बड़ी खुशखबरी! अगले पांच सालों में 5 करोड़ को मिलेगा जॉब

कोरोना के काल में देश की आर्थिक व्यवस्था चरमराई हुई है . लॉक डाउन में छुट देकर और अनलॉक लागू कर सर्कार देश के लोगों की जान की हिफाजत एक तरफ कर रही हिं वहीँ दूसरी तरफ आर्थिक स्थिति की बागडोर को भी सँभालने में जूरी हुई है . इस सब के बीच गडकरी ने बड़ा ऐलान छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी कर दिया है .

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि देश में एम एस एम ई सेक्टर का बहुर बड़ा योगदान है और यह देश के जीडीपी में भी आय का 30 प्रतिशत इसी सेक्टर से आती है . उन्होंने यह भी बताया कि 48 फसदी निर्यात भी इसी सेक्टर से होता है . इस क्रम में इस सेक्टर से 11 करोड़ नौकरियां पैदा की गई साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा है कि अगले पांच सालों में नौकरियां बढेंगी . कम से कम 30 फीसदी तक नौकरियां बढाई जाएगी वहीँ ग्रोथ रेट को 50 प्रतिशत किया जायेगा इसके अलावा 48 फीसदी निर्यात को 60 फीसदी तक करने की कोशिश है .

बता दें कि एस सेक्टर के तहत छोटे व्यापारियों को भी शामिल कर उन्हें लाभान्वित किये जाने की योजना है . 20 लाख राहत पैकेज में सबसे अधिक पैकेज इसी को दिया गया है .

गडकरी ने भारत के उत्पादन और उसके क्वालिटी की तारीफ की है और कहा है कि ग्रामीण इलाकों में बने उत्पाद को बाजार उपलब्ध नहीं हो पता है इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल चालू किया गया है जिसका नाम स्वदेश बाजार है जो बाजार उपलब्ध कराए जाने में योगदान देगा .

छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी

मखाना के लोगो का फाइल फोटो

मखाना को जीआई टैग के लोगो का फाइल फोटो

- बिहार के मखाना का सालाना एक हजार करोड़ रुपये का है कारोबार

- कीमत 600 रुपये प्रति किलो, सालाना 40 हजार टन होता है उत्पादन

नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स)। बिहार में मखाना की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है। केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास से मिथिलांचल के मखाना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। मखाना को भौगौलिक संकेतक (जीआई) टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मखाने के साथ बिहार और मिथिलांचल का नाम जुड़ गया है।

मिथिलांचल के मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद इसके सालाना कारोबार में 10 गुना तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जिसके बाद मखाने का कारोबार 10 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए साल 2002 में दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना शोध केंद्र की स्थापना की गई है। बिहार के दरभंगा में स्थित यह अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कार्य करता है। देश में करीब 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती है, जिसमें 80 से 90 फीसदी उत्पादन अकेले बिहार में होती है।

मखाना के उत्पादन में 70 फीसदी हिस्सा मिथिलांचल का है। आंकड़ों के मुताबिक सालाना करीब एक लाख टन बीज मखाने का उत्पादन होता है, जिससे 40 हजार टन मखाने का लावा प्राप्त होता है। बिहार के मिथिलांचल में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है। मिथिलांचल में मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, पुर्णिया, मधेपुरा और कटिहार जिला शामिल हैं। लंबे समय से बिहार के मिथिलांचल में बड़े स्तर पर इसकी खेती हो रही है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना शोध संस्थान की स्थापना के बाद मखाना की खेती मिथिलांचल से निकलकर सीमांचल और अंग प्रदेश तक पहुंच चुकी है।

मौजूदा वक्त में बिहार में मखाना का सालाना एक हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है। मिथिला के मखाना की मांग छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी भारत के विभिन्न हिस्सा ही नहीं, दुनिया के प्रमुख देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी पाकिस्तान तक है। ऐसे में जीआई टैग मिलने से किसानों को अब अपने उत्पादित मखाना विदेश भेजने में अधिक परेशानी नहीं होगी।

Rajasthan Roadways: रोडवेज कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, मिलेगा बोनस

The Fact India: कोरोना महामारी ने जब से प्रदेश में दस्तक दी है तब से गरीबों, छोटे व्यावसायिकों से लेकर कर्मचारियों और बड़े व्यापारियों को भी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है वहीं दूसरी तरफ राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने परिवहन विभाग (Rajasthan Roadways) के लिए एक सकारात्मक कदम उठाया है

आपको बता दें, राजस्थान रोडवेज के कर्मचारियों के लिए सुखद खबर है प्रदेश की गहलोत सरकार ने रोडवेज के कर्मचारियों को अतिरिक्त बोनस देने का फैसला किया है जिसमें राजस्थान परिवहन निगम के नियमित और दैनिक कर्मचारियों वर्ष 2019-20 के लिए 8.33 प्रतिशत की दर से बोनस दिया जाएगा

रोड़वेज कर्मियो के लिए बोनस के आदेश जारी

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (Rajasthan Roadways) के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक राजेश्वर सिंह ने बताया कि कर्मचारियों को वर्ष 2019-20 के लिए बोनस देने का फैसला लिया गया है जिसमें 21000/- तक वेतन पाने वाले कर्मचारियो को 8.33 प्रतिषत की राशि से अधिकतम 7000/- बोनस मिलेगा।

छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी

कारोबार पर कोरोना की मार: लॉकडाउन ने व्यापारियों के सामने खड़े किए कई सवाल, रोटी पर भी संकट के बादल

कारोबार पर कोरोना की मार: लॉकडाउन ने व्यापारियों के सामने खड़े किए कई सवाल, रोटी पर भी संकट के बादल

बेकाबू होते कोरोना पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन और पाबंदियों ने कारोबार को फिर बेपटरी कर दिया है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ है। शहर में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए सरकार ने लॉकडाउन को अब बढ़ा दिया है। लॉकडाउन को लेकर व्यापरियों की अलग-अलग राय है। उनका कहना है कि एक व्यापारी के नाते लॉकडाउन इतना नुकसानदायक है कि इसकी भरपाई करना उसके लिए बड़ा मुश्किल है। वहीं आम नागरिक के नाते वर्तमान में कोरोना चेन को तोड़ने में लॉकडाउन सबसे छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी प्रभावशाली कदम है। लॉकडाउन अगर कुछ और दिन बढ़ा तो छोटे व्यापारियों की दुुकानों के शटर छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी शायद अब कभी न खुल पाएं।व्यापारियों के लिए इस नुकसान की भरपाई करना बड़ा मुश्किल होगा। पहला लॉकडाउन और फिर अब दूसरे लॉकडाउन से व्यापारी मंदी का सामना कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण दुकानें तो बंद हैं, लेकिन बैंक की किश्तें, बिजली बिल, वर्करों का वेतन और दुकानों का किराया जारी है। व्यापारियों के लिए ऐसे हालात का सामना करना बड़ा मुश्किल है। अगर इन दस दिन की ही बात करें तो व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। इन पाबंदियों ने व्यापार को चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। छोटे व्यापारियों के लिए लॉकडाउन नुकसानदायक है। अगर लॉकडाउन दो से चार दिन और बढ़ता है तो कई व्यापारियों की दुकानों के शटर खुल ही नहीं पाएंगे। छोटे व्यापारियों पर सरकार को विशेष ध्यान देना होगा। लॉकडाउन के कारण छोटे व्यापारियों के लिए घर का खर्च, बच्चों की स्कूल फीस चुकाना मुश्किल हो गया है। बड़े व्यापारियों की तो बात होती है, लेकिन अब छोटे व्यापारियों के प्रति सरकार के रुख में छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी बदलाव आना चाहिए। पिछले साल के लॉकडाउन के नुकसान की भरपाई अभी तक पूरी नहीं हुई है। छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी ऐसे में इस बार के लॉकडाउन ने चिंताएं बढ़ा दीं हैं। सब्जी और फलों की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों ने सरकार से दुकानें खोलने की अनुमति देने की गुहार लगाई है। फल-सब्जी विक्रेता ने बताया कि सुबह के समय सामान नहीं बिक पा रहा, जो मंडी से सामान लाया जाता है वह दुकान में पड़ा-पड़ा खराब हो रहा है। इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह महीना रमजान का चल रहा है और रोजा रखने वालों को भी परेशानी हो रही है। दुकानें बंद होने के कारण शाम को इफ्तारी खोलने के वक्त फल-सब्जी नहीं मिल पा रही। दुकानदारों ने मांग की सुबह से शाम तक दुकानें खोलने की अनुमति दी जाए।

रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुलियों का कारोबार ठप पड़ गया है। ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों की लगातार कम होती संख्या ने कुलियों से उनका काम छीन लिया है। कुलियों का कहना है कि स्टेशन पर काम न के बराबर है। न स्टेशन प्रबंधन और न ही सरकार की ओर छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी से उन्हें किसी प्रकार की कोई सुविधा दी गई है। पहले दिन में जहां सेे पांच सौ रुपये कमाते थे, वहीं अब 100 रुपये की कमाई भी नहीं हो पा रही है। कोरोना के कारण लोग कम सफर कर रहे हैं, जिसके कारण काम कम मिल रहा है। अगर इसी तरह यह सिलसिला चलता रहा तो हम लोग भुखमरी के दौर से गुजरने लगेंगे !

नौणी विश्वविद्यालय में 4 जनवरी से होगी फलदार पौधों की बिक्री #news4

वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कंपोजिशन योजना (GST Composition Scheme) से जुड़ने के लिए आवेदन शुरु हो गए हैं. मौजूदा पंजीकृत करदाताओं को इसके लिए 31 मार्च 2020 से पहले जीएसटी पोर्टल (GST Portal) पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. यह स्कीम विशेष रूप से छोटे व्यवसायियों के लिए है. GSTN द्वारा जारी किए गए विज्ञप्ति के अनुसार इसमें छोटे व्यापारियों को अपना हिसाब-किताब रखने, रिटर्न फाइल करने और कर जमा करने के मामले में कई तरह की रियायतें दी गई हैं. सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले व्यवसायी इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं.

उत्तर-पूर्व के सात राज्यों और उत्तराखंड के व्यवसायियों के लिये यह सीमा 75 लाख रुपये रखी गई है. माल के साथ-साथ सेवाएं भी प्रदान करने वाले व्यवसायियों अथवा केवल सेवाएं देने वाले कारोबारी के लिये यह सीमा 50 लाख रुपये सालाना है.

News 4 Himchal

16 लाख से अधिक टैक्सपेयर्स कंपोजिशन स्कीम से जुड़े

जीएसटीएन के आंकड़ों के मुताबिक 16,82,000 से ज्यादा करदाता कंपोजिशन योजना से जुड़े हैं. कंपोजिशन योजना के अंतर्गत करदाता को अपनी बिक्री (सप्लाई) पर निर्धारित, विभिन्न दरों से जीएसटी जमा करने की जरूरत नहीं होती है. इसके बजाय वह अपनी कुल बिक्री पर एक निश्चित दर से एकमुश्त राशि जमा कर सकता है. कंपोजिशन योजना के तहत आने वाले व्यवसायी को तीन महीने में एक बार कर जमा कराना होता है.

सूचना देने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2020
विज्ञप्ति में कहा गया है कि जीएसटी की कंपोजिशन स्कीम से सामान्य करदाता के रूप में पंजीकृत होने वाले व्यवासायियों को जीएसटी पोर्टल के फॉर्म सीएमपी-02 में सूचना देनी होगी. इसके लिए अंतिम तारीख 31 मार्च है. जो व्यवसायी पहली बार जीएसटी पंजीकरण ले रहे हैं, वे रजिस्ट्रेशन के वक्त ही पोर्टल पर फॉर्म सीएमपी-01 में सूचना देकर इस छोटे व्यापारियों के लिए खुशखबरी स्कीम से जुड़ सकते हैं.

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