(Reading Comprehension) - पाठ-बोधन
(1) दिए गए पाठ का स्तर, विचार, भाषा, शैली आदि प्रत्येक दृष्टि से परीक्षा के स्तर के अनुरूप होता है।
(2) पाठ का स्वरूप साहित्यिक (अधिकांशतः), वैज्ञानिक, विवरणात्मक आदि होता है।
(3) दिया गया पाठ अपठित (अर्थात जो पढ़ा न गया हो) होता है।
(4) अपठित पाठ प्रायः गद्यांश होते हैं, किसी-किसी परीक्षा में पद्यांश भी।
(5) पाठ से ही संबंधित कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न नीचे दिए गए होते है तथा प्रत्येक के चार/पाँच वैकल्पिक उत्तर सुझाए गए होते हैं। परीक्षार्थी को इनमें से सही उत्तर चुनकर उसे निर्देशानुसार चिन्हित करना होता है।
पाठ-बोधन पर आधारित प्रश्नों को हल करने की विधि
(क्यों बुद्धि विकल्प 1) प्रथम चरण में पाठ को शीघ्रता से किन्तु ध्यानपूर्वक पढ़कर विषय-वस्तु तथा केन्द्रीय भाव को जानने का प्रयास करें।
(2) दूसरे चरण में पाठ को धीरे-धीरे एवं पूरे मनोयोग से नीचे दिए गए प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए पढ़ें। संभावित उत्तरों को साथ-साथ रेखांकित करें।
(3) तीसरे चरण में प्रश्नों के सही उत्तरों को सावधानीपूर्वक चिन्हांकित करें।
नोट : (i) उत्तर पाठ पर ही आधारित होने चाहिए। कल्पना पर आधारित उत्तर से बचना चाहिए।
(ii) उत्तर प्रसंगानुकूल एवं सीधा होना चाहिए।
(iii) प्रत्येक विकल्प पर विचार करके देखें कि उनमें से किसके अर्थ की संगति संबंधित वाक्य के साथ सही बैठती है।
पाठ-बोधन पर आधारित प्रश्न
नीचे कुछ पाठ-बोधन पर आधारित प्रश्न दिया जा रहा है-
(1) वैज्ञानिक प्रयोग की सफलता ने मनुष्य की बुद्धि का अपूर्व विकास कर दिया है। द्वितीय महायुद्ध में एटम बम की शक्ति ने कुछ क्षणों में ही जापान की अजेय शक्ति को पराजित कर दिया। इस शक्ति की युद्धकालीन सफलता ने अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रान्स आदि सभी देशों को ऐसे शस्त्रास्त्रों के निर्माण की प्रेरणा दी की सभी भयंकर और सर्वविनाशकारी शस्त्र बनाने लगे। अब सेना को पराजित करने तथा शत्रु-देश पर पैदल सेना द्वारा आक्रमण करने के लिए शस्त्र-निर्माण क्यों बुद्धि विकल्प के स्थान पर देश के विनाश करने की दिशा में शस्त्रास्त्र बनने लगे है। इन हथियारों का प्रयोग होने पर शत्रु-देशों की अधिकांश जनता और संपत्ति थोड़े समय में ही नष्ट की जा सकेगी। चूँकि ऐसे शस्त्रास्त्र प्रायः सभी स्वतन्त्र देशों के संग्रहालयों में कुछ न कुछ आ गये है, अतः युद्ध की स्थिति में उनका प्रयोग भी अनिवार्य हो जायेगा।
अतः दुनिया का सर्वनाश या अधिकांश नाश तो अवश्य ही हो जायेगा। इसलिए निः शस्त्रीकरण की योजनाएँ बन रही हैं। शस्त्रास्त्रों के निर्माण में जो दिशा अपनाई गई, उसी के अनुसार आज इतने उत्रत शस्त्रास्त्र बन गये हैं, जिनके प्रयोग से व्यापक विनाश आसन्न दिखाई पड़ता है। अब भी परीक्षणों की रोकथाम तथा बने शस्त्रों के प्रयोग के रोकने के मार्ग खोजे जा रहे हैं। इन प्रयासों के मूल में एक भयंकर आतंक और विश्व विनाश का भय कार्य कर रहा है।
(1) इस गद्यांश का मूल कथ्य क्या है ?
(a) आतंक और सर्वनाश का भय
(b) विश्व में शस्त्रास्त्रों की होड़
(c) द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका
(d) निःशस्त्रीकरण और विश्व शान्ति
उत्तर- (d)
(2) भयंकर विनाशकारी आधुनिक शस्त्रास्त्रों के बनाने की प्रेरणा किसने दी ?
(a) अमेरिका ने
(b) अमेरिका की विजय क्यों बुद्धि विकल्प ने
(c) जापान के विनाश ने
(d) बड़े देशों की पारस्परिक प्रतिस्पर्धा ने
उत्तर- (c)
(3) एटम बम की अपार शक्ति का प्रथम अनुभव कैसे हुआ ?
(a) जापान में हुई भयंकर विनाशलीला से
(b) जापान की अजेय शक्ति की पराजय से
(c) अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस की प्रतिस्पर्धा से
(d) अमेरिका की विजय से
उत्तर- (b)
(4) बड़े-बड़े देश आधुनिक विनाशकारी शस्त्रास्त्र क्यों बना रहे हैं ?
(a) अपनी-अपनी सेनाओं में कमी करने के उद्देश्य से
(b) अपने संसाधनों का प्रयोग करने के उद्देश्य से
(c) अपना-अपना सामरिक व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से
(d) पारस्परिक भय के कारण
उत्तर- (c)
(5) आधुनिक युद्ध भयंकर व विनाशकारी होते हैं क्योंकि-
(a) दोनों देशों के शस्त्रास्त्र इन युद्धों में समाप्त हो जाते हैं।
(b) अधिकांश जनता और उसकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है।
(c) दोनों देशों में महामारी और भुखमरी फैल जाती है।
(d) दोनों देशों की सेनाएँ इन युद्धों में मारी जाती हैं।
उत्तर- (b)
(6) इस गद्यांश का सर्वाधिक उपर्युक्त शीर्षक है-
(a) निःशस्त्रीकरण
(b) आधुनिक शस्त्रास्त्रों का विनाशकारी प्रभाव
(c) एटम बम की शक्ति
(d) आतंक और विश्व-विनाश का भय
उत्तर- (a)
(7) 'व्यापक विनाश आसन्न दिखाई पड़ता है।' इस वाक्य में 'आसन्न' का अर्थ क्या है ?
(a) अवश्य घटित होने वाला
(b) कुछ समय बाद घटित होने वाला
(c) किसी क्षेत्र विशेष में घटित होने वाला
(d) कभी घटित नहीं होने वाला
उत्तर- (a)
(8) 'निःशस्त्रीकरण' से क्या तात्पर्य है ?
(a) आधुनिक शस्त्रास्त्रों का मुक्त व्यापार
(b) आधुनिक शस्त्रास्त्रों के परीक्षण, प्रयोग एवं भंडारण पर प्रतिबंध
(c) एटम की शक्ति का रचनात्मक कार्यों में प्रयोग
(d) एटम बम का जनता पर प्रयोग न करने का संकल्प
उत्तर- (b)
(9) निःशस्त्रीकरण की योजनाएँ क्यों बनाई जा रही हैं ?
(a) क्योंकि आतंक और विश्व के सर्वनाश का भय बढ़ता जा रहा है।
(b) क्योंकि बड़े देशों के संसाधन समाप्त होते जा रहे हैं।
(c) क्योंकि तृतीय विश्व युद्ध की अभी कोई सम्भावना नहीं है।
(d) क्योंकि ये योजनाएँ संयुक्त राष्ट्र संघ ने क्यों बुद्धि विकल्प बनाई हैं।
उत्तर- (a)
(10) विश्व को सर्वनाश से बचाने के लिए कौन सी योजना सर्वाधिक प्रभावी हो सकती है ?
(a) एटम शक्ति का नियोजन
(b) निःशस्त्रीकरण की योजना
(c) प्रत्येक देश को आधुनिक शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित करने की योजना
(d) रूस अमेरिका की मित्रता की योजना
उत्तर- (b)
क्यों बुद्धि विकल्प
पारे की 27 एक समान बूंदें , एक .
पारे की 27 एक समान बूंदें , एक ही समय पर , 10Volt के समान विभव से आवेशित की गयी है | माना कि बूंद का आकार गोलीय है | यदि सभी बूंदें मिलकर एक बड़ी बूंद का निर्माण कर लें , तब इस बड़ी बूंद का विभव होगा
Updated On: 27-06-2022
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Aap ko kya acha nahi laga
परी की 27 एक समान बुद्धि एक ही समय पर 10 वर्ल्ड के समान विभव से आवेशित की गई है माना कि एक बूंद का आकार जो है गोली है ठीक है अब गोली आकार है तो आयतन भी गोली वाला सूत्र लगाएंगे सभी गुंडे मिलकर एक बड़ी भूमिका निर्माण कर ले जो की गोली बुद्धि होगी बड़ी बूंदी गोली होगी ठीक है तब इस बड़ी बंद का विभव क्या होगा यह हमको ज्ञात करना है मान हमको दिया 90 वोट 40160 ठीक है तो दोस्तों प्रश्न में जो जो दिया वह मान लिख लेते हैं पारी की एक समान सकता है इस बंदे हैं ठीक है तो एंड कमान हमको 27 दिया हुआ है ठीक पानी की बूंदे जो है वह गोली ठीक है तो एक समान गोली जो बोलते हैं वह 27 संख्या पर है इसको मिलाकर हम क्या कर देंगे मार लेंगे कि a27 है ठीक है तो इनको मिलाकर एक बड़ा गोला बना लेंगे पड़ेगा ठीक अब सभी पर प्रत्येक पर जो विभांतर है वह कह 10 वोल्ट है प्रत्येक के लिए सबके लिए इसके लिए भी इसके लिए भी इसके लिए भी तथा इसके लिए सभी के लिए 10th सपोर्ट है ठीक है अब इनको हम क्या मान लेते हैं कि किसी एक गोले को लेते हैं पारे का छोटा गुलाब तो छोटे बड़े का आवेश हमारे थे स्मॉल क्यों है
ठीक स्मॉल क्यों छोटे गोले का प्रत्येक का वेश्या बड़े गोले सबको मिलाकर बड़ा गोला बना लिया उसका आवेश कैपिटल क्यों ले लेते हैं तो छोटा आवेश गुना एंड मतलब कितनी संख्या में है छोटा वेज एंड तो यह बड़ा विश का माना जाएगा तो बड़ा आवेश बराबर क्या हो जाएगा 27 * छोटा अबे ठीक है इनका मान सकता है तो 27 गुना छोटा आवे ऐसा हम लिख सकते ठीक अब दोस्तों यहां पर आयतन जो है वह क्या हो जाएगा सभी छोटे गोलों का आयतन बराबर एक बड़े गोले का आयतन ठीक है और गोले का आयतन के सूत्र क्या होता है उनके लिए सूत्र होता है इसलिए यहां पर लिख लेते हैं गोला दिया है आकृति में तो आयतन बराबर क्या होता है चार बटे तीन भाई आर के घाट में तीन ठीक है बड़े गोले के लिए कैपिटल और लिख लेते त्रिज्या छोटे के लिए स्मॉल स्मॉल कार छोटी गोली के लिए ठीक तो 27 छोटे गोले का आयतन मिलकर एक बड़े गोले का आयतन बना रहा है ठीक है तो छोटे गोले का आयतन क्या हो जाएगा चार बटे तीन पांच माला की घात 3
बराबर बड़े गोले का आयतन चार बेटे 35 कैपिटल की घात में तीन तो दोनों ही पक्षों से चार बटे तीन पाई जो है वह निकाल सकते हैं क्योंकि दोनों पक्षों पर घनिष्ट है 27 * आरती घाट 3000 कैपिटल आर की घात 3 है बिहार और स्माल आर के बीच संबंध अगर हम देखेंगे तो यह घनमूल कर देंगे दोनों पक्षों पर तो आ रहे घनमूल करेंगे तो हमारा मन किया जाएगा और बचेगा आर की घात 3 से 3000 जाएगा वैसे 27 को मैं क्या लिख सकता हूं 3 की घात में तीन क्योंकि 3 * 399 * 327 ठीक है और इस माला की घाटी इसका हम घनमूल करेंगे तो हमारा मन किया जाएगा 3 गुना 8 तरीके से बता सकते हैं कि 3 गुना स्माल और क्यों बुद्धि विकल्प बराबर कैपिटल और मतलब बड़े बूंद की त्रिज्या है वह छोटे बूंदों की त्रिज्या की तीन गुनी है और हमको दिया है फिर भी मान लेते हैं जिसका मन क्या दिया है 10 वोल्ट दिया है ठीक बड़े घोड़े का विमानतल जो है उसको विदेश माल लेते जिसका मन हमको ज्ञात करना है ठीक है तो भी बराबर छोटे गोली का विमानतल क्या लिख सकते हैं
यह विभांतर किसी को ले के लिए आवश्यक गोले के लिए विभांतर कामा निकालते तो एक बटे चार पाई अफसाना नोट और गुने में क्या आता है आवेश बटे में उस गोले की त्रिज्या छोटे वाले के लिए छोटा होगा तभी छुट्टी ले लेंगे ठीक है इसको हम दे देते समीकरण नंबर 1 और b.day बड़े गोले के लिए जो आवेश है मतलब विभांतर है उसको हम क्या लिखेंगे एक बटे चार पाई एप्स आइलैंड नोट गुना कैपिटल क्यों बटे में आर की जगह क्या लिखेंगे कैपिटल आरके की हत्या कैपिटल आ रहा है ठीक है यह हो जाएगा समीकरण नंबर दो हम अनुपात ले लेते हैं समीकरण एक और दो का ठीक है समीकरण एक भाग समीकरण दो ठीक अब क्या लिख सकते हैं हम अब ऐसा लिख सकते कि वो बटे में भीड़ है और इस का मान क्या हो जाएगा दोनों ही पक्षों से एक बटे एक बटे चार का एप्स आइलैंड नोट है जो नियत राशि है दोनों के लिए हट जाएगी क्योंकि आप पहले नोट तो सबके लिए नहीं आते रहता है चारपाई भी संख्या है सबके लिए नियत रहेगा हमारे पास में बचेगा स्मॉल क्यूबेटिक्स माला बटे में कैपिटल प्यूबर्टी में कैपिटल ठीक है जो भी राशि
क्यों पहले ही हम ने काट दिया अब पर लिखा ही नहीं अनुपात में ठीक है विदेश का मांस वीडियो के रूप में लिख लेते हैं वीडियो बराबर क्या हो जाएगा * कैपिटल क्यों बैठे में आए और यह क्यों बता रहे दूसरे पक्ष में जाकर और बेटे की उम्र में परिवर्तित हो जाएगा स्मॉल बट एमएस मॉल क्यों ठीक है अब यहां कैपिटल और स्माल आर में संबंध हमने देखा क्या है ठीक है कैपिटल और स्माल कि मैं भी संबंध हमने देख लिया क्या है तो किसी एक रूप में लिख लेंगे कैपिटल क्यों कोई स्मॉल क्यों के रूप में लिख लेते हैं कैपिटल और कोई स्माल आर के रूप में लिख लेते हैं विदेश बराबर क्या आएगा बी का मान 10 वोल्ट 10 कैपिटल क्यों को स्मॉल कि के रूप में लिखेंगे तो 27 ही नाइस माल क्यों हो जाएगा इस मौला को स्मॉल आ रही रहने देते ठीक कैपिटल और कुछ माल आर के रूप में लिखेंगे तो 3 गुना इस्माल आर हो जाएगा कहां से यहां से ठीक है उसके पश्चात यहां पर स्मॉल क्यों आ जाएगा तो क्या-क्या चीजें कट रही है पर स्मॉल क्यूट स्मॉल स्मॉल आशीष मौला तू जो जो चीजें कटेगी उनको हटा देंगे बाकी संख्या बचेंगे तो उनका घंटा करेंगे ठीक है क्यों बुद्धि विकल्प तो यहां
टीवीएस बराबर क्या जाएगा 3 से 27 या 9 बटा 9 गुना 1090 एस आई मात्रक क्या हो जाएगा वोट हो जाएगा तो 90 वोट हमारा विदेश का माना गया जोकि दिए गए प्रश्न के उत्तर है मतलब बड़ी जो जिसकी त्रिज्या कैपिटल आर है बड़ी बूंद है पारे की उसके लिए वोट जो है वह 90 वोल्ट का विमानतल आ गया विभव आ गया है कि मानता नहीं विभावरी बंद का विभव क्या हो गया 90 विकल्प में देखते हैं यह हमको दिख रहा विकल्प क्रमांक 12 विकल्प क्रमांक 1 दिए गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर हो जाएगा दोस्तों धन्यवाद
व्यापार में तरक्की के 3 सबसे आसान उपाय
अच्छी आदतें जीवन मॆ सफलता तथा उन्नति की ओर ले जाती है वहीं बुरी आदतें आदमी को धीरे धीरे बर्बादी की ओर ले जाती हैं। हम दोस्त यारो मॆ बीच बैठकर अच्छी और बुरी दोनो तरह के संस्कार सीख सकते है लेकिन एक बात ध्यान रहे इसका भुगतान आपको अकेले ही करना पड़ता है। व्यापार मॆ वाणी तथा बुद्धि का खास उपयोग होता है तीव्र तथा विवेकपूर्ण बुद्धि आपको सफल व्यापारी बनने मॆ सहयोग करती है। एक व्यक्ति की पहचान का सबसे बड़ा माध्यम उसकी मनमोहक वाणी ही होती है।
ज्योतिष मॆ बुध ग्रह व्यापार, वाणी तथा तीव्र बुद्धि का कारक होता है। सरल शब्दों मॆ इसे आकाशमंडल का बनिया कहें तो सर्व उपयुक्त होगा। जिस व्यक्ति का बुध अच्छा होता है ऐसा व्यक्ति किसी भी व्यापार मॆ सफल होता है मिट्टी को सोना बनाने की कला ऐसे लोगो मॆ होती है।
जिस व्यक्ति के दांत मोतियों के तरह सफेद रहते है उसका बुध ग्रह बहुत अच्छा होता है। जिनके दांत अव्यस्थित गंदे टूटे होते है ये उनके व्यापारिक और आत्मिक पतन की क्यों बुद्धि विकल्प निशानी होती है। कुछ लोग गुटखा तम्बाकू पान मसाला से अपने मुख को शोभायमान रखते है तथा बार बार थूकते है ऐसे लोगो यदि कुबेर भी है तो बरबाद हो जाते है। बार बार थूकने वाला व्यक्ति का बुध नीच का तथा कोहडि कहलाता है। कई लोग व्यापार मॆ पान मसाला जर्दा तम्बाकू का आदतन प्रयोग करते है ये उनके अशुभ व हानिकारक बुध की निशानी है।
जिस व्यक्ति को बहन बेटी तथा बुआ का आशीर्वाद है वे व्यापार मॆ उन्नति प्राप्त करते है इसीलिये यथासम्भव बहन बेटी और बुआ से अच्छा व्यवहार बनाकर रखे।
यदि आपके दांत गंदे है तो सबसे पहले अपना खानपान सुधारें। गुटखा पान मसाला चाय जिनसे आपके दांत तथा मुह गंदा होता है उसको नियंत्रित करें। फिटकरी का चूर्ण बनाकर उसमे नमक मिलाकर ब्रश तथा कुल्ला करे जिससे आपके दांत साफ होंगे इसे आप सप्ताह मॆ एक या दो बार कर सकते है। किन्नर दिखें तो यथासम्भव दान दें। बहन बेटियों से आशीर्वाद तथा कृपा लेते रहें इससे आपका बुध कितना भी खराब है सुधरेगा तथा आप व्यापार तथा जीवन मॆ उन्नति प्राप्त करेंगे।
चिकित्सा का चक्कर | Lesson 6 | Class 9 Hindi | Hindi Question Answer Assam |
(क) लेखक बीमार कैसे पड़ा?
उत्तर: एक दिन उन्होंने हॉकी खेलते वक्त रिफ्रेशमेण्ट ज्यादा खा लिया था। ऊपर से घर जाकर बारह पूरियांँ खाई और साथ ही साथ प्रसाद जी के यहांँ से आए छह बाग बाजार का रसगुल्ला भी खाया। जिसके कारण लेखक बीमार पड़ गए।
(ख) पेट में दर्द होने पर लेखक ने कैसी दवा ली?
उत्तर: पेट दर्द हो या पेट खराब होने जैसे स्थिति के लिए लेखक के पास हमेशा से औषधियों का राजा, रोगों का रामबाण, अमृतधारा की एक शीशी सदा उनके पास रहा करती थी। जैसे ही उनका पेट दर्द हुआ उन्होंने तुरंत उस शीशी में से दवा की कुछ बूंदें पी ली।
(ग) अपने देश में चिकित्सा की कौन-कौन सी पद्धतियांँ प्रचलित है?
उत्तर: अपने देश में चिकित्सा की अनेक पद्धतियांँ प्रचलित है जैसे- एलोपैथिक चिकित्सा, होम्योपैथी, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, आध्यात्मिक चिकित्सा, घरेलू चिकित्सा आदि। परंतु हमारे देश में एलोपैथिक चिकित्सा को ही प्रधानता दी जाती है।
(घ) डॉ. चूहानाथ कातर जी ने लेखक का इलाज कैसे किया?
उत्तर: डॉक्टर चूहानाथ कातर जी ने लेखक के इलाज के लिए थोड़ा पानी गरम करवाया और दो रुपए की दवा मंगवाई। उस दवा को डॉक्टर बाबू ने एक छोटी सी पिचकारी में भरा जिसके आगे एक लंबी सुई लगी थी। उसके बाद उन्होंने उस सुई को लेखक के पेट में कोंचकर दबा डाला और लेखक को सांत्वना देकर वहांँ से चले गए।
(ङ) वैद्य जी ने लेखक को दर्द का क्या कारण बताया?
उत्तर: वैद्य जी ने लेखक के हाथों की नाड़ी देख दर्द का कारण बताते हुए कहा कि "वायु का प्रकोप है, यकृत से वायु घूमकर पित्ताशय में प्रवेश कर आंत में जा पहुंची है। इससे मंदाग्रि का प्रादुर्भाव क्यों बुद्धि विकल्प होता है और इसी कारण जब भोज्य पदार्थ प्रतिहत होता है, तब शुल का कारण होता है।"
(क) लेखक ने वैद्यजी और हकीम साहब की पोशाकों के बारे में कैसा व्यंग क्या है?
उत्तर: लेखक ने वैद्यजी की पहनावे पर व्यंग करते हुए कहा है कि वैद्यजी छोटी पहने, कंधे पर एक सफेद दुपट्टा डाले आए थे। ऊपर से शरीर पर सूट के नाम पर जनेऊ था, जिसको देख लेखक को लगता था मानो कविराज जी कुश्ती लड़ने आए हैं।
दूसरी और हकीम के बारे में लेखक ने कहा है कि हकीम साहब चिकन का बंददार कुरता पहने सिर पर बनारसी लोटे की तरह टोपी पहने हुए थे। पांँव में पाजामा ऐसा मालूम होता था कि चूड़ीदार पाजामा बनाने वाला था।
(ख) चिकित्सकों के अलावा लेखक ने और किन लोगों पर कटाक्ष किया है?
उत्तर: लेखक ने चिकित्सकों के अलावा उन लोगों पर कटाक्ष किया है जो लेखक का हाल पूछने के बहाने दिनभर इधर-उधर की बातों को लेकर बैठक किया करते और चिकित्सा हेतु तरह-तरह के नए-नए नुस्खे लेखक को अपनाने को कहते। लेखक को उनकी बातें आराम देती थी कम, दिमाग चाटती थी अधिक।
(ग) 'दो खुराक पीते-पीते दर्द वैसे ही गायब हो जाएगा, जैसे हिंदुस्तान से सोना गायब हो रहा है।'- भाव स्पष्ट करो।
उत्तर: यह बात डॉक्टर साहब ने लेखक को साहित्यिक भाव से कही थी कि उनके द्वारा दी गई दवा को पीते ही उनका दर्द समाप्त हो जाएगा। उन्होंने पेट दर्द की तुलना सोने के साथ की है।
डॉक्टर द्वारा कहे गए बातों के पीछे यह भाव था कि वर्तमान समय में सोना रूपी मूल्यवान चीजें समाप्त होता जा रहा है, जो कभी हिंदुस्तान में इसका भंडार था। जिस भारत को हम सोने की चिड़िया कहते थे आज वह धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। अर्थात इसी प्रसंग को लेकर डॉक्टर कहते हैं कि जिस तरह सदियों से हिंदुस्तान से सोना गायब हो रहा है, उसी तरह लेखक का दर्द भी गायब हो जाएगा।
(घ) रसगुल्ले छायावादी कविताओं की भांँति सूक्ष्म नहीं थे, स्कूल थे।'- यह हास्य-व्यंग्य के प्रसंग प्रसाद जी के यहांँ से आए बागबाजार के रसगुल्ले के संबंध में है,जिनमें से छह बड़े-बड़े रसगुल्ले लेखक ने खाना खा चुकने के बाद खाए थे। इसी तरह पाठ से पांँच हास्य-व्यंग्य के प्रसंग छाँटकर लिखो।
उत्तर: चिकित्सा का चक्कर पाठ के आधार पर पाँच हास्य-व्यंग के प्रसंग कुछ इस प्रकार हैं-
1."प्रेमियों को जो मजा प्रेमिकाओं की आंँख देखने में आता है, शायद वैसा ही डॉक्टरों को मरीजों की जीभ देखने में आता है।
2."जरा एक बात का ख्याल रखिएगा कि आजकल दवाइयांँ लोग बहुत पुरानी रखते हैं। मेरे यहांँ ताजी दवाइयांँ मिलती है।"
3. "देखो न इसकी बोरौनी कैसी खड़ी है। कोई चुड़ैल लगी है। किसी को दिखा देना चाहिए।"
4. जरा मुंँह तो देखूँ।" मैंने कहा, "मुंँह जीभ जो चाहे देखिए।"
5."तुम्हारी बुद्धि कहीं घास चरने गई है? आज कोई कहता है दांँत उखड़वा डालो, कल कोई कहेगा सारे बाल उखड़वा डालो, परसों कोई डॉक्टर कहेगा नाक में नुचवा डालो, आंँखें निकलवा डाल दो। यह सब फिजूल है। खाना ठिकाने से खाओ पंद्रह दिन में ठीक हो जाओगे।"
(क) अभी अस्पताल खुला न होगा, नहीं तो आपको दवा मंगवानी न पड़ती।
उत्तर: प्रातः काल जब डॉक्टर साहब लेखक को देखने आए थे, तब यह वाक्य डॉक्टर साहब ने लेखक से कहा था।
(ख) यार! आप तो ऐसी बात कहते हैं, गोया जिंदगी से बेजार हो गए हैं।
उत्तर: यह वाक्य हकीम साहब ने लेखक से कहीं थी। जब लेखक ने हकीम से कहा था कि 'अब यह जिंदगी आपके ही हाथों में है।'
(ग) मैं तो पहले ही सोच रही थी कि यह कुछ ऊपरी खेल है।
उत्तर: जब लेखक की नानी की मौसी उन्हें देखने आई, तब नानी ने यह बात लेखक से कही थी।
(घ) तुम्हारी बुद्धि कहीं घास चरने गई है?
उत्तर: दांत तुड़वाने के लिए अपनी पत्नी से रुपए मांगने पर पत्नी ने लेखक से यह बात कही थी।
पृष्ठ : बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/५०७
प्रहावर सध्यान ५१६ कैसे होगा? सूर्योदय पर कैसे अन्यत्र छाया होती है, और अन्यत्र अातप . उसका अन्य प्रदेश नहीं होता जहाँ अाता नहीं होता। यदि दिगमागभेद इष्ट नहीं है, तो दूसरे परमाणु से एक परमाणु का प्रावरण कैसे होता है ? परमाणु का कोई पर भाग नहीं है, जहाँ आगमन से दूसरे का दूसरे से प्रतिघात हो, और यदि प्रतिघात नहीं है, तो सब परमाणुओं का समान- देशल होगा और सर्वसंघात परमाणुमात्र हो बायगा। यही पिण्डों के लिए है। पिण्ड या तो परमाणुओं से अन्य नहीं हैं, अथवा अन्य है। यदि पिण्ड परमाणुगों से अन्य इष्ट नहीं है, तो यह सिद्ध होता है कि वह पिण्ड के नहीं हैं। यह सैनिवेश परिकल्प है । यदि परमाणु संघात है, तो इस चिन्ता से क्या, यदि रूपादि लक्षण का प्रतिषेध नहीं होता। अत: रूपादि लक्षण अनेक ( बहु) नहीं हो सकता। जब परमाणु प्रसिद्ध हुआ तब उसके साथ साथ द्रव्यों का अनेकन्च भी दूषित हो गया। किन्तु रूप को हम एक द्रव्य भी संप्रधारित नहीं कर सकते। क्योकि यदि चक्षु का निषय एक द्रव्य कल्पित हो तो उसकी अविच्छिन्न उपलब्धि प्रत्यक्ष होगी, किन्तु अनुभव ऐसा नहीं बताता | पुनः यह विकल्प केवल युक्ति की परिसमाप्ति के लिए था। जब पृथग्भूत परमाणु असिद्ध है, तब संघात परमाणु असिद्ध हो जाता है, और सकृत् रूपादि का चतुरादि विषयत्व भी प्रसिद्ध हो जाता है। केवल विज्ञसिमात्र सिद्ध होता है। वैभाषिक पापों का निराकरण-प्रतिपक्षी एक दुसरा आक्षेप करते हैं । वह कहते है कि प्रमाण द्वारा अस्तित-नास्तित्व निर्धारित होता है, और प्रमाणों में प्रत्यक्ष प्रमाण गरिष्ठ है । वह पूछते हैं कि यदि अर्थ असत् है, तो प्रत्यक्ष बुद्धि क्यों होती है। यह प्रतिपक्षी वैभारिक हैं । वसुबन्धु गूछते हैं कि आप क्षणिकवादियों को कैसे विषय का प्रत्यक्षस्व इष्ट है, क्योंकि बब क्षणिक-विज्ञान उसको विषय बताता है, उसी क्षण में रूपरसादिक निरुद्ध हो गये होने हैं । "यह विषय मुझको प्रत्यक्ष है। ऐसो प्रत्यक्षबुद्धि जिस क्षण होती है, उसी क्षण में वह अर्थ नहीं देखा जाता, क्योंकि उस समय मनोविज्ञान द्वारा परिच्छेद और चतुर्विधान निरुद्ध हो चुके होते हैं। किन्तु यह कहा जायगा क्यों बुद्धि विकल्प कि क्योंकि अमनुभूत का स्मरण मनोविज्ञान द्वारा नहीं होता, इस लिए अर्थ का अनुभव अवश्य होना चाहिये । वसुबन्धु उत्तर देते हैं कि अनुभूत अर्थ का स्मरण प्रसिद्ध है। हम कह चुके हैं कि किस प्रकार अर्थ के बिना ही अर्थाभास विशति का उसाद होता है, चतुर्विज्ञानादिक विज्ञप्ति हो अर्थ के रूप में प्राभासित होती है । इसी विशति से स्मृतिसंप्रयुक्त रूपादि वैकल्पिक मनोविशति उत्पन्न होती है । अतः स्मृति के उत्पाद से अर्था- नुभव नहीं सिद्ध होता। बहुधर्मवादी कहेंगे कि यदि जैसे स्वप्न में विज्ञप्ति का विषय अभूतार्थ होता है, बाग्रत अवस्था में भी वैसा ही हो तो उसका अभाष लोगों को स्वयं ही अवगत होना चाहिये । किन्तु ऐसा नहीं होता। इसलिए स्वप्न के तुल्य अर्थोपलब्धि निरर्थक नहीं है।
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न्यूनतम अंक: 1
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