पिछले हफ्ते की ही बात है जब बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्रिटेन में सबसे खराब आर्थिक मंदी की आशंका जाहिर की है। अगर आशंका कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है सच हो जाती है, तो यह भारतीय फर्मों और कर्मचारियों के लिए दोहरी परेशानी का कारण बनेगा क्योंकि ब्रिटेन में भारतीय आईटी कंपनियों के कई बड़े ग्राहक हैं।

वजन बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपाय: इन 6 जड़ी-बूटियों के सेवन से वजन बढ़ाने में मिलेगी मदद

Dhan Daulat: दुनिया में मंदी की आहट, रोजगार पर दिख रहा है असर

तो क्या ऐसा मान लिया जाए कि बीते दशक या दशकों के दौरान कारोबार को बेतहाशा विस्तार कर लाखों लोगों को रोजगार देकर अरबों-खरबों कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है डॉलर की पूंजी वाली बनी बड़ी टेक कंपनियों में छंटनी का दौर इशारा कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है कर रहा है कि अच्छे दिन अब जाने वाले हैं.

So should it be assumed that the period of layoffs in big tech companies with billions and trillions of dollars by providing employment to lakhs of people by wildly expanding business during the last decade or decades is indicating that the good days are about to go.

रुपया हुआ मजबूत तो कौन हो गया परेशान?

now rupee is giving challange to exporter

विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि चुनाव नतीजों से पहले रुपये में उतार-चढ़ाव को थामने के लिए रिजर्व बैंक सरकारी बैंकों के जरिए डॉलर की खरीद करवा रहा है। हालांकि, रुपये में मजबूती अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छा संकेत है, लेकिन इससे निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी इंडिया) के अध्यक्ष अनुपम शाह का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये का 60 रुपये से ज्यादा मजबूत होता निर्यातकों केलिए अच्छी खबर नहीं है। रुपये की मजबूती के चलते ग्लोबल मार्केट में कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है भारतीय उत्पादों के लिए जगह बनाना मुश्किल हो जाएगा।

मंदी की आहट से क्यों सहमा है IT सेक्टर? कर्मचारियों पर दिख रहा सबसे ज्यादा असर

मंदी की आहट से क्यों सहमा है IT सेक्टर? कर्मचारियों पर दिख रहा सबसे ज्यादा असर

अमेरिका समेत दुनियाभर में मंदी को लेकर बहस छिड़ी हुई है। मंदी पर बहस से इतर ऐसे अर्थशास्त्रियों की सूची लंबी है जो मान रहे हैं कि दुनिया मंदी की चपेट में आ चुकी है। बीते कुछ समय भारत समेत वैश्विक स्तर पर टेक कंपनियों में छंटनी और हायरिंग फ्रीज होने की वजह से यह डर गहरा होता जा रहा है। मंदी की वजह से स्टार्टअप्स के सामने भी कई तरह की चुनौतियां आई हैं।

मंदी का मतलब: आमतौर कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है पर मंदी को परिभाषित देश की जीडीपी से किया जाता है। किसी कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है देश की जीडीपी लगातार दो या तीन तिमाही तक दबाव में रहती है या सिकुड़न होता है तो उसे 'तकनीकी मंदी' कहा जाता है। अर्थव्यवस्था में सिकुड़न की वजह से ना सिर्फ निवेश का माहौल गड़बड़ होता है बल्कि उपभोक्ताओं के खर्च करने का मिजाज भी संकुचित हो जाता है। इस वजह से उपभोक्ता की डिमांड कमजोर होती है। डिमांड कमजोर होने की वजह से कंपनियां प्रोडक्शन पर कंट्रोल कर देती हैं।

Sandhi Mudra : जोड़ों के दर्द को दूर करती है संधि मुद्रा, आजमा कर देखें

Written by Anshumala | Updated : November 16, 2019 6:59 PM IST

जोड़ों के दर्द (Joint pain) और अर्थराइटिस (Arthritis) से परेशान हैं, तो संधि मुद्रा (Sandhi Mudra) करने से लाभ होगा। योगाचार्य डॉ. रमेश पुरी कहते हैं कि संधि का मतलब होता है एक से अधिक का योग है। ऐसे में दाएं हाथ में पृथ्वी मुद्रा और बाएं हाथ में आकाश मुद्रा लगानी होती है। तभी दोनों संयुक्त रूप से संधि मुद्रा (Sandhi Mudra) कहलाती है। हालांकि, किसी भी योग, आसन और मुद्रा लगाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

  • जब अंगूठे को अनामिका (ring finger) से मिलाते हैं तो पृथ्वी मुद्रा बनती है।
  • अंगूठे को मध्यमा (middle finger) से मिलाने से आकाश मुद्रा बनती है।

जोड़ों के दर्द में करें संधि मुद्रा

जोड़ों का दर्द किसी प्रकार की चोट, जोड़ पर ज्यादा दबाव पड़ने, ज्यादा प्रोटीनयुक्त पदार्थों के सेवन या आर्थराइटिस के कारण हो सकती कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है है। यह खराब जीवनशैली से उपजा रोग है। यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। जिनका वजन अधिक होता है, उनमें जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक होती है। शरीर में जहां कहीं भी जोड़ों में दर्द हो, तो संधि मुद्रा करने से लाभ होगा। एक ही स्थिति में लगातार बैठे रहने या सारा दिन खड़े रहने से कलाइयों, टखने, कंधे आदि में होने वाले दर्द में भी नियमित अभ्यास से यह मुद्रा लाभ देती है। दाएं हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को अनामिका के अग्रभाग से मिलाएं। बाएं हाथ के अंगूठे के अग्रभाग को मध्यमा के अग्रभाग से मिलाएं। इसे प्रतिदिन 15 मिनट तक चार बार करें।

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पाचन तंत्र में सुधार के लिए रोज सुबह करें ये 5 योग मुद्रा, गैस और बदहजमी जैसी कई समस्याएं होंगी दूर

Anju Rawat

Written by: Anju Rawat Published at: Feb 04, 2022

mudra for digestion: स्वस्थ रहने के लिए पाचन तंत्र का मजबूत होना जरूरी होता है। कमजोर पाचन तंत्र कई बीमारियों का कारण बनता है। पाचन तंत्र में सुधार करने के लिए लोग कई उपाय आजमाते हैं, लेकिन असर देखने को नहीं मिलता है। आप चाहें तो रोजाना सुबह के समय कुछ खास योग मुद्राओं का अभ्यास करके पाचन तंत्र में सुधार कर सकते हैं। इससे पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं दूर होंगी। गैस, एसिडिटी, अपच और कब्ज से भी राहत मिलेगी।

पुषाण मुद्रा

पाचन तंत्र में सुधार करने के लिए पुषाण मुद्रा का अभ्यास करना एक बेहतर विकल्प है। इसे रोज करने से पेट फूलने, मतली और अपच की समस्या दूर होती है। पुषाण मुद्रा करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को अपने जांघों पर रखें। इस दौरान हथेलियां आसमान की ओर होनी चाहिए। इसके बाद दाएं हाथ से अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा उंगुलियों की युक्तियों को एक साथ दबाएं। बाकि दोनों उंगुलयों को सीधा रखें। साथ ही अपने बाएं हाथ की मध्यमा और अनामिका उंगुली की नोक को अंगूठे से मिला लें। इस अवस्था में रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। लंबी सांस लें और ध्यान लगाएं।

प्राण मुद्रा पित्त की अत्यधिक आग को शांत करती है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पित्त का संतुलित होना जरूर होता है। क्योंकि इसका असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। इसके लिए आप प्राण मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं। इसे करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अब अपनी अनामिका और कनिष्ठा उंगुलियों की नोक को अंगूठे की नोक से मिलाएं। मध्यमा और तर्जनी उंगुली को सीधा रखें। इस मुद्रा को आप 10 मिनट तक कर सकते हैं। इसमें लंबी गहरी सांस लें और ध्यान लगाएं।

अपान मुद्रा

अपान मुद्रा पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में काफी फायदेमंद होता है। इस मुद्रा को रोज करने से गैस, अपच से राहत मिलती है। इस मुद्रा को करने के लिए पहले सुखासन में बैठ जाएं। अपने हाथों को घुटनों पर रखें। हथेलियां आकाश की ओर होनी चाहिए। अब अपने मध्यमा और अनामिका उंगुली के छोर को अंगूठे के छोर से मिलाएं। बाकि दोनों उंगुलियों को सीधा रखें। अपनी आंखें बंद कर लें और लंबी सांस भरें।

इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं। अपनी कमर और रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। अपनी सांसों पर ध्यान दें। अब अपनी दोनों हथेलियों को पेट पर रखें। हथेलियों को नाभि की ओर रखें। अपनी दोनों हाथों की चारों उंगुलियों से पेट पर हल्का दबाव डालें। पेट की मांसपेशियों को नीचे दबाएं। इस दौरान सांस लें और छोड़ें। 

गरुड़ मुद्रा

गरुड़ मुद्रा करने के लिए सबसे पहले दाईं हथेली को इस तरह रखें कि दोनों हाथों की उंगलियां एक-दूसरे को ढ़कें नहीं। 10 बार गहरी सांस लें और छोड़ें। अपने अपनी हथेलियों को नाभि पर लाएं, फिर 10 बार सांस ले और छोड़ें। अब ऐसा ही हथेलियों को सीने पर रखकर भी करें। आप इस प्रक्रिया को 4-5 मिनट तक दोहरा सकते हैं।

पाचन तंत्र में सुधार करने के लिए रोज मुद्रा करन के कमजोर मुद्रा से कौन आहत होता है साथ ही प्राणायाम और योग करना भी जरूरी होता है। प्राणायाम करने से फेफड़े तो मजबूत बनते ही है, पाचन तंत्र भी मजबूत बनता है। रोजाना खाली पेट प्राणायाम करने से गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी से राहत मिलती है।

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