क्या है डिविडेंड पे आउट रेश्यो और शेयरधारकों के लिए इसे समझना क्यों है जरूरी?
डिविडेंड पे कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? आउट रेश्यो से पता चलता है कि कंपनी ने आय में से कितना पैसा शेयरधारकों को दिया.
डिविडेंड शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है. कई बार ऐसा होता है कि कंपनियां शेयरों में गिरावट को रोकने या फ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 18, 2022, 08:20 IST
हाइलाइट्स
कंपनी द्वारा शेयरधारकों को मुनाफे का एक हिस्सा दिया जाना डिविडेंड कहलाता है.
डिविडेंड पे आउट रेश्यो यह बताता है कि कंपनी ने आय के मुकाबले कितना लाभांश शेयरधारकों दिया.
आप प्रति शेयर डिविडेंड को प्रति शेयर या से भाग कर के भी पे आउट रेश्यो निकाल सकते हैं.
नई दिल्ली. कंपनियां जब मुनाफे में से कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों को देती हैं तो उसे डिविडेंड यानी लाभांश कहा जाता है. इसके जरिए कंपनियां निवेशकों को शेयरों में निवेश के लिए आकर्षित करती हैं. डिविडेंड भी शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है. हालांकि, डिविडेंड देना कंपनियों के लिए कोई अनिवार्य नहीं होता है. इसी डिविडेंड से जुड़ा एक और टर्म है डिविडेंड पे आउट रेश्यो.
डिविडेंड पे आउट रेश्यो को सीधे शब्दों में समझे तो ये यह जानने का तरीका है कि किसी कंपनी ने अपनी आय में से कुल कितना पैसा शेयरधारकों को दिया है. यानी कंपनी द्वारा दिया गया कुल डिविडेंड उसकी आय के अनुपात में कितना है.
कैसे पता करें डिविडेंड पे आउट रेश्यो
आप डिविडेंड की कुल रकम से कंपनी की नेट इनकम से भाग देकर डिविडेंड पे आउट रेश्यो निकाल सकते हैं. इसके अलावा आप साल में एक शेयर पर जितना डिविडेंड दिया गया है उससे हर शेयर की आय (ईपीएस) को भाग देकर भी डिविडेंड पे आउट निकाल सकते हैं.
शेयरधारकों के लिए इसे जानना क्यों जरूरी
डिविडेंड पे आउट रेश्यो के जरिए शेयरधारक को पता चलता है कि कंपनी आखिर अपनी आय में से कितनी राशि शेयरधारकों को दे रही है और कितना अपने पास रख रही है. कंपनी इस आय का इस्तेमाल बिजनेस के विस्तार, कर्ज चुकाने और विभिन्न भुगतानों के लिए करती है. मान लीजिए अगर डिविडेंड पे आउट रेश्यो 30 फीसदी आता है तो कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? इसका मतलब है कि कंपनी डिविडेंड के रूप में शेयरधारकों को आय का 30 फीसदी हिस्सा दे रही है.
शेयरधारकों को लुभाने के लिए भी दिया जाता है डिविडेंड
कई बार ऐसा होता है कि कंपनियां शेयरों में गिरावट को रोकने या फिर और अधिक शेयरधारकों को आकर्षित करने के लिए डिविडेंड की घोषणा करती हैं. इससे शेयरधारक कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं और उसकी कीमतों में उछाल आता है. शेयरधारक भी डिविडेंड देने वाली कंपनियों की तलाश में रहते हैं. शेयरधारक ऐसी कंपनियों में अधिक निवेश करते हैं तो ज्यादा-से-ज्यादा डिविडेंड देती हैं. ऐसे में अगर निवेशक को शेयरों गिरावट से घाटा भी होता है तो वह डिविडेंड से कमाई कर कुछ हद तक इसकी भरपाई कर लेता है.
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कंपनी शेयर के मार्केट प्राइस की तुलना में आपको कितना डिविडेंड मिला, ऐसे करें कैलकुलेट
डिविडेंड देना कंपनियों के लिए अनिवार्य नहीं होता है, फिर भी कुछ कंपनियां शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती हैं. डिविडेंड मिलने से शेयरहोल्डर्स का मुनाफा तो समझ में आता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इससे कंपनियों का क्या फायदा होता है ?
जब कोई कंपनी साल भर में कमाए गए अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा शेयरहोल्डर्स में बांटती है तो उसे डिविडेंड कहा जाता है. डिविडेंड भी शेयर मार्केट में कमाई का काफी प्रचलित तरीका है. हालांकि सभी कंपनियां शेयरधारकों को डिविडेंड नहीं देती हैं, क्योंकि डिविडेंड देना कंपनियों के लिए अनिवार्य नहीं होता है. ऐसी तमाम कंपनियां हैं जो मुनाफे की रकम को बिजनेस के विस्तार और ग्रोथ में लगा देती हैं.
ज्यादातर बड़ी और पूरी तरह से स्थापित कंपनियां शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती हैं. डिविडेंड मिलने से शेयरहोल्डर्स का मुनाफा तो समझ में आता है, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि जब कंपनियों के लिए डिविडेंड देने की कोई बाध्यता नहीं हैं, फिर कंपनियां अपने मुनाफे का हिस्सा शेयरहोल्डर्स को क्यों देती हैं और इससे कंपनियों का क्या फायदा होता है ? इसके अलावा मार्केट प्राइस की तुलना में आपको कंपनी ने कितना डिविडेंड दिया है, कैसे पता करें? आइए आपको बताते हैं…
क्यों डिविडेंड देती हैं कंपनियां
डिविडेंड से कंपनी का सीधेतौर पर कोई फायदा नहीं होता. लेकिन कई कंपनियां अपने मुनाफे में शेयरहोल्डर्स को भी हिस्सेदारी मानती हैं और उनकी खुशी और कंपनी पर भरोसा बनाए रखने के लिए डिविडेंड बांटती हैं. वहीं कई बार कंपनियां शेयरों में गिरावट को रोकने या फिर और अधिक शेयरधारकों को आकर्षित करने के लिए भी डिविडेंड बांटती हैं. इससे आकर्षित होकर ज्यादा से ज्यादा उस कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं और इससे कंपनी के शेयर्स के रेट्स में उछाल आता है. अगर शेयरहोल्डर्स को शेयर्स में कुछ घाटा भी हुआ है तो डिविडेंड से उस घाटे की भरपाई हो जाती है. ज्यादातर निवेशक ऐसी कंपनियों की तलाश में रहते हैं, जो ज्यादा से ज्यादा डिविडेंड देती हैं. यानी डिविडेंड के जरिए निवेशक कंपनी से जुड़ा रहता है और उसका भरोसा कंपनी पर बना रहता है.
कब दिया जाता है डिविडेंड
डिविडेंड हर तिमाही के नतीजे के साथ दिया जाता है. ये कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो डिविडेंड कब देती हैं, कितना देती हैं और कितनी बार देती हैं. कुछ कंपनियां साल में एक बार तो कुछ दो-तीन बार भी दे सकती हैं. डिविडेंड आपके अकाउंट में कैश में भी आ सकता है या फिर एडिशनल स्टॉक में रिइन्वेस्टमेंट के तौर पर भी मिल सकता है.
आपको कितना डिविडेंड मिला ?
प्रति शेयर पर मिलने वाले लाभांश को डिविडेंड यील्ड कहते हैं. डिविडेंड यील्ड का इस्तेमाल ये पता करने में होता है कि कंपनी शेयर के मार्केट प्राइस की तुलना किसी कंपनी ने आपको कितना डिविडेंड दिया है. उदाहरण से समझिए जैसे -
राजू की कंपनी है A और श्याम की कंपनी कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? है B. राजू की कंपनी ने भी 40 रुपए डिविडेंड दिया और श्याम की कंपनी ने भी 40 रुपए डिविडेंड दिया. लेकिन मार्केट प्राइस के हिसाब से किस कंपनी ने ज्यादा डिविडेंड दिया, इसका पता ऐसे लगेगा. मान लीजिए A का शेयर प्राइस 1000 रुपए और B का शेयर प्राइस 2000 रुपए है. 40X100/1000 = 4% और 40X100/2000 = 2% . इस तरह राजू की कंपनी ने 4 प्रतिशत और श्याम की कंपनी ने 2 प्रतिशत डिविडेंड दिया.
एक बार शेयर खरीदकर 2 तरह से पा सकते हैं मुनाफा, जानें क्या होता है डिविडेंड
एक बार शेयर खरीदकर 2 तरह से पा सकते हैं मुनाफा
Dividend Stocks: अमूमन शेयर खरीदने के बाद अगर उसमें ग्रोथ आती है तो उसका फायदा निवेशकों को मिलता है. लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि एक ही जगह निवेश करें और उस पर 2 तरह से आपको मुनाफा हो. बहुत से लोगों को इस बारे में ज्यादा अंदाजा नहीं होगा. शेयर बाजार में यह भी संभव है. इस तरह का फायदा आप ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयरों में निवेश कर उठा सकते हैं.
शेयर बाजार की चाल हर समय एक जैसी नहीं रहती है. बाजार में कभी तेजी आती है तो कभी छोटे सेंटीमेंट से भी बाजार नीचे आने लगता है. जब बाजार में गिरावट शुरू होती है तो कई शेयरों का भाव भी गिरने लगता है और निवेशकों का रिटर्न निगेटिव हो सकता है. ऐसे में निवेशकों के मन में डर भी बैठने लगता है. जो निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, कई बार वे इस कंडीशन में शेयर भी बेचने लगते हैं. अगर आप भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो डिविडेंड स्टॉक बेहतर विकल्प है.
क्या है डिविडेंड?
कुछ कंपनियां अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती रहती हैं. मुनाफे का यह हिस्सा वे शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में देती हैं. इन्हें डिविडेंड यील्ड स्टॉक भी कहते हैं. गर इन कंपनियों के शेयर खरीदते हैं तो इसमें 2 तरह से फायदा होगा.
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Dividend Stocks: 2 तरह से फायदा
- एक तो फायदा यह होगा कि कंपनी होने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा आपको देगी.
- दूसरी ओर शेयर में तेजी आने से भी आपको मुनाफा होगा. मसलन किसी कंपनी के शेयर में आपने 10 हजार रुपए निवेश किए हैं और एक साल में शेयर की कीमत 25 फीसदी चढ़ती है तो आपका निवेश एक साल में बढ़कर 12500 रुपये हो जाएगा.
- ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश का एक फायदा यह है कि आप अपने शेयर बेचे बिना भी इनकम कर सकते हैं.
मुनाफे वाली कंपनियां देती हैं डिविडेंड
आमतौर पर पीएसयू कंपनियां डिविडेंड के लिहाज से अच्छी मानी जाती हैं. जानकारों का कहना है कि अगर कोई कंपनी डिविडेंड दे रही है तो इसका मतलब साफ है कि उस कंपनी को मुनाफा आ रहा है. कंपनी के पास कैश की कमी नहीं है. डिविडेंड देने के ऐलान से शेयर को लेकर भी सेंटीमेंट अच्छा होता है और उसमें तेजी आती है. हालांकि ऐसे शेयर चुनते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि निवेश उसी कंपनी में करें जिनका कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर ग्रोथ के साथ रेग्युलर डिविडेंड देने का हो.
ये कंपनियां देती है डिविडेंड
देश में ऐसी कंपनियों की कमी नहीं हैं, जो अपने शेयरधारकों को समय-समय पर डिविडेंड देती हैं. ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों की सूची में कोल इंडिया, वेदांता लिमिटेड, बीपीसीएल, आईओसी, आरईसी, NMDC, NTPC और सोनाटा सॉफ्टवेयर जैसी कंपनियां शामिल हैं.
(Disclaimer: हम यहां निवेश की सलाह नहीं दे रहे हैं. यह डिविडेंड स्टॉक के बारे में एक जानकारी है. स्टॉक मार्केट के अपने जोखिम है. निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
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शेयर बाजार: बायबैक और डिविडेंड से शेयर निवेशकों को मिलता है ज्यादा फायदा, कंपनियां समय-समय पर देती हैं इसका लाभ
अगर आप किसी शेयर में निवेश करते हैं और इसके बाद अगर उसमें ग्रोथ होती है तो उसका फायदा आपको मिलता है। लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि एक ही जगह निवेश करें और उस पर 3 तरह से आपको मुनाफा हो। शेयर मार्केट में सिर्फ शेयर की कीमत बढ़ने से ही निवेशकों को फायदा नहीं होता। इसके अलावा बायबैक और डिविडेंड से भी आपको समय-समय पर फायदा होता रहता है। आज हम आपको बायबैक और डिविडेंड के बारे में बता रहे हैं।
बायबैक क्या होता है
बायबैक का मतलब जब कोई कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है।
बायबैक कब और क्यों किया जाता है
बायबैक अमूमन तब किया जाता है जब किसी कंपनी के पास कैश पैसा हो। यानी वह इस पैसे से बाजार में अपने शेयरों को वापस खरीदती है। इसका कोई समय या नियम नहीं है कि कब करना चाहिए या क्यों करना चाहिए। कंपनी के ऊपर है कि उसे जब लगे कि उसके पास कैश है, वह कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? कर सकती है। बायबैक इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे कंपनी में प्रमोटर की होल्डिंग बढ़ जाती है।
क्या बायबैक नहीं करने से कोई जोखिम भी होता है
हां, यह तब होता है जब मान लीजिए कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे हो। ऐसी स्थिति में अगर खुले बाजार से किसी ने ज्यादा शेयर खरीद लिया यानी प्रमोटर से ज्यादा हिस्सेदारी उसकी हो गई तो कंपनी पर नियंत्रण में प्रमोटर्स को दिक्कत हो सकती है।
बायबैक से कंपनी और निवेशक को क्या फायदा या नुकसान होता है
कंपनी को तो कोई नुकसान नहीं होता है। बल्कि कंपनी के लिए यह उसके नियंत्रण के रूप में और मजबूत होता है। निवेशकों के लिए भी यह ज्यादातर मामलों में फायदा वाला होता है। लेकिन कभी-कभी कंपनियां जान बूझकर इस तरह के भाव पर बायबैक करती हैं जिसमें निवेशकों को घाटा भी होता है।
क्या है डिविडेंड?
कुछ कंपनियां अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती रहती हैं। मुनाफे का यह हिस्सा वे शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में देती हैं। इन कंपनियों के शेयर खरीदते हैं तो इसमें 2 तरह से फायदा होता है।
डिविडेंड 2 तरह से देता है फायदा
एक तो फायदा यह होगा कि कंपनी होने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा आपको देगी। वहीं दूसरी ओर शेयर में तेजी आने से भी आपको मुनाफा होगा। मान लीजिए आपने किसी कंपनी के शेयर में 1 हजार रुपए निवेश किए हैं और एक साल में शेयर की कीमत 25 फीसदी चढ़ती है तो आपका निवेश एक साल में बढ़कर 1250 रुपए हो जाएगा। इसके अलावा कम्पनी कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? भी अपने लाभ में से कुछ हिस्सा शेयरधारकों को देती हैं। ऐसे में आपको डबल फायदा हो सकता है।
डिविडेंड कब मिलता है
डिविडेंड तब दिया जाता है जब कंपनियों को फायदा होता है और वो अपने निवेशकों अपना मुनाफा बांटना चाहती है। इसका कोई समय या नियम नहीं है कि कब और कितना दिया जाएगा। ये कंपनी के ऊपर है कि वो अपने शेयरधारकों को कब और कितना फायदा देती है।
डिविडेंड का कैलकुलेशन
इस बात को खास ध्यान रखे कि डिविडेंड हमेशा शेयर के फेस वैल्यू पर दिया जाता है, और इसका कैलकुलेशन भी फेस वैल्यू पर ही किया जाता है। मान लीजिए किसी स्टॉक का करंट मार्केट प्राइज 100 है लेकिन उस स्टॉक का फेस वैल्यू अगर 10 रुपए है, और कम्पनी 100 फीसदी डिविडेंड देने का फैसला करती है, तो इसका मतलब है शेयर का फेस वैल्यू है 10 रुपए, तो 100 फीसदी डिविडेंड का मतलब है प्रति शेयर 10 रुपए का डिविडेंड मिलेगा।
मुनाफे वाली कंपनियां देती हैं डिविडेंड
आमतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) डिविडेंड के लिहाज से अच्छी मानी जाती हैं। अगर कोई कंपनी डिविडेंड दे रही है तो इसका मतलब साफ है कि उस कंपनी को मुनाफा आ रहा है और उसके पास कैश की कमी नहीं है। डिविडेंड देने के ऐलान से शेयर को लेकर भी सेंटीमेंट अच्छा होता है और उसमें तेजी आती है।
डिविडेंड क्या होता है, कैसे मिलता है शेयरों में निवेश करने पर ज्यादा मुनाफा, समझें
कैपिटल मार्केट में ऐसे कई निवेश हैं जिनसे आप ऐसा फायदा उठा सकते हैं. कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो अपने निवेशकों को अलग अलग समय पर अपने मुनाफे में से डिविडेंड देती हैं. इनके शेयरों में निवेश कर निवेशक अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
Investment : कई कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स के डिविडेंड कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? देती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आप कहीं एक जगह पर बड़े अमाउंट में पैसे निवेश करते हैं तो यही उम्मीद रखते हैं कि आपको अच्छा खासा मुनाफा होगा. मुनाफा एक की बजाय दो रास्तों से आए तो फिर बात ही क्या है. इसे कहते हैं डबल बेनिफिट वाली डील हासिल करना. कैपिटल मार्केट में ऐसे कई निवेश हैं जिनसे आप ऐसा फायदा उठा सकते हैं. कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो अपने निवेशकों को अलग-अलग समय पर अपने मुनाफे में से डिविडेंड या लाभांश (Dividend) देती हैं. इनके शेयरों में निवेश कर निवेशक अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. उससे पहले ये समझ लेना जरूरी है कि डिविडेंड क्या होता है.
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क्या होता है डिविडेंड?
शेयर मार्केट की दुनिया में कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे में से हिस्सा देती हैं. मुनाफे के रूप में मिलने वाला यही हिस्सा डिविडेंड कहलाता है. ऐसी कंपनियों के शेयरों को डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स कहा जाता है. हालांकि ये डिविडेंड देना या न देना किसी भी कंपनी का खुद का फैसला होता है. ये अनिवार्य नियम नहीं है. पीएसयू सेक्टर की कंपनियां अधिकतर अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती हैं.
कैसे मिलेगा डबल मुनाफा?
किसी भी कंपनी के शेयर में निवेश कर मुनाफा कमाने के दो तरीके होते हैं. पहला फायदा आपको तब होगा जब शेयरों में तेजी आएगी. और दूसरा यह कि कंपनी को जो भी मुनाफा हो रहा है, कंपनी उसी मुनाफे से आपको हिस्सा देगी. शेयरों में हमेशा उतार-चढ़ाव आता रहता है. जब बाजार गिरता है तो निवेशक अपने शेयर बेचने लगते हैं, इससे शेयरों के दाम घट जाते हैं. ऐसे वक्त में अगर आपने किसी डिविडेंड स्टॉक में निवेश कर रखा है तो आप ऐसे नुकसान के बीच में भी संभले रह सकते हैं.
डिविडेंड को भी बाजार के लिए अच्छा माना जाता है. डिविडेंड मिलने से बाजार का सेंटीमेंट पॉजिटिव बना रहता है. अगर आप ऐसी किसी कंपनी में निवेश करते हैं जो ज्यादा डिविडेंड देती है तो, आप अपने शेयर बेचे बिना भी अच्छी खासी इनकम कमा सकते हैं.
डिविडेंड कब मिलता है?
यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो डिविडेंड कब देती हैं, कितना देती हैं और कितनी बार देती हैं. कुछ कंपनियां साल में एक बार तो कुछ कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? दो-तीन बार भी डिविडेंड देती हैं. डिविडेंड प्रति शेयर के आधार पर दिया जाता है. वित्त वर्ष के अंत में कंपनी अपने मुनाफे में से टैक्स और दूसरे खर्चों कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? का कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? पैसा अलग करने के बाद जो शुद्ध मुनाफा बनता है, उसमें से लाभांश अपने शेयरहोल्डर्स को देती है.
(ध्यान रखें यह डिविडेंड पर महज सामान्य जानकारी है, कोई भी निवेश करने से पहले किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
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