पहला कदमः शेयर खरीद में किन बातों का रखें ख्याल
पहला कदम में आज हम जानेंगे किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते वक्त किन बातों का ख्याल रखना जरुरी है।
सीएनबीसी आवाज़ की फाइनेंशियल लिटरेसी की मुहिम पहला कदम में इन दिनों हम बात कर रहे हैं शेयर बाजार में निवेश की। उम्मीद है हमारे आपको अपने कई सवालों के जवाब मिल गए होंगे। अगर फिर भी आपके जेहन में कुछ सवाल उठ रहे हों तो आप हमें सवाल भेज सकते हैं हमारी वेबसाइट pehla kadam.in पर या फिर आप पहला कदम के फेसबुक पेज पर भी हमें लिख सकते हैं साथ ही हमें एसएमएस के जरिए अपना संदेश पहुंचा सकते हैं। आज हम बात कर रहे हैं कि किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदते वक्त कौन - कौन सी, फंडामेंटल एनालिसिस का आधार किन बातों का ख्याल रखे और इस पर आपको सलाह देंगे सीएनबीसी-आवाज़ के मार्केट एडिटर अनिल सिंघवी।
कैसे करें स्टॉक एनालिसिस
स्टॉक एनालिसिस के 2 तरीके होते है, एक फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस। कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर भविष्य का अनुमान फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए होता है। फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के फाइनेंशियल के आधार पर शेयर के आगे के परफॉर्मेंस का अंदाजा लगाया जाता है। वहीं टेक्निकल एनालिसिस में कंपनी के फाइनेंशियल्स से कोई लेना-देना नहीं होता है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर के परफॉर्मेंस के आधार पर उसकी आगे की चाल का अनुमान लगाया जाता है। टेक्निकल एनालिसिस में शेयर परफॉर्मेंस और उसके वॉल्यूम का एनालिसिस किया जाता है
फंडामेंटल एनालिसिस के तरीके
फंडामेंटल एनालिसिस के भी 2 तरीके होते है पहला टॉप-डाउन अप्रोच और दूसरा बॉटम-अप अप्रोच। टॉप डाउन अप्रोच में देश की इकोनॉमी की हालत देखी जाती है। अलग-अलग सेक्टर की स्थिति का एनालिसिस किया जाता है। खास सेक्टर की अलग-अलग कंपनियों की हालत देखी जाती है और फिर किसी एक कंपनी का चुनाव किया जाता है। इसमें चुनी गई कंपनी का कारोबार और उसके फाइनेंशियल्स का एनालिसिस किया जाता है।
बॉटम-अप एप्रोच में किसी एक कंपनी का चुनाव किया जाता है और उस कंपनी के कारोबार और फाइनेंशियल्स का एनालिसिस किया जाता है। सेक्टर की हालत देखी जाती है और देश की इकोनॉमी का विश्लेषण किया जाता है। आखिर में ग्लोबल इकोनॉमी को देखा जाता है। अगर देश में ही निवेश करना है तो फंडामेंटल एनालिसिस में बॉटम-अप एप्रोच बेहतर होता है। और अगर विदेशी बाजार में निवेश करना है तो टॉप-डाउन एप्रोच ठीक रहता है।
देशी निवेशकों को कंपनियों के परफॉर्मेंस पर ही ध्यान देना चाहिए। कंपनियों के प्रॉफिट, मार्जिन, सेल्स और तिमाही नतीजों के आधार पर अनुमान लगाना चाहिए। कंपनियों के फाइनेंशियल डाटा एक्सचेंज की साइट्स पर मिल जाते हैं।
प्रोजेक्शन क्या है?
कंपनी की बैलेंसशीट, प्रॉफिट और लॉस अकाउंट, कैश-फ्लो के आधार पर आगे के अनुमान को प्रोजेक्शन कहते हैं। प्रोजेक्शन के लिए कैश फ्लो जानना जरूरी है। अगर बैलेंसशीट में कैश फ्लो दिखता है तो उस कंपनी के फंडामेंटल अच्छे माने जा सकते हैं। एक ही सेक्टर कंपनियों के बीच तुलना में उनका साइज जानना जरूरी है। तुलना तिमाही दर तिमाही और साल दर साल होनी चाहिए।
बैलेंस शीट क्या है?
बैलेंस शीट किसी एक खास दिन के लिए तैयार की जाती है। बैलेंस शीट में बायीं ओर लायबिलिटी और दायीं ओर एसेट्स का कॉलम होता है। लायबिलिटी में शेयर कैपिटल, रिजर्व सरप्लस, करेंट लायबिलिटी और लॉन्ग टर्म लायबिलिटी शामिल होते हैं। एसेट्स में फिक्स एसेट, करेंट एसेट, प्रॉफिट और लॉस शामिल होते हैं। बैलेंस शीट से कंपनी की हालत का पता चलता है। प्रॉफिट और लॉस में एक तरफ खर्च और दूसरी ओर इनकम दर्ज होती है। तो कैश फ्लो कंपनी में कैश की आवाजाही की स्थिति बताता है। कैश फ्लो में देखना चाहिए कि कंपनी के देनदार कितने वक्त में पैसा लौटा रहे हैं।
What is Fundamental Analysis फंडामेंटल एनालिसिस का आधार in Hindi? | फंडामेंटल एनालिसिस क्या है?
Fundamental Analysis in Hindi: क्या आप जानते है की स्टॉक मार्केट में फंडामेंटल एनालिसिस क्या है? अगर आप नहीं जानते फंडामेंटल एनालिसिस का आधार फंडामेंटल एनालिसिस का आधार तो यह लेख पूरा पढ़े क्योकि यहाँ इस लेख में हमने आपसे स्टॉक मार्केट के सन्दर्भ में Fundamental Analysis क्या है और इसे कैसे किया जाता है वह सभी जानकारी आपसे शेयर की है| अगर आप भी शेयर मार्केट में स्टॉक में निवेश करना चाहते है और अपने पैसे सही में बढे इस लिए सही स्टॉक की पसंदगी करना चाहते है तो आपको फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस आना काफी आवश्यक है| अगर आप टेक्निकल एनालिसिस के बारे में पढना चाहते है तो निचे दी गयी लिंक पर क्लीक करे और अगर आप Fundamental Analysis को Hindi में जानना चाहते है तो यह लेख पूरा पढ़े|
What is Fundamental Analysis in Hindi?
फंडामेंटल एनालिसिस का अर्थ होता है किसी भी कंपनी के विविध फंडामेंटल मानको का एनालिसिस करना| कोई भी सफल इन्वेस्टर जब भी किसी स्टॉक में निवेश करता है उससे पहले Fundamental Analysis को ध्यान में देता है| फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के व्यवसाय पर ध्यान दिया जाता है साथ ही उसके प्रॉफिट और लोस, और बैलेंस शीट जैसे विषयो पर ध्यान दिया जाता है| इस तरह के एनालिसिस से कंपनी के व्यव्साय के बारे में सही सही जानकारी का अंदाजा लगाया जा सकता है और आगे कंपनी का विस्तार कैसा रहेगा उस की जानकारी भी मिल सकती है|
कम शब्दों में कहे तो कंपनी के व्यवसाय, नफा नुकशान, और बैलेंस शीट इत्यादि का एनालिसिस करना फंडामेंटल एनालिसिस कहा जाता है| इससे कंपनी के ग्रोथ के बारे में पता लगाया जा सकता है|
फंडामेंटल एनालिसिस कैसे किया जाता है?
किसी भी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस मुख्य रूप से दो तरीको से किया जाता है| Qualitative Analysis और Quantitative Analysis. यहाँ निचे हमने दोनों तरीको में क्या क्या और कैसे एनालिसिस किया जाता है उसकी जानकारी दी है|
Qualitative Analysis:
Qualitative Fundamental Analysis में इन बातो का एनालिसिस किया जाता है जिनकी कैलकुलेशन नहीं की जाती है| जैसे की,
- कंपनी का बिज़नस मॉडल कैसा है?
- कंपनी की प्रोडक्ट या सर्विस कितनी अच्छी है?
- अपने कॉम्पेटिटर के मुकाबले कंपनी कितनी अच्छी है?
- कंपनी की मैनेजमेंट कितनी बढ़िया है?
- कंपनी का विस्तार के लिए आगे का प्लान क्या है?
- ब्रांड वैल्यू कितनी अच्छी है?
- अपने प्रोडक्ट रिसर्च में कैसी है?
Qualitative Analysis में एनालिस्ट का मुख्य उद्देश्य कंपनी के बारे में अधिक से अधिक जानना होता है| जिससे कंपनी के फ्यूचर के बारे में सटीक प्रेडिक्शन किया जा सके| Qualitative Analysis में कंपनी कितनी अच्छी है उसका आधार एनालिस्ट के व्यू पर रहता है| एक ही बिज़नस मॉडल को दो अलग अलग एनालिस्ट अलग अलग तरीके से देख सकते है|
Quantitative Analysis
Quantitative Analysis में हम उन फेक्टर के बारे में एनालिसिस करते है जिसे हम नंबर के रूप में जान सकते है जैसे की फाइनेंसियल स्टेटमेंट| इसमे हम कंपनी की बैलेंस शीट, इनकम स्टेटमेंट, और कैशफ्लो स्टेटमेंट इत्यादि का एनालिसिस करते है| इनके अलावा कई तरह के फाइनेंसियल रेश्यो को भी देखा जाता है जैसे की PE Ratio, PB Ratio, Debt to Equity Ratio, ROE Ratio, ROCE Ratio, ROA, इत्यादि | इनकी मदद से कंपनी की फाइनेंसियल हेल्थ और प्रॉफिटेबिलिटी को भी जाना जा सकता है | यहाँ sab ही वैल्यू सभी के लिए एक सामान होती है इस लिए Quantitative Analysis अच्छा है Qualitative Analysis के मुकाबले|
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फंडामेंटल एनालिसिस क्यों महत्वपूर्ण होता है?
एक निवेशक के लिए फंडामेंटल एनालिसिस काफी महत्वपूर्ण है क्योकि निवेशक एक लम्बे समय की लिए पैसे निवेश करता है| दुनिया के सफल इन्वेस्टर वारेन बुफे भी फंडामेंटल एनालिसिस को ज्यादा महत्व देते है| एक निवेशक कभी भी शोर्ट टर्म के लिए निवेश नहीं करता उर लॉन्ग टर्म में निवेश करने के लिए टेक्निकल से ज्यादा फंडामेंटल अधिक उपयोगी होता है| कोई भी कंपनी की ग्रोथ कैसी रहेगी ये सभी फंडामेंटल के आधार पर ही देखा जा सकता है इस लिए फंडामेंटल एनालिसिस सिखना काफी आवश्यक है|
यहाँ हमने आपसे Fundamental Analysis in Hindi में आपसे जानकारी शेयर की है| हमें आशा है की आपको यहाँ दी गयी जानकारी पसंद आएगी| अगर आपको यहाँ दी आगयी जानकारी में कोई प्रश्न है तो हमें निचे कमेंट करके अवश्य फंडामेंटल एनालिसिस का आधार बताये|
Stock Screener - Stock Scanner
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2) उन्नत चार्ट टूल
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4) स्टॉक मार्केट सिम्युलेटर और पेपर ट्रेडिंग
स्टॉक सिमुलेशन एक सरल और मजेदार वर्चुअल स्टॉक मार्केट गेम है। आप दिन के किसी भी समय असीमित ट्रेड कर सकते हैं। स्टॉक सिम्युलेटर आपको शेयर बाजार सीखने, स्टॉक की निगरानी करने और विभिन्न व्यापारिक रणनीतियों का परीक्षण करने में मदद करता है।
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रिटेल निवेशक (Retail Investor) भविष्य को ध्यान में रखकर शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते हैं, क्योंकि उनका नजरिया लॉन्ग टर्म (Long Term) रहता है. लेकिन इसके बावजूद अधिकतर रिटेल निवेशक वर्षों तक निवेशित रहने के बाद भी अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं.
अमित कुमार दुबे
- नई दिल्ली,
- 22 सितंबर 2022,
- (अपडेटेड 22 सितंबर 2022, 1:10 PM IST)
देश में अधिकतर लोग दूसरे के कहने पर शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं. उन्हें ये पता नहीं होता है कि जिस कंपनी के स्टॉक में वे पैसे लगा रहे हैं, उस कंपनी का क्या कारोबार है? खासकर रिटेलर (Retailer) या कहें आम आदमी, अक्सर दूसरे की सलाह पर शेयर बाजारों (Share Market) में निवेश करते हैं.
उन्हें कोई कह देता है कि ये Stock अच्छा रिटर्न (Return) दे सकता है, और फिर उसमें वे अपनी गाढ़ी कमाई लगा देते हैं. लेकिन क्या आपने ये कभी जानने की कोशिश की है कि जिस कंपनी के स्टॉक में आप निवेश कर रहे हैं, उस कंपनी रिटर्न कहां से देगी, कितनी कमाई है?
कैसे करें Stock Selection?
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दरअलस, रिटेल निवेशक (Retail Investor) भविष्य को ध्यान में रखकर शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते हैं, क्योंकि उनका नजरिया लॉन्ग टर्म (Long Term) रहता है. लेकिन इसके बावजूद अधिकतर रिटेल निवेशक वर्षों तक निवेशित रहने के बाद भी अच्छा मुनाफा नहीं कमा पाते हैं. इसका एक ही कारण स्टॉक (Stock Selection) का सही से चयन नहीं कर पाना है.
इसलिए दूसरे के कहने पर निवेश (Invest) करने से पहले आप खुद आसानी से अच्छे स्टॉक (Best Stock) का चयन कर सकते हैं. अच्छे स्टॉक में निवेश करने से भले ही शॉर्ट टर्म (Short Term) में बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से शेयर थोड़ा नीचे चला जाए और आपको अपने पोर्टफोलियो (Portfolio) में नुकसान दिखे. लेकिन Long Term में हमेशा अच्छे स्टॉक में रिटर्न देने की क्षमता होती है.
खुद 5 मिनट में खंगाल सकते हैं खाता-बही
अब आप सोच रहे होंगे कि स्टॉक का चयन कोई आसान काम है क्या? इसका जवाब है- बिल्कुल आसान काम है. आप 5 मिनट में खुद बेहतर स्टॉक खोज सकते हैं. इसके लिए आपको कंपनी के कारोबार (Business of Company) पर फोकस करना होगा. जिस स्टॉक में आप पैसे लगा रहे हैं, उसका कारोबार बेहतरीन होना चाहिए. बस एक यही अहम पैमाना है, जिसके आधार पर आप लंबी अवधि में शेयर से मोटा रिटर्न पा सकते हैं.
आइए जानते हैं, एक स्टॉक में निवेश से पहले कंपनी के कारोबार में क्या देखें, ताकि आप तय कर पाएं कि इसमें निवेश करना है या नहीं. आप आसानी से कंपनी के कारोबार का मौलिक विश्लेषण (Fundamental Analysis) कर सकते हैं. कंपनी छोटी है या बड़ी, आप चंद मिनट में उस कंपनी के खाता-बही को खंगाल सकते हैं. हालांकि बड़ी कंपनियों में निवेश से जोखिम (Risk) कम होते हैं. कैसे चुनें बेहतरीन स्टॉक्स.
स्टेप-1: सबसे पहले कंपनी के रेवेन्यू को खंगालिए. देखें कि कंपनी सालाना कितना रेवेन्यू (Revenue) जेनरेट करती है. अगर साल-दर-साल कंपनी के कुल राजस्व (Total Revenue) में इजाफा हो रहा है तो फिर तो मान के चलिए कंपनी का कारोबार फल-फूल रहा है. अभी कंपनी एक पैमाने पर कंपनी खरी उतरी है.
स्टेप-2: अब इसके बाद कंपनी की Net Income पर नजर डालिए. अगर लगातार कंपनी की Net Income बढ़ रही है तो फिर इससे पता चल जाएगा कि कंपनी अपने सभी खर्चे को काटकर मुनाफे में चल रही है. अगर मोटा रेवेन्यू के बाद भी कंपनी की आमदनी नहीं बढ़ रही है तो फिर ऐसी कंपनी में निवेश से बचें.
स्टेप-3: उसके बाद जिस स्टॉक में निवेश करना चाहते हैं, उस कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस का आधार संपत्ति (Assets) को भी जरूर चेक करें. अगर साल-दर-साल कंपनी की संपत्ति (Total Assets) में इजाफा हो रहा है तो, इससे साफ है कि कंपनी अपने कारोबार को विस्तार दे रही है. इसके बाद देखें कि कंपनी पर कुल कितनी देनदारी (Total Liabilities) है.
अगर Total Assets से Total Liabilities कम है तो फिर ये कह सकते हैं कि संकट में कंपनी अपने असेट्स बेचकर निवेशकों को पैसा लौट सकती है. इसलिए हमेशा Liabilities से Assets अधिक होना चाहिए. कर्ज में डूबी कंपनी में कतई निवेश न करें. (Photo: Getty Images)
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