कुवैत की अर्थव्यवस्था तेल निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है क्योंकि इसके पास सबसे बड़ा वैश्विक तेल भंडार है। तेल की इतनी अधिक मांग के साथ, कुवैत की मुद्रा की मांग होना तो लाजमी है। इस देश की एक खास बात ये भी है कि अगर कोई व्यक्ति यहां कार्य करता है तो उसे किसी प्रकार को काई टैक्स नहीं देना पड़ता।

डॉलर और रुपये के साथ संबंध

अगर बात दीनार की डॉलर से संबंध की हो तो 1 कुवैती दीनार 3.32 अमेरिकी डॉलर के बराबर है और भारतीय मुद्रा से अगर तुलना हो तो एक कुवैती दीनार 246 रुपए के बराबर है। इसके मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? साथ ही INR to DINAR एक्सेचेंज रेट विश्व का सबसे लोकप्रिय एक्सचेंज रेट है।

मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है?

प्रश्न 34. मुद्रा के सामाजिक एवं आर्थिक दोषों का वर्णन कीजिए। (कोई चार)

उत्तर- मुद्रा के प्रमुख सामाजिक दोष निम्नलिखित हैं-

(1) मुद्रा के कारण भौतिकवाद को बढ़ावा मिलता है। मनुष्य के लिए मुद्रा प्राप्त करना प्राथमिक उद्देश्य हो जाता है।

(2) मुद्रा के कारण समाज में चोरी, डकैती, हत्या जैसी आपराधिक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है। मनुष्य का नैतिक पतन हो जाता है।

(3) मुद्रा के कारण एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का शोषण मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? करने के लिए प्रोत्साहित होता है।

मुद्रा के प्रमुख आर्थिक दोष निम्नलिखित हैं-

1. व्यापार चक्र- मुद्रा के मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? कारण अर्थव्यवस्था में व्यापार चक्र उत्पन्न होते रहते हैं। अर्थव्यवस्था में कभी तेजी अर्थात् मूल्यों में वृद्धि हो जाती है, कभी मन्दी अर्थात् मूल्यों में कमी हो जाती है। जिसके कारण समाज के विभिन्न वर्गों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से हटाया, चीन को झटका; जानिए क्या हैं इसके मायने

अमेरिका ने भारत को मुद्रा निगरानी सूची से हटाया, चीन को झटका; जानिए क्या हैं इसके मायने

अमेरिका ने शुक्रवार को भारत समेत चार अन्य देशों को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कांग्रेस (संसद) को सौंपी अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत, इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम को सूची से हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, वे लगातार दो बार तीन मानदंडों में से केवल एक को पूरा कर पाए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने इस साल जून में अपने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष के कारण भारत को करेंसी मैनिपुलेटर की निगरानी सूची में रखा था। महामारी की शुरुआत के बाद से यह तीसरी बार था जब भारत मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? सूची में आया था।

डॉलर नहीं ये है विश्व की सबसे ताकतवर करेंसी, जानिए इसके बारे में

dinar

Kuwait Dinar: कुवैती दिनार विश्व की सबसे शक्तिशाली करेंसी है।

  • विनिमय के माध्यम के रूप में करेंसी मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? का उपयोग किया जाता है।
  • कुवैती दिनार है सबसे शक्तिशाली करेंसी।
  • कुवैती दीनार 246 रुपए के बराबर है।

कौन सी करेंसी है विश्व की सबसे शक्तिशाली करेंसी?
अक्सर हम यो सोचते हैं कि विश्व के सबसे मजबूत देश की करेंसी ही विश्व की सबसे शक्तिशाली करेंसी होगी लेकिन ऐसा नहीं है। विश्व का छोटा सा देश कुवैत जिसकी करेंसी यानी मुद्रा कुवैती दिनार विश्व की सबसे शक्तिशाली मुद्रा है।

केंद्रीय बैंक क्या है इसके कार्य है (Central Bank in Hindi)

Central Bank Kya Hai In Hindi: – लगभग हर किसी देश में एक केंद्रीय बैंक होता है जो देश कि देश का सर्वोच्च बैंक होता है जैसे कि भारत का केंद्रीय बैंक RBI (Reserve Bank of India) है. लेकिन क्या आप जानते मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? हैं कि केंद्रीय बैंक क्या होता है, केंद्रीय बैंक के क्या कार्य हैं और केंद्रीय बैंक किस प्रकार से व्यापारिक बैंकों से भिन्न हैं.मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है?

अगर आपको केंद्रीय बैंक के बारे में इस प्रकार की जानकारी नहीं हैं तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें, इस लेख के माध्यम से हमने आपको केंद्रीय बैंक क्या है और केंद्रीय बैंक के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया है. इस लेख मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है? को पढने के बाद आपको केंद्रीय बैंक से जुड़े तमाम प्रश्नों का जवाब मिलने वाला है.मुद्रा क्या है और इसके कार्य क्या‌ है?

मुद्रा प्रसार क्या है

मुद्रा स्फीति (en:inflation) गणितीय आकलन पर आधारित एक अर्थशास्त्रीय अवधारणा है जिससे बाज़ार में मुद्रा का प्रसार व वस्तुओ की कीमतों में वृद्धि या कमी की गणना की जाती है। उदाहरण के लिएः 1990 में एक सौ रुपए में जितना सामान आता था, अगर 2000 में उसे ख़रीदने के लिए दो सौ रुपए व्यय करने पड़े है तो माना जाएगा कि मुद्रा स्फीति शत-प्रतिशत बढ़ गई।

चीज़ों की क़ीमतों में बढ़ोतरी और मुद्रा की क़ीमत में कमी को वैज्ञानिक ढंग से सूचीबद्ध करना मुद्रा स्फीति का काम होता है। इससे ब्याज दरें भी तय होती हैं।

मुद्रा स्फीति समस्त अर्थशास्त्रीय शब्दों में संभवतः सर्वाधिक लोकप्रिय है। किंतु इसे पारिभाषित करना एक कठिन कार्य है। विभिन्न विद्वानों ने इसकी भिन्न-भिन्न परिभाषा दी हैं :

  1. बहुत कम माल के लिए बहुत अधिक धन की आपूर्ति हो जाने से इसका जन्म हो जाता है
  2. माल या सेवा की आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक हो जाने पर भी इसका जन्म ही जाता हैं
  3. आपूर्ति में दोष, गत्यावरोध तथा ढांचागत असंतुलन के चलते भी मुद्रा स्फीति पनपती हैं
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