Option Chain Analysis & LTP Calculator

A complete strategy on Option chain which will include below topics:

Basics of Option & Understanding the rules of the Option Trading Game

(Because if you do not know the rules, you can never win the GAME)

Net change analysis to find Day direction

Time value analysis to find support & resistance

Open Interest & Volume analysis to find target & Stoploss

Filtration of stocks

Option Writing strategy

आप क्या सीखते हैं?

Option Chain पर एक पूरी रणनीति जिसमें नीचे विषय शामिल होंगे:

Option Chain के नियमों को समझना

(क्योंकि यदि आप नियमों को नहीं जानते हैं, तो आप कभी गेम नहीं जीत सकते)

दिन की दिशा खोजने के लिए Net Change Analysis

Support & Resistance खोजने के लिए समय मूल्य विश्लेषण

लक्ष्य और स्टॉपलॉस खोजने के लिए ओपन इंटरेस्ट और वॉल्यूम विश्लेषण

स्टॉक का Filtration

ऑप्शन राइटिंग स्ट्रेटेजी

How much time does it take to complete the course?

It is a 6 Hours program with unlimited excess of every week live trading session.

कोर्स पूरा करने में कितना समय लगता है?

यह एक 6 घंटे का कार्यक्रम है जिसमें हर सप्ताह लाइव ट्रेडिंग सत्र की असीमित अतिरिक्तता है।

How many time can I revise the class?

One can join the classes for unlimited times until one learns the complete strategy.

मैं कक्षा को कितने समय में रिवाइज़ कर सकता हूं?जब तक कोई व्यक्ति पूरी रणनीति नहीं सीखता तब तक असीमित समय के लिए कक्षाओं में शामिल हो सकता है।I do not know English or Hindi?

Batches available in both languages, Hindi & English.

मुझे अंग्रेजी या हिंदी नहीं आती?

हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध बैच।

I do not have a laptop, can I join ?

Yes you can easily learn on Android or Ios Phones.

मेरे पास लैपटॉप नहीं है, क्या मैं इसमें शामिल हो सकता हूं?

हाँ आप Android या Ios फ़ोन पर आसानी से सीख सकते हैं।

I do not have time in the day, can I join night or weekend classses?

Yes batch time is (8:00 AM TO 9:00 AM) (6:00 PM TO 8:00 PM) (8:00 PM TO 10:00 PM)

मेरे पास दिन में समय नहीं है, क्या मैं रात या सप्ताहांत के क्लास में शामिल हो सकता हूं?

हां बैच का समय है (सुबह 8:00 बजे से 9:00 बजे) (शाम 6:00 बजे से रात 8:00 बजे) (रात 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक)

EXPLAINER:जानिए क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग? भारतीय राजनीति में इसकी इतनी चर्चा क्यों है

किसी में राज्य में सरकार बनने या गिरने से पहले राजनीतिक दल एक- दूसरे पर हॉर्स ट्रेडिंग (Horse Trading) का आरोप लगाने लगते हैं. हॉर्स ट्रेडिंग से अपने विधायकों (MLAs) को बचाने के लिए पार्टियां विधायकों को किसी सुरक्षित जगह में एक साथ कैद कर देती हैं. भारतीय राजनीति (Indian Politics) में हॉर्स ट्रेडिंग आज चर्चा का विषय बन गई है.

EXPLAINER:जानिए क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग? भारतीय राजनीति में इसकी इतनी चर्चा क्यों है

देश में जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं और सरकार बनाने की कवायद तेज होती है तभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर हॉर्स ट्रेडिंग (Horse Trading) का आरोप लगाने लगते हैं. साथ ही अपने विधायकों (MLAs) उनके घर से निकालकर किसी सुरक्षित जगह में एक साथ रखते हैं. पिछले कुछ सालों में आपने महाराष्ट्र (Maharashtra), राजस्थान (Rajasthan), कर्नाटक (karnataka) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में ऐसी घटनाएं ट्रेडिंग रणनीति देखी होगीं. लेकिन इन दिनों राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) के चलते यह बात राजनीतिक दलों के द्वारा एक बार ट्रेडिंग रणनीति फिर दोहराई जा रही है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कई राज्यों में अपने विधायकों को एक साथ रिसॉर्ट में भेज दिया है. राजनीतिक दल ऐसा क्यों करते हैं इसके बारे में आप जानते हैं, लेकिन हॉर्स ट्रेडिंग क्या होती है. भारतीय राजनीति में यह शब्द कैसे प्रचलन में आया? आज हम इसके बारे में आपको बता रहे हैं.

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हॉर्स ट्रेडिंग का क्या मतलब है ?
"हॉर्स ट्रेडिंग" इसके शाब्दिक अर्थ पर जाएंगे तो इसका मतलब घोड़ों की खरीद- फरोख्त से है, लेकिन यहां पर किसी घोड़े को नहीं खरीदा जा रहा है. कैंब्रिज डिक्शनरी के अनुसार "हॉर्स ट्रेडिंग" शब्द का मतलब किन्हीं दो पार्टियों के बीच चतुराई पूर्ण ऐसी संधि से होता है, जिसमें एक दूसरे को दोनों लोग लाभ पहुंचाने के लिए कोई काम करते हैं. भारतीय राजनीति में इस तरह की स्थिति जब भी बनती है, राजनेता इसे "हॉर्स ट्रेडिंग"का नाम देते हैं.

हॉर्स ट्रेडिंग शब्द कब प्रचलित हुआ?
हॉर्स ट्रेडिंग शब्द 1820 के आसपास सामने आया था. तब इसका मतलब राजनीति से नहीं, बल्कि घोड़ों की खरीद-फरोख्त से था. उस ट्रेडिंग रणनीति दौरान घोड़े पालने वाले और घोड़े खरीदने वाले लोग अलग-अलग हुआ करते थे. इनके बीच कुछ बिचौलिए यानी ट्रेडर होते थे, जो कुछ कमीशन लेकर घोड़ों को एक जगह से खरीदकर दूसरी जगह बेचते थे. लेकिन इस ट्रेडिंग में धीरे-धीरे एक चालाकी सामने आने लगी. घोड़े बेचने वाले व्यापारी या बिचौलिए अधिक फायदा कमाने के लिए कुछ अच्छी नस्ले के घोड़े छिपा देते थे. उनको बेचने के लिए चालाकी कर ज्यादा पैसे वसूलते थे.

राजनीति में क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग?
राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग किसी पार्टी की सरकार बनाने या गिराने के लिए की जाती है. इसमें राजनीतिक दल एक-दूसरे दल के सदस्यों को पैसे, पद और प्रतिष्ठा का लालच देकर अपनी ओर मिलाने का प्रयास करते हैं. राजनीति में इसी डील को हॉर्स ट्रेडिंग कहते हैं.

हरियाणा के इस विधायक ने एक दिन 3 बार बदली ट्रेडिंग रणनीति थी पार्टी
भारतीय राजनीति में खरीद-फरोख्त (हॉर्स ट्रेडिंग) का बड़ा उदाहरण हरियाणा की राजनीति में देखने को मिलता है. साल 1967 में हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने गया लाल ने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली थी. दिन की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थामकर की. फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए. करीब 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए. फिर गया लाल का हृदय परिवर्तन हो गया और वापस कांग्रेस में आ गए. इसके बाद कांग्रेस के तत्कालीन नेता राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और पत्रकारवार्ता की.

“आया राम गया” राम ट्रेडिंग रणनीति शब्द यहीं से प्रचलन में आया
राव बीरेंद्र ने पत्रकार वार्ता में कहा था, 'गया राम अब आया राम हैं. ' इस घटना के बाद से भारतीय राजनीति में ही नहीं बल्कि आम जीवन में भी पाला बदलने वाले दलबदलुओं के लिए 'आया राम, गया राम' शब्द का इस्तेमाल होने लगा.

हॉर्स ट्रेडिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
साल 2014 में आम आदमी पार्टी ने हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर विधायकों के खरीद फरोख्त को हॉर्स ट्रेडिंग क्यों कहा जाता है. इसे आदमियों का क्यों नहीं कहा जाता. जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चुटकी ली थी. देश में हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए कानूनी स्तर पर प्रयास भी किये जा रहे हैं, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहे हैं.

Video : चुनाव आयोग ने किया राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान

आरवीएनएल के स्टॉक में ट्रेडिंग करेक्शन का समय है : शोमेश कुमार की सलाह

बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार : आरवीएनएल के स्टॉक में अभी ट्रेडिंग करेक्शन लग रहा है। इसमें कोई दिक्कत नहीं है। अभी इसे 62 रुपये के स्तर पर जाकर रुकना चाहिये। इसके नीचे अगर ये खिसका तो लंबा चला ट्रेडिंग रणनीति जायेगा और फिर दिक्कत हो सकती है। 75-76 रुपये के स्तर से पहले इसका ऊपर ट्रेंड बहाल नहीं होगा। यह स्टॉक कंसॉलिडेट करेगा। बाकी इसमें कुछ खास परेशान होने जैसा नहीं है।

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भारत-चीन विवादः गलवान के बाद लगातार बढ़ा व्यापार,चीन बना नंबर-2 ट्रेडिंग पार्टनर

अमेरिका के बाद चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है.

भारत-चीन विवादः गलवान के बाद लगातार बढ़ा व्यापार,चीन बना नंबर-2 ट्रेडिंग पार्टनर

भारत–चीन के तवांग झड़प के मद्देनजर चीन के साथ व्यापार संबंधों को खत्म करने की ताजा मांग के बीच आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि चीन के साथ भारत का आयात गलवान घाटी मुठभेड़ के बाद तेजी से बढ़ा है, जिसमें 20 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे.

भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है चीन

अमेरिका के बाद चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. 2021–22 में,भारत–चीन द्विपक्षीय व्यापार $115.83 बिलियन था,जो भारत के कुल व्यापारिक व्यापार $1,035 बिलियन का 11.19 प्रतिशत था.

20 साल पहले तक,चीन 10वें स्थान पर(2001–12)या उससे नीचे था. (2000–01) में 12वें और 1998–99 में 18वें. हालांकि बाद में चीन ने तेज़ी से बढ़ना शुरू किया और 2012 तक भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया. कुछ वक्त के लिए अमेरिका और यूएई ने चीन को पछाड़ा था पर चीन ने फिर वापसी कर ली और भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया.

भारत का अमेरिका के साथ 2021–22 के दौरान 32.85 बिलियन डॉलर का व्यापार था, चीन के साथ व्यापार 73.31 बिलियन डॉलर का था, जो किसी भी देश के लिए सबसे ज्यादा था. वास्तव में,2021–22 के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले साल के स्तर $44.02 बिलियन से दोगुना था और और ये अब तक का सबसे बड़ा व्यापार था.

2013-14 के बाद बना नंबर वन ट्रेडिंग पार्टनर

पिछले 21 साले में भारत और चीन के बीच का व्यापार 1 अरब डॉलर से बढ़कर 73 अरब डॉलर पहुंच गया है. आंकड़े बताते हैं कि चीन से आयात इस सदी की शुरुआत से आसमान छू रहा है. जो 2001–02 में 2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2020–21 में 94.57 बिलियन डॉलर हो गया है. हालाकि चीन को भारत का निर्यात कुछ बढ़ा जरूर है, लेकिन गति काफी हल्की रही है. अब भारत का चीन को निर्यात $1 बिलियन से $21 बिलियन तक बढ़ गया है.

इस साल इसके बढ़ने की उम्मीद है. साल 2022–23 वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान,चीन के साथ भारत का व्यापार 51 अरब डॉलर रहा,जो इसी अवधि में दर्ज आंकड़े ट्रेडिंग रणनीति से अधिक था.

गलवान घाटी मुठभेड़ के बाद बढ़ी व्यापार दर

व्यापार डेटा के एनालिसिस से पता चलता है कि चीन के साथ व्यापार हाल में ही तेजी से बढ़ा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चीन से आयात का मासिक आंकड़ा जो कोविड के दौरान जून 2020 में 3.32 बिलियन डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया था, वो प्रतिबंध हटते ही बढ़ाना शुरू हो गया और जुलाई में 5.58 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. तब से लेकर अब तक ये लगातार बढ़ रहा है और इस साल जुलाई में 10.24 अरब डॉलर पहुंच गया.

भारत चीन से क्या खरीदता है?

चीन से भारत इलेक्ट्रिक मशीनरी,इक्विपमेंट और अन्य मैकेनिकल अप्लायंसेज खरीदता है. इसमें निकट भविष्य बदलाव की गुंजाइश भी कम दिख रही है.

पिछले छह साल में भारत में चीन से आयात होने वाली प्रमुख चीज़ों में ऑटोमैटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन,टेलीफोन इक्विपमेंट और वीडियो फोन, इलेक्ट्रिक सर्किट, ट्रांसिस्टर्स,साउंड रिकॉर्डिंग, एंटीबायोटिक्स, कैमरा, ऑटो कंपोनेंट और एक्सेसरीज और प्रोजेक्ट्स गुड्स शामिल हैं.

चीन भारत से क्या खरीदता है?

पिछले छह साल में भारत से चीन का निर्यात मुख्य रूप से पेट्रोलियम ईंधन,कार्बनिक रसायन, रिफाइंड कॉपर, कॉटन यार्न का हुआ है. इसके अलावा निर्यात होने वाली खाद्य वस्तुओं में मछली, सी फूड, काली मिर्च और अन्य चीजें. ग्रेनाइट ब्लॉक और बिल्डिंग स्टोन और रॉ कॉटन का भी निर्यात हुआ.

इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस

India-China Border: PP-15 से सैनिकों की वापसी का भविष्य के लिए क्या मतलब है?

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कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग से बढ़ेगी स्वच्छ ऊर्जा की खपत, उत्सर्जन घटाने में मिलेगी मदद

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कोयला अभी देश में ऊर्जा उत्पादन का मुख्य स्रोत है मगर वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत बिजली का उत्पादन गैर जीवाश्म स्रोतों से किए जाने का लक्ष्य है। संसद ने पिछले सप्ताह दो दशक पुराने ऊर्जा संरक्षण कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी। इससे न सिर्फ ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि गैर जीवाश्म स्रोतों से उत्पादित बिजली की खपत को भी अनिवार्य करने का रास्ता साफ हो गया है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए देश में अब कार्बन क्रेडिट की ट्रेडिंग भी हो सकेगी, जो शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होगा। नए कानून में ऊर्जा संरक्षण नियमों का पालन नहीं किए जाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है।

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