बिटकॉइन की ट्रेडिंग करते हैं तो जान लें नियम, कितना और कैसे चुकाना होगा टैक्स

Bitcoin: 3 साल के बाद अगर कोई निवेशक क्रिप्टोकरंसी (cryptocurrency investment) बेचता है तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (long term capital gains) के हिसाब से टैक्स लगेगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 परसेंट का टैक्स देना होगा.

बिटकॉइन की ट्रेडिंग करते हैं तो जान लें नियम, कितना और कैसे चुकाना होगा टैक्स

भारत में बिटकॉइन (bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरंसी (cryptocurrency) में तेजी से निवेश बढ़ रहा है. लोग इसमें अपनी गाढ़ी कमाई खपा रहे हैं. कुछ रुपये का बिटकॉइन आज कई लाख रुपये में पहुंच गया है. कई लोग इसे खरीद और बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसी स्थिति में टैक्स से जुड़े नियम जरूर जान लेने चाहिए. जब टैक्स फाइल करते हैं तो उसमें इसका भलीभांति जिक्र करना होगा कि बिटकॉइन या इथर जैसी डिजिटल करंसी से कितनी कमाई हो रही है. फिर उसी हिसाब से आपको टैक्स भी चुकाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इनकम टैक्स की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

लोगों के मन में सवाल है कि अगर उन्होंने बिटकॉइन से कमाई (bitcoin investment) की है तो उसे इनकम टैक्स के किस हेड में दिखाया जाए. उस पर टैक्स की कितनी देनदारी बनेगी और उसे किस तरह चुकाना चाहिए. लोगों के ये सवाल इसलिए भी बड़े हो गए हैं क्योंकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से इस बारे में अभी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है. इनकम टैक्स ने अभी क्रिप्टोकरंसी को लेकर कोई नियम साफ नहीं किया है. बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी में पैसा लगाने वाले लोग जानना चाहते हैं कि उन्हें टैक्स कैसे, कब और कितना देना होगा. निवेशक इस बारे में स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं. ऐसे में निवेश करने वाले व्यक्ति को या तो खुद से इसे समझ कर टैक्स चुकाना होगा या किसी टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लेकर कर की अदायगी करनी होगी.

क्या है income tax का रूल

इनकम टैक्स (income tax) का नियम कहता है कि सिर्फ खेती से हुई कमाई ही टैक्स फ्री है. बाकी हर तरह की कमाई पर टैक्स की देनदारी बनती है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति बिटकॉइन या किसी दूसरी क्रिप्टोकरंसी से कमाई करता है तो उसे टैक्स चुकाना होगा. अगर कोई निवेशक क्रिप्टो ट्रेडिंग करता है तो उसकी आमदनी को बिजनेस आय मानी जाएगी और इसी बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है हिसाब से टैक्स देना होगा. ऐसी स्थिति में कैपिटल गेन के हिसाब से टैक्स लगेगा. इसके लिए प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट और बैलेंसशीट बनानी होगी.बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है

कितना देना होगा Tax

3 साल के बाद अगर कोई निवेशक क्रिप्टोकरंसी (cryptocurrency investment) बेचता है तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (long term capital gains) के हिसाब से टैक्स लगेगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 परसेंट का टैक्स देना होगा. अगर आप बिटकॉइन को 3 साल से पहले बेचते हैं तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (short term capital gains) के हिसाब से टैक्स देना होगा. अगर खरीद-बेच की फ्रिक्वेंसी बहुत ज्यादा है, यानी कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी को तेजी से खरीद और बेच रहे हैं तो इसका मतलब हुआ कि इसका बिजनेस करते हैं. ऐसी स्थिति में बिजनेस मानकर ही उसका टैक्स चुकाना होगा. अगर आपने क्रिप्टोकरंसी खरीद कर रख लिया और कई साल बाद बेच रहे हैं तो यह निवेश की श्रेणी में आएगा और उसी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.

रुपये-पैसे की कमाई की तरह bitcoin का धंधा

सरकार के एक नोटिफिकेशन में इस बात का जिक्र है कि बिटकॉइन में ट्रेडिंग (bitcoin investment) बिजनेस इनकम के तौर पर देखा जाएगा. इस पर टैक्स बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है स्लैब की अलग-अलग कैटगरी के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. जो लोग बिटकॉइन की ट्रेडिंग करते हैं, वे अपने टैक्स स्लैब को जानकर आयकर चुका सकते हैं. ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. बिटकॉइन (bitcoin) की कमाई को पैसे की कमाई के रूप में देखा जाएगा और जिसके हाथ में यह इनकम जाएगी, उसे टैक्स चुकाना होगा. जिस बिजनेस या पेशे में कमाई हो रही है, उसी के मुताबिक टैक्स लगेगा. हालांकि सरकार की तरफ से अभी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है, लेकिन कमाई कर रहे हैं तो उस पर टैक्स अदायगी (tax rules) का नियम जरूर लागू होता है.

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.

Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए

Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.

यह भी पढ़ें

अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.

क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?

इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.

bitcoins 650

कौन कर सकता है ट्रेडिंग?

ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.

यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?

यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.

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क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.

क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?

इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.

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कौन कर सकता है ट्रेडिंग?

ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.

यह समझना भी जरूरी है कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?

यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे बिटकॉइन ट्रेडिंग क्या है रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.

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