Lucknow Municipal Corporation Bonds: लखनऊ नगर निगम (LMC) के बॉन्ड की लिस्टिंग बीएसई पर हो गई है.

निगमों के शेयरधारक

हमारे निवेश McKnight Foundation को कई अमेरिकी और वैश्विक कंपनियों का आंशिक स्वामी बनाते हैं, जिससे हम कॉर्पोरेट प्रथाओं को प्रभावित करते हैं। वृद्धिशील परिवर्तन के लिए इस रणनीति को निवेशक जुड़ाव कहा जाता है - जो आप स्वयं को सुधारते हैं। दुनिया भर में एक अधिक पारदर्शी, टिकाऊ अर्थव्यवस्था का निर्माण करने के लिए खरबों डॉलर का उपयोग करते हुए सक्रिय, सक्रिय निवेशकों का एक बड़ा नेटवर्क है।

जो हम अपने आप में सुधार कर रहे हैं

चुनौती: अघोषित ग्रीनहाउस उत्सर्जन डेटा

McKnight एक इंडेक्स फंड में $ 100 मिलियन का निवेश करता है जो कि क्षेत्र के साथियों की तुलना में अधिक ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को कम करता है कार्बन दक्षता रणनीति। हालांकि, सभी कंपनियां रिपोर्ट नहीं करती हैं, इसलिए हम अक्सर अनुमानित आंकड़ों पर भरोसा करते हैं।

समाधान: बेहतर डेटा की मांग करें

2015 में हम 170 से अधिक कंपनियों को लिखा कार्बन-गहन निगमों में निवेश निगमों में निवेश क्षेत्रों में उन्हें यह बताने के लिए कि हमें निवेश निर्णय लेने के लिए बेहतर डेटा की आवश्यकता है। 2016 में हम दो नींव से जुड़े थे जो अधिक पारदर्शी बाजारों का समर्थन करते थे, रॉकफेलर ब्रदर्स फंड और यह नाथन कमिंग्स फाउंडेशन .

2018 में, McKnight शामिल हुआ जलवायु क्रिया 100+ । 225 निवेशक प्रतिभागियों निगमों में निवेश में से केवल एक मुट्ठी भर नींव, हम ड्राइव को बदलने के लिए ग्रीनहाउस गैस के 100 सबसे बड़े वैश्विक उत्सर्जकों में से एक के साथ बातचीत निगमों में निवेश में संलग्न होंगे। तिथि करने के लिए, प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियों में $ 26.3 ट्रिलियन से अधिक ने पहल पर हस्ताक्षर किए हैं।

चुनौती: कंपनियों को पर्यावरणीय और सामाजिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है

परंपरागत रूप से, बाजार प्रोत्साहन कुछ कॉर्पोरेट अधिकारियों को अल्पकालिक वित्तीय रिटर्न पर ध्यान केंद्रित करने और पर्यावरण, उनके कर्मचारियों, या जिन समुदायों में वे काम करते हैं, उनसे संबंधित दीर्घकालिक जोखिमों और अवसरों की अनदेखी कर सकते हैं।

समाधान: शेयरधारकों के रूप में वोट करें

शेयरधारकों ने व्यावसायिक चुनौतियों पर कार्रवाई के लिए कंपनियों की वार्षिक बैठकों जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने या पर्यावरणीय प्रदर्शन के लिए कार्यकारी वेतन बांधने के लिए प्रस्तावों को फाइल किया। McKnight आम तौर पर शेयरधारक प्रस्तावों के पक्ष में वोट करता है पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) कंपनियों द्वारा दीर्घकालिक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए मुद्दे। हमारे सभी "अलग-अलग प्रबंधित खातों" (जिन खातों में हमारा मतदान नियंत्रित है) में, हम संस्थागत शेयरधारक सेवाओं पर भरोसा करते हैं और इसका उपयोग करते हैं SRI प्रॉक्सी वोटिंग गाइडलाइंस

2017 में, McKnight ने दक्षिणी कंपनी में निवेश करने वाले प्रबंधकों से समर्थक प्रबंधन मतदान को ओवरराइड करने और बड़े पैमाने पर अमेरिकी उपयोगिता, दक्षिणी कंपनी में मुआवजे की योजना का विरोध करने के लिए कहा। कार्यकारी अधिकारियों को बड़े पैमाने पर बोनस के बावजूद पुरस्कृत किया गया और समस्याग्रस्त गैर-रणनीतिक पीढ़ी परियोजनाओं के शेयर लिखे गए जो कि शेयरधारकों की लागत थे। हमारे कम से कम एक प्रबंधक ने पूरे पूल फंड में अपनी स्थिति बदल दी।

रेल विकास निगम के शेयरों ने एक महीने में करीब दोगुना कर दिया पैसा, रिकॉर्ड हाई पर स्टॉक

अपने 52 हफ्ते के लो 29 रुपये से रेल विकास निगम 80.60 रुपये तक पहुंच चुका है। यह इसका 52 हफ्ते का हाई है। इस स्टॉक ने पिछले एक महीने ही अपने निवेशकों का पैसा करीब करीब दोगुना कर दिया है।

रेल विकास निगम के शेयरों ने एक महीने में करीब दोगुना कर दिया पैसा, रिकॉर्ड हाई पर स्टॉक

लगातार मिल रहे ऑर्डर से रेल विकास निगम की स्पीड बुलेट ट्रेन की तरह गई है। पिछले 5 दिन में यह स्टॉक 31 फीसद से अधिक उछल चुका है और आज भी यह 80.60 रुपये पर पहुंच चुका है।

अपने 52 हफ्ते के लो 29 रुपये से रेल विकास निगम निगमों में निवेश 80.60 रुपये तक पहुंच चुका है। यह इसका 52 हफ्ते का हाई है। अगर पिछले एक महीने की इसके प्रदर्शन की बात करें तो रेल विकास निगम ने अपने निवेशकों का पैसा करीब-करीब दोगुना कर दिया है। इस अवधि में यह 96 फीसद से अधिक रिटर्न दे चुका है।

पिछले छह महीने में रेल विकास निगम के शेयर 146 फीसद से अधिक उछल चुके हैं और इस साल अब तक यह 126 फीसद का रिटर्न दे चुका है। पिछले एक साल में इसने 140 फीसद से अधिक की तगड़ी छलांग लगाई है।

बता दें रेल विकास निगम लिमिटेड की स्थापना भारत सरकार द्वारा 19 दिसंबर 2002 को की गई थी और यह कंपनी अधिनियम, 1956 के अधीन कंपनी के रूप में 24 जनवरी 2003 को पंजीकृत हो गई थी। यह 100% केंद्रीय सरकार के स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

Employees’ State Insurance Corporation (ESIC): जानिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) हाल ही में क्यों है खबरों निगमों में निवेश में?

Employees' State Insurance Corporation (ESIC): जानिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) हाल ही में क्यों है खबरों में? |_40.1

श्रम और रोजगार मंत्रालय (Employment ministry) के अंतर्गत आने वाले समर्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने इक्विटी में अधिशेष निधियों के निवेश के लिए स्वीकृति प्रदान की. हालांकि, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) तक ही सीमित है. शुरुआत में निवेश 5% से शुरू होगा और दो तिमाहियों की समीक्षा के बाद धीरे-धीरे 15% तक बढ़ाया जाएगा.

ESIC ‘निर्माण से शक्ति’ पहल के तहत अपने बुनियादी ढांचे का उन्नयन और आधुनिकीकरण करेगा।

ESIC श्यामलीबाजार, अगरतला, त्रिपुरा में 100 बिस्तरों वाला नया ESIC अस्पताल और केरल के इडुक्की में 100 बिस्तरों वाला ESIC अस्पताल स्थापित करेगा।

ESIC ईएसआईसी नर्सिंग कॉलेजों में बीमित व्यक्तियों के वार्ड के लिए सीटों की संख्या में वृद्धि करेगा और आने वाले सत्रों से पीएचडी, एमडीएस, नर्सिंग और पैरामेडिकल पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में निवेश की क्या जरूरत है?

ऋण उपकरणों पर अपेक्षाकृत कम प्रतिफल के साथ-साथ विविधता लाने की आवश्यकता के कारण, ईएसआई निगम ने अधिशेष निधियों के निवेश के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान की. प्रारंभिक निवेश 5% से शुरू होगा और दो तिमाहियों की समीक्षा के बाद धीरे-धीरे 15% तक बढ़ जाएगा. निवेश एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स यानी निफ्टी50 और सेंसेक्स तक ही सीमित रहेगा. इसका प्रबंधन एएमसी के फंड मैनेजरों द्वारा किया जाएगा. इक्विटी के लिए ईटीएफ के प्रबंधन के अलावा इक्विटी निवेश की निगरानी मौजूदा अभिरक्षक, बाहरी समवर्ती लेखा परीक्षक और ऋण निवेश की देखभाल करने वाले सलाहकार द्वारा की जाएगी.

कर्मचारी राज्य बीमा योजना क्या है ?

कर्मचारी राज्य बीमा योजना कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम में सन्निहित सामाजिक बीमा का एक एकीकृत उपाय है और इसे कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 में परिभाषित ‘कर्मचारियों’ के कार्य को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसका उद्देश्य बीमारी, मातृत्व, विकलांगता और रोजगार चोट के कारण मृत्यु और बीमाकृत व्यक्तियों और उनके परिवारों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करना.

What is ESIC?

ESIC भारत के सामाजिक सुरक्षा प्रदाताओं में से एक है और श्रम मंत्रालय के अधीन काम करता है। इसकी स्थापना 1952 में हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। यह पूरे देश में ईएसआई योजना को लागू करता है।

ESIC के महानिदेशक कौन हैं?

राजेंद्र कुमार, आईएएस

ईएसआई योजना कहां लागू होती है?

ईएसआई योजना कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों पर लागू होती है। सड़क परिवहन, होटल, रेस्तरां, सिनेमा, समाचार पत्र, दुकानें और शैक्षिक/चिकित्सा संस्थान जिनमें 10 या अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं। हालांकि, कुछ राज्यों में प्रतिष्ठानों के कवरेज के लिए सीमा अभी भी 20 है।

ईएसआई निगम ने ईएसआई योजना के तहत कार्यान्वित क्षेत्रों में स्थित निर्माण स्थलों पर तैनात श्रमिकों को ईएसआई योजना के लाभों को 1 अगस्त 2015 से विस्तारित किया है।

ईएसआई योजना में मजदूरी की सीमा क्या है?

कारखानों और प्रतिष्ठानों की उपरोक्त श्रेणियों के कर्मचारी, जो प्रति माह रु. 15,000/- तक की मजदूरी प्राप्त करते हैं, ईएसआई अधिनियम के तहत सामाजिक सुरक्षा कवर के हकदार हैं। ईएसआई निगम ने भी ईएसआई अधिनियम के तहत कर्मचारियों के कवरेज के लिए वेतन सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये करने का फैसला किया है।

ईएसआई योजना को कैसे वित्तपोषित किया जाता है?

ईएसआई योजना को नियोक्ताओं और कर्मचारियों के योगदान से वित्तपोषित किया जाता है। नियोक्ता द्वारा योगदान की दर कर्मचारियों को देय वेतन का 4.75% है। कर्मचारियों का योगदान कर्मचारी को देय वेतन के 1.75% की दर से है। कर्मचारी, रुपये से कम कमाते हैं। 137/- दैनिक मजदूरी के रूप में, अंशदान के अपने हिस्से के भुगतान से छूट दी गई है।

ईएसआई योजना की शुरुआत कब की गई?

इस योजना का उद्घाटन 24 फरवरी 1952 (ईएसआईसी दिवस) को तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा कानपुर में किया गया था।

आपको बता दें कि यह 1944 में पहली सामाजिक सुरक्षा योजना के रूप में प्रस्फुटित हुई जब शासन ब्रिटिश के हाथों में था. सामाजिक बीमा पर पहला दस्तावेज “स्वास्थ्य बीमा पर रिपोर्ट” था, जिसे प्रख्यात विद्वान और दूरदर्शी प्रो. बी.पी. अदारकर की अध्यक्षता में त्रिपक्षीय श्रम सम्मेलन में प्रस्तुत किया निगमों में निवेश गया था।

लखनऊ नगर निगम इस तरह जुटाएगा पैसे, जानिए आपकी कैसे हो सकती है कमाई

उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government) ने लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (Lucknow Municipal Corporation) का बांड 2 दिसंबर 2020 को शेयर बाजार (stock market) में लिस्ट कराया.

BSE में लखनऊ नगर निगम के municipal bond की लिस्टिंग (फोटो - ट्वीटर)

उत्तर प्रदेश निगमों में निवेश सरकार (Uttar Pradesh government) ने लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (Lucknow Municipal Corporation) का बांड 2 दिसंबर 2020 को शेयर बाजार (stock market) में लिस्ट कराया. इस बांड की लिस्टिंग के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी मौजूद रहे. लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (LMC) बॉन्ड जारी करने वाला उत्तर भारत का पहला नगर निगम बन गया है. इस बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई धनराशि को राज्य की राजधानी (state capital) में विभिन्न बुनियादी ढांचागत योजनाओं (infrastructure schemes) में निवेश किया जाएगा.

इन शहरों के निगम भी बांड जारी करेंगे Corporations also issue bonds
बॉम्बे स्टाक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) का प्लेटफॉर्म नगर निगमों के लिए बॉन्ड के जरिए पैसे जुटाने का अच्छा जरिया बन गया है. लखनऊ नगर निगम के बॉन्ड की लॉन्चिंग के बाद यूपी सरकार वाराणसी (Varanasi), गाजियाबाद (Ghaziabad), आगरा (Agra) और कानपुर (Kanpur) के नगर निगमों के बांड लॉन्च करने की तैयारी कर रही है.

निगम ने जुटाए इतने पैसे Corporation raised so much money
बीएसई बॉन्ड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए लखनऊ नगर निगम ने पिछले हफ्ते ही इस बॉन्ड के लिए प्राइवेट प्लेसमेंट के जरिये 200 करोड़ रुपये जुटा लिये हैं. इसका मतलब यह है कि बॉन्ड को जनता के लिए जारी करने से पहले ही कुछ बड़ी संस्थाओं से यह रकम जुटा ली गयी है. इसमें चौथे से लेकर सातवें साल तक 7 साल तक समान किश्त में मूलधन को वापस किया जाएगा.

मिलेगा इनता रिटर्न Will get return
लखनऊ नगर निगम के बॉन्ड पर निवेशकों को 8.5 फीसदी वार्षिक ब्याज मिलेगा और इसकी परिपक्वता अवधि 10 साल है. इस बॉन्ड की सफल लॉन्चिंग से लखनऊ नगर निगम की भी छवि बदलेगी और इसे देश-विदेश से निवेश जुटाने में भी मदद मिलेगी. इस बॉन्ड लॉन्च करने से पहले वित्तीय एजेंसियों ने इसकी रेटिंग की है और बॉन्ड को अच्छी रेटिंग दी है.

क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड? What are municipal bonds?
बॉन्ड एक तरह का letter of credit होता है, जिसके तहत आम लोगों या संस्थाओं से पैसे जुटाए जाते हैं. बॉन्ड जारी करने वाली संस्था एक निश्चित समय के लिए रकम उधार लेती है और निश्चित रिटर्न के साथ पैसे वापस करने की गारंटी देती है. ये इनवेस्टर्स के लिए फिक्स इनकम का साधन होता है. म्युनिसिपल या नगर निगम बॉन्ड Urban local bodies जारी करती हैं. शहर में Development works को जारी निगमों में निवेश रखने के लिए बड़े पैमाने पर फंड की जरूरत होती है, सरकार से पैसा लेने की बजाए बांड से पैसा जुटाना अच्छा विकल्प साबित हो रहा है.

सेबी ने दिए ये निर्देश
पूंजी बाजार नियामक SEBI ने साल 2015 में Urban bodies के लिए Municipal Bond जारी करने के लिए दिशानिर्देश जारी किये थे. सेबी के निर्देश के तहत सिर्फ वही शहर ऐसे बॉन्ड जारी कर सकते हैं, जिनका नेटवर्थ लगातार तीन पिछले वित्त वर्ष तक नेगेटिव न रहा हो और पिछले एक साल में उन्होंने कोई लोन डिफाल्ट न किया हो. पब्लिक इनवेस्टमेंट के लिए सिर्फ वही म्युनिसिपल बॉन्ड जारी कर सकता हैं जिनकी रेटिंग BBB या इससे ज्यादा हो.

इनवेस्टमेंट पर मिलेगा फायदा
Municipal Bond में इनवेस्टमेंट करने पर लॉन्ग टर्म में फिक्स रिटर्न मिलता है. शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद इसमें आम लोग एक्सचेंजों के जरिए निवेश कर सकती है. इन बॉन्ड पर निवेशक को मिलने वाला रिटर्न पर Income Tax नहीं लगता है. इसकी रेटिंग एजेंसियों से रेटिंग जारी होती है, इसलिए इन्हें सुरक्षित निवेश भी माना जाता है.

ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें

अब तक 11 निगमों ने जारी किए बांड
अभी तक कुल 11 Municipal bond जारी किये गए हैं जिनसे करीब 3690 करोड़ रुपये जुटाये गये हैं. इनमें से Bse bond platform का योगदान 3,175 करोड़ रुपये है. इसके पहले अमरावती (2000 करोड़ रुपये), विशाखापत्तनम (80 करोड़ रुपये), अहमदाबाद (200 करोड़ रुपये), सूरत (200 करोड़ रुपये), भोपाल (175 करोड़ रुपये), इंदौर (140 करोड़ रुपये), पुणे (495 करोड़ रुपये), हैदराबाद (200 करोड़ रुपये) जैसे शहरों के भी म्युनिसिपल बॉन्ड आ चुके हैं.

10 साल मेच्योरिटी पर 8.5% सालाना ब्याज, ‘AA’ रेटिंग; लखनऊ नगर निगम बॉन्ड के बारे में जानें सबकुछ

Lucknow Municipal Corporation Bonds: लखनऊ नगर निगम (LMC) के बॉन्ड की लिस्टिंग बीएसई पर हो गई है.

10 साल मेच्योरिटी पर 8.5% सालाना ब्याज, ‘AA’ रेटिंग; लखनऊ नगर निगम बॉन्ड के बारे में जानें सबकुछ

Lucknow Municipal Corporation Bonds: लखनऊ नगर निगम (LMC) के बॉन्ड की लिस्टिंग बीएसई पर हो गई है.

Lucknow Municipal Corporation Bonds: लखनऊ नगर निगम (LMC) के बॉन्ड की लिस्टिंग बीएसई पर हो गई है. लिस्टिंग के मौके पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बॉन्ड के जरिए 200 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इस बॉन्ड को रेटिंग एजेंसियों से अच्छी रेटिंग मिली है. यह बीएसई बांड प्लेटफॉर्म पर अबतक का 8वां सबसे सफल नगर निगम बॉन्ड है. लखनऊ नगर निगम बॉन्ड जारी करने वाला उत्तर भारत का पहला नगर निगम बन गया है. जानते हैं कि क्या है यह नगर निगम बॉन्ड और इसमें निवेश करने का क्या है फायदा….

8.5 फीसदी सालाना ब्याज

लखनऊ नगर निगम के बॉन्ड की मेच्योरिटी 10 साल की है. इसमें निवेश करने पर निवेशकों को 8.5 फीसदी सालाना ब्याज मिलेगा. बीएसई निगमों में निवेश बॉन्ड प्लेटफॉर्म पर नगर निगम को 450 करोड़ के लिए 21 बिड मिली जो इश्यू साइज की 4.5 गुना है. यह जानकारी बीएसई ने दी है. बीएसई निगमों में निवेश के अनुसार यह उसके प्लेटफॉर्म पर अबतक का 8वां सबसे सफल नगर निगम बॉन्ड है.

बेहतर रेटिंग

लखनऊ नगर निगम बॉन्ड को रेटिंग एजेंसियों से अच्छी रेटिंग निगमों में निवेश मिली है. इंडिया रेंटिंग्स ने इस बॉन्ड के लिए ‘AA’ रेटिंग दी है. वहीं ब्रिकवर्क ने इसे ‘AA (CE)’ रेटिंग दी है. माना जा रहा है कि इस बॉन्ड के जरिए निवेश जुटाने में भी मदद मिलेगी.

Investors Wealth: 5 दिन में RIL और TCS में निवेशकों के डूब गए 50 हजार करोड़, देश के टॉप 10 में 9 शेयरों ने कराया नुकसान

KFin Tech का IPO सब्‍सक्राइब करें या Avoid, क्‍या है एक्‍सपर्ट की सलाह, चेक करें हर पॉजिटिव और निगेटिव

अबतक 11 ऐसे बॉन्ड जारी हुए

अभी तक कुल 11 नगर निगम बॉन्ड से करीब 3690 करोड़ रुपये जुटाये गये हैं. इनमें से बीएसई बॉन्ड प्लेटफॉर्म का योगदान 3,175 करोड़ रुपये है. इसके पहले अमरावती (2000 करोड़ रुपये), विशाखापत्तनम (80 करोड़ रुपये), अहमदाबाद (200 करोड़ रुपये), सूरत (200 करोड़ रुपये), भोपाल (175 करोड़ रुपये), इंदौर (140 करोड़ रुपये), पुणे (495 करोड़ रुपये), हैदराबाद (200 करोड़ रुपये) नगर निगम बॉन्ड हैं.

क्या होते हैं बॉन्ड

बॉन्ड किसी कंपनी या सरकार के लिए पैसा जुटाने का एक माध्यम है. बॉन्ड से जुटाए गया पैसा कर्ज की श्रेणी में आता है. कंपनी जहां अपने कारोबार के विस्तार के लिए बॉन्ड से पैसा जुटाती हैं तो केंद्र या राज्य सकार भी अपने खर्च के लिए समय-समय पर बॉन्ड जारी करती हैं. इसमें बॉन्ड जारी करने वाली संस्था एक निश्चित समय के लिए रकम उधार लेती है और निश्चित रिटर्न यानी ब्याज देने के साथ मूलधन वापस करने की गारंटी देती है. यह नि​वेशकों के लिए निश्चित आय का एक निवेश साधन होता है.

क्या होते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड

म्युनिसिपल या नगर निगम बॉन्ड शहरी स्थानीय निकायों द्वारा जारी किए जाते हैं. शहर में विकास कामों को जारी रखने के लिए धन की जरूरत इससे पूरी की जाती है. इस तरह से बॉन्ड जारी कर नगर निगम पैसा जुटाते हैं और उसे शहर के बुनियाद ढांचा विकास जैसे कार्यों पर खर्च करते हैं. मार्केट रेगुलेटर सेबी के अनुसार सिर्फ वही नगर निगम ऐसे बॉन्ड जारी कर सकते हैं, जिनका नेटवर्थ लगातार 3 वित्त वर्ष तक निगेटिव न रहा हो. पिछले एक साल में उन्होंने कोई लोन डिफाल्ट न किया हो.

Get Business News in Hindi, latest India News in Hindi, and other breaking news on share market, investment scheme and much more on Financial Express Hindi. Like us on Facebook, Follow us on Twitter for latest financial news and share market updates.

रेटिंग: 4.29
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 349