Options Trading in Hindi
ऑप्शन ट्रेडिंग भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में बहुत ही लोकप्रिय है जिससे बहुत से लोग लाखो रूपये कमा रहे है तो आज हम Options Trading in Hindi लेख में Options Trading Meaning in Hindi, ऑप्शन कितने तरह के होते है और ऑप्शन में ट्रेड क्यों करना चाहिए आदि पहलुओं को समझेंगे।
चलिए Options Trading in Hindi लेख को शुरू करते है :
Options Trading Meaning in Hindi
ऑप्शन एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसे खरीदने पर हमें किसी चीज को future में किसी fixed date पर एक price पर Buy or Sell करने का right मिलता है। लेकिन ये हम पर निर्भर करता है कि हम उस fixed date पर अपने right का इस्तेमाल करना चाहते है या नही और हम अपने Right का use तभी करना चाहेंगे जब हमें Profit होगा।
Example –
माना कि Mr. राहुल एक Businessman है और वो Mr. सूनील से एक एकड जमीन Buy करना चाहते है जिसकी Market Price अभी 20 लाख रुपयें है और जमीन के वारे में ऐसी खबर है कि Government जल्द ही उस से थोडी दूरी पर एक Metro project शुरु करेंगी। Mr. राहुल जानते है कि जैसे ही Government ये Decision लेगी उस जमीन की Price काफी बढ जायेगी।
इसी को देखते हुये Mr. राहुल चाहते है कि वो जमीन को अभी के Market Price यानी 20 लाख रुपये में खरीद ले और जैसे ही इसकी Price बढे तो इसको बेच कर मुनाफा कमायें। लेकिन Mr. राहुल के मन में एक doubt आता है कि अगर बहां पर Metro project शुरु नही हुआ तो मुझे भारी नुकसान हो जायेगा।
इसके लिए Mr. राहुल ने Mr. सूनील को पूरा पैसा ना देकर 1 लाख रुपयें का Token दिया और ये Contract किया कि 3 Month बाद वह उस जमीन को 20 लाख में खरीदेंगे। और अगर 3 महीने के बाद Mr. राहुल उस जमीन को न खरीदने का निर्णय लेते है तो Mr. सूनील उनके दिए Token Amount को रख सकते है।
इस तरह 1 लाख रुपयें देकर Mr. राहुल ने Mr. सूनील से एक Contract किया और इसी तरह के Contract को ऑप्शन कहते है। ऑप्शन Contract दो लोगो के बीच होता है जो ऑप्शन Contract को खरीदता है उसे ऑप्शन Buyer कहते है और जो ऑप्शन Contract को बेचता है उसे ऑप्शन Seller या ऑप्शन Writer कहते है।
ऑप्शन एक Financial Derivative जिसकी ट्रेडिंग Exchange पर होती है और यदि आपके ट्रेडेड शेयर या इंडेक्स की कीमत आपके पक्ष में है, तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको बड़ा लाभ कमाने में मदद कर सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत लोकप्रिय है क्योंकि यदि आप कोई Index (Nifty or Bank Nifty) खरीदना चाहते है तो आपको उसके लिए index के पूरे मार्जिन का भुगतान नहीं करना पड़ता है। सिर्फ Premium amount देकर हम ऑप्शन buy कर सकते है।
ऑप्शन कितने तरह के होते है?
1) Call ऑप्शन
2) Put ऑप्शन
कॉल ऑप्शन क्या है?
किसी भी Index या Stock के Call ऑप्शन हम जब खरीदते है जब हमें लगता कि उस Index या Stock की Price बढने बाली है। और जैसे – जैसे Index या Stock की Price बढती है वैसे ही Call ऑप्शन की Price भी बढती है।
पुट ऑप्शन क्या है?
किसी भी Index या Stock के Put ऑप्शन हम जब खरीदते है जब हमें लगता कि उस Index या Stock की Price गिरने बाली है। और जैसे – जैसे Index या Stock की Price गिरेगी है वैसे – वैसे Put ऑप्शन की Price भी बढेगी।
अभी तक आप Options Trading in Hindi लेख में ऑप्शन क्या होते है समझ गए होंगे अभी हम ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करे, ये समझते है –
ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करे?
ट्रेडर्स, ऑप्शन ट्रेडिंग mainly दो reason की बजह से करते है।
Margin: – ऑप्शन ट्रेडिंग आपको इंडेक्स या शेयर की पूरी कीमत दिए बिना ही किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में Trade करने की अनुमति देता है।
Hedging:- मानलो यदि आपके होल्डिंग में कुछ Stocks हैं जो आपने long term के लिए खरीद कर रखे है और कुछ समय के बाद किसी कारण वस अचानक उस शेयर की कीमत बहुत गिरने लगती है, तो आप अपने होल्डिंग शेयरों का ऑप्शन Contract खरीद सकते हैं जिससे आपका भारी नुकसान होने से बच जायेगा और इस प्रक्रिया को Hedging कहा जाता है।
Options Trading Terminology
# 1 Premium: – Premium वह होता है जो ऑप्शन Buyer ऑप्शन Seller को कॉन्ट्रैक्ट buy करने के लिए Pay करता है।
#2 Strike Price:- Strike Price वह Price होती है जिस पर ऑप्शन खरीदे या बेचे है और ये Price Stock Exchange द्वारा तय की जाती है। आप किसी भी Strike Price का कोई भी स्टॉक या इंडेक्स खरीद या बेच सकते हैं।
#3 Expiry: – भविष्य की वह तारीख जब ऑप्शन शुन्य हो जायेगा, क्योकि जिस भी Expiry का हम ऑप्शन buy करते है तो जैसे – जैसे ऑप्शन expiry के नजदीक जाता है वैसे – वैसे ऑप्शन की Price कम होने लगती है और expiry के दिन शुन्य हो जाती है।
ऑप्शन की तीन अलग-अलग अवधि होती है…
- Near Month (1 Month).
- Middle Month (2 Months).
- Far Month (3 Month)
#4 Lot Size :- Lot size का मतलब है Shares की एक निश्चित संख्या। ये एक्सचेंज द्वारा तय किए गए जाते है जिसमें हर एक Stock और Index कॉल ऑप्शन को राइट करना के लिए Lot size अलग – अलग होता है।
#5 Contract Name :- Contract Name Stock ticker Symbol की तरह होता है जिसमें ऑप्शन Contract कुछ अक्षर और संख्या को मिला कर बनाया जाता है जैसे कॉल ऑप्शन को राइट करना – Nifty 17500 PE
#6 Intrinsic Value : – Intrinsic Value किसी भी Stock या Index के current Price और Strike Price के बीच का अंतर होता है।
#7 Open Interest :- Open Interest किसी विशेष ऑप्शन Contract पर खरीदारों और विक्रेताओं की कुल संख्या को दर्शाता है।
निष्कर्ष
ऑप्शन ट्रेडिंग से आप बहुत जल्दी ही बहुत अच्छा पैसा कमा सकते है लेकिन इसमें रिस्क भी ज्यादा है इसलिए ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत, ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से समझने के बाद ही करे।
हमें उम्मीद है कि Options Trading in Hindi लेख में ऑप्शन ट्रेडिंग से संबधित सभी सबालो के जबाव मिल गए होंगे, अगर फिर भी कोई सबाल रहता है तो आप हमें कमेंट कर सकते है।
शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें।
Option Trading के बारे में विस्तार से जानने से पहले जानते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? ऑप्शन एक कॉन्ट्रेक्ट है जो विक्रेता द्वारा लिखा जाता है, जो खरीदार को अधिकार देता है कि वह भविष्य अपने कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है। इस आर्टिकल में ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से बताया कॉल ऑप्शन को राइट करना गया है। जानते हैं- शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi.
Option trading in Stock market
शेयर मार्किट में वैसे को बहुत सारे तरीके हैं पैसे कमाने के उन्ही में से एक तरीका ऑप्शन ट्रेडिंग भीं है। शेयर मार्किट एक्सपर्ट अक्सर रिटेल ट्रेडर को ऑप्शन मार्केट से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं। लेकिन रिटेल ट्रेडर भी ऑप्शन मार्केट को अच्छे से समझकर और सीखकर इससे थोड़े समय में ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं। Price Action क्या है?
ऑप्शन एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है, जिसमे आपको केवल प्रीमियम देना होता है। जिसकी वैल्यू उसके Underlying asset में निहित होती है। डेरीवेटिव दो प्रकार के होते हैं- फ्यूचर एंड ऑप्शन। एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट आपको भविष्य की एक निश्चित तारीख (Expiry Date) को एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार देता कॉल ऑप्शन को राइट करना है लेकिन ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में ऐसा नहीं है, ऑप्शन कंट्रेक्ट में आप निश्चित तारीख (Expiry date) पर आप सौदा पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
उदाहरण के द्वारा ऑप्शन ट्रेडिंग को समझें
Option trading in Stock market को एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझा जा सकता है- माना रमेश और आकाश दो दोस्त हैं। रमेश के पास दो बीघा जमीन है और वह उस जमीन को बेचना चाहता है। आकाश उस जमीन को खरीदना चाहता है, उस जमीन की कीमत मार्केट रेट के हिसाब से दस लाख रूपये है। आकाश दस लाख रूपये मैं उस जमीन को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन आकाश के पास अभी पूरे पैसे नहीं है। एल्गो ट्रेडिंग क्या है?
इस वजह से दोनों के बीच एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, कॉन्ट्रैक्ट एक सितंबर से तीस सितंबर तक का होता है। रमेश आकाश से एक लाख रूपये टोकन अमाउंट ले कर एक रिसीप्ट बनाता है। जिसमे उन दोनों के बीच यह समझौता होता है कि आकाश बाकी के पैसे कॉन्ट्रैक्ट की अवधि पूरी होने तक रमेश को दे देगा।
रमेश कॉल ऑप्शन को राइट करना यह जमीन कॉन्ट्रैक्ट का समय पूरा होने तक किसी और को नहीं बेचेगा यह कॉन्टेक्ट दोनों को मंजूर होती है। इस बीच जमीन के भाव में परिवर्तन हो सकता है, कांटेक्ट का समय पूरा होने तक कॉल ऑप्शन को राइट करना जमीन के भाव मार्केट रेट से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं।
यदि इस बीच जमीन के भाव दस लाख से बढ़कर बीस लाख रूपये हो जाते हैं। तो इसमें रमेश को नुकसान होगा अगर जमीन के भाव दस लाख रूपये से कम हो जाते हैं तो इसमें आकाश को नुकसान है। अगर आकाश कहता है कि मेरे एक लाख रूपये जाएं तो जाएं मुझे जमीन नहीं खरीदनी है तो आकाश ऐसा कर सकता है। उपर्युक्त उदाहरण में, तीस सितंबर एक्सपायरी डेट है, जमीन शेयर है, दस लाख रुपए शेयर का प्राइस है, एक लाख रुपए प्रीमियम है और दो बीघा क्वांटिटी है। स्टॉक चार्ट को कैसे समझें?
Option trading को ऑप्शन मार्केट भी बोल सकते हैं। ऑप्शन मार्केट एक हेजिंग बेस्ट प्रोडक्ट है. जैसे कि फ्यूचर मार्केट एक ट्रेडिंग बेस्ट प्रोडक्ट है। इसी तरह इक्विटी मार्केट एक इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है। हेजिंग से आप दोनों तरफ की पोजीशन पर प्रॉफिट कमा सकते हैं, जब मार्केट ऊपर जाता है तब भी और जब मार्केट नीचे जाता है तब भी आप ऑप्शन के द्वारा प्रॉफिट कमा सकते हैं।
ऑप्शन मार्केट में स्क्रिप्ट होती है उसका स्ट्राइक प्राइस होता है और उसका लॉट साइज और एक्सपायरी डेट होती है। इसमें भी तीन महीने तक और उससे भी ज्यादा की एक्सपायरी डेट होती है। सबसे कम समय की एक्सपायरी डेट एक सप्ताह की होती है जोकि प्रत्येक सप्ताह बृहस्पतिवार को एक्सपायर होती है। मंथली एक्सपायरी प्रत्येक महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को होती है। लॉट में शेयरों की संख्या फिक्स होती है, इसमें निफ़्टी इंडेक्स कॉल ऑप्शन को राइट करना और बैंक निफ़्टी इंडेक्स के भी लॉट होते हैं जिनमें सबसे ज्यादा ट्रेडिंग होती है। Stock Broker and Brokrage fee
Option trading के लिए शेयर लॉट में खरीदे और बेचे जाते हैं, जितने शेयर लॉट में होंगे आपको उतने ही शेयर खरीदने पड़ेंगे। ऑप्शन मार्केट में काम करने के लिए दो ऑप्शन होते हैं Call option और Putt option अगर आपका किसी शेयर या इंडेक्स को लेकर तेजी का रुख है तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए। इसी तरह अगर किसी शेयर या इंडेक्स को लेकर आपका मंदी का है तो आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।
Call option और Putt option क्या हैं ?
Call option उसके होल्डर को शेयर खरीदने का अधिकार देता है, ऐसे ही Putt option उसके होल्डर को शेयर बेचने का अधिकार देता है। इसके लिए आपको शेयर की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती, उसका केवल प्रीमियम चूकाना होता है। Option trader कॉल और पुट ऑप्शन को बेच भी सकता है। यदि आप भविष्य में अपने कॉल ऑप्शन के खरीदने के अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको उसकी सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान भी करना पड़ेगा, आपको यह बात भी ध्यान रखना चाहिए।
Option Trading में जोखिम भी शामिल होता है इसका भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण समझने वाली बात यह कि ऑप्शन पुट और कॉल खरीदने में नुकसान लिमिटेड होता है। आपने जितने का पुट या कॉल खरीदा है ज्यादा से ज्यादा उतने का ही नुकसान हो सकता है। किन्तु अगर आपने पुट या कॉल को बेच दिया तो आपको अनलिमिटेड नुकसान हो सकता है। इसलिए पुट या कॉल ऑप्शन बेचने से पहले सौ बार सोचें।
उम्मीद है आपको शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi. पसंद आया होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों से भी जरूर शेयर करें ताकि वह भी इससे लाभ उठा सकें। यदि आपके पास इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कॉल ऑप्शन को राइट करना कृपया कमेंट करके जरूर बताये। आप मुझे facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं।
तो दोस्तों आज की जानकारी काफी महत्वा पूर्ण है. हर किसी के मन में यही सवाल था। Option trading क्या हैं? ये तो जान ही गए होंगे, इन सभी के साथ साथ कुछ और सीखना है तो हमें बताए। ऑप्शन ट्रेडिंग के द्वारा पैसों का पेड़ कैसे लगायें आप इस बुक को पढ़कर आप ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से सीख सकते हैं।
ऐसे करते हैं Options Trading, बाजार गिरे या चढ़े, आप बनें ऑप्शन्स के खिलाड़ी
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। बाजार में कमाई के लिए एक नहीं, कई बातें अहम होती हैं। इसमें सबसे अहम होता है कि आपका निवेश का फैसला. क्योंकि इसी से तय होता है कि आप कमाएंगे या गवाएंगे। वहीं दूसरी सबसे बड़ी बात होती है कि आप कितनी तेजी से ऑप्शन से जुड़े फैसले लेते हैं। इससे तय होता है कि आप किसी मौके का फायदा उठा सकते हैं या नहीं और तीसरी सबसे अहम बात होती है कि आप सौदे करने के बदले कितना पैसा चुका रहें हैं, क्योंकि इससे तय होता है कि आप वास्तव में कितना मुनाफा घर ले जाएंगे।
ट्रेडिंग में इतनी शर्तों के साथ संभव है कि आपका ट्रेडिंग करने का जोश ही खत्म जाए। लेकिन टेंशन न लें, हम आपको बताते हैं 5paisa की दो खास पेशकश के बारे में, जहां आपको इन सभी बातों के कारगर हल मिल जाएंगे।
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5paisa से जितनी ट्रेड उतनी बचत
5paisa का अल्ट्रा ट्रेडर पैक आपकी ट्रेडिंग की लागत घटाता है और इससे आपका रिटर्न और बेहतर बन जाता है। पैक के जरिए सब्सक्रिप्शन लेने पर आपको सिर्फ 999 रुपये में 1000 रुपये के ब्रोकरेज रिवर्सल का फायदा मिलता है. वहीं कितना भी बड़ा ऑर्डर हो हर ऑर्डर पर सिर्फ 10 रुपये प्रति ऑर्डर का एक समान ब्रोकरेज लगता है. यही नहीं फ्री इक्विटी डिलीवरी सहित कई और फायदे मिलते हैं। यानी 5 Paisa के साथ जितना ज्यादा ट्रेड करते हैं उतनी ही सेविंग होती है।
5paisa के ये फीचर्स हैं ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए खास, देखें वीडियो-
बाजार गिरे या चढ़े आप बनें खिलाड़ी
5paisa के 'क्विक ऑप्शन ट्रेड' फीचर के साथ अब आपकी ऑप्शन ट्रेडिंग बेहद आसान हो जाती है। भले ही बाजार गिर रहा हो या चढ़ रहा हो, इसके साथ आपको 3 ऑप्शन ट्रेड की सलाह मिलती है। इसकी मदद से आप सिर्फ राइट या लेफ्ट स्वाइप की मदद से ही अपने ट्रेड पूरे कर सकते हैं। साथ ही पूरे समय ट्रेड पर नजर रखने की भी जरूरत नहीं है। पहले से ही टार्गेट प्राइस और स्टॉप लॉस कॉल ऑप्शन को राइट करना रखकर आप इस टेंशन से भी मुक्त हो जाते हैं।
आपको बता दें कि ऑप्शन्स दो तरह के होते हैं, कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन। इंडेक्स या शेयर में तेजी का रुख रखने वाले निवेशक कॉल ऑप्शन्स खरीदते हैं। इंडेक्स या शेयर में मंदी का रुख़ रखने वाले निवेशक 5paisa के साथ पुट ऑप्शन्स ख़रीदते हैं और कमाई करते है। स्ट्राइक रेट के हिसाब से कॉल, पुट के भाव अलग-अलग होते है। स्ट्राइक कॉल ऑप्शन को राइट करना रेट यानी वो भाव जिस पर आप शेयर या इंडेक्स को छोटी अवधि में पहुंचता हुआ देखते हैं।
इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे
जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.
क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.
1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.
2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.
3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.
5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.
डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग
अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.
डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
नेटवर्क के चलते हो रही है कॉल ड्राप? Wi-Fi से करें कॉल, फॉलो करें सिंपल स्टेप्स
इससे आप अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन या आईफोन से आसानी से बात कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको अपने स्मार्टफोन पर वाई-फाई कॉलिंग (Wi-Fi Calling) को इनेबल करना होगा. कुछ फोन पर, वाई-फाई कॉलिंग ऑप्शन सीधे नेटवर्क सेक्शन में होता है, इसमें आपको एडवांस वाले ऑप्शन पर टैप नहीं करना होता. हालांकि, अलग-अलग एंड्रॉइड फोन की ओएस स्किन (OS Skin) के आधार पर पाथवे थोड़ा अलग हो सकता है.
WiFi Calling
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 27 दिसंबर 2021,
- (Updated 27 दिसंबर 2021, 5:43 PM IST)
आपको अपने स्मार्टफोन पर Wi-Fi कॉलिंग को इनेबल करना होगा.
आईफोन पर तब इनेबल कर सकते हैं, जब टेलीकॉम ऑपरेटर इसको सपोर्ट करता हो
अक्सर नेटवर्क की वजह से या कॉल ड्रॉप की समस्या के चलते कॉल करने में दिक्कत होती है. अगर आप किसी ऊंची इमारत में रहते हैं तो ये समस्या और भी बढ़ सकती है. लेकिन आप इससे निजात पा सकते हैं. आप ऐसे एरिया में भी हम इस परेशानी से काफी हद तक बच सकते हैं. इससे आप अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन या आईफोन से आसानी से बात कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको अपने स्मार्टफोन पर वाई-फाई कॉलिंग को इनेबल करना होगा.
एंड्रॉइड स्मार्टफोन पर वाई-फाई कॉलिंग कैसे सक्रिय (Enable) करें
-अपने एंड्राइड स्मार्टफोन की सेटिंग्स में जाएं. इसके बाद, नेटवर्क सेक्शन में जाएं. इसे कनेक्शन्स सेक्शन या मोबाइल नेटवर्क भी कहा जा सकता है
-नेटवर्क वाले सेक्शन में, वाई-फाई वाले ऑप्शन पर जाएं और ‘एडवांस’ पर टैप करें
-वाई-फाई कॉलिंग नाम के ऑप्शन को खोजें. अगर आपके फोन में दो सिम कार्ड हैं, तो यूज़र यह तय कर सकते हैं कि इसे किस नंबर के लिए वे इसे इनेबल करना चाहते हैं. आग आप दोनों नंबरों के लिए इनेबल करना चाहते हैं, तो वो भी कर सकते हैं.
कुछ फोन पर, वाई-फाई कॉलिंग ऑप्शन सीधे नेटवर्क सेक्शन में होता है, इसमें आपको एडवांस वाले ऑप्शन पर टैप नहीं करना होता. हालांकि, अलग-अलग एंड्रॉइड फोन की ओएस स्किन (OS Skin) के आधार पर पाथवे थोड़ा अलग हो सकता है.
IPhone पर वाई-फाई कॉलिंग कैसे इनेबल करें
आईफोन पर, वाई-फाई कॉलिंग को तब तक आसानी से इनेबल किया जा सकता है जब तक कि टेलीकॉम ऑपरेटर इसको सपोर्ट करता है. इसके लिए नीचे दिए गए इन स्टेप्स को फॉलो करें:
-IPhone पर सेटिंग मेनू पर जाएं, फोन पर क्लिक करें
-इसके बाद, Mobile Data > Wi-Fi Calling पर क्लिक करें (यह सिर्फ यह बताएगा कि आपका टेलीकॉम ऑपरेटर सर्विस को सपोर्ट करता है या नहीं)
-"Wi-Fi Calling on This iPhone" पर टॉगल करें. अगर वाई-फाई कॉलिंग आपके आईफोन पर उपलब्ध है, तो आपको स्टेटस बार में अपने ऑपरेटर के नाम के पीछे वाई-फाई लिखा हुआ दिखाई देगा. अब आपकी कॉल वाई-फाई कॉलिंग के जरिए शुरू हो जाएगी.
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