ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण

हमारे बैंक ने बैंक द्वारा कारोबार करने के तरीके को डिजिटाइज़ करने के उद्देश्य से “प्रोजेक्ट वेव” शुरू किया है। डिजिटल पहल के एक हिस्से के रूप में हमारे बैंक ने “ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण” लॉन्च किया है जो मौजूदा पूर्व-चयनित ग्राहकों को डिजिटल प्रोसेसिंग के माध्यम से तत्काल एमएसएमई ऋण प्रदान करता है। विभिन्न मानदंडों जैसे आयु, क्रेडिट स्कोर और खाते विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? में लेनदेन के विवरण आदि के आधार पर ग्राहक का पूर्व-चयन किया जाता है।

ग्राहक ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं और संपूर्ण प्रसंस्करण, मूल्यांकन, दस्तावेजीकरण, मंजूरी और संवितरण डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। ग्राहक निम्नलिखित में से किसी भी चैनल के माध्यम से इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं:

  • अप्लाई लोन टैब के तहत इंटरनेट बैंकिंग
  • अप्लाई लोन टैब के तहत मोबाइल बैंकिंग
  • इंडियन बैंक वेबसाईट

ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के विशेष लाभ:

  • ग्राहक को शाखा में जाने की कोई आवश्यकता नहीं
  • भौतिक आवेदन की आवश्यकता नहीं
  • केवाईसी सत्यापन की आवश्यकता नहीं क्योंकि केवल केवाईसी अनुपालन करने वाले ग्राहकों का ही चयन किया जाता है
  • शाखा द्वारा कोई मैनुअल मूल्यांकन और मंजूरी की आवश्यकता नहीं
  • किसी मैनुअल दस्तावेजीकरण की आवश्यकता नहीं – ई-स्टैम्पिंग और ई-हस्ताक्षर के माध्यम से डिजिटल दस्तावेज़ निष्पादन
  • मैन्युअल खाता खोलने और संवितरण की आवश्यकता नहीं
  • शाखा के हस्तक्षेप के बिना तत्काल स्वीकृति और संवितरण

पूर्व-आवश्यक / दस्तावेज़ :
ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के लिए आवेदन करने से पहले आवेदक के पास निम्नलिखित विवरण होना चाहिए:

  • पैन कार्ड
  • आधार कार्ड
  • उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (लिंक किया गया मोबाइल नंबर सीबीएस और प्रमाणपत्र में एक समान होना चाहिए)
  • वैध ई-मेल आईडी
  • सक्रिय मोबाइल नंबर जो बचत खाते / चालू खाते, आधार कार्ड और उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (यूआरसी) से जुड़ा हुआ हो। ओटीपी संबंधित साइट के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा

योजना के दिशानिर्देश – ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण

  • 18 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष तक की आयु के भारत में निवास करने वाले व्यक्ति / प्रोप्राइटर।
  • स्टाफ सदस्य एवं सरकारी वेतनभोगी से इतर व्यक्ति
  • प्रोप्राइटरशिप फर्म।
  • बैंक का मौजूदा ग्राहक जिसका खाता कम से कम 12 महीने से हमारे बैंक में है।
  • बचत खाते या चालू खाते के रूप में व्यावसायिक खाता परिचालन अवस्था में हो एवं एकल आवेदक द्वारा परिचालित होन चाहिए।
  • ग्राहक का खाता पहले से सी-केवाईसी / ई-केवाईसी अनुपालित होना चाहिए।
  • खाता वर्तमान में और विगत 2 वर्षों के दौरान कभी एनपीए नहीं हुआ हो।
  • आवेदन की तिथि को आवेदक के सीआईएफ़ पर हमारे बैंक में अन्य कोई व्यावसायिक ऋण नहीं लिया गया हो।

उधारकर्ता को बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सिबिल प्रभार का भुगतान करना होगा।

रुपये का अवमूल्यन करना देशहित में नहीं : गोयल

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि लंबे समय तक घरेलू मुद्रा में कमजोरी देशहित के लिए हानिकारक है। इसके साथ ही उन्होंने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि रुपये के अवमूल्यन से देश का निर्यात बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत के लिए निर्यात बढ़ाना और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना विदेशी मुद्रा के प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण है। गोयल ने 15वें नागरिक सेवा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘एक बड़ा वर्ग है जो मानता है कि आपको अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करने की आवश्यकता है

उन्होंने कहा कि भारत के लिए निर्यात बढ़ाना और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना विदेशी मुद्रा के प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण है।

गोयल ने 15वें नागरिक सेवा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘एक बड़ा वर्ग है जो मानता है कि आपको अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करने की आवश्यकता है ताकि आप निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धी बन सकें।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने अनुभव और उद्योग के एक वर्ग के साथ अपनी चर्चाओं के माध्यम से आपको आश्वस्त करता हूं कि घरेलू मुद्रा में गिरावट और कमजोरी वास्तव में देशहित के लिए अच्छी नहीं है।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रुपये में कमजोरी आयात की लागत बढ़ाती है। इससे देश में मुद्रास्फीति भी बढ़ेगी जिससे ब्याज दर बढ़ेगी और यह घरेलू उत्पादों की प्रतिस्पर्धा को कम करेगा, क्योंकि भारत कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि स्वस्थ निर्यात, निवेश और विदेश से प्रेषण से विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में मदद मिलती विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? है, जो कि 600 अरब डॉलर से अधिक का है।

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एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?

Rupee Vs Dollar: एक डॉलर विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? की कीमत 80 रुपये पर पहुंच गई है. संसद में सवालों के जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि 2014 के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी तक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है.

Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST

Dollar Vs Rupee

Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.

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रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.

जब रुपये का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?

सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.

पहला यह कि भारतीय जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं. इसे ही करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कहा जाता है. जब किसी देश के पास यह होता है, तो इसका तात्पर्य है कि जो आ रहा है उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर निकल रही है.

2022 की शुरुआत के बाद से, जैसा कि यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है, जिसकी वजह से भारत का सीएडी तेजी से बढ़ा है. इसने रुपये में अवमूल्यन यानी डॉलर के मुकाबले मूल्य कम करने का दबाव डाला है. देश के बाहर से सामान आयात करने के लिए भारतीय ज्यादा डॉलर की मांग कर रहे हैं.

दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है. ऐतिहासिक रूप से, भारत के साथ-साथ अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में CAD की प्रवृत्ति होती है. लेकिन भारत के मामले में, यह घाटा देश में निवेश करने के लिए जल्दबाजी करने वाले विदेशी विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? निवेशकों द्वारा पूरा नहीं किया गया था; इसे कैपिटल अकाउंट सरप्लस भी कहा जाता है. इस अधिशेष ने अरबों डॉलर लाए और यह सुनिश्चित किया कि रुपये (डॉलर के सापेक्ष) की मांग मजबूत बनी विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? रहे.

लेकिन 2022 की शुरुआत के बाद से, अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. निवेश में इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग में तेजी से कमी की है.

इन दोनों प्रवृत्तियों का परिणाम यह है कि डॉलर के सापेक्ष रुपये की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.

क्या डॉलर के मुकाबले केवल रुपये में ही आई है गिरावट?

यूरो और जापानी येन समेत सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है. दरअसल, यूरो जैसी कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये में तेजी आयी है.

क्या रुपया सुरक्षित क्षेत्र में है?

रुपये की विनिमय दर विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? को “प्रबंधित” करने में आरबीआई की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है. यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है, तो इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव होता है – जब रुपया मजबूत होता है और रुपये का अवमूल्यन होता है.

लेकिन आरबीआई रुपये की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देता है. यह गिरावट को कम करने या वृद्धि को सीमित करने के लिए हस्तक्षेप करता है. यह बाजार में डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश करता है. यह एक ऐसा कदम है जो डॉलर की तुलना में रुपये की मांग के बीच के अंतर को कम करता है. जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है. जब आरबीआई रुपये को मजबूत होने से रोकना चाहता है तो वह बाजार से अतिरिक्त डॉलर निकाल लेता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होती है.

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से ज्यादा होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रुपये में और गिरावट आनी बाकी है? जानकारों का मानना है कि 80 रुपये का स्तर एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. अब इससे नीचे आने के बाद यह 82 डॉलर तक पहुंच सकता है.

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Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में लोगों को नहीं मिल रही दवाई, मदद की गुहार लगा रहे डॉक्टर

Sri Lanka में जनता सड़कों पर है और राजनेता देश के बाहर. अर्थव्यवस्था के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे देश पर चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का भारी कर्ज है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) की कमी के कारण देश ने कर्ज चुकाने में हाथ खड़े कर दिए हैं.

श्रीलंका में बीमार होना मना, पैसे देकर भी नहीं मिल रही दवा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 13 जुलाई 2022, 11:58 AM IST)
  • विदेश में रह रहे श्रीलंकाई नागरिकों से मदद की अपील
  • आर्थिक बदहाल देश में स्वास्थ्य संकट का खतरा बढ़ा

कर्ज के जाल में फंसकर इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में ईंधन और भोजन समेत रोजमर्रा के सामानों की किल्लत से देशवासियों का बुरा हाल है. अब देश में बीमार पड़ना भी भारी हो गया है. दरअसल, विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र के पास जरूरी दवाओं (Medicines) तक की किल्लत हो गई है. आर्थिक बदहाली के बीच गहराए स्वास्थ्य संकट का हाल ऐसा है कि देश के डॉक्टरों को सोशल मीडिया का रुख करना पड़ा है.

पैसे भी नहीं आ रहे काम
श्रीलंका (Sri Lanka) का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) लगभग पूरी तरह से खत्म हो चुका है और ईंधन व भोजन जैसे बुनियादी आयातों (Import) के भुगतान के लिए भी पैसा नहीं है. ऐसे में दवाओं की कमी ने एक बड़ी समस्या पैदा कर दी है और देश के सामने सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि अगर आप इस देश में बीमार पड़ जाते हैं, तो भले ही आप पैसे खर्च करने को तैयार हों, लेकिन दवाई मिलनी मुश्किल है.

मदद की गुहार लगा रहे डॉक्टर
आर्थिक और राजनीतिक बदहाली के शिकार श्रीलंका में स्वास्थ्य संकट गहराने का खतरा किस कदर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ डॉक्टरों ने दवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का रुख किया है और विदेशों में रह रहे श्रीलंकाई लोगों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. ये डॉक्टर सोशल मीडिया पर इन लोगों से दवाइयां खरीदने के लिए दान करने की अपील कर रहे हैं.

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दुर्घटना के शिकार न होने की अपील
अब तक देश में उस संकट के समाप्त होने का कोई संकेत नहीं है, जिसने देश को आर्थिक और राजनीतिक मंदी में डाल दिया है. उस पर अब स्वास्थ्य संकट भयावह होने वाला है. दवाओं के लिए फंड जुटाने की कोशिशों के बीच श्रीलंका में डॉक्टर लोगों को यही सलाह दे रहे हैं कि बीमार न पड़ें और खुद को किसी विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? भी दुर्घटना का शिकार न होने दें. क्योंकि देश के आर्थिक संकट (Economic Crisis) के कारण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण सामानों की भारी कमी है.

जरूरी दवाओं के लिए परेशान मरीज
हालातों का अंदाजा एक 15 साल की बच्ची हसीनी वासना को आसानी से लगाया जा सकता है. जिसकी किडनी 9 महीने पहले ट्रांसप्लांट की गई थी और उसे जीवनभर एक जरूरी दवा लेने की आवश्यकता है. लेकिन उसे अस्पताल से टैक्रोलिमस नामक दवा नहीं मिल पा रही है. हसीनी की बड़ी बहन इशारा थिलिनी ने बताया कि हमें अस्पताल की ओर से कहा गया है कि नहीं पता कि यह टैबलेट बच्ची को दोबारा कब मिलेगी. ऐसे ही न जाने कितने गंभीर मरीजों का देश में हाल-बेहाल है.

हालात न सुधरे तो बचेगा ये विकल्प
श्रीलंका मेडिकल एसोसिएशन ( Sri Lanka Medical Association) के अध्यक्ष धमारत्ने ने कहा कि अगर हालात में जल्द सुधार नहीं होता, तो डॉक्टरों को यह चुनने के लिए मजबूर होना होगा कि कौन से मरीज इलाज करें. इस संकट की घड़ी में प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मदद की अपील की है और अमेरिका, जापान, भारत समेत अन्य देशों ने धन और अन्य मानवीय सहायता मुहैया कराने का वादा भी किया है. इसके अलावा विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अन्य एजेंसियों ने भी मदद का भरोसा दिया है.

जानवरों से दूर रहने की सलाह
मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ सुरंथा परेरा ने बयान जारी कर लोगों से .ह अपील भी की है कि यदि आप जानवरों को संभाल रहे हैं, तो खासतौर से सावधान रहें. यदि आपको जानवरों द्वारा काट लिया जाता है और आपको सर्जरी की जरूरत होती है या रेबीज हो जाता है, तो हमारे पास पर्याप्त एंटीसीरम और रेबीज के टीके नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यह आपके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है.

नए सामाजिक अनुबंध की जरूरत

पचहत्तर साल पहले भारत को भूख और भुखमरी से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उस काल-खंड में विदेशी मुद्रा पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। हमारे सामने तब एक आजाद मुल्क बने रहने और अति-गरीबी से.

नए सामाजिक अनुबंध की जरूरत

पचहत्तर साल पहले भारत को भूख और भुखमरी से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। उस काल-खंड में विदेशी मुद्रा पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। हमारे सामने तब एक विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? आजाद मुल्क बने रहने और अति-गरीबी से मुक्ति के लिए अपने आर्थिक विकास को गति देने की भी चुनौती थी। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, घरेलू व निर्यात संबंधी प्रतिस्पद्र्धी बुनियादी ढांचे और कृषि व विनिर्माण क्षमताओं के आधुनिकीकरण को लेकर भी हम प्रयासरत थे। इसी तरह, सामंती व्यवस्था से ऊपर उठते हुए हमें एक ऐसे युग में प्रवेश करना था, जहां समानता और सामाजिक गतिशीलता को अधिक प्रोत्साहन मिले। इस लिहाज से देखें, तो इन सभी अहम कसौटियों पर हमने अच्छी-खासी तरक्की की है।
मगर क्या हमने अवसर भी गंवाए, गलतियां भी कीं? वास्तव में, हर सफलता कमियों और गंवाए गए अवसरों के साथ ही रेखांकित की जाती है। जैसे, यह समझ से परे है कि कैसे हमने अत्यधिक नियंत्रण वाले केंद्रीकृत योजनाबद्ध मॉडल को लगातार बनाए रखा। यह भी बहुत साफ नहीं कि साल 1991 के आर्थिक सुधार उस समय की मजबूरी थे या हमारी चयन संबंधी आजादी का प्रतिफल? विकल्प तभी सार्थक होते हैं, यदि चुनने के रास्ते कई हों। साल 1991 में हमारे पास चयन के विकल्प सीमित थे।

इस परिस्थिति में यदि हम यहां से अगले 25 वर्षों के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं, तो 100वें साल पर भारत के लिए हमारी खोज क्या होगी? उन लक्ष्यों की झलक स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के संबोधन में हमें मिलती है, जिनमें सामाजिक सुधार और पुनर्रचना भी शामिल हैं। उनके ‘पांच प्रण’ के हर प्रण में दूरगामी बदलाव नजर आते हैं और इनमें सबसे अहम है भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प। लिहाजा, हमें खुद से यह पूछना चाहिए कि एक विकसित देश हम कैसे बनेंगे, और इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें किस तरह के बदलावों की जरूरत है?
व्यापक अर्थों में इसका मतलब है, सामाजिक अनुबंध की पुनर्रचना। सन् 1762 में जीन-जैक्स रूसो द्वारा गढे़ गए मूल सामाजिक अनुबंध में शासन संरचना और उसके प्रति दायित्व को लेकर नागरिकों में सहमति थी। बेशक समय की कसौटी पर यह अनुबंध काफी हद तक खरा उतरा है, लेकिन अगले 25 वर्षों के बदलाव की प्रकृति और उसकी रफ्तार पुराने अनुभवों के मुकाबले अलग हो सकती है। जाहिर है, नए सामाजिक विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? अनुबंध से तात्पर्य यह है कि न केवल नागरिक अधिकारों को लेकर, बल्कि उसके कर्तव्यों को लेकर भी नए प्रावधान तय करने की जरूरत है। सवाल है कि एक उच्च आय वाले विकसित देश में हम कैसे शुमार होंगे?
एक, हमें आर्थिक विकास की उन दरों को पाना होगा, जो हमारी प्रति व्यक्ति आय को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की परिभाषा के मुताबिक तय 20 हजार डॉलर नॉमिनल जीडीपी या विश्व बैंक के मापदंड के अनुरूप 12,696 डॉलर के करीब ले आए। अभी हम एक मध्य-आय वाले देश हैं। सिंगापुर सरकार के वरिष्ठ मंत्री टी शणमुगरत्नम ने प्रथम अरुण जेटली व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों की औसत आय बढ़ाने और अधिक रोजगार पैदा करने के लिए भारत को अगले 25 वर्षों तक आठ से दस फीसदी की दर से विकास करना होगा। यह अनुमान लगाया गया है कि इसके लिए आईएमएफ स्तर के हिसाब से 9.36 प्रतिशत और विश्व बैंक के स्तर के लिहाज से 7.39 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर को हासिल करना अनिवार्य होगा।

साफ है, व्यापार विकास की मुख्य धुरी होगा। हमें एक ऐसी व्यापार नीति तंत्र की जरूरत है, जो वास्तविक विनिमय दरों से आगे जाता हो, बल्कि अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पद्र्धी बनाने के लिए व्यापार, रसद, परिवहन और नियामक ढांचे में उल्लेखनीय सुधार कर सके। आयात शुल्कों की संकीर्ण व्याख्या आत्मनिर्भर भारत के दर्शन से उलट है। जब तक प्रतिस्पद्र्धी कीमतों पर आयात उपलब्ध न होंगे, निर्यात क्षमता प्रतिस्पद्र्धी नहीं बन सकेगी। इसके अलावा, चीन के उदय सहित बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं व बदलावों को देखते हुए हमारी व्यापार रणनीति को एक अलग पटकथा की जरूरत है।
दो, मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें जीवन प्रत्याशा के साथ-साथ ग्रामीण आबादी तक बिजली की पहुंच, इंटरनेट की उपलब्धता, जीवन व संपत्ति की सुरक्षा और आय की असमानता को पाटने जैसे अहम मापदंडों पर सुधार करने की आवश्यकता है। हमें अपने एचडीआई स्कोर को 0.645 के मौजूदा मध्यम स्तर से 0.8 के करीब ले जाने की जरूरत है, ताकि हम उच्च स्तर पर पहुंच सकें। इसके लिए हमें मान्यता प्राप्त निर्यात निकायों की सिफारिशों के अलावा, शिक्षा व स्वास्थ्य देखभाल पर नए सिरे से जोर देने के लिए 2020 की नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में की गई प्रतिबद्धताओं के पालन की आवश्यकता है।

तीन, जलवायु संकट के खिलाफ लड़ाई व जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने का अर्थ है मौलिक तरीकों से जीवन का संचालन। इसका मतलब है, कृषि पद्धतियों, उर्वरकों व कीटनाशकों के इस्तेमाल और यातायात के तरीके में बडे़ पैमाने पर बदलाव। जाहिर है, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, सौर पैनल, बैटरी भंडारण और परिवहन से जुड़े नियमों-नियामकों में व्यापक परिवर्तन करना विदेशी मुद्रा के लिए आपको किन ऐप्स की आवश्यकता है? होगा। इनमें निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने से जोखिम कम होगा, बहुपक्षीय संस्थानों से संसाधन जुटाए जा सकेंगे और लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। हमें अब भी सामाजिक क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश करना होगा। मगर अनुकूलन और शमन के इस संयुक्त प्रयास के लिए तमाम हितधारकों की सहभागिता व सक्रिय योगदान की जरूरत होगी। इसमें केंद्र, राज्य सरकारों के अलावा सामाजिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
एक विकसित देश बनना हमारा नया सामाजिक अनुबंध है, ताकि गुलामी की औपनिवेशिक विरासत के संकेतकों को मिटाकर उनकी जगह हम गौरव और अपेक्षाओं से युक्त कर्तव्यबोध को स्थापित कर सकें।अल्बर्ट आइंस्टीन ने बिल्कुल दुरुस्त कहा है, ‘अतीत से सीखो, वर्तमान में जियो और भविष्य से उम्मीदें पालो।’ भविष्य के आकलन का सबसे बेहतर तरीका है इसे गढ़ना!
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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