2015 में लालू के सहयोग से वह फिर मुख्यमंत्री बने कमोडिटी विकल्प क्या हैं और विधानसभा चुनाव दोनों साथ लड़े। इस बार भाजपा गठबंधन को पराजित करने में उन्हें सफलता मिली। नीतीश सरकार में तेजस्वी यादव पहली बार उप-मुख्यमंत्री बने। यह साथ बहुत कम दिनों तक चला। 2017 में सी.बी.आई. और अन्य केंद्रीय एजैंसियों ने तेजस्वी कमोडिटी विकल्प क्या हैं यादव और लालू परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ जांच-पड़ताल तेज कर दी। कई जगहों पर छापे मारे गए।

तेजस्वी को उत्तराधिकारी क्यों बनाना चाहते हैं नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक तरह से अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी है। नीतीश ने कहा कि 2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। चर्चा यह हो रही है कि 71 वर्ष के हो चुके नीतीश क्या अब राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं या फिर कम से कम 2025 के विधानसभा चुनावों तक अपनी कुर्सी बचाने के लिए तेजस्वी का नाम आगे कर रहे हैं। हाल में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा विरोधी कई पार्टियों के नेताओं से नीतीश की दिल्ली में मुलाकात के बाद यह भी कहा जा सकता है कि नीतीश केंद्रीय राजनीति में ज्यादा कमोडिटी विकल्प क्या हैं दिलचस्पी लेने लगे हैं।

अपनी पार्टी जे.डी.यू. के विधायक दल की बैठक में उन्होंने यहां तक दावा किया कि सभी विरोधी पाॢटयां मिल कर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पराजित कर कमोडिटी विकल्प क्या हैं सकती हैं। हालांकि प्रधानमंत्री पद का दावेदार होने से इंकार करते हैं लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश की पार्टी के दूसरे नेता भी तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे? क्या इस मुद्दे पर नीतीश की पार्टी टूट जाएगी? जे.डी.कमोडिटी विकल्प क्या हैं यू. के नेता आर.जे.डी. के कमोडिटी विकल्प क्या हैं साथ रहेंगे या भाजपा के साथ जाएंगे?

चार वर्षीय डिग्री वाले उम्मीदवार सीधे Phd कर सकते हैं, मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं: UGC अध्यक्ष

नेशनल डेस्क: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कमोडिटी विकल्प क्या हैं कि चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम के पूरी तरह से लागू होने तक तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को बंद नहीं किया जाएगा। स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए नये क्रेडिट और पाठ्यक्रम ढांचे की घोषणा इस सप्ताह की शुरुआत में की गई थी और यह ऑनर्स डिग्री पाठ्यक्रमों को चार साल के कार्यक्रम के रूप में परिभाषित करता है। हालांकि, कुमार ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय तीन और चार साल के कार्यक्रमों के बीच चयन कर सकते हैं। उन्होंने बुधवार को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया गया है।''

चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी करें
उनसे पूछा गया था कि क्या विश्वविद्यालयों के लिए ऑनर्स डिग्री के चार साल के ढांचे की तरफ बढ़ना अनिवार्य है। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी कर सकते हैं और उन्हें मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी। चार साल के स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के फायदों के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘पहला फायदा यह है कि उन्हें पीएचडी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए परास्नातक डिग्री लेने की जरूरत नहीं है। किसी विषय में गहरे ज्ञान के लिए वे एक से ज्यादा विषय भी ले सकते हैं।''

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