दो सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 7.941 अरब डालर की कमी आई है। अगस्त के महीने में विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी कमी देखने को मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से निपटने के लिए आरबीआई ने बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे हैं जिसके कारण देश के विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी दर्ज की गई है।

फॉरेक्स

विदेशी विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम मुद्रा बाजार में किसी न किसी तरह का हेरफेर

सिय्योन ग्लोबल लिमिटेड ब्रोकर ने सभी उपयोगकर्ताओं के लिए स्वागत योग्य बोनस दिया। बोनस अनुमानित राशि 50usd थी जिसके साथ नए लोगों ने कंपनी द्वारा दिए गए संकेतों के साथ खरीदारी और बिक्री की। बोनस केवल 5 दिनों की अवधि के लिए उपलब्ध था, उन 5 दिनों में 10 से 15 अमरीकी डालर तक कमाना संभव था, जो ट्रॉन नेटवर्क के माध्यम से यूएसडीटी क्रिप्टोक्यूरेंसी के साथ वापस लेने योग्य थे। बोनस का उपयोग करने के बाद यह प्रत्येक व्यक्ति का निर्णय था कि सभी सिग्नल अर्जित किए जाने के बाद से एक ही ब्रोकर से सिग्नल के साथ अधिक जमा करें और अधिक पैसा कमाएं। विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम इस प्रकार ब्रोकर हमें सभी लॉटरी को अपने खाते में डालने के लिए कहता है क्योंकि यह प्रति ऑपरेशन 30% से 50% का कमीशन विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम लेता है। इस प्रकार, पिछले सप्ताह उन्होंने सिल्वर प्लान में 100 USD और गोल्ड प्लान में 1000 USD की साधारण जमा राशि के साथ पुराने उपयोगकर्ताओं को अधिक कमाने के लिए सोने और चांदी के खाते खोलना शुरू किया। जब ब्रोकर विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम ने इस तरह की कार्रवाई की, तो उसने सभी उपयोगकर्ताओं की निकासी को रद्द कर दिया और 2 दिनों के लिए सिग्नल प्रदान करना विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम जारी रखने के लिए सभी निकासी को उपयोगकर्ताओं की शेष राशि में वापस कर दिया। दूसरे दिन, उसने हमें बाजार में एक निश्चित बिंदु पर एक खरीद संकेत भेजा, जिसके साथ सभी उपयोगकर्ताओं ने संकेतित बिंदु पर खरीदा और खरीदने के कुछ मिनट बाद, कीमत विपरीत दिशा में बढ़ने लगी, जिसमें से निवेश की गई सारी पूंजी ले ली गई। सभी उपयोगकर्ता। इसी के साथ हेराफेरी ने ब्रोकर के यूजर से सारी पूंजी निकाल ली। दलाल ने NZDUSD की मुद्रा जोड़ी में खरीद और बिक्री के सभी कार्यों को विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम भेजा।

एफसीए में आई 6.527 अरब डॉलर की गिरावट

रुपया बनाम डॉलर

बता दें कि देश में दो सितंबर 2022 विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम को खत्म हुए हफ्ते में विदेश मुद्रा भंडार 09 अक्टूबर 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर था। इस हफ्ते के दौरान एफसीए (Foreign Currency Assets) में 6.527 अरब डॉलर की गिरावट आई और यह 492.117 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम पर रहा। गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक एफसीए ही होता है। इससे पहले 26 अगस्त को समाप्त हुए हुफ्ते के दौरान एफसीए 498.645 अरब डॉलर था।

विदेशी मुद्रा भंडार के प्रमुख घटक गोल्ड रिजर्व और एसडीआर भी घटे

सोना चांदी

दो सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश के गोल्ड रिजर्व में 1.339 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह 38.303 अरब डॉलर रहा। वहीं दूसरी ओर एसडीआर में साप्ताहिक आधार पर पांच अरब डॉलर की गिरावट दिखी और यह 17.782 अरब डॉलर रहा। इस दौरान आईएमएफ में देश का रिजर्व पोजिशन 2.4 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 4.902 अरब डॉलर रहा।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर जेफरीज ने जाहिर की विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम थी चिंता

विदेशी मुद्रा भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

बता दें कि बीते छह सितंबर को जेफरीज नामक एजेंसी ने अपनी ओर से जारी एक नोट में कहा था कि भारत को अपने विदेशी मुद्रा भंडार पर नजर बनाए विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम रखने की जरूरत है। इस नोट में यह भी कहा गया है कि भारत का व्यापार घाटा बीते कुछ समय में अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह चालू खाते का विदेशी मुद्रा सिग्नल फोरम घाटा (CAD) भी वित्तीय वर्ष 2022-23 में 3.5 फीसदी पर है जो एक दशक के उच्चत्म स्तर की ओर बढ़ रहा है।

डॉलर के मुकाबले लुढ़कता जा रहा है रुपया

भारतीय रुपया टूटकर अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. गुरुवार को रुपया 79.87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह रुपया के लिए अबतक का सबसे निचला स्तर है. रुपया इस साल करीब 7.5 फीसदी कमजोर हुआ है. यह 74 प्रति डॉलर से 79.85 प्रति डॉलर पर आ गया है. रुपये में आ रही लगातार गिरावट को थामने की आरबीआई हर मुमकिन कोशिश कर रहा है.

क्यों टूट रहा रुपया

वैश्विक बाजार में डॉलर की मांग में तेजी- दुनियाभर में 85 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर से होता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की जरूरत होती है. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वह इसी मुद्रा में अन्य देशों को ऋण देता है और वसूलता है. इसके अलावा दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 प्रतिशत अमेरिकी डॉलर होते हैं. इसलिए दिन प्रतिदिन डॉलर की मांग बढ़ रही है और Dollar के आगे रुपया पस्त हो रहा है. यदि अमेरिकी डॉलर की मांग ज्यादा है, तो भारतीय रुपये का गिरना तय है.

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