चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत से 484% ज्यादा

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42)

संसद इस अधिनियम जून, 2000 को केंद्र सरकार के 1 दिन अस्तित्व में आया विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 की जगह के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 अधिनियमित किया है। उक्त अधिनियम के तहत मामलों की जांच के ऊपर लेने के उद्देश्य के लिए, निदेशक और अन्य अधिकारियों के साथ प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना की है।

अधिनियम की वस्तु को मजबूत करने और विदेशी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य के साथ और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून में संशोधन करने के लिए है।

यह अधिनियम पूरे भारत में फैली हुई है और यह भी लागू होते हैं भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत निवासी व्यक्ति के स्वामित्व या नियंत्रण भारत से बाहर सभी शाखाओं, कार्यालयों और एजेंसियों के लिए लागू होता है। यह इस अधिनियम के लागू होता है जिसे करने के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा भारत के बाहर प्रतिबद्ध किसी उल्लंघन के लिए भी लागू होता है।

600 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी मुद्रा रखने वाला दुनिया का 5 वां देश बना भारत, रूस से है बस इतना पीछे

600 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी मुद्रा रखने वाला दुनिया का 5 वां देश बना भारत, रूस से है बस इतना पीछे

कोरोना काल में बढ़ा विदेशी निवेश (Image: Pixabay)

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर को पार करने के साथ रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। भारत अब उन देशों के क्‍लब में शामिल हो गया है जिनके पास 600 अरब डॉलर से ज्‍यादा फॉरेक्‍स रिजर्व है। वैसे भारत के मुकाबले चीन के पास 5 गुना और जापान के पास दो गुना विदेशी मुद्रा भंडार है। वहीं रूस से भारत काफी कम अंतर से पीछे है , जिसे विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत देश काफी जल्‍दी पीछे छोड़ सकता है। वहीं टॉप थ्री में पहुंचने के लिए भारत को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड है , जिसके पास एक हजार अरब डॉलर से ज्‍यादा का विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्रा व्यापार में भारत है। जानकारों की मानें तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का कारण विदेशी निवेशकों का लगातार भारतीय बाजार में निवेश है।

भास्कर एक्सप्लेनर: जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर, क्या है इसकी वजह और यह देश के लिए कितना फायदेमंद?

देश का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के आखिरी हफ्ते में 541.43 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है। एक सप्ताह में इसमें 3.88 बिलियन डॉलर (28.49 हजार करोड़ रुपए) की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 21 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 537.548 बिलियन डॉलर (39.49 लाख करोड़ रुपए) था। जून में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 501.7 बिलियन डॉलर (36.85 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंचा था। 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इस समय पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर के करीब है।

इसलिए बढ़ रहा है विदेशी मुद्रा भंडार

फर्जी विदेशी मुद्रा व्यापार योजना से निवेशकों को ठगने के आरोप में छह गिरफ्तार

Six arrested for duping investors with fake forex trading scheme | फर्जी विदेशी मुद्रा व्यापार योजना से निवेशकों को ठगने के आरोप में छह गिरफ्तार

पालघर (महाराष्ट्र), नौ जुलाई महाराष्ट्र के पालघर जिले में फर्जी विदेशी मुद्रा व्यापार योजना में ऑनलाइन निवेश करने का प्रलोभन देकर कई लोगों के साथ लाखों रुपये की ठगी करने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

पुलिस उपायुक्त डॉ महेश पाटिल ने कहा कि यह गिरोह वसई शहर के अंबादी रोड इलाके में एक रिहायशी इलाके से एक 'कॉल सेंटर' चलाता था। उन्होंने कहा कि आरोपी देश भर में लोगों को फोन करते और उन्हें मोबाइल भुगतान ऐप के जरिए विदेशी मुद्रा व्यापार में निवेश करने को कहते।

चीन से बढ़ता आयात कब, कैसे रुकेगा

एक, देश का व्यापार घाटा कम होगा और विदेशी मुद्रा पर बोझ भी घटाया जा सकेगा। दूसरे, देश में उन उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में तो वृद्धि होगी ही, रोजगार निर्माण में भी सफलता मिलेगी। भारत डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत भी आयात शुल्क 40 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है, जबकि हमारे आयात शुल्क10 प्रतिशत के आसपास हैं…

वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों में जहां भारत में चीन से आयात 68.46 अरब डालर थे, वहीं अब बढक़र वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में 89.66 अरब डालर हो चुके हैं। वर्ष 2021 के पूरे वर्ष में चीन से आयात 97.5 अरब डालर थे और अगर आयातों की यही गति जारी रही तो वे इस वर्ष 120 अरब डालर पहुंच जाएंगे। यूं तो आयात-निर्यात एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन चीन से बढ़ते आयात इस कारण चिंता का सबब बनते हैं, क्योंकि इससे व्यापार घाटा बढ़ता है और देश की विदेशी मुद्रा की देनदारी भी। यदि देखा जाए तो इस वर्ष के पहले नौ महीनों में चीन को कुल निर्यात मात्र 13.97 अरब डालर के थे यानी 75.69 अरब डालर का व्यापार घाटा। माना जा रहा है कि यह वर्ष पूर्ण होने तक चीन से व्यापार घाटा 100 अरब डालर तक पहुंच सकता है, जो एक रिकार्ड होगा। गौरतलब है कि चीन से बढ़ते आयातों और उसके कारण भारत की चीन पर बढ़ती निर्भरता के मद्देनजर सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत विभिन्न उपाय अपनाए। सर्वप्रथम 14 उद्योगों को चिन्हित किया गया, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरण, थोक दवाएं, टेलिकॉम उत्पाद, खाद्य उत्पाद, एसी, एलईडी, उच्च क्षमता सोलर पीवी मॉड्यूल, ऑटोमोबाइल और ऑटो उपकरण, वस्त्र उत्पाद, विशेष स्टील, ड्रोन इत्यादि शामिल थे। बाद में सेमी कंडक्टर को भी इसमें जोड़ा गया। ये वो उद्योग थे जो अधिकांशत: पिछले 20 वर्षों में चीन से बढ़ते आयातों के समक्ष प्रतिस्पर्धा में पिछडऩे के कारण बंद हो गए थे अथवा बंदी के कगार पर थे। चीन के द्वारा हिंसक कीमतों पर डंपिंग, चीन सरकार की निर्यात सब्सिडी और तत्कालिक सरकार की असंवेदनशील नीति के तहत आयात शुल्कों में लगातार कमी ने चीनी आयातों को भारत में स्थान बनाने में सहयोग दिया।

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