अप कैपिटल क्या हैं
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Shares And Dividends
एक कंपनी के पास 500 रुपये के 2 .
Updated On: 27-06-2022
Solution : Paid-up amount per share = Rs.15
Number of shares = 500
`therefore "Paid-up capital"="Rs."(500xx15)="Rs."7500`
Total capital of the company = Rs.`(500xx25)="Rs."12,500`
`therefore "Amount to be paid in the second instalment "="Rs."(12,500-7500)="Rs."5000.`
छोटी कंपनी की परिभाषा में बदलाव, कारोबार करना होगा आसान
नई दिल्ली। देश में कारोबार को और आसान बनाने के लिए सरकार ने ‘छोटी कंपनी’ की परिभाषा में फिर से संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत छोटी कंपनियों के लिए पेड-अप कैपिटल (शेयर जारी कर जुटाई गई पूंजी) और टर्नओवर सीमा को बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस कदम से अब और कंपनियां भी इसके दायरे में आ सकेंगी। अनुपालन का बोझ कम होने के साथ जुर्माना भी कम लगेगा।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि कुछ नियमों में संशोधन करते हुए अप कैपिटल क्या हैं छोटी कंपनियों के लिए पेड-अप कैपिटल की सीमा को अधिकतम 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर अधिकतम 4 करोड़ रुपये कर दिया गया है। टर्नओवर सीमा को अधिकतम 20 करोड़ रुपये से बढ़ाकर अधिकतम 40 करोड़ रुपये किया गया है। इसका मतलब है कि इन दोनों सीमा के तहत कारोबार करने वाली इकाइयों को अब छोटी कंपनी माना जाएगा। नई परिभाषा के तहत अब अधिक संख्या में इकाइयां ‘छोटी कंपनी’ के दायरे में आएंगी।
मंत्रालय ने कहा, छोटी कंपनियां देश में उद्यमशीलता की आकांक्षाओं और नवाचार क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। रोजगार पैदा करने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसलिए सरकार देश में कानून का पालन करने वाली कंपनियों के लिए बेहतर कारोबारी माहौल तैयार करना चाहती है।
वित्तीय विवरण के दौरान इन कंपनियों को नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं होगी। लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत नहीं होगी। यानी ऑडिटर बदलना जरूरी नहीं होगा। एक छोटी कंपनी के ऑडिटर को ऑडिट रिपोर्ट में आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य और परिचालन प्रभावशीलता की जानकारी नहीं देनी होगी।
इन कंपनियों को एक साल में सिर्फ दो बार ही बोर्ड की बैठक करनी होगी। सालाना रिपोर्ट में अब कंपनी सचिव का हस्ताक्षर जरूरी नहीं होगा। सचिव के नहीं होने पर कंपनी का निदेशक भी यह काम कर सकेगा। छोटी कंपनियों पर जुर्माना भी कम लगेगा।
केंद्र सरकार ने बढ़ाया छोटी कंपनियों के लिए पेड अप कैपिटल की सीमा, पढ़े पूरी खबर
केंद्र सरकार लगातार देश में व्यापार को आसान बनाने की कोशिश कर रही है। इसी क्रम में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs -MCA) ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कंपनीज एक्ट 2013 (Companies Act 2013) के अंतर्गत छोटी कंपनियों के पेड अप कैपिटल (Paid UP Capital) की सीमा को बढ़ा दिया है। नई सीमा के अनुसार अब 2 करोड़ रुपये से लेकर 4 करोड़ रुपये तक और 20 करोड़ से लेकर 40 करोड़ रुपये की टर्नओवर वाली कंपनियों को छोटी कंपनी माना जाएगा। पहले ये सीमा पेड अप कैपिटल के लिए 50 लाख से 2 करोड़ रुपये और टर्नओवर की सीमा 2 करोड़ से लेकर 20 करोड़ रुपये थी।
सरकार का बयान
सरकार की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर कहा गया कि छोटी कंपनियां देश में उद्यमशीलता की आकांक्षाओं और नवाचार (Innovation) क्षमताओं का अप कैपिटल क्या हैं प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही ये कंपनियां देश में रोजगार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकार की कोशिश देश में कानून का पालन करने वाली कंपनियों के व्यापारिक माहौल तैयार करना है और कंपनियों पर अनुपालन का बोझ कम करना है।
सरकार ने बदली छोटी कंपनियों की परिभाषा, पहले से ज्यादा कंपनियों को मिलेगी अब नियमों में राहत
छोटी कंपनियों कारोबार से जुड़े कई नियमों अप कैपिटल क्या हैं में राहत मिलती है वहीं इन पर लगने वाला जुर्माना भी कम होता है. सरकार ने ये कदम देश में कारोबारी सुगमता को बढ़ाने की अपनी योजना के तहत किया है.
सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदल कर सीमाओं को बढ़ा दिया है. इससे अब कई और कंपनियां भी छोटी कंपनियों की सीमा में आ सकेंगे. इससे उन्हें कई तरह के नियमों में राहत मिलेगी और काम करने में आसानी होगी. सरकार ने आज छोटी कंपनियों के लिए के लिए पेड-अप कैपिटल और कारोबार सीमा में संशोधन किया है और सीमाएं बढ़ा दी हैं. जिससे अब और कंपनियां इसके दायरे में आ सकेंगी और उनका अनुपालन बोझ कम हो जाएगा. छोटी कंपनियों को कई नियमों में छूट मिलती है. नई सीमा के बाद कई और कंपनियों को इस छूट का लाभ मिलेगा. सरकार काफी समय से कारोबारी सुगमता पर जोर बढ़ा रही है. परिभाषा में बदलाव इसी दिशा में उठाया गया कदम है.
क्या हैं नए नियम
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कारोबार करने में सुगमता को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से छोटी कंपनियों की परिभाषा में फिर से बदलाव किया है. कुछ नियमों में संशोधन करते हुए छोटी कंपनियों के लिए पेड-अप कैपिटल की सीम को मौजूदा 2 करोड़ से बढ़ाकर 4 करोड़ कर दिया है. यानि ऐसी कंपनियां जिनका पेड अप कैपिटल 4 करोड़ से कम है उन्हें छोटी कंपनी माना जाएगा. इसके साथ ही कारोबार की सीमा को 20 करोड़ से बढ़ाकर 40 करोड़ रुपये कर दिया है. यानि अप कैपिटल क्या हैं अब टर्नओवर के 40 करोड़ से कम होने पर नियमों में छूट मिलेगी. नई परिभाषा आने से अब अधिक संख्या में कंपनियां छोटी कंपनी की श्रेणी में आ जाएंगी.
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क्या मिलेंगे फायदे
मंत्रालय के मुताबिक छोटी कंपनियों को वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं होती है. उन्हें लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत भी नहीं होती है.विज्ञप्ति के मुताबिक छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिए जरूरी नहीं रहा कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता प्रस्तुत करे. इसके अलावा इस श्रेणी की कंपनियों के निदेशक मंडल की बैठक वर्ष में केवल दो बार की जा सकती है. छोटी कंपनी श्रेणी की इकाइयों को मिलने वाले अन्य लाभ यह हैं कि कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रेटरी हस्ताक्षर कर सकता है या कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है. इसके अलावा छोटी कंपनियों के लिए जुर्माना राशि भी कम होती है. हाल के समय में सरकार ने व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, अप कैपिटल क्या हैं 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के वर्ग से निकालना शामिल हैं.
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