अगर बुद्ध के काल को छोड़ दें, तो शांति के उपाय भारत में कभी नहीं हुए। इसलिए भारत में ख़ासकर विंध्य के इस तरफ़ के भू-भाग में व्यापार कभी नहीं फला-फूला जबकि विंध्य के दक्षिण में व्यापार फिर भी रहा। यही कारण है कि कम्बोडिया से लेकर मलयेशिया और इंडोनेशिया में तमिल और तेलगू मूल के लोग खूब बसे हैं।
एकाकी व्यापार क्या है?
एकाकी व्यापारी स्वयं ही व्यवसाय का प्रबंधक और कर्मचारी होता हैं। वह स्वयं ही आवश्यक पूंजी लगाता हैं। लाभ-हानि का अधिकारी होता हैं तथा व्यापार के समस्त उत्तरदायित्वों को पूरा करता है। इन्ही विषेष ताओं के कारण उसे एकाकी व्यापारी, व्यक्तिगत साहसी, व्यक्तिगत व्यवस्थापक, एकल स्वामी तथा एकाकी स्वामित्व आदि भी कहा जाता हैं।
डॉ. जानए ए. शुबिन के अनुसार:-‘एकाकी व्यापार के अंतर्गत एक ही व्यक्ति समस्त व्यापार का संगठन करता हैं उसका स्वामी होता हैं तथा अपने नाम से व्यापार का संचालन करता हैं।’
भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को ऑस्ट्रेलियाई संसद ने दी मंजूरी, द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि के साथ सेवा क्षेत्र के लिए खुलेंगे नए अवसर, 10 लाख लोगों को मिलेगी नौकरी
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूत करने के लिए मंगलवार (22 नवंबर) को एक बड़ा कदम उठाया गया। ऑस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंजूरी दे दी। अब दोनों देश आपसी सहमति से फैसला करेंगे कि यह समझौता एक व्यापारी के लिए अवसर किस तारीख से लागू होगा। इस समझौते से जहां भारत-ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होगी, वहीं भारत में कम से कम 10 लाख अतिरिक्त नौकरियां मिल सकती हैं। इसके अलावा इससे निवेश के लिए पर्याप्त अवसर पैदा होंगे और स्टार्ट-अप को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है।
अवसर क्या एक व्यापारी के लिए अवसर हैं | अवसर से आप क्या समझते हैं?
अवसर क्या हैं यह एक ऐसा शब्द हैं जिसे हर एक व्यक्ति जानना चाहता हैं। अवसर क्या हैं इसका अर्थ बहुत ही सरल हैं। बहुत से लोग के मन मेंं यह प्रश्न एक व्यापारी के लिए अवसर होता हैं कि अपॉर्चुनिटी को हिंदी में क्या कहते हैं। Opportunity को हिन्दी में ‘अवसर’ या ‘मौका’ कहा जाता हैं।
Opportunity –
●Idea Which can be converted into business enterprises
●To earn Profit
अवसर की परिभाषा |opportunities meaning in hindi
अवसर का अर्थ वर्तमान परिस्थिति के संयोग से लाभ उठा लेना है। अवसर का यह संयोग प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आता है, कुछ लोग इसे पहचान कर इससे लाभ उठा लेते हैं और बाकी लोग चुपचाप बैठे रह जाते हैं । अवसर में स्थायित्व नहीं होता हैं। यह कुछ दिनों के लिए आता है और फिर चला जाता।
अवसर की उत्पत्ति
ऐसे तो समाज का हर व्यक्ति विक्रेता होता ही है , भले ही कोई वस्तु बेचता है तो कोई अपनी सेवाएं देता है। वस्तु बेचने वाला व्यक्ति दुकानदार या व्यापारी कहलाता है तथा सेवा बेचने वाला व्यक्ति पेशेवर कहलाता है । इन दोनों की सफलता अवसर की उचित तलाश पर ही निर्भर करती है।
उदाहरण– किसी सुदूर गांव में एक व्यक्ति द्वारा मोटर पार्ट्स की दुकान खोलना या किसी मोटर मैकेनिक द्वारा यहां मोटर मरम्मत का कारोबार करना उसकी अवसर एक व्यापारी के लिए अवसर के प्रति अज्ञानता का परिचालक है। अतः साहसी को हर हालत में अवसर का बोध और ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। अब प्रश्न यह है कि अवसर क्या है?
अवसर कहां छिपा होता है?
अवसर हर एक जगह होता है। बस इसे पहचान कर इससे लाभ उठा लेने की देरी होती है। इसे समय रहते हुए जो व्यक्ति पहचान लेता है वह उससे लाभ ले लेता है और एक व्यापारी के लिए अवसर जो नहीं पहचानता है वह हाथ धरे बैठे ही बैठे रह जाता है।
अवसर परिस्थितिजन्य होता है इसकी उत्पत्ति मानवीय आवश्यकता और उनकी समस्याओं के चलते होता है । जहां मानवीय आवश्यकता उत्पन्न होती है वही अवसर छिपा होता है । फिर, समस्याएं या बाधाएँ जहां कहीं भी आती हैं ,समझ, उसके आवरण में अवसर Opportunity छिपा है- सिर्फ इसे समझने और पहुंचाने की आवश्यकता है। यहां साहसी की तुलना एक सपेरे से की जा सकती है।
उदाहरण- हम सामान्य लोग किसी खेत खलियान में मिट्टी का छेद Hole देखकर इसे सामान्य बात मान कर बैठ जाते हैं जबकि एक व्यापारी के लिए अवसर सपेरा विभिन्न छेदो को देखकर समझ लेता है कि किस में सांस का निवास है अर्थात किस बिल में सांप है और इसी तरह छेद पहचान कर सांप निकाल लेता है । यही स्थिति सामान्य व्यक्ति और साहसी व्यक्ति की होती है।
विचार: व्यापार के गुर चीन से सीखने चाहिए!
सम्राट अशोक ने ईसा से दो सदी पूर्व पुरुष पुर (पेशावर) से पाटलिपुत्र (पटना) तक एक राजपथ (हाई-वे) बनवाया था। इसके पीछे एक उद्देश्य यह था कि राहगीरों के आने-जाने का रास्ता सुगम हो। तब इन रास्तों से व्यापारी गुजरते, धर्म प्रचारक गुजरते और सेनाएँ भी। बीच-बीच में इस मार्ग में सुधार होता रहा। लेकिन सम्राट हर्ष के बाद यह टूट-फूट गया। उस समय भारत के देशी राजे परस्पर लड़ते रहे और व्यापार हेतु बने इस रास्ते को दुरुस्त करने की सुधि किसी ने नहीं ली। ऐसे में व्यापारियों का क़ाफ़िला (सार्थवाह) भी लुट जाता इसलिए भारत में व्यापार ख़त्म हो गया।
इसके बाद व्यापार के लिए देश से बाहर जाने वालों को समाज से बहिष्कृत किया जाने लगा। समुद्र यात्रा पर धार्मिक प्रतिबंध लग गए। ज़ाहिर है जब व्यापार ध्वस्त हुआ तब बाहर के लोगों से घुलना-मिलना तथा सीखना-सिखाना सब नष्ट हो गया। यही भारत का अंधकार युग है, जो कई शताब्दियों तक चला।
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