• प्रसिद्ध कंपनियों की सहायक कंपनियां है। मुख्यतः ये सहायक कंपनियां मूल कंपनी के भाग होते है, जैसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज अनलिस्टेड स्टॉक्स है परन्तु यह एचडीएफसी बैंक का हिस्सा है।
  • अन्य प्रकार के अनलिस्टेड कंपनियां जो मुख्यतः वित्तीय, तकनिकी या संचार आदि क्षेत्र में शामिल है जैसे ड्रीम 11 कंपनी शामिल है।

Landmark Cars की खराब लिस्टिंग के बाद क्या करें? घाटे से बचना है जानें एक्सपर्ट की सबसे सटीक सलाह

Landmark Cars Listing: पहले ही रिटेल निवेशकों से ठंडा रिस्पॉन्स मिला था. आज इस शेयर की लिस्टिंग भी कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? सुस्त रही है. BSE और NSE पर ये शेयर 471 रुपये प्रति शेयर के करीब लिस्ट हुआ.

बाजार में कमजोरी के बीच आज दो IPO की लिस्टिंग हुई और दोनों IPO ने निवेशकों को निराश किया है. Landmark Cars का IPO तो इश्यू प्राइस से भी नीचे भाव पर लिस्ट हुआ. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर Landmark Cars 471 रुपये प्रति शेयर के भाव पर लिस्ट हुआ. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर ये लिस्टिंग 471.30 रुपये प्रति शयेर पर लिस्ट हुआ. लिस्टिंग के तुरंत बाद इस शेयर में करीब 9% की गिरावट देखने को मिली. जबकि, इस IPO के लिए 506 रुपये प्रति शेयर का इश्यू प्राइस तय किया गया था.

लिस्टिंग के बाद बाजार एक्सपर्ट आशीष माहेश्वरी ने कहा, "हमें पहले ही इसकी खराब लिस्टिंग की उम्मीद थी. QIB को इस लिस्टिंग में सबसे ज्यादा शेयर अलॉट हुए हैं क्योंकि उन्होंने करीब 8 गुना इसे सब्सक्राइब किया है. इस IPO की मांग भी कुछ खास नहीं रही है. इसके अलावा इश्यू के समय और लिस्टिंग के समय के बीच में बाजार की स्थिति में बड़े बदलाव हुए हैं. "

उन्होंने कहा, "मेरी सलाह है कि नए निवेशक इस शेयर में खरीदारी करने से बचें. साथ ही जिन निवेशकों को ये IPO अलॉट हुआ है, वो 440 रुपये प्रति शेयर का स्टॉपलॉस लगा कर चलें. इस शेयर से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है."

Landmark Cars को ऑटोमोटिव रिटेल वैल्यू चेन में अपनी अलग मौजूदगी के लिए जाना जाता है. इसमें नई गाड़ियों की बिक्री, सेल्स सर्विस और रिपेयर, समेत पुरानी गाड़ियों कि बिक्री का भी काम होता है. कंपनी के पास Mercedes-Benz, Honda, Jeep, Volkswagen और Renault जैसी गाड़ियों की डीलरशीप है. कारोबारी साल 2020 में कंपनी ने 29 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था.

इस कंपनी की पहली डीलरशीप 1998 में Honda के लिए खोली थी. इसके देश के 8 राज्यों में Landmark Cars के कुल 112 आउटलेट्स हैं. इसमें 61 बिक्री आउटलेट्स और 51 बिक्री के बाद सर्विसेज की सुविधा देने वाले आउटलेट्स हैं.

कंपनी के डीलरशीप में रिपेयर से लेकर वारंटी का काम, इंश्योरेंस क्लेम, कस्टमर पेड सर्विस जैसे काम होते हैं. बिक्री के बाद सर्विसेज से कंपनी को स्थिर आय का जरिया मिलता और आय मार्जिन में इसका ज्यादा योगदान भी है.

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काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी

हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।

IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।

कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।

क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।

IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।

जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।

IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।

प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।

आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।

अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।

ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।

Sula Vineyards के आईपीओ ने निवेशकों को किया निराश, जानिए कैसी रही बाजार में लिस्टिंग

वाइन (Wine) बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी सुला विनयार्ड्स लिमिटेड के शेयर (Sula Vineyards Share) गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट हो गए हैं। सुला विनयार्ड्स के आईपीओ ने निवेशकों को निराश किया है। इस कंपनी के शेयरों की स्टॉक एक्सचेंजों पर सपाट लिस्टिंग हुई है। लिस्ट होने के बाद कंपनी के शेयर में गिरावट देखी जा रही है। सुला विनयार्ड्स के शेयर एनएसई पर एक फीसदी प्रीमियम के साथ लिस्ट हुए। वहीं, बीएसई पर कंपनी के शेयर 0.28 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुए हैं। कंपनी का शेयर बीएसई पर 358 रुपये पर लिस्ट हुआ। वहीं, यह शेयर एनएसई पर 361 रुपये पर लिस्ट हुआ। पॉजिटिव लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयर 5 फीसदी तक गिर गए। एक्सपर्ट्स ने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को इस शेयर को होल्ड करने की सलाह दी है।

आईपीओ निवेशकों को हुआ नुकसान

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर शुरुआती कारोबार में सुला विनयार्ड्स का शेयर 4.18 फीसदी या 14.95 रुपये की गिरावट के साथ 343.05 रुपये पर ट्रेड करता दिखा। इस तरह आईपीओ के निवेशकों को इस समय तक 3.91 फीसदी या प्रति शेयर 13.65 रुपये कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? का नुकसान होता दिखा। शुरुआती कारोबारी में यह शेयर अधिकतम 363.40 रुपये तक और न्यूनतम 339 रुपये तक गया। कंपनी का बाजार पूंजीकरण इस समय 2,887.18 करोड़ रुपये था।

2.33 गुना हुआ था सब्सक्राइब

कंपनी ने अपने दो रुपये बेस प्राइस वाले शेयर के लिए 340 से 357 रुपये का प्राइस बैंड तय किया था। यह आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 12 दिसंबर 2022 को खुला था। एक्सचेंज आंकड़ों के मुताबिक यह आईपीओ 2.33 गुना सब्सक्राइब हुआ था। ग्रे मार्केट में भी इस शेयर को कमजोर रिस्पांस देखने को मिला था। ग्रे मार्केट में यह शेयर 11 रुपये डिस्काउंट पर ट्रेड करता दिखा था। कंपनी ने इसी साल जुलाई में IPO के लिए सेबी के पास आवदेन किया था।

क्या करती है कंपनी

सुला विनयार्ड्स ने साल 1996 में अपना पहला विनयार्ड खोला था। साल 2000 में कंपनी ने पहली बार अलग-अलग वेराइटी के अंगूर से वाइन बनाने का भी काम शुरू किया। फिलहाल कंपनी 13 अलग-अलग ब्रांड के तहत 56 तरह की वाइन बनाती है। कंपनी के पास महाराष्ट्र और कर्नाटक में कुल 6 प्रोडक्शन फैसिलिटी है। इसमें से 4 फैसिलिटी कंपनी की है और 2 फैसिलिटी लीज पर ली गई है। सुला विनयार्ड्स की कमाई का प्राथमिक स्रोत तो वाइन की बिक्री ही है। लेकिन इसकी आमदनी कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? के अन्य स्रोत भी हैं। कंपनी के पास दो वाइन रिसॉर्ट भी हैं। इसमें टूरिस्ट ठहरते हैं। वे वाइन टेस्ट करते हैं। इससे भी कंपनी की कमाई होती है। ये दोनों रिसॉर्ट महाराष्ट्र का नासिक जिले में हैं। इनका नाम Beyond Sula और The Source at Sula है।

गैर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर में निवेश करने की जानकारी।

दोस्तों, आप शेयर बाजार में शेयर या स्टॉक कई बार ख़रीदा या बेचा है, लेकिन क्या आप जानते है कि शेयर बाजार में विभिन्न कम्पनियाँ सूचीबद्ध कैसे होती है ? आप कौन से मार्किट या स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) से शेयर खरीद या बेच सकते है ? आईये इसका उत्तर जानते है।

किसी भी शेयर या स्टॉक का क्रय या विक्रय प्रतिभूति बाज़ार (Security Market) के अंतर्गत आता है और प्राथमिक बाज़ार (Primary Market) और द्वितीयक बाज़ार (Secondary Market) इसके दो प्रकार है। प्रतिभूति बाज़ार में एनएसई या बीएसई दो प्रसिद्ध स्टॉक एक्सचेंज है। कोई भी कंपनी आईपीओ (IPO) के माध्यम से शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होता है और निवेशक प्राथमिक बाज़ार से कंपनी के शेयर सीधे खरीदते है। जब कंपनी द्वितीयक बाज़ार में सूचीबद्ध कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? हो जाता है तो निवेशक या ट्रेडर्स उसके शेयर आपस में खरीदते या बेचते है।

क्या अपने गैर सूचीबद्ध स्टॉक (Unlisted Stock) के बारें में सुना है ? गैर सूचीबद्ध कंपनी के कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? शेयर को कैसे खरीद सकते है, कहाँ खरीद सकते है ? आईये गैर सूचीबद्ध स्टॉक के बारें में विस्तार से समझते है।

स्टॉक या शेयर जो आधिकारिक तौर पर शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध नहीं है, इन्हे अनलिस्टेड स्टॉक कहते है। साधारणतः स्टार्टअप या नयी कंपनी यह व्यवसाय इस श्रेणी में आते है, जिसमे इंस्टीटूशनल निवेशक या वेंचर कैपिटल आदि निवेश करते है। यह प्रक्रिया सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदने जितना आसान होता है।

स्टॉक या शेयर जो आधिकारिक तौर पर शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध नहीं है, इन्हे अनलिस्टेड स्टॉक कहते है। साधारणतः कंपनी शेयर्स शेयर मार्केट में लिस्ट कैसे होते हैं? स्टार्टअप या नयी कंपनी यह व्यवसाय इस श्रेणी में आते है, जिसमे इंस्टीटूशनल निवेशक या वेंचर कैपिटल आदि निवेश करते है। यह प्रक्रिया सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदने जितना आसान होता है।

आईये एक कंपनी "Y" का उदाहरण लेते है। "Y" एक स्टार्टअप कंपनी है और यह किसी भी स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई या बीएसई) में सूचीबद्ध नहीं है। इस कंपनी के स्टॉक को अनलिस्टेड स्टॉक (unlisted stock) कहते है। यदि निवेशक को कंपनी "Y" का व्यावसायिक पद्धति पसंद आता है और उन्होंने कंपनी "Y" में अपने पैसे निवेश करके उस कंपनी के शेयर खरीदते है तो ऐसे स्टॉक को अनलिस्टेड स्टॉक कहते है।

रिलायंस रिटेल, ओला, लावा अदि प्रसिद्ध अनलिस्टेड स्टॉक के उदाहरण है। ये कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में आधिकारिक रूप से पंकजीकृत नहीं है लेकिन ट्रेडर्स इस कंपनियों में ट्रेड करते है। एक निवेशक या ट्रेडर्स के रूप में, यदि आप भी स्टार्टअप कंपनियों में निवेश करना चाहते है तो अनलिस्टेड स्टॉक एक अच्छा विकल्प है।। आईये जानते है की अनलिस्टेड स्टॉक्स या शेयर में कैसे निवेश करे।

अनलिस्टेड स्टॉक्स लिस्ट्स

आपके मन में एक प्रश्न उठ रहा है कि यदि अनलिस्टेड स्टॉक्स एनएसई या बीएसई स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत नहीं है तो ऐसे स्टॉक्स कैसे ख़रीदे ?

इसका उत्तर है कि अनलिस्टेड स्टॉक्स आप किसी ब्रोकर्स कंपनियों से खरीद सकते है, जैसे Unlisted Zone, Unlisted deals, Buy Sell Unlisted Shares आदि। इसके अलावा अन्य ब्रोकर का सूचि आपको इंटरनेट के माध्यम से मिल जायेगा।

अनलिस्टेड स्टॉक्स कि श्रेणी में भिन्न-2 प्रकार के कंपनियां शामिल है जो निम्नलिखित है।

  • प्रसिद्ध कंपनियों की सहायक कंपनियां है। मुख्यतः ये सहायक कंपनियां मूल कंपनी के भाग होते है, जैसे एचडीएफसी सिक्योरिटीज अनलिस्टेड स्टॉक्स है परन्तु यह एचडीएफसी बैंक का हिस्सा है।
  • अन्य प्रकार के अनलिस्टेड कंपनियां जो मुख्यतः वित्तीय, तकनिकी या संचार आदि क्षेत्र में शामिल है जैसे ड्रीम 11 कंपनी शामिल है।

अनलिस्टेड स्टॉक्स में कैसे इन्वेस्ट करें

यदि आप भी अन्य निवेशक की तरह अनलिस्टेड शेयर में निवेश करना चाहते है, तो बहुत से माध्यम है जिसके द्वारा आप गैर सूचीबद्ध शेयर में निवेश कर सकते है।

स्टार्टअप से शुरू करें

आप किसी स्टार्टअप कंपनी के शेयर में निवेश करके शुरुवात कर सकते है। स्टार्टअप और छोटी कंपनियां शेयर की बिक्री की गारंटी नहीं देती हैं। स्टार्टअप कंपनी जल्दी और अग्रिम भुगतान करने के लिए पैसे की मांग करती है और ट्रेड के दिन से तीन दिन बाद ही डिलीवरी होती है। इसे आम तौर पर टी+3 डिलीवरी कहा जाता है।

ईसॉप शेयर

ईसॉप शेयर एक अनलिस्टेड स्टॉक है, इस शेयर को खरीदने की अनुमति सिर्फ कंपनी के आंतरिक कर्मचारियों को होता है। ईसॉप शेयर भी अन्य शेयर बाजार के शेयर के सामान होता है। एक ब्रोकर आपके लिए सही अनलिस्टेड स्टॉक खोजने में आपकी मदद कर सकता है।

प्रमोटर्स

आप गैर सूचीबद्ध शेयर में निवेश करना चाहते है तो आप सीधे प्रोमोटर्स (Promotors) से खरीद सकते है। कई निवेश बैंक और निजी प्लेसमेंट निजी या नॉन-लिस्टेड शेयरों को खरीदने में मदद प्रदान कर सकते हैं।

अपने सूचीबद्ध और गैर सूचीबद्ध स्टॉक/शेयर के बारें और उसके अंतर को विस्तृत रूप से समझा। इसके साथ साथ अनलिस्टेड स्टॉक को कैसे ख़रीदे सकते है, कौन -2 से माध्यम से खरीद सकते है इसके बारें में जानकारी हासिल किये।

सिक्योरिटी मार्किट (Security Market) में ऐसे कई तरीके हैं जहा आप एक गैर-सूचीबद्ध स्टॉक खरीद सकते हैं। जैसे स्टार्टअप के शेयर, ईसॉप शेयर और प्रमोटर्स के शेयर को खरीद कर गैर सूचीबद्ध शेयर को खरीद सकते है।

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