि उड़ान भरने से पहले कुछ और उड़ानें संचालित की जाएंगी डीजीसीए से टाइप सर्टिफिकेशन। पूरी प्रक्रिया अगले महीने तक पूरी होने की संभावना है। उसके बाद, सार्वजनिक/निजी उद्योग के साथ विनिर्माण शुरू किया जाएगा, जिसमें वृद्धि होगी आत्मानबीर भारत के तहत एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र। डॉ. शेखर सी मंडे, महानिदेशक, सीएसआईआर ने एक एकीकृत द्वारा किए गए सराहनीय प्रयासों की सराहना की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने के लिए सीएसआईआर-एनएएल, एएसटीई, डीजीसीए और एचएएल की टीम।

सीडीआरआइ की उपलब्धि : दिल का दौरा और स्ट्रोक के लिए नई और सस्ती दवा जल्द होगी बाजार में , रक्त को थक्का रोकने में मिलेगी मदद

सीडीआरआइ के निदेशक प्रो. तपस कुमार कुंडू, निदेशक (CDRI Lucknow) ने कहा सीएसआईआर-सीडीआरआइ के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि इस नई औषधीय यौगिक के संश्लेषण की प्रौद्योगिकी को मार्कलेबोरेटरीज लिमिटेड को हस्तांतरित किया गया है। इससे दवा का बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा और मरीजों का लाभ मिलेगा। प्रोफेसर कुंडू ने यह भी कहा कि यह उद्योग-अकादमिक साझेदारी (इंडस्ट्री-अकेडेमिक पार्टनर्शिप) उत्तर प्रदेश में फार्मा क्लस्टर के विकास के लिए बहुत सीएसआईआर की महत्वपूर्ण उपलब्धियां फायदेमंद होगी और देश में मेड इन इंडिया

सीडीआरआइ की उपलब्धि : दिल का दौरा और स्ट्रोक के लिए नई और सस्ती दवा जल्द होगी बाजार में , रक्त को थक्का रोकने में मिलेगी मदद

लखनऊ. दिल के मरीज अब घबराएं नहीं। दिल का दौरा और स्ट्रोक के लिए जल्द ही कारगर और सस्ती दवा बाजार में उपलब्ध होने वाली है। इस दवा को ईजाद करने वाले लखनऊ के केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीडीआरआइ) ने उत्तर प्रदेश की निजी फार्मा कंपनी को अपनी प्रौद्योगिकी हस्तांतरित कर दी है। वैसे तो दिल के मरीजों के लिए बाजार में कई दवाएं हैं। लेकिन सीडीआरआइ की यह सुरक्षित दवा दिल के मरीजों को बड़ी राहत देने वाली है।

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