दक्षिण-पश्चिम दिशा में अगर कोई वास्तु दोष हो तो क्या हैं उपाय

वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम दिशा, जिसे नायरुत्य कोना भी कहा जाता है, वह पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका प्रशासक राहु है. वैदिक एस्ट्रोलॉजी के मुताबिक राहु उग्र ग्रहों में से एक है. दक्षिण-पश्चिम कोना घर में स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है कोई सही दलाल है और इसलिए आपके लिए इस क्षेत्र में सभी तत्वों को संतुलित करना महत्वपूर्ण है, ताकि घर में सुख और समृद्धि सुनिश्चित आ सके.

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लाल मूली की खेती से कमाएं दोगुना मुनाफा, स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक होने के कारण मार्केट में है डिमांड

Earn better profit from red radish farming

सर्दियों का मौसम शुरु होते ही मार्केट में रंग-बिरंग की सब्जियां दिखनी शुरु हो जाती है। हालांकि, इस समय लोगों की पहली पसंद मूली (Radish) होती हैं इस वजह से इसकी बिक्री भी खूब होती है। आमतौर पर सफेद मूली अधिक देखने को मिलती है लेकिन आजकल बाजार में लाल मूली भी देखने को मिल रही है जिसे लोग हाथों-हाथ खरीद ले रहे हैं। ऐसे में लाल मूली की मांग बढ़ने से इसकी खेती करने वाले किसान भाई काफी अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।

यदि आप भी एक किसान हैं या खेती करने की तरफ बढ़ रहे हैं तो लाल मूली की खेती से आप दोगुना आमदनी कमा सकते हैं क्योंकि इसकी डिमांड और फायदा सफेद मूली (White Radish) से अधिक है। बड़े मॉल और स्टोर में बिकने वाली इस मूली को फ़्रैंच मूली भी कहा जाता है। इसी क्रम में चलिए जानते हैं लाल मूली की खेती (Red Radish Farming) के बारें में-

कब करें लाल मूली की खेती?

लाल मूली की खेती (Red Radish Farming) के लिए शीत ऋतु का मौसम सही माना जाता है। किसान भाई सितंबर महीने से लेकर जनवरी महीने तक इस फसल की खेती कर सकते हैं। वहीं यदि किसान भाई चाहें तो लो टनल तकनिक या पॉलीहाऊस में इसकी खेती करके अच्छा फायदा कमा सकते हैं।

लाल मूली की खेती के लिए किन किस्म के बीजों का करें इस्तेमाल?

लाल मूली की खेती करने के लिए बेहतर होगा कि किसान भाई उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करें। इससे उन्हें कम लागत कोई सही दलाल है में दोगुनी आमदनी कमाने का मौका मिलेगा। आप चाहे तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी इसके बीज ऑर्डर करके मंगवा सकते हैं। इसके उन्नत किस्म के बारें में बात करें तो आप पुसा मृदुला किस्म के बीज की बुआई कर सकते हैं जो 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है।

यह भी पढ़ें:- खाली पड़े कोयला खदान में इस शख्स ने किया प्रयोग, आज मत्स्य पालन से करते हैं अच्छी कमाई

कैसे करें लाल मूली की खेती?

लाल मूली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सही माना जाता है क्योंकि इस मिट्टी पर पानी का ठहराव नहीं होता है। इसकी खेती के लिए सबसे पहले 2 से 3 बार मिट्टी की जुताई करके एक-दो दिन के लिए छोड़ दें। इससे मिट्टी भुरभुरी और मुलायम हो जाएगी। अब मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद डालकर और कोई सही दलाल है वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं। इससे पौधों को पोषण मिलेगा źऔर उनका विकास भी अच्छे से होगा।

यदि किसान भाई उचित मात्रा में जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें अच्छी पैदावार हो सकती है। इसके अलावा लाल मूली की खेती (Red Radish Farming) के लिए पुसा मृदुला किस्म की बुआई करने पर लगभग 2 महीने में यह तैयार हो जाती है जिसे आप बाजार में बेचकर अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं।

क्या है लाल मूली के फायदें?

लाल मूली (Red Radish) कमाई के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टी से भी अधिक फायदेमंद है। इसमें पाएं जानेवाले एंटीओक्सिडेंट और कैंसर रोधी गुण के कारण इसकी डिमांड बढती जा रही है। स्वाद में यह हल्का तीखा कोई सही दलाल है होता है लेकिन सेहत के लिए यह पौष्टिक माना जाता है। इसके अलावा सफेद मूली की तुलना में यह देखने में भी अच्छी लगती है और इसका लाल रंग लोगों को काफी भाता है।

उम्मीद करते हैं यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए The Logically के साथ जुड़े रहें।

ये है दुनिया का सबसे महंगा पौधा! 1 एकड़ की खेती में 30 करोड़ की कमाई, जानिए इसके बारे में सबकुछ

चंदन के बारे में कहा जाता है कि इस पर सांप लटके रहते हैं जो कि सही बात नहीं है. यह एक अफवाह जिसे इसलिए फैलाया गया ताकि लोग लकड़ी की चोरी न करें. 8 साल तक इस पौधे की चोरी भी नहीं हो सकती क्योंकि इसमें कोई खुशबू नहीं होती.

ये है दुनिया का सबसे महंगा पौधा! 1 एकड़ की खेती में 30 करोड़ की कमाई, जानिए इसके बारे में सबकुछ

चंदन के बारे में आपने सुना होगा. आपने यह भी सुना होगा कि चंदन की लकड़ी काफी महंगे दाम पर बिकती है. पूजा, हवन जैसे काम में इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आपको चंदन की खेती के बारे में पता है? चंदन की खेती देश के बहुत कम इलाकों में की जाती है और किसी ने एक पेड़ भी लगाया तो उसे 5 लाख रुपये तक की इनकम हो सकती है. जितने बड़े भूभाग में चंदन के पेड़ लगाएंगे, उतनी ज्यादा आपकी आमदनी बढ़ेगी….

हरियाणा के घरोंडा के एक किसान अपने खेतों में चंदन की खेती करते हैं. उन्हें कई बीघा जमीन पर चंदन के पौधे लगाए हैं जो धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि चंदन का पौधा लगभग 12 साल में तैयार हो जाता है. अगर कोई व्यक्ति 1 पौधा भी लगाए तो उसे 5-6 लाख रुपये की कमाई हो सकती है. इस किसान ने बताया कि 1 एकड़ में 600 चंदन के पौधे लगाए जा सकते हैं और इससे 12 साल बाद 30 करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है. किसान के मुताबिक वे पिछले 3 साल से चंदन की खेती कर रहे हैं और अन्य लोगों से करवा रहे हैं…..

एक पौधे का दाम कितना

खेत में चंदन का पौधा लगाने के लिए इसके सीडलिंग की जरूरत होती है जो काफी महंगा मिलता है. लेकिन थोक में खरीदें तो लगभग 400-500 रुपये प्रति पौधे की दर से खरीद सकते हैं और खेतों में लगा सकते हैं. चंदन के पौधे के साथ विशेष खयाल यह रखना होता है कि इसकी खेती तभी होगा जब उसके साथ होस्ट की खेती होगी. होस्ट भी एक तरह से पौधा है जो चंदन के साथ लगाया जाता है. अगर होस्ट पौधा मर जाएगा तो चंदन भी मर जाएगा. 1 एकड़ खेत में 600 चंदन और 300 होस्ट पौधे लगाए जाते हैं.

पानी से बचाएं

चंदन के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. इसे देखते हुए चंदन की खेती कभी भी निचले इलाके में नहीं करनी चाहिए जहां पानी रुकता हो. इससे पौधे के सड़ने का खतरा रहता है. चंदन के पौधे सरकार की तरफ से बेचे जाते हैं, इसमें किसी प्राइवेट एजेंसी का कोई रोल नहीं. अभी सरकार ने चंदन के निर्यात पर भी रोक लगा रखी है. प्राइवेट एजेंसियां चंदन का निर्यात नहीं कर सकतीं, यह काम सिर्फ सरकार ही कर सकती है. खेती कोई भी कर ले लेकिन उसकी लकड़ी का निर्यात सिर्फ सरकार ही करेगी.

सरकार ही करती है निर्यात

चंदन के पौधे तैयार होने के बाद वन विभाग को बताना होता है कि पेड़ कटने के लिए तैयार हैं. उसके बाद वन विभाग आगे का निर्देश देती है और निर्यात का काम शुरू होता है. चंदन दुनिया का सबसे महंगा पेड़ है क्योंकि इसकी लकड़ी प्रति किलो 27 हजार के आसपास बिकती है. एक पेड़ से 15-20 किलो लकड़ी निकल जाएगी जिसे बेचने पर 5-6 लाख रुपये की कमाई होती है. चंदन का इस्तेमाल बहुत व्यापक है जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है. सुगंधित तेल से कोई सही दलाल है लेकर आयुर्वेद तक में इसे उपयोग में लिया जाता है. ब्यूटी प्रोडक्ट में चंदन का इस्तेमाल बहुतायत में होता है.

तेजी से बढ़ते हैं पौधे

ढाई साल तक के चंदन को पौधे को लगाना उपयुक्त माना जाता है. 2-2.5 ढाई साल में चंदन का पौधा 2-2.5 फुट तक का हो जाता है जिसे साल में किसी मौसम में लगाया जा सकता है. हालांकि सर्दियों में यह पौधा नहीं लगाने की सलाह दी जाती है. पौधे की देखरेख में कुछ ज्यादा मेहनत नहीं है और पानी कम और सफाई ज्यादा रखनी होती है. इससे चंदन के पौधे तेजी से बढ़ते हैं. पौधों पर मेढ़ लगा दिए जाते हैं ताकि पानी न चढ़े. एक पौधे को हफ्ते में 2-3 लीटर पानी चाहिए होता है. चंदन के पौधे में पानी से ही बीमारी आती है. अगर पानी नियंत्रित रखा जाए तो चंदन के पौधे को कोई बीमारी नहीं लगेगी और वह अच्छी वृद्धि करेगा.

सांप लटकने की बात गलत

चंदन के बारे में कहा जाता है कि इस पर सांप लटके रहते हैं जो कि सही बात नहीं है. यह एक अफवाह जिसे इसलिए फैलाया गया ताकि लोग लकड़ी की चोरी न करें. 8 साल तक इस पौधे की चोरी भी नहीं हो सकती क्योंकि इसमें कोई खुशबू नहीं होती. 8 साल के बाद लगभग 12-15 साल तक पेड़ की निगरानी रखनी होती है. खेती के लिए सही तरीका है कि चंदन के पौधे को 5 बाई 10 के एरिया में लगाया जाए, इससे पौधे को तेजी से बढ़ने का मौका मिलता है.

ऐसे करें खेती

चंदन के साथ खेत में अन्य फसल भी उगा सकते हैं. 20 फुट की दूरी पर चंदन के पौधे लगाए जाएं और उसके बीच में अन्य फसल लगाकर उपज कमाई जा सकती है. हालांकि गन्ने और चावल की खेती नहीं करनी होती है क्योंकि इससे चंदन को नुकसान हो सकता है. चंदन का पौधा बड़ा होने पर अमरूद के पौधे की तरह लंबा होता है लेकिन टहनियां इसकी छोटी होती हैं. एक पौधे से 15-20 किलो लकड़ी निकलती है. इस हिसाब पौधे के आकार का अंदाजा लगा सकते हैं.

लाल और सफेद चंदन

चंदन की लकड़ी धीरे-धीरे पकती है और तब उसमें से खुशबू आने लगती है. खुशबू आने का मतलब है कि चंदन की लकड़ी में वजन आने लगता है. चंदन के पौधे को जितना समय रखा जाए, उसका वजन उसी हिसाब से बढ़ता है. चंदन दो तरह के होते हैं-लाल और सफेद. भारत कोई सही दलाल है में सफेद चंदन की ही खेती होती है क्योंकि यहां की मिट्टी उसी के हिसाब से अनुकूल होती है. यह मिट्टी के पीएच पर निर्भर करता है. अगर पीएच 4.5-6.5 तक है तो लाल चंदन लगा सकते हैं. अगर पीएच इससे ऊपर है तो सफेद चंदन लगा सकते हैं. हरियाणा, पंजाब सहित यूपी में मिट्टी का पीएच 7.5 के आसपास है जहां सफेद चंदन की खेती की जाती है. चंदन की खेती 5 डिग्री से लेकर 47 डिग्री तक में की जा सकती है.

किसी भी उम्र में हो सकती है सोरायसिस, सही समय पर इलाज जरूरी : डॉ. आर कुमार

लाक सोरायसिस में त्वचा पर लाल उभरे हुए पैच देता है।

सोरायसिस स्किन से जुड़ी एक अॉटोइम्यून बीमारी है। यह कोई सही दलाल है बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसमें उम्र कोई मायने नहीं रखता है। सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल रंग की मोटी परत हो जाती है जो चकत्ते की तरह दिखती है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : विश्व सोरायसिस दिवस के मौके पर शुक्रवार को गोलमुरी व आदित्यपुर स्थित डॉ. कुमार क्लीनिक में जागरूकता व जांच शिविर का कोई सही दलाल है आयोजन किया गया। इस दौरान कुल 36 लोगों की जांच की गई। साथ ही लोगों को सोरायसिस के बारे में जागरूक किया गया।

चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आर कुमार ने बताया कि सोरायसिस के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। बीमारी की सही जानकारी नहीं होने की वजग से लोग झोलछाप चिकित्सकों के चक्कर में फंस जाते है और इस दौरान उनकी बीमारी और भी बढ़ने लगती है। एेसे में चर्म रोग से संबंधित कोई भी बीमारी होने पर चर्म रोग विशेषज्ञ से ही दिखाने चाहिए।

जमशेदपुर में क्रिसमस को खास बनाने के लिए टाटा स्टील ने किया

सोरायसिस रोग क्या है

डॉ. आर कुमार ने बताया कि हर साल 29 अक्टूबर को विश्व सोरायसिस दिवस मनाया जाता है। सोरायसिस स्किन से जुड़ी एक अॉटोइम्यून बीमारी है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसमें उम्र कोई मायने नहीं रखता है। सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल रंग की मोटी परत हो जाती है, जो चकत्ते की तरह दिखती है। इस दौरान खुजली के साथ-साथ दर्द और सूजन भी होती है।डॉ. आर कुमार ने कहा कि सोरायसिस के पांच अलग-अलग प्रकार होते हैं। एेसे में लोगों को विशेष तौर पर सावधान होने की जरूरत होती है।

सोरायसिस के प्रकार

- प्लाक सोरायसिस : प्लाक सोरायसिस में त्वचा पर लाल उभरे हुए पैच देता है। ये सिल्वर डेड स्किन सेल्स से ढके होते हैं।

- गुटेट सोरायसिस : इसमें त्वचा पर छोटे आकार में लाल-लाल धब्बे हो जाता है। इस दौरान मरीजों को काफी कोई सही दलाल है परेशानी होती है।

- इनवर्स सोरायसिस : यह आमतौर पर त्वचा की सिलवटों में होता है। यह त्वचा के दर्द और लाल धब्बे का कारण बनता है।

- पस्टुलर सोरायसिस : इसमें हथेलियों और तलवों पर पस भर जाता है।

- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह त्वचा को बहुत ज्यादा लाल कर देता है।

सोरायसिस के लक्षण

- त्वचा में सूजन और लाल त्वचा हो जाता है। इस दौरान खुजली और दर्द महसूस होता है।

- हाथ के नाखून और पैर की उंगलियों के नाखूनों में गड्डे हो जाते हैं। साथ ही उसका रंग भी बदलने लगता है।

किसी भी उम्र में हो सकती है सोरायसिस, सही समय पर इलाज जरूरी : डॉ. आर कुमार

लाक सोरायसिस में त्वचा पर लाल उभरे हुए पैच देता है।

सोरायसिस स्किन से जुड़ी एक अॉटोइम्यून बीमारी है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसमें उम्र कोई मायने नहीं रखता है। सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल रंग की मोटी परत हो जाती है जो चकत्ते की तरह दिखती है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : विश्व सोरायसिस दिवस के मौके पर शुक्रवार को गोलमुरी व आदित्यपुर स्थित डॉ. कुमार क्लीनिक में जागरूकता व जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान कुल 36 लोगों की जांच की गई। साथ ही लोगों को सोरायसिस के बारे में जागरूक किया गया।

चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आर कुमार ने बताया कि सोरायसिस के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। बीमारी की सही जानकारी नहीं होने की वजग से लोग झोलछाप चिकित्सकों के चक्कर में फंस जाते है और इस दौरान उनकी बीमारी और भी बढ़ने लगती है। एेसे में चर्म रोग से संबंधित कोई भी बीमारी होने पर चर्म रोग विशेषज्ञ से ही दिखाने चाहिए।

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सोरायसिस रोग क्या है

डॉ. आर कुमार ने बताया कि हर साल 29 अक्टूबर को विश्व सोरायसिस दिवस मनाया जाता है। सोरायसिस स्किन से जुड़ी एक अॉटोइम्यून बीमारी है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसमें उम्र कोई मायने नहीं रखता है। सोरायसिस होने पर त्वचा पर लाल रंग की मोटी परत हो जाती है, जो चकत्ते की तरह दिखती है। इस दौरान खुजली के साथ-साथ दर्द और सूजन भी होती है।डॉ. आर कुमार ने कहा कि सोरायसिस के पांच अलग-अलग प्रकार होते हैं। एेसे में लोगों को विशेष तौर पर सावधान होने की जरूरत होती है।

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- प्लाक सोरायसिस : प्लाक सोरायसिस में त्वचा पर लाल उभरे हुए पैच देता है। ये सिल्वर डेड स्किन सेल्स से ढके होते हैं।

- गुटेट सोरायसिस : इसमें त्वचा पर छोटे आकार में लाल-लाल धब्बे हो जाता है। इस दौरान मरीजों को काफी परेशानी होती है।

- इनवर्स सोरायसिस : यह आमतौर पर त्वचा की सिलवटों में होता है। यह त्वचा के दर्द और लाल धब्बे का कारण बनता है।

- पस्टुलर सोरायसिस : इसमें हथेलियों और तलवों पर पस भर जाता है।

- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह त्वचा को बहुत ज्यादा लाल कर देता है।

सोरायसिस के लक्षण

- त्वचा में सूजन और लाल त्वचा हो जाता है। इस दौरान खुजली और दर्द महसूस होता है।

- हाथ के नाखून और पैर की उंगलियों के नाखूनों में गड्डे हो जाते हैं। साथ ही उसका रंग भी बदलने लगता है।

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