MCX आज शुरू करेगा देश का पहला बुलियन इंडेक्स, जानें- क्या होंगे ट्रेडिंग के विकल्प?
एमसीएक्स ने एक बयान में कहा कि बुलडेक्स में लॉट का साइज 50 का होगा. यह नकदी में निपटान वाला वायदा अनुबंध होगा.
By: एजेंसी | Updated at : 24 Aug 2020 07:59 AM (IST)
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) देश का पहला बुलियन इंडेक्स लॉन्च करने को तैयार है. इसे बुलडेक्स नाम से आज लॉन्च किया जाएगा. एमसीएक्स का बुलडेक्स कीमती धातुओं की श्रेणी में छठां उत्पाद होगा. इसके पहले 25 मई को, कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज ने एग्रीडेक्स नाम से देश का पहला इंडेक्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट लॉन्च किया था, जिसमें 10 एग्री कमोडिटीज को शामिल किया गया था.
MCX ने जानकारी दी कि एमसीएक्स आईकॉमडेक्स (MCX iCOMDEX) के बुलियन इंडेक्स सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में समाप्त होने वाले वायदा अनुबंध व्यापार के लिये 24 अगस्त से उपलब्ध होंगे. एमसीएक्स का बुलडेक्स कीमती धातुओं की श्रेणी में छठां उत्पाद होगा. इसमें एक किलोग्राम सोना, 100 ग्राम गोल्डमिनी, 8 ग्राम सोना गिनी और एक ग्राम सोना पेटल के विकल्प होंगे.
बुलडेक्स में लॉट का साइज 50 का होगा
वायदा में पहले से एक किलोग्राम सोना का विकल्प उपलब्ध है. एमसीएक्स ने एक बयान में कहा कि बुलडेक्स में लॉट का साइज 50 का होगा. यह नकदी में निपटान वाला वायदा अनुबंध होगा.
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इस प्रकार यह जोखिम कवर करने वाले उन संस्थागत प्रतिभागियों के लिये आकर्षक साबित होगा, जो सोना या चांदी में डिलीवरी लेने में हिचकिचाते हैं. एमसीएक्स ने जुलाई में मॉक ट्रेडिंग सेंशन में कीमती धातु सूचकांक वायदा कारोबार का परीक्षण किया था.
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Published at : 24 Aug 2020 07:59 AM (IST) Tags: Bulldex Bullion Index Multi Commodity Exchange MCX हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Equity Vs Commodity: शेयर में डूब रहे पैसे, महंगाई और रेट हाइक के दौर में एग्री कमोडिटी और बुलियन बेहतर विकल्प?
कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है.
शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. (reuters)
Investment Strategy in Commodity: शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. महंगाई, रेट हाइक साइकिल, जियो पॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की ऊंची कीमतें, सप्लाई चेन में रुकावट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, रुपये में कमजोरी जैसे फैक्टर शेयर बाजार को कमजोर कर रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इक्विटी के लिए जो भी निगेटिव फैक्टर हैं, अचानक से खत्म होते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में नियर टर्म में भी बाजार में करेक्शन दिखेगा. क्या ऐसे में इक्विटी में नुकसान की कुछ भरपाई कमोडिटी मार्केट से की जा सकती है. क्या बुलियन या एग्री कमोडिटी में निवेश के बेहतर मौके हैं. जानते हैं इस बारे में कमोडिटी एक्सपर्ट का क्या कहना है.
इस साल इक्विटी के मुकाबले कमोडिटी का प्रदर्शन
रुपया: -5.26%
निफ्टी: -9.01%
सेंसेक्स: -9.33%
Dow Jones: -13.61%
MCX Gold: +7.19%
MCX SILVER: -2.15%
कॉपर: +2.54%
MCX Crude oil: +65.17%
NCDEX गुआर सीड: -3.73%
MCX कॉटन: +37.57%
NCDEX जीरा: +31.74%
किन वजहों से कमोडिटी को मिल रहा है सपोर्ट
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इक्विटी पर अभी सेलिंग प्रेशर नियर टर्म में जारी रहेगा. वहीं दूसरी ओर कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है. उनका कहना है कि पैनडेमिक के बाद डिमांड में अचानक तेजी, जियो पॉलिटिकल टेंशन, दुनियाभर में मौसम की प्रतिकूल कंडीशन, महंगाई, लॉजिस्टिक सर्विसेज में दिक्कतें, प्रोडक्शन घटने और सप्लाई प्रभावित होने से कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है.
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उनका कहना है कि जिस तरह से एग्री कमोडिटी के प्रमुख उत्पादक देशों का अभी फोकस इंपोर्ट बढ़ाने और एक्सपोर्ट कम करने या बंद करने पर है, इससे साफ है कि सप्लाई से ज्यादा डिमांड है. वहीं दुनियाभर के मौसम की कंडीशन देखें तो यह कमोडिटी को सपोर्ट करने वाला है. मसलन यूएस में सूखे की स्थिति रही है, जिससे सीजनल प्रोडक्शन पर असर होगा. वहीं रूस और यूक्रेन जंग के चलते कुछ एग्री कमोडिटी का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों ही प्रभावित हुआ है.
गेहूं, कॉटन, जौ, आयल सीड्स में आएगी तेजी
केडिया के अनुसार यूक्रेन को गेहूं का कटोरा कहा जाता है. इसके अलावा भी कई एग्री कमोडिटी का यूक्रेन प्रमुख उत्पादक देश है. इस सीजन की बात करें तो मार्च से मई तक सोइंग सीजन होता है, जिस पर जंग का असर पड़ा है. इस साल वहां बुआई 50 फीसदी से ज्यादा गिरी है, जिससे प्रोडक्शन सालान बेसिस पर घटकर आधा रह जाएगा. इसका असर 6 कमोडिटी विकल्प क्या हैं महीने बाद ए्रग्री कमोडिटी की कीमतों पर दिखेगा. ऐसे में आने वाले दिनों में गेहूं, कॉटन, जौ और आयल सीड्स में और तेजी आ सकती है.
बुलियन में आएगी तेजी
IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में जब इक्विटी में नुकसान हो रहा है, बॉन्ड मार्केट में भी रिस्क बना हुआ है, बुलियन में सेफ हैवन डिमांड बढ़ सकती है. सोने और चांदी दोनों में ही आगे बेहतर रिटर्न दिख रहा है. वैसे भी इस साल सोने में पॉजिटिव रिटर्न मिला है. इसे इनफ्लेशन, इक्विटी में अस्थिरता, रीसेशन का डर जैसे फैक्टर से सपोर्ट मिलेगा. हालांकि इंटरेस्ट रेट हाइक से कुछ दबाव है, लेकिन नियर टर्म में सोने और चांदी में रैली दिख रही है. उनका कहना है कि सोने में 49 हजार से 50 हजार के बीच में एंट्री करें और अगले 3 महीने के लिए 52 हजार और फिर 53 हजार का टारगेट बनाएं. वहीं सिल्वर में 59 हजार से 60 हजार के बीच एंट्री करें और 3 महीने के लिए वहले 65 हजार और फिर 68 हजार का टारगेट रखें.
Commodity Prices
यह एप्लिकेशन कमोडिटी की कीमतों में रुचि रखने वालों के लिए उपलब्ध जानकारीपूर्ण संसाधन है। नि: शुल्क वास्तविक समय शीर्ष ऊर्जा के लिए बोलियां, धातु, अनाज और पशुओं जिंसों के वायदा करने के लिए त्वरित पहुँच प्राप्त करें।
सभी शेयर बाजार उद्धरण श्रेणियों इसी से अलग हो रहे हैं। प्रत्येक श्रेणी के कार्ड के रूप में प्रस्तुत की वस्तुओं की एक सूची है। हर आइटम विकल्पों के साथ इसे खुद के मेनू है। - "विवरण" विकल्प। इस तरह, वास्तविक समय में आदि बोली, हाई, लो, मात्रा सब पूछने के रूप में कमोडिटी की कीमतों और व्यापार के बारे में जानकारी प्राप्त करें। इसके अलावा 6 महीने के लिए डेटा दिखा पूरी तरह से इंटरैक्टिव ऐतिहासिक स्टॉक मूल्य नहीं है।
- "चेन"। चयनित उत्पाद के लिए वायदा की सूची दिखाता है। प्रत्येक सूची आइटम विस्तृत अवलोकन के लिए खोला जा सकता है।
माल की सूची।
ऊर्जा: डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल, ब्रेंट, गर्म तेल RBOB पेट्रोल और प्राकृतिक गैस वायदा।
धातु: सोना, चांदी, प्लेटिनम, पैलेडियम, कॉपर।
अनाज: मक्का, जई, किसी न किसी चावल, सोयाबीन भोजन, सोयाबीन तेल, सोयाबीन।
पशुधन; फीडर मवेशी, झुक हॉग जीना पशु।
Softs: कोको, कॉफी, कपास, लकड़ी, संतरे का रस, चीनी।
एक्सचेंजों।
NYMEX, CBOT, CMEX, NYB, सीएमई।
अतिरिक्त सुविधाओं:
- अच्छा और यूआई का उपयोग करने के लिए आसान।
- पूर्ण गोलियों का समर्थन है।
- कड़ी चोट ताज़ा करने के लिए।
कमोडिटी विकल्प क्या हैं
आम तौर पर निवेश का मतलब लोग इक्विटी और डेट में ही पैसा डालना समझते हैं। कुछ लोग निवेश को बीमा से भी जोड़कर देखते हैं।
निवेशकों को यह बात जरूर याद रखनी चाहिए कि बीमा का मतलब सिर्फ जोखिम के कवर से है और इसे निवेश के तौर पर देखा जाना उचित नहीं है। स्थिर आय योजनाओं की बात करें तो ये महंगाई के समय में ही बेहतर प्रतिफल देती हैं।
कहने का सीधा सा मतलब यह है कि आप अगर अपने निवेश पर बेहतर प्रतिफल अर्जित करने में सक्षम हैं तो भी महंगाई इसे कहीं का नहीं छोड़ती है। दिनोदिन बाजार में अनिश्चितता बढ़ती जा रही हैं, जाहिर सी बात है, निवेशकों को इससे खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि निवेशक इन परिस्थितियों का सामना कर आखिर किस तरह से धन अर्जित कर सकते हैं?
इसके लिए निवेश के अन्य विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। ये विकल्प आपके पोर्टफोलियो के जोखिम को करने के साथ ही इसे विविधता प्रदान करते हैं। इनमें से ज्यादातर निवेश विकल्प वित्तीय और प्रतिभूति बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव से सीधे संबंधित नहीं होते हैं। नीचे इसी तरह के कुछ विकल्पों की चर्चा की गई है:
सोना : सोने को मुद्रा के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है। सोना पोर्टफोलियो के साथ जुड़ी अनिश्चितता को दूर करने में काफी मददगार होता है। महंगाई से सुरक्षा प्रदान करने में भी इसकी भूमिका अहम होती है।
सोने में निवेश का एक बेहतर तरीका एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) जैसे गोल्ड बीईईएस, क्वांटम गोल्ड ईटीएफ, कोटक गोल्ड ईटीएफ है। अगर आप साबुत सोना खरीदना चाहते हैं तो आपके लिए सोने की टिकिया और सिक्के बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
बैंक से सोना खरीदना महंगा हो सकता है और यह बात भी याद रखना जरूरी है कि बैंक आपसे इसकी पुनर्खरीद भी नहीं करते हैं। एक अच्छी साख वाले आभूषण विक्रेता से सोना खरीदना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
कमोडिटी : कमोडिटी में निवेश हाजिर बाजार में या डेरिवेटिव मार्केट में किया जा सकता है। कमोडिटी डेरिवेटिव का कारोबार एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स), मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में होता है।
जिंस वायदा में निवेश इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग के जैसा ही होता है। आप इसमें लॉन्ग पोजीशन (जब कमोडिटी विकल्प क्या हैं आप सौदा खरीदते हैं) और शॉर्ट पोजीशन (जब आप इसे बेचते हैं) ले सकते हैं। सीधे तौर पर कहें तो इक्विटी बाजार की तरह ही आप कीमतें चढ़ने के समय में खरीदारी और कीमतों के गिरने के समय बिकवाली कर सकते हैं।
आर्ट्स : हालांकि, आर्ट निवेश का एक अच्छा विकल्प माना जाता है लेकिन इसमें तरलता, ऊंची लागत, मूल्यांकन में अनिश्चितता आदि समस्याएं जुड़ी हुई हैं। जाने-माने चित्रकार एम एफ हुसैन और राजा रवि वर्मा की पेंटिंग और पिकासो इसके उदारहरण हैं।
रियल एस्टेट : निवेश के एक अन्य महत्त्वपूर्ण विकल्प के तौर पर रियल एस्टेट में निवेश के वास्ते एक मोटी रकम और साथ ही सही योजना और मूल्यांकन की जरूरत होती है।
भारत में रियल एस्टेट की कीमतें हमेशा से अधिक रही हैं। इसकी मुख्य वजह मांग की अधिकता और सीमित गुणवत्ता की कम से कम आपूर्ति है। रियल एस्टेट न सिर्फ पूंजी में बढ़ोतरी के रूप में आप को लाभ देता है बल्कि किराये के रूप में नियमित आय भी प्रदान करता हैं।
सरकारी प्रतिभूतियां : यह सॉवरिन डेट होता है जिसमें निवेश की सुरक्षा की गारंटी सबसे अधिक होती है। निवेशक 20 वर्षों के 8.35 फीसदी के प्रतिफल के साथ निवेश के विकल्प का चयन कर सकते हैं। इससे लंबी अवधि में सतत रूप से आय की प्राप्ति होती है। खुदरा निवेशक इनमें निवेश के बाद छमाही आधार पर आय अर्जित करते हैं।
आर्बिट्राज फंड : आर्बिट्राज फंड आर्बिट्राज अवसरों का फायदा उठा कर प्रतिफल देते हैं। ये फंड शुध्द इक्विटी की तुलना में अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले होते हैं। हालांकि, इसके बाद भी इन्हें जोखिम मुक्त नहीं कहा जा सकता है क्योंकि आर्बिट्राज फंड के साथ भी जोखिम जुड़ा होता है।
स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट : इस तरह के उत्पाद का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि जोखिम भी कमोडिटी विकल्प क्या हैं कम होता है और बेहतर प्रतिफल भी देते हैं। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट सामान्यत: प्री-पैकेज्ड स्ट्रैटेजी होते हैं जो डेरिवेटिव, एक शेयर या इससे अधिक शेयरों, सूचकांकों, कमोडिटी, डेट सिक्योरिटी पर आधारित होते हैं।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस क्या हैं? निवेश करने से पहले आसान भाषा में समझें
हर कोई अपने निवेश से मुनाफा कमाना चाहता है. मार्केट (बाजार) में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं. आज हम वित्तीय साधनों (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) के बारे में बात करेंगे, जिन्हें फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के तौर पर जाना जाता है.
हर कोई अपने निवेश से मुनाफा कमाना चाहता है. मार्केट (बाजार) में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं. आज हम वित्तीय साधनों (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) के बारे में बात करेंगे, जिन्हें फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के तौर पर जाना जाता है. फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के जरिए न केवल शेयरों में, बल्कि सोने, चांदी, एग्रीकल्चर कमोडिटी और कच्चे तेल (क्रड ऑयल) सहित कई अन्य डेरिवेटिव सेगमेंट में भी कारोबार करके पैसा कमाया जा सकता है. फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस को समझने से पहले उस मार्केट को समझना जरूरी है, जिसमें ये प्रोडक्ट्स खरीदे और बेचे जाते हैं.
इन दोनों प्रोडक्ट का डेरिवेटिव मार्केट में कारोबार होता है. ऐसे कई प्लेटफॉर्म हैं, जहां से ये ट्रेड किए जा सकते हैं. अगर आप भी इसमें शुरुआत करना चाहते हैं, तो 5paisa.com (https://bit.ly/3RreGqO) वह प्लेटफॉर्म कमोडिटी विकल्प क्या हैं है जो डेरिवेटिव ट्रेडिंग में आपका सफर शुरू करने में मदद कर सकता है.
डेरिवेटिव्स क्या होते हैं?
डेरिवेटिव वित्तीय साधन (फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट) हैं, जो एक अंतर्निहित परिसंपत्ति (अंडरलाइंग एसेट) या बेंचमार्क से अपनी कीमत (वैल्यू) हासिल करते हैं. उदाहरण के लिए, स्टॉक, बॉन्ड, करेंसी, कमोडिटी और मार्केट कमोडिटी विकल्प क्या हैं इंडेक्स डेरिवेटिव में इस्तेमाल किए जाने वाले कॉमन एसेट हैं. अंतर्निहित परिसंपत्ति (अंडरलाइंग एसेट) की कीमत बाजार की स्थितियों के मुताबिक बदलती रहती है. मुख्य रूप से चार तरह के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट हैं – फ्यूचर (वायदा), फॉरवर्ड, ऑप्शन और स्वैप.
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट (वायदा अनुबंध) क्या है?
फ्यूचर्स कमोडिटी विकल्प क्या हैं कॉन्ट्रैक्ट के जरिए खरीदार (या विक्रेता) भविष्य में एक पूर्व निर्धारित तिथि पर एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर संपत्ति खरीद या बेच सकता है. वायदा कमोडिटी विकल्प क्या हैं कारोबार (फ्यूचर ट्रेडिंग) करने वाले दोनों पक्ष अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) को पूरा करने के लिए बाध्य होते हैं. इन अनुबंधों का स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है. वायदा अनुबंध की कीमत अनुबंध खत्म होने तक मार्केट के हिसाब से बदलती रहती है.
एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (विकल्प अनुबंध) क्या है?
ऑप्शन एक अन्य तरह का डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट है, जो खरिदार (या विक्रेता)को भविष्य में एक खास कीमत पर एक अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार देता है, लेकिन उस तारीख पर शेयर खरीदने या बेचने की कोई बाध्यता नहीं होती है. इस स्थिति में अगर जरूरी हो, तो वह किसी भी समय ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (विकल्प अनुबंध) से बाहर निकल सकता है. लेकिन फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (वायदा अनुबंध) में ऐसा करना संभव नहीं है. आपको फ्यूचर डिलीवरी के समय कॉन्ट्रैक्ट (अनुबंध) पूरा करना होगा. दो तरह के ऑप्शन (विकल्प) हैं. पहला है कमोडिटी विकल्प क्या हैं कॉल ऑप्शन और दूसरा है पुट ऑप्शन. कॉल ऑप्शन संपत्ति (एसेट) खरीदने का अधिकार देता है जबकि पुट ऑप्शन बेचने का अधिकार देता है.
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